‘’पुलिस
ने बेवजह मुझे चौबीस घंटे से अधिक हिरासत में रखकर, मेरा मानसिक और आर्थिक उत्पीडन
किया’’
मेरा नाम अमीर अहमद है | मेरी उम्र 31 वर्ष है| मेरे पिता मुस्तफा
अहमद है| मैंने बी०ए तक की शिक्षा ली है|मै विवाहित हूँ| मेरे तीन बच्चे है| मै
लोगो के यहा से दूध खरीद कर उसे बेचता हूँ | इसी
की आमदनी से मै अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करता हूँ| मै
ग्राम-मुस्तफाबाद,थाना-चौबेपुर,जिला-वाराणसी का मूल निवासी हूँ|
मुझे नही मालूम था कि आज दुबारा मुझ पर इतनी बड़ी आफत आएगी| 16 मार्च
2022 की तारीख थी| रोज की तरह उस दिन भी मै दूध देकर घर वापस आया था| उस वक्त सुबह
के दस बजे थे| मेरे फोन पर चौबेपुर थाने के एस०ओ साहब का फोन आया मैंने फोन उठाया
तो एस०ओ साहब ने कहा थाने आओ कुछ जरूरी काम है| एस०ओ साहब की बात सुनकर मै चौबेपुर
थाने गया| एस०ओ साहब से पूछा क्या बात है| इस पर एस० ओ साहब ने कहा तुम बेगुनाह हो
तुनको फसाया गया है | मै नही चाहता तुम्हे बेवजह सजा मिले|तुम पचास हजार रुपया दे
दो|तो तुम्हारा नाम विवेचना से हटा दिया जायेगा| तुम बरी हो जाओगे|
एस०ओ साहब की बात सुनकर मुझे ख़ुशी हुई की इस झूठे मुकदमे से मुझे
छुटकारा मिल जायेगा| मैंने घर वालो की मदद से उसी वक्त एस० ओ साहब को पचास हजार
रुपए दे दिए| उसके बाद एस० ओ साहब ने मुझे विवेचना अधिकारी के पास सिधौरा चौकी पर
भेज दिया| वहा से मुझे माननीय न्यायालय ले जाया गया की तुम्हारा बयान होगा केस
खत्म हो जायेगा| उस वक्त दिमाग में यही
बाते घूम रही थी की आज मै
बाइज्जत बरी हो जाऊंगा| मन इसी बात से खुश था| मै जब माननीय न्यायालय पहुचा तो जज
साहब लोग होली मिलन समारोह मना रहे थे| वहा मेरा कोई बयान दर्ज नही किया गया| वही
से पता चला मुझ पर गैंगेस्टर लग गया है| मुझे चौकाघाट जेल भेजने का आदेश हो गया|
यह सुनकर मेरे होश उड़ गये लगा| मेरा हाथ पैर कापने लगा| यह क्या हुआ|
पुलिस ने हमारे खिलाफ इतनी बड़ी साजिश कैसे की |मैने कौन सा अपराध किया है जो मुझ
पर गैंगेस्टर लग गया| पुलिस मुझे फिर से जेल ले गयी| पचास दिन तक बेगुनाह जेल में
रहा| घर वाले जब पैसा देते तो बैठकी कराता नही तो जेल की मजदूरी करता| एक एक पल
मेरे लिए बहुत भारी था| घर वालो की बहुत याद आती थी| मैंने कभी सोचा न था की मुझे
यह दिन भी देखना पड़ेगा| मै मेहनत कश इन्सान हूँ| मैने कभी गलत काम के बारे में
सोचा नही|आज मुझे किस बात की सजा मिल रही है|
पहले भी पुलिस ने मेरे साथ नाइंसाफी की है| पिछले साल की बात है| 16 सितम्बर 2021 की तारीख थी| सुबह के आठ बजे मै गाव के ही चन्दन सिंह पुत्र रथकिरन के यहा दूध दुहाने के लिए गया था| वही पर श्रवण चौहान एक पडवा लेकर आया|बोला इसका गर्भाधान करवाना है| चन्दन सिंह बोले इसे गाव में ले जाकर इसे गर्भधारण करवा दो| तभी रास्ते में ही गाव के किशुन पाण्डेय के दरवाजे पर पडवा के मालिक ने श्रवण को पकड़कर पूछा चोरी पडवा चुराकर कहा भाग रहे हो|वही पर उम लोगो ने 112 न० पुलिस को सुचना दी जिस पर मौके पर दो पुलिस वाले आये| श्रवण चौहान को चौबेपुर थाने ले गये|
उस वक्त बहुत तेज बारिश हो रही थी| मेरे अब्बा घर पर ही थे| उनके हाथ में गलका निकला था उन्हें तेज बुखार था|
थानेदार साहब ने उन्हें फोन कर बुलाया| अब्बा के जाने की हालत नही थी| लेकिन पुलिस
का बुलावा आने पर वह थाने गये| तो पुलिस
ने उन्हें बिठा लिया जबकि श्रवण ने कहा मै इन्हें नही जानता| इनकी कोई गलती नही
है|मै चन्दन सिंह को जानता हूँ| इसके बावजूद पुलिस ने मेरे अब्बा को नही छोड़ा|
बहुत देर गुजर गया अब्बा नही आये तो मै थाने गया| तो पुलिस ने मुझसे बीस हजार
रुपया माँगा| मैंने अब्बा को छुड़ाने के लिए थाने में पैसे दिए| पिता को तो छोड़
दिया गया| लेकिन थानेदार साहब ने मुझे बैठा लिया| घर वालो से बोला हम इसे सुबह छोड़
देंगे|
रात भर मै टिन में बैठा रखा
रहा | तकरीबन बारह बजे रात तीन रोटी दाल और सब्जी मिली उसे खाया| रात भर नीद नही
आयी बैठकर गुजारा| सुबह हुआ इसी आस में था की अब घर जाऊंगा| लेकिन पुलिस ने मुझे
नही छोड़ा| जब मै घर नही गया तो घर और गाव के लोग थाने आने लगे| पुलिस ने कहा
तुम्हारी पैरवी कुछ ज्यादा आ रही है| अब तुम्हे जेल भेजना पड़ेगा| पुलिस की बात
सुनकर मै अंदर ही अंदर डरने लगा| उस दिन भी दिन बीत गया| पुलिस ने मुझे नही छोड़ा|
तीसरे दिन तकरीबन दो बजे मेरा नाम पूछकर मुझे लाकअप में बंद कर दिया| यह सब देखकर
मेरी घबराहट तेज हो रही थी| पुलिस ने मुझे क्यों बंद किया| तकरीबन साढ़े तीन बजे
मेरा चालान कर दिया गया| चालान करने से पहले पुलिस आपस में बात करती यह बेगुनाह है
इसे जेल भेजना ठीक नही है | लेकिन अपने प्रमोशन और मेडल के लिए पुलिस नेमुझे जेल
भेज दिया| मै उन्नीस दिन तक जेल में रहा| मुझे इस बात का बेहद अफ़सोस है कि पुलिस
ने चन्दन सिंह के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की|
मुस्लिम होने की वजह से मुझे
फसा दिया| मै जब जेल से रिहा हुआ| तो मैंने प्रार्थना पत्र आयोग और अधिकारियो के
यहा भेजकर मदद की गुहार लगायी| सी०ओ साहब के यहा बयान भी हुआ| लेकिन उसके बावजूद
मुझ पर गैंगेस्टर लगा दिया| मै गरीब आदमी मजदूरी करूं या कोर्ट कचहरी के चक्कर
लगाऊ| अभी भी यह पता चल रहा है की यह लोग मुझे वापस फसाने की कोशिश कर रहे है|
यह सब सुन रहा हूँ तो बहुत घबराहट हो रही है| कही आने जाने में डर लग
रहा है| काम धाम सब प्रभावित हुआ है| रात में नीद नही आती| हर वक्त पुलिस का भय
बना हुआ है| भविष्य की फ़िक्र लगी हुई है|पुलिस मेरे साथ कुछ भी गलत कर मुझे फसा सकती
है|
मै चाहता हूँ कि पुलिस ने बेवजह मुझे चौबीस घंटे से अधिक हिरासत में
रखकर मेरा मानसिक और आर्थिक उत्पीडन कर मुझ पर गैंगेस्टर लगाया है| उसकी
उच्चस्तरीय जाँच की जाय| जिससे मुझ बेगुनाह के साथ न्याय हो और मै अपने परिवार
सहित सुरक्षित जीवन बीता संकू|
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