भारत –
प्रशासन व पुलिस प्रशासन की घोर लापरवाही से कटोंना मे भगदड़ की स्थिति के कारण 11
हजार बोल्ट के तार से करेंट की चपेट मे आने से एक युवक की मौत व 6 लोग गम्भीर रूप
से घायल हुए इसके बाद १२ बजे रात दलित बस्ती में जबरजस्ती घर का दरवाजा तोड़कर
महिलाओं, बच्चो, पुरुषो को लाठी
डंडो से पिटाई की साथ ही पुलिस द्वारा महिलाओं को भी प्रताड़ित कर जेल भेजा गया |
घटना का विवरण:
28/29 जुलाई, 2017 को लगभग 12 बजे रात को कई थाने की पुलिस दलित
बस्ती कटोंना में जबरजस्ती घर का दरवाजा तोड़कर महिलाओं, बच्चो, पुरुषो को लाठी
डंडो से पिटाई की| यहाँ तक की 25
वर्षीया दिव्यांग (मूकबधिर) बुद्धि राम पुत्र स्व० रामकरन को भी बुरी तरह से मारा पीटा
और फिर हवालात मे ले जाकर बंद कर दिया| पुलिस घर में रखा हुआ
खाने का संमान बहार फेक दिया और घर में रखा हुआ मोबाइल, लैपटॉप अपने साथ लेकर चले गए| मीडिया द्वारा प्रकाशित खबर के बाद उसको 24 घंटे
के बाद पुलिस ने छोड़ दिया| पुलिसिया
प्रताड़ना के कारण अधिकांश लोग डर से अपना घर और सामान छोड़कर भाग गये थे|
हर साल की भांति इस
साल भी कटोंना शिव मंदिर मे नागपंचमी के अवसर पर जल चढ़ाने के दौरान गाँव वाले
श्रद्धालुओं की सहायता के लिये गाँव वाले लोग सड़क के किनारे टेंट लगाकर ग्रामीण
लोग उनकी मदद कर रहे थे| 28
जुलाई, 2017 को
प्रातः 11 बजे दिन में पुलिस वालो ने कहा कि टेंट हटाकर दुसरे जगह लगा दीजिये| इस
पर ग्रामीणों ने कहा ठीक है| उसके बाद करीब १ बजे पुलिस वालो ने कहा कि जल चढ़ाने
का समय समाप्त हो गया है| उसके बाद गाँव वालो ने कहा नहीं जलाभिषेक हो रहा है शाम
तक टेंट हटा देंगे, इसपर वह मौजूद प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस (ए.डी.एम.गिरजेश त्यागी, ए.एस.पी ओमप्रकाश सिंह,एस.डी.एम.अकबरपुर रामलखन पटेल और अरिया चौकी इंचार्ज) ने जबरन
३५ वर्षीय राम आशीष राजभर पुत्र जैराम को टेंट खोलने के लिए मजबूर कर दिए, उसी
दौरान टेंट खोलते वक़्त 11 हज़ार वोल्ट के लाईन का तार अचानक सिर से छू गया और मौके
पर राम आशीष की मृत्यु हो गयी और 6 लोग लाईट से गंभीर रूप से घायल हो गए|
स्व० रामआशीष की 24 वर्षीय सुषमा देवी बताती
है कि उस दिन मै सोमवार की व्रत थी और मै मन्दिर पर जल चढ़ाने गयी थी उस
दिन सुबह 9 बजे जल चढाकर कावरिया लोग नाच रहे थे| पुलिस के डर से खम्भे पर चढ़कर
टेंट खोलने लगे| टेंट खोलते समय तार मेरे पति के सिर मे सट गया| बिजली का तार तब
तक सटा था जब तक उनका का खून खीच न गया हो जैसे ही पुरे शरीर का खून चूस गया वैसे
ही तार से छूटकर नीचे गिर गये|
मेरे पति को खम्भे
से सटा देखकर गाँव के जितने लोग वहा मौजूद थे सभी लोगो ने उन्हें बचाने के लिए गए,
वो लोग भी करेंट से झुलस गये उस समय चारो तरफ हाहाकार मच गया| पति को इस हालत में
देख मेरे मुंह से आवाज नही आ रहा था| उस समय ऐसा लगा जैसे सब कुछ खत्म हो गया मै
अपने पति को सिर्फ फटी हुयी आँखों से देखती रही| न तो मेरे आँखों में आंसू थे न तो
मुंह में आवाज ,जैसे लगा मै पागल सी हो गयी हूँ| मेरा तो सब कुछ लुट गया, ‘’कौन
देखेगा मुझे कौन बच्चे का परवरिश करेगा कौन बूढ़े माँ बाप को देखेगा मुझे और मेरे बच्चे
को पुलिस वालो ने अनाथ बनाकर छोड़ दिया| मैंने कभी सपनों में भी नही सोचा मेरे पति
का इतने कम दिन का साथ है |अगर मुझे मालूम होता तो मै उनको मन्दिर नही जाने देती| दिन
रात यही सोचकर रोती रहती हूँ |मेरे बच्चो (दो बच्चे बेटा 3 साल का बेटी 6 महिना)
को कौन देखेगा|
उसी दौरान अचानक
बिजली के तार आपस में टकराने से तड़तड़ाने का आवाज़ हुआ जिसपर कुछ आसामाजिक तत्वों ने
अफ़वाह फैला दिया कि पुलिस ने ग्रामीणों पर फायरिंग शुरू कर दिया और ग्रामीण
आक्रोशित हो गए| उसी दौरान पुलिस के कुछ अधिकारी भी घायल हो गए और पुलिस ने लाठी
चार्ज,
आंसू गैस और फायरिंग शुरू कर दिए|
आंसू गैस और फायरिंग शुरू कर दिए|
4 अप्रैल, 2018 को मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR) की एक टीम पीडितो को मनो सामाजिक संबल
प्रदान करने के लिए कटोंना गयी|
ग्राम लहनपुर, थाना -अकबरपुर की 25 वर्षीया सुन्दरमा वर्मा बताती
है कि उसी जगह मेरे पति
(अर्जुन वर्मा) भी खम्भे मे सटकर बैठे थे| उनको भी करेंट मार दिया जिसमे बुरी तरह
से चपेट मे आ गये, मै चिल्लाते हुये अपने पति के पास गयी तो पुलिस वालो ने मुझे
भद्दी -भद्दी गाली देते हुये बोला की ज्यादा चिल्लाओगी तो तुम्हे ले जाकर जेल मे
बंद कर देंगे| उस समय मैंने पुलिस की बातो को अनसुना करते हुये मै अपने पति की
हालत देखकर अपने आप को रोक नही पायी | किसी तरह लोगो ने मेरे पति को हास्पिटल मे
भर्ती कराया| पुलिस ने मुझे तुरंत वही से गिरफ्तार कर महिला थाने मे ले जाकर डाल
दिये, ‘’यह कहते हुये की तुम ज्यादा चिल्ला रही थी’’ अब तुमको समझ मे आयेगा जब जेल मे रहोगी तब
तुम्हारी बोली बंद हो जायेगी |उस समय मुझे लगा की ये क्या हो गया है, आखिर मुझे
क्यों ले जा रहे है, ऐसा कौन सा गुनाह किये थे की मुझे जेल ले जा रहे है | पुलिस
वाले मेरे पति की ऐसी हालत कर दी अगर समय से अस्पताल न ले जाते तो जान जाने का डर
था |दूसरी तरफ मुझे जेल मे डाल दिये| पुलिस ने मुझे कही का नही छोड़ा|मेरे बच्चे
किस हाल में होंगे | मेरे पति की देखभाल कौन करता होगा, क्या बीतती होगी मेरे
परिवार के ऊपर ये सोच -सोचकर मन बैठ रहा था|
मुझे जेल
के अन्दर डालने के बाद पुलिस वाले मेरे घर
का सारा सामान तोड़ दिये| जो कीमती सामान मोबाइल, फ़ोन उसको उठा ले गये और टीवी को
फोड़ दिए|
घर मे रखे अंनाज रखा फेक थे| ऐसा
कौन सा गुनाह मेरे परिवार वालो ने किया था| जिसकी इतनी दर्दनाक तरीके से मेरे परिवार को सजा मिली
|पुलिस ने मेरी पूरी इज्जत मिट्टी मे मिला दी| एक तरफ मै जेल के अन्दर घुट रही हूँ
दूसरी तरफ मेरे पति हास्पिटल मे जिन्दगी और मौत के बीच जूझ रहे थे | मेरे बच्चे घर
पर भूख से तड़प रहे थे |मेरा एक सवाल है की हमने क्या बिगाड़ा था| मुझे फर्जी केस मे
फसाकर जेल मे 3 महीने के लिये डाल दिया गया जब रात होता था तो जेल के अन्दर बहुत
डर लगता था, की कही फिर न पुलिस वाले सादे वर्दी मे आ जाये क्योकि हर रोज 4,5 पुलिस सादा वर्दी पहन कर बैरक मे आते थे और
मारते पिटते रहते बैरक महिला गार्ड से खुलवाकर अन्दर आते और गंदी -गंदी गालिया
देते और मारते पिटते हम लोग डर के मारे एक दुसरे मे सिमटे हुये रहते थे| भगवान से
मनाते रहते की जल्दी से पुलिस वाले यहा से चले जाये | घर की बहुत याद आती थी| बच्चो की बहुत याद आती थी
रह रह कर मन बिल्कुल बेचैन हो जाता है की किस तरह अपने पति व बच्चे से जाकर मिल
लू,लेकिन सोच सोच कर मन बहुत लाचार हो जाता था|जब इस चारदिवारी से बाहर निकलू तब
ना उनको भर आँख देख पाऊँगी | अगर थोड़ी देर बाद पुलिस टेंट उतरवाती तो क्या जाता,
कम से कम इतने लोगो का जीवन तो बर्वाद नही होता, क्या मिला है पुलिस को इतने लोगो
का जीवन बर्वाद करके|
मृतकों
की सूचि-
राम आशीष पुत्र जय
राम ग्राम – गोपालपुर थाना- अलीगंज टांडा, आंबेडकर नगर
घायलों
की सूचि –
1 -अर्जुन राजभर पुत्र सीताराम राजभर उम्र -40 वर्ष,
2-रामपाल राजभर
पुत्र लोधई राम राजभर उम्र -42 वर्ष,
3-रामराज राजभर
पुत्र रामउजागिर राजभर उम्र 18 वर्ष,
4 -संदीप कनौजिया
पुत्र शिवशंकरउम्र 22 वर्ष,
5 -पति राजभर पुत्र
रामदेव राजभर उम्र –18 वर्ष,निवासी ग्राम -गोपालपुर थाना अलीगंज टांडा |
6-राम कुवेर वर्मा,ग्राम -लहंनपुर थाना अकबरपुर गम्भीर रूप से घायल हो गये|
आजीविका के साधन ने लोगो की कमर तोड़
दी – ज्यादातर इस मामले में घर के कमाने वाले सदस्य को जेल भेज दिये,
जिससे लोग भुखमरी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया| घर के लोगो के पास इतना पैसा नहीं
है कि वो घायल का इलाज करा सके व जमानत ले सके| अपने बच्चो को दो वक़्त का भोजन दे
सके और फीस न देने के कारण शिक्षा से वंचित हो रहे है| ग्राम गोपालपुर, थाना-
अलीगंज 55 वर्षीया सुशीला देवी बताती है कि मेरे सबसे छोटे बेटे और पति को करेन्ट लगा| वह राम
आशिष को बचाने के चक्कर में बिजली के करन्ट से झुलस गये। उन्हें इलाज के लिए जिला
चिकित्सालय अम्बेडकर नगर में लाया गया लेकिन उनके तबियत में कोई सुधार नही हुआ| उनकी
हालत देख हम किसी तरह कर्ज लेकर प्राईवेट अस्पताल, बलरामपुर मे ले गये | वहाँ पर
इलाज कराया| उन लोगो को इस हालत में देख मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी|
कुछ दिन बीतने के बाद मै घर पर गयी
|देखा मेरे घर का सारा सामान विखरा हुआ था मै देखकर बहुत दुःखी हुई| उस समय हमें
लगा कि गरीबो की मजबूरी समझने वाला कोई नहीं है|आस पास से पता लगा पुलिस ने तोड़
फोड़ किया है| हमने बनी मजदूरी कर एक एक चीज इकटठा किया था |सब तहस नहस हो गया|
कमजोर को पुलिस वाले कही का नहीं छोड़े|
पति
और बच्चे की यह हालत क्या करू मुझे उस समय कुछ समझ नही आ रहा था| मै एकदम टुट गयी
हॅू|कमाने वाले बिस्तर पर पड़े है। कर्जदार कब तक चुप रहेगे|
इस घटना में पुलिस
ने 43 लोगो के ऊपर नामजद मुकदमा अपराध
संख्या 0379/2017 धारा 147, 148, 353, 323, 333,
326,307,504,427,435 सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984
धारा 3- 4 व दंडविधि (संशोधन) अधिनियम 1932 धारा 7 के अंतर्गत किया गया| अज्ञात मे
60 से 70 व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है| सभी लोगो जमानत पर रिहा हो गए है और विवेचना
में 307 धारा को हटा दिया गया है|
1-
इस
मामले की जाँच निष्पक्ष एजेंसी या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की इन्वेस्टीगेशन टीम
द्वारा कराया जाय|
2-
मृतकों
व घायलों को मुआवजा दिया जाये |
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