Monday, November 03, 2014

दिवाली व नवदलित आन्दोलन : वाराणसी के कुडी गाँव से.....









दिवाली व नवदलित आन्दोलन : वाराणसी के कुडी गाँव से.....
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के बड़ागाँव ब्लाक के कुडी मुसहर बस्ती में 22 अक्टूबर, 2014  को दिपाली के पर्व को समुदाय के साथ सास्कृतिक कार्यक्रम करने के लिए मानवाधिकार जननिगरानी समिति ने समुदाय के लोगों से बात चीत किया जिससे समुदाय के लोग खुश होकर बोले कि इस बार दिवाली हम भी मनायेगे और हम सभी चन्दा भी इकठ्ठा करेंगे । जिसमें आप सभी का और अन्य लोगों से सहयोग लेना पड़ेगा ।
20 अक्टूबर, 2014 को फिल्ड में कार्यरत छाया, दिनेश, प्रभाकर और शिवप्रताप चौबे और समुदाय के अगुआ कल्लर मुसहर व अगुआ लोग प्रधान चन्दु गिरी के घर गये । जब इनलोगों ने इस बार दीपावली गाँव में सभी के साथ मनाने के बारे में बताये तब प्रधान के तरफ से जवाब आया कि ये कार्यक्रम मुसहर बस्ती में न करके दुसरे समुदाय के बीच रखिये या हमारे घर के पास रखिये तब हम आपका इसमे पूरा सहयोग करेंगे क्योकि मुसहर बस्ती में कोई अन्य समुदाय का व्यक्ति नहीं आयेगा । तब प्रधान से बात चित की गयी कि आप गाँव के सरपंच व मुखिया है, आपको हर वर्ग के लोग अपना मत देकर बिना भेदभाव के चुने है। आपको भी बिना भेदभाव के सबसे कार्यक्रम में बढ़चढकर भागीदारी करनी चाहिए। हमें इन्सानबाद को लेकर आगे बढ़ना चाहिए जिसमें ना कोई धर्म है ना जात है ना मजहब है । काफी देर बात चीत करने व तर्क वितर्क करने के पश्चात् प्रधान प्रभावित होकर मुसहर बस्ती में दिपाली का पर्व सामूहिक रूप से मनाने हेतु तैयार हो गए और प्रधान जी ने कहा कि वो अपने तरफ से खाने की सामाग्री में जो भी सामान लगेगा वो देंगे | जैसे तेल, मसाला, सब्जी सब देगे और कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे ।
इसके बाद गाँव के कोटेदार मिल्कु मिश्रा जिनके साथ पहले से मुसहर समुदाय को लेकर प्रक्रिया चल रही थी व उनकी सोच मुसहर समुदाय के प्रति अब सकारात्मक हो चुकी है उनसे मिलकर उन्हें भी इस सामूहिक दीपावली मनाने के कार्यक्रम के बारे में बताया गया तो कोटेदार बिना किसी भेदभाव के अपने स्वेच्छा से 30 किलो गेहूं देने की बात किये | इसके साथ ही कोटेदार ने कुडी की एनम को भी वहाँ बुलाया, एनम शारदा राय आयी और उनके बीच भी कार्यक्रम के बाबत बात चीत किया गया । जिससे कार्यक्रम के बारे में सुनकर वो भी प्रभावित हुयी क्योंकि उनके द्वारा मुसहर समुदाय में टीकाकरण, पल्स पोलियों, साफ-सफाई के बारे में बताया जाता था, उन्ही के बीच ऐसा कार्यक्रम होने से जागरुकता का एक नया संदेश जायेगा । तब एनम बोली की वो इस कार्यक्रम को सजाने में जो भी रस्सी व पन्नी लगेगा वो देंगी और मुसहर बस्ती में कार्यक्रम के दिन सफाई हेतु ब्लीचिंग पाउडर का छिडकाव भी करवाएंगी ।
इसके बाद प्राथमिक विद्यालय जहाँ मुसहर समुदाय के बच्चें पढ़ते है वहाँ के प्रधानाध्यापक अशोक यादव से मुलाकात कर इस कार्यक्रम की चर्चा की गयी | वो महिने में दो बार मुसहर बस्ती में भ्रमण करते है और शिक्षा के प्रति सबको जागरुक करते है और शिक्षा के प्रति सबको जागरुक करते है और विद्यालय से जोड़ने का काम करते है । जिनका सोच अति वंचित समुदाय के प्रति अच्छी है | उन्होंने कहा कि उनका घर जौनपुर है और दुख की बात ये है कि कार्यक्रम के दिन विद्यालय बन्द रहेगा और वो उपस्थित नही रह पायेंगे, लेकिन उन्होंने इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसमें अपनी सहभागिता निभाने के लिए बच्चों को मिठाई देने की बात कही । प्रधानध्यापक द्वारा मुसहर बस्ती में 2 किलो मिठाई खरीदकर भिजवाया गया ।
इसके बाद सुनील मिश्रा जो आंगनवाडी कार्यकती के पति है उनसे मुलाकात कर उन्हें भी इस आयोजन के विषय में बताया गया वो भी इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तैयार हो गए और उन्होंने खाद्य सामाग्री सब्जी के रुप में 15 किलो आलू देने को कहा और उन्होंने कहा की इस बार वास्तविक दिवाली मनाएंगे क्योकि गाँव में किसी के घर अंधेरा नहीं होगा और सब पहली बार एक साथ दिवाली मनायेंगे |
इसके बाद गुड्डू कोटेदार से मुलाकात करके उन्हें भी इस आयोजन के विषय में बता कर उन्हें भी आमंत्रित किया गया तो उन्होंने आमंत्रण स्वीकार करते हुए उन्होंने इस कार्यक्रम को मुसहर बस्ती में मनाने के लिए 30 किलों आटा की पुडी निकालने के लिए 4 किलो तेल देने की बात कही |
उसके बाद गाँव के ही सम्मानित व्यक्ति पप्पु गुप्ता से मिलकर उन्हें भी कार्यक्रम में आने हेतु निमंत्रण दिया गया जिसपर वो बहुत खुशी जताते हुए कार्यक्रम में मुसहर बस्ती में आने के लिए सहर्ष तैयार हो गए और उन्होंने कार्यक्रम स्थल को सजाने के लिए 5 किलों चुना दिया ।
इसके बाद सांस्कृतिक रूप से सफल व रोचक बनाने के लिये पतिराज हर्जन जो बैंड पार्टी के मालिक है उनसे इस कार्यक्रम में शामिल होने की बात की गयी और वो इसमें अपना सास्कृतिक कार्यक्रम बिना पैसे के अपनी पुरी टीम के साथ करने की बात कही ।
इसके साथ ही दलित समुदाय, ब्राह्मण बस्ती, मुस्लिम बस्ती, यादव बस्ती और राजभर बस्ती के सभी लोगो को इस सामूहिक दीपावली के में आने हेतु निमंत्रण दिया गया |  
इस आयोजन के मद्देनजर गाँव के अन्य सम्मानित व्यक्ति स्वयं पहल करते हुए इसमें अपना योगदान देने हेतु प्रस्ताव रखा जिसमे दिनेश गिरी ने इस तरह के आयोजन की सराहना करते हुए कार्यक्रम में अपना सहभागिता निभाने हेतु 2 किलो ब्याज व एक पाव लहसुन देने देने और कार्यक्रम में शामिल होने की बात कही |  
इसके साथ ही गाँव के सम्मानित नागरिक विजय प्रजापति ने स्वयं से पहल करते हुए अपनी तरफ से टेन्ट से जो भी वर्तन लगेगा उसका खर्च व बिछावन का खर्च देने की बात कही और कार्यक्रम में शामिल होने की बात कही ।
आगनवाड़ी कार्यकर्ती द्वारा इस कार्यक्रम मे समुदाय के लिए 1 किलो मिठाई देने के बात कही और उपस्थित रहकर उनके साथ भागीदारी करने को कहा |
इसके बाद कुडी मुस्लिम बस्ती के अब्दुल समद ने कहा कि ऐसा देखने का मौका उन्हें पहली बार मिलेगा । और उन्होंने समुदाय में मोमबत्ती जलाने के लिए 25 पैकेट मोमबत्ती देने के लिए कहा |
इधर बस्ती के लोग इस बार दीपावली मनाने के लिए बहुत उत्साहित थे और समुदाय के लोगो ने बस्ती की सफाई किया |
जहाँ पर कुडी गाँव सेकेक्ट्री मनोज श्रीवास्तव भी मौजूद थे उन्होंने खाने की जो भी सामाग्री है उसे देने के लिए और कार्यक्रम में उपस्थित रहने की बात कही | लेकिन लगातार फोन पर संपर्क करने के बाद भी उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही इस कार्यक्रम में कोइ सहयोग ही किया | उनके इस व्यवहार से बस्ती व गाँव के सभी लोगो ने निंदा की और लोग इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सामाग्री को बढाकर देने का वादा किये और बोले की यह कार्यक्रम सेकेक्ट्री के झूठे वादों से ख़राब नहीं होने देंगे | कोइ भी सामान घटने नहीं दिया जाएगा
गाँव के ही एक अन्य सम्मानित नागरिक सुरेन्द्र जी ने कहा कि वो 1 किलो टमाटर, 100 गिलास, 100 दोना देंगे और कार्यक्रम में शामिल भी रहेंगे |  
21, अक्तूबर, 2014 को जिन लोगो ने मदद करने को कहा था उन सभी ने खाद्य सामग्री व अन्य सामग्री मुसहर बस्ती में लाकर पहुचाने लगे यह देखकर मुसहर बस्ती की उर्मिला बोली कि वह 10 किलो लकड़ी खाना पकाने के देगी और 50 पत्तल खाने के लिए देगी | उनकी भावनाओ को देखते हुए कल्लर मुसहर 20 किलो लकड़ी खाना पकाने के लिए देने के लिए बोले | कल्लर मुसहर का सहयोगत्मक व्यवहार देखते हुए बनारसी मुसहर भी 5 किलो लकड़ी देने को बोले और पकौड़ी मुसहर ने भी प्रभावित हुए और बोले की वो अपने तरफ से बहुत कुछ तो नहीं लेकिन 100 पत्तल देंगे |
22 अक्टूबर, 2014 सुबह 7 बजे से ही सभी लोग कार्यक्रम स्थल पर पहुचना शुरू हो गए सभी लोग अपने वादे के अनुसार जो सामग्री देने की बात की थी बस्ती में स्वय लेकर आए और उपस्थित रहकर अपना सहयोग दिया | कुड़ी मुसहर बस्ती के कल्लर मुसहर व खंझाटी मुसहर ने चूल्हा बनाया और मुसहर बस्ती की अन्य महिलाओ ने आटा चालकर और अपने अपने घर से चौका बेलन लायी बस्ती से ही 3 परात आया जिसमे आटा गुथा गया, कुछ महिलाये मिलकर मसाला पिसी और पुड़ी बेलने का कार्य दलित बस्ती, मुसहर बस्ती, राजभर बस्ती, कोहार बस्ती की महिलाये ने किया | छानने का काम कल्लर मुसहर व खंझाटी मुसहर ने किया | सभी समुदाय के लोग मिलकर एक साथ सब्जी काटने का काम किया | सब्जी बनाने का काम शकुन्तला, शांति मुसहर, उर्मिला मुसहर ने शुरू किया |
एक तरफ सामूहिक सहयोग से खाना बन रहा था वहीं दूसरी तरफ सभी समुदाय के लोग बैठकर आपस में बात चीत कर रहे थे | बच्चो के साथ बैठक कर पटाखा के विरोध पर बताया गया कि पटाखा बनाने के काम बाल मजदूरों से कराया जाता है और  पटाखा जलाने से पर्यावरण दूषित होता है | पटाखा जलाने से ध्वनि प्रदुषण होता है जो ह्रदय और कान के घातक होता है | पटाखों से इस्तेमाल होने वाले बारूद आँखों और शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होते है | पटाखे जलाने से थोडी सी असावधानी के कारण आग लगने की सम्भावना बढ़ जाती है | जिससे जान और माल दोनों का खतरा बढ जाता है और दिया जलाते समय सूती वस्त्रो का इस्तेमाल करना चाहिए, पोलिस्टर या चमकीले कपडे का इस्तेमाल नही कराना चाहिए और साथ ही बहुत ढीले कपडे भी नहीं पहनने चाहिए  |
इसकेबाद सभी लोगो ने एक दूसरे को दिवाली की हार्दिक बधाई दी | इसके बाद बच्चो को मिठाई बांटी गयी जिससे बच्चो में एक नया उत्साह देखने को मिला | सभी बच्चे इस कार्यक्रम से बहुत खुश थे, हम सभी लोगो को यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हुआ कि बच्चे बिल्कुल नदी के धरा के तरह निर्मल है जिनके अंदर न कोई भेदभाव है न कोई जातीवाद है, सभी समुदाय के बच्चे सच्चे मन से खुश होकर एक दुसरे के साथ दीपावली मना रहे थे और दीप जला रहे थे |
इसके बाद नृत्य और बाजे का कार्यक्रम शुरू हुआ पतिराज हरिजन ने कई धुन बजाई धुन सुनते ही सभी समुदाय के लोग महिला, पुरुष व बच्चे सभी एक साथ झूम झूम कर नृत्य करने लगे | पूरा गाँव इस नृत्य रंग में रोमांचित हो उठा | इसके पश्चात् सभी ने मिलकर कैंडल मार्च निकला जिसमे गाव के सभी जाती, धर्मं के लोग सम्मलित हुए | जिसमे गाव के प्रधान, कोटेदार, आंगनबाड़ी, गाँव की महिलाये एवं सभी उम्र के बच्चे हाथ में कैंडल लेकर पटाखा बहिष्कार के विरोध में नारे लगाते हुए मुसहर बस्ती से लेकर चौराहे तक गए | वहीं एक स्थल पर लोग पुनः उत्साहित होकर नाचने लगे उन्हें देख केर ऐसा लग रहा था जैसे कोई वैवाहिक समारोह चल रहा हो | लोग अपनी खुशियों को दबा नहीं पा रहे थे यह दिवाली सामूहिक रूप में एक समुदाय में पहली बार मनाया जा रहा था और लोग इतने खुश नज़र आ रहे थे कि वह सारे जाति भेदभाव भूल चुके थे | कुछ झणों के लिए सिर्फ इंसानियत को एक रूप में दिखा रहे थे पुनः सभी लोग बस्ती में वापस आ गए|
बस्ती मे सभी लोग एक जुट होकर काम में अपनी अपनी भागेदारी निभाने लगे, गाँव के लडको ने टाट पट्टी बिछाना शुरू किया, किसी ने पत्तल लगाया तो किसी ने पानी दिया, पुरुषो और महिलाओ ने मिलकर सभी को पुड़ी सब्जी खिलाना शुरू किया |
खाने में सबसे अच्छी बात यह रही कि पहले बच्चो को भोजन प्रेमपूर्वक परोसा गया, उसके बाद महिलाओ ने भोजन किया फिर सारे पुरुषो को महिलाओ ने भोजन परोसा | खाने का कार्यक्रम बहुत हे शांतिपूर्वक रूप से संपन्न हुआ | उसके बाद सभी लोग एक समुह में बैठ गए, सभी लोग कार्यक्रम से इतना प्रभावित हुए की सभी ने एक दुसरे को गले लगा कर अपनी ख़ुशिया व्यक्त कर रहे थे और ये कह रहे थे कि ऐसा कार्यक्रम प्रतिवर्ष किया जाये और अन्य गाँव के लोगो को भी निमंत्रण दिया जाय |
इसी तरह अन्य त्वहारो को साथ मनाने का संकल्प लेकर एक दुसरे से गले मिलकर बिदा लेते हुए कार्यक्रम समाप्त हुआ और |



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