वाराणसी के लंका थाना में नट जाति (अनुसूचित जाति) के दस
वर्षीय नाबालिग बालक को चेक चोरी के आरोप में पुलिस द्वारा अवैध रूप से हिरासत में
रखने और पिटाई के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली (NHRC) द्वारा
एक लाख रूपये मात्र का मुआवजा एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं
से संतृप करने के निर्देश के साथ ही कानून का उलंघन करने वाले पुलिसकर्मीयों के
विरुध उचित कार्यवाही किये जाने का निर्देश प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश देते हुए चार
सप्ताह के अन्दर रिपोर्ट माँगा गया है | इस मामले की शिकायत एक दैनिक समाचार पत्र
में प्रकाशित खबर “ बेरहमों ने मासूम को पीटकर किया लहूलुहान ” के आधार पर मानवाधिकार
जननिगरानी समिति के महासचिव डा. लेनिन रघुवंशी द्वारा की गयी थी |
22 मई 2013 को वाराणसी
के लंका थाना में एक महिला द्वारा यह शिकायत दर्ज कराई गयी जब वह किसी काम से
बाजार जा रही थी तो एक भिखारी बालक उससे भीख मांगते - मांगते उसके साथ चला आ रहा
था | महिला ने उससे पीछा छुड़ाने के लिए उसे दो रूपये दे दिए | अगले दिन इसी महिला
ने लंका थाना में शिकायत दर्ज कराई कि उसके पर्स से बड़ी राशि का चेक गायब हो गया
है उसे भीख मांगने वाले उसी बालक पर शक है | यह भीख मांगने वाला दस वर्षीय नाबालिग
नट बालक इसी थाना अंतर्गत सुन्दरपुर नेवादा मुहल्ले में नट बस्ती में रहने वाले अनुसूचित
जाति से था | चेक चोरी के आरोप में लंका थाना द्वारा इस दस वर्षीय नाबालिग नट बालक
को पकड़ लिया गया | जिसकी पहचान शिकायतकर्ती महिला ने की | बालक को हिरासत में लेते
समय ही महिला के परिजनों ने बालक कि पिटाई की, हिरासत में पुलिस द्वारा जबरी चोरी
कबूलने के लिए न केवल बालक की बेरहमी से पिटाई की गयी बल्कि उसे बिजली के तार से
करेंट लगाने की घमकी देकर डराया घमकाया गया | अगले दिन उसे थाने से छोड़ दिया गया
जिसके बाद बच्चे को लगी चोटों का ईलाज करने के लिए महिला के परिजन द्वारा बच्चे की
माँ को 600 रूपये भी दिए गये |
लंका थाना में
नाबालिग बालक को अवैध रूप से हिरासत रखने और पिटाई की घटना में एक दैनिक समाचार
पत्र में प्रकाशित खबर के आधार पर की गयी शिकायत को आयोग द्वारा अपने संज्ञान में
लेकर केश पंजीकृत (केश संख्या 20381/24/72/2013/ UC) करते हुए वरिष्ठ पुलिस
अधीक्षक वाराणसी को मई 2013 में नोटिस भेजकर घटना की जाँच कर रिपोर्ट मंगायी गयी | इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वाराणसी द्वारा भेजी गयी जाँच रिपोर्ट में पीड़ित
पक्ष का कोई बयान ही नही लिया गया बल्कि घटना के कानून उलंघन पक्ष को अनदेखा करते
हुए रिपोर्ट प्रेषित कर दिया गया था | पुनः आयोग द्वारा 8 अगस्त 2014 को पुलिस
महानिदेशक उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया गया कि आयोग को अन्य जिले के उच्च अधिकारी
से जाँच कराकर रिपोर्ट भेजी जाय | पुलिस महानिदेशक ऊ० प्र० के निर्देश पर गाजीपुर
अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा इस मामले की जाँच की गयी | गाजीपुर अपर पुलिस अधीक्षक
द्वारा जांच में जो रिपोर्ट आयोग को भेजा गया उसमे भी एक पक्षीय जांच किया गया इस
जांच में भी पीड़ित पक्ष बालक एवं उसके पिता का कोई बयान नही लिया गया था | जिससे
आयोग को स्पष्ट होने लगा कि पुलिस विभाग द्वारा इस मामले को कानून के अधीन गम्भीर
तरीके से नही लिया जा रहा है | जबकि इस घटना में लंका थाना द्वारा अनुसूचित
जाति जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 एवं किशोर न्याय अधिनियम का सीधा
उलंघन किया गया | अत: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा उपलब्ध रिकार्ड
और तथ्यों के आधार पर प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश को यह निर्देशित किया गया कि वे
पीड़ित बालक एवं उसके परिवार को निम्न सेवाएँ देते हुए उनके मानव अधिकारों का
संरक्षण करें और चार सप्ताह के अन्दर अनुपालन के सन्दर्भ में अपनी रिपोर्ट आयोग को
देवें |
A . पीड़ित बालक
के पिता श्री. संजय नट निवासी नेवादा सुन्दरपुर थाना लंका को मानव अधिकारों के
संरक्षण की धारा 18, 1993 अधिनियम के अनुसार अंतरिम राहत के लिए एक लाख राशि मुआवजा
के रूप में दिया जाय |
B . लंका थाना
द्वारा नाबालिग बालक को अवैध रूप से थाने में रखने और बिजली का झटका दिए जाने की
धमकी देकर डराने और पिटाई किये जाने पर लंका
पुलिस अधिकारियों के विरुध कानून के अनुसार उचित कार्यवाही की जाय |
C . पीड़ित बालक
और उसके परिवार को राज्य सरकार द्वारा सुरक्षित और स्वतन्त्रता के साथ जीवन जी सकें
यह सुनिश्चित किया जाय |
D . पीड़ित बालक और उसके परिवार को राज्य द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाय जिससे वे अमानवीय तरीके से भिखारियों के जीवन से मुक्त हो सकें |
D . पीड़ित बालक और उसके परिवार को राज्य द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाय जिससे वे अमानवीय तरीके से भिखारियों के जीवन से मुक्त हो सकें |
श्रुति नागवंशी
मैनेजिंग ट्रष्टी
मानवाधिकार
जननिगरानी समिति
+91-9935599330/1
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