वाराणसी, उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के सिगरा थाना माताकुण्ड पुलिस चौकी अंतर्गत पुलिस के मुखबिरों द्वारा युवती से लगातार छेड़छाड़ की घटना में युवती एवं उसके परिवार के द्वारा शिकायत और विरोध किये जाने पर उसे जिन्दा जला दिया गया |
इस सन्दर्भ में मानवाधिकार जननिगरानी समिति द्वारा पत्र लिखकर वाराणसी के सांसद और प्रधानमन्त्री माननीय श्री. नरेन्द्र मोदी जी, मुख्यमंत्री श्री. अखिलेश यादव, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, एवं जिले व प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों से अपील की गयी है वे मामले में हस्तक्षेप करते हुए उच्च स्तरीय जांच कराते हुए दोषी सभी पक्षों के विरुध वैधानिक कार्यवाही किये जाने की पहल करावें | पीडिता शमा (बदला हुआ नाम) को 10 लाख रूपये मुआवजा (आर्थिक सहायता) दिया जाए | पीडिता के ईलाज और विशेष देखभाल की समुचित व्यवस्था की जाय | इस मामले में क़ानूनी पक्ष की लगातार अनदेखी और देर करने वाले दोषी पुलिस अधिकारीयों के विरुध 166 A अधीन वैधानिक कार्यवाही की जाय | यह घटना पुलिस सुधार को तुरन्त लागू करने एवं राज्य सभा में लम्बित यातना विरोधी बिल को तुरन्त पारित करने के साथ संयुक्तराष्ट्र संघ यातना विरोधी कन्वेंशन (UNCAT) को अनुमोदित करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है | विदित हो कि यदि सम्पूर्ण तथ्यों और घटना क्रम को देखा जाय तो यह कानून राज के स्थान पर पुलिस के लिए काम करने वाले मुखबिरों का राज दिखाई पड़ता है और पुलिस द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय की गाइड लाईन को ताक पर रखकर कार्यवाही की जा रही है | जंहा पुलिस विभाग के उच्च अधिकारीयों के निर्देशों का भी पालन नही किया जाता है |
इस घटना में पीडिता का परिवार लगातार अपनी बिटिया को पुलिस के इन मुखबिरों द्वारा अभद्र अश्लील और छेड़छाड़ की शिकायत विगत 13 जून 2014 से पुलिस के उच्च अधिकारीयों से करता रहा लेकिन पुलिस की इस व्यवस्था में उनकी एक नही सुनी गयी | बल्कि हर बार पुलिस से उनके खिलाफ की गयी शिकायत के सन्दर्भ उन्हें सहज तरीके से जानकारी हो जाने पर वे और भी बुरा व्यवहार करते रहे और लगातार धमकी देते रहे की उनका कोई कुछ नही बिगाड़ सकता है | पुलिस के द्वारा कोई कार्यवाही नही किये और संरक्षण दिए जाने से उनका मनोबल बढ़ता रहा |
सीधे तौर पर माताकुण्ड चौकी के संरक्षण और शह पर एक युवती के साथ यौन हिंसा की घटना होती रही | यह कोई एक मात्र घटना नही है बल्कि सिगरा थाना अंतर्गत लहँगपूरा खुर्द लल्लापुरा में साड़ी व्यवसायी सलाउद्दीन के द्वारा अपने यंहा काम करने वाले 10 वर्षीय नाबालिग बालक बबलू (बदला हुआ नाम) पर 20 लाख रूपये चोरी का आरोप लगाकर 7 घंटे तक अपने घर में बंद करके बुरी तरह पिटाई और यातनाएं दी गयी | 31 अगस्त 2014 की इस घटना की शिकायत बच्चे के पिता हमीद उर्फ़ बाबूलाल द्वारा 1 सितम्बर 2014 को थाने सहित उच्च अधिकारीयों से लिखित रूप में पंजीकृत डाक से की गयी | लेकिन 9 सितम्बर 2014 को सिगरा थाना में मालिक सलाउद्दीन द्वारा की गयी चोरी की शिकायत पर नाबालिग बच्चे व् उसके माता पिता के विरुध FIR दर्ज कर दिया गया | जबकि इस प्रकरण में मालिक द्वारा नाबालिग बच्चे से बालश्रम कराने, उसकी पिटाई और यातना दिए जाने के मामले का पुलिस के संज्ञान में आने पर अबिलम्ब बालश्रम व किशोर न्याय अधिनियम के अधीन मालिक के विरुध कार्यवाही की जानी चाहिए | युवती को जलाए जाने की घटना में भी यदि पुलिस विभाग कानून के राज के अधीन न काम करके उल्टे कानून का हनन करने वालो को संरक्षण और शह देता रहा |
उक्त सभी माताकुण्ड पुलिस चौकी के मुखबिर के रूप में काम करते थे और साथ ही माताकुण्ड चौकी के पुलिस अधिकारीयों और पुलिसकर्मीयों की सेवा टहल यथा खाना पकाना कपड़े धोने जैसे काम किया करते थे | उनके हरकत की शिकायत पीडिता एवं उसके माता-पिता द्वारा पुलिसचौकी माताकुण्ड लल्लापुरा एवं थाना सिगरा पर कई बार किया गया था | लेकिन पीड़ित परिवार कोई मदद नही मिली अंत में पुलिस मुखबिरों (शोहदों) के हरकतों से आजिज आकर सबीना को अपनी पढाई बीच में ही छोडनी पड़ी | इज्जत बचाने के डर से शमा घर से बाहर नही निकलती थी, शमा जब भी किसी काम से घर के बाहर निकलती तो ये शोहदे उसे परेशान करते रहते | यहाँ तक कि जब घर के लिए कोई सामान लेने या सिलाई सीखने जाती तो भी शोहदों उसे लगातार परेशान करते रहते जिसकी शिकायत माता-पिता द्वारा कई बार पुलिस से की गयी थी |
पीड़ित परिवार 8 दिसम्बर 2014 को मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR) के कार्यालय में आकर अपनी व्यथा और पुलिस की लापरवाही के सन्दर्भ में शिकायत किया, जिसके बाद उसी दिन समिति द्वारा भी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वाराणसी, पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश शासन, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन को पंजीकृत डाक द्वारा मामले में की लापरवाही की शिकायत दर्ज करते हुए घटना से अवगत कराया | समिति के सुझाव पर 11 दिसम्बर 2014 को पीडिता परिवार सहित आई० जी० जोन वाराणसी के कार्यालय में अपने साथ हो रहे छेड़छाड़ की घटना और उत्पीडन की लिखित शिकायत की जिस पर आई० जी० जोन वाराणसी के PRO (पब्लिक रिलेशन ऑफिसर) द्वारा सिगरा थाना में फोन पर इस घटना के सन्दर्भ में बातचीत कर गम्भीरता से लेने को कहा गया | विदित हो कि इस समय माताकुण्ड चौकी इंचार्ज पर ही थाना सिगरा का कार्यभार था अत: फिर मामले में अनदेखी तो किया जाना तय था | पुनः पीडिता सबीना अपने माता-पिता सहित 12 दिसम्बर 2014 को आई० जी० जोन वाराणसी कार्यालय में जन शिकायत द्वारा लिखित शिकायत किया जिस पर आई० जी० जोन वाराणसी द्वारा मामले की जाँच एस०एस०पी० वाराणसी को सौंपा | लेकिन इसके बावजूद सिगरा थाना व माताकुण्ड चौकी द्वारा उक्त तीनों शोहदों (पुलिस मुखबिर) बाबूदान, गब्बू एवं पप्पू के खिलाफ़ नही FIR दर्ज किया गया और नही उनके खिलाफ़ कोई कार्यवाही की गयी | पुलिस की शह पर उक्त तीनों हौसला बुलंद मुखबिर जो कि पीड़ित परिवार द्वारा अपने खिलाफ शिकायत किये जाने से नाराज थे वे 19 दिसम्बर 2014 को दिन में लगभग 11-12 बजे के बीच मोहम्मद अमीन के घर में घुसकर पीडिता सबीना पर मिट्टी का तेल छिड़क आग लगा दिया गया |
दुनिया में महिलाओ और भारत में बच्चो के अधिकारों के संरक्षण लिए एक तरफ तो नोबेल पीस प्राईस से सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ तो वही माताकुण्ड चौकी द्वारा ना केवल लापरवाही बल्कि इस मामले को सम्वेदनशीलता और गम्भीरता से नही लिए जाने के कारण आरोपियों का मनोबल बढ़ा और वे संगठित रूप से बड़ी घटना को अंजाम दे बैठे परिणामत: वह युवती न्याय मिलने की उम्मीद में आज जीवन मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही है और वह नाबालिग बच्चा पुलिस की यातनाये झेल रहा है | इस प्रेस वार्ता में पीडिता के पिता मो0 अमीन उर्फ़ बाबा और पीड़ित नाबालिग बच्चे के पिता मो0 हमीद सहित अनूप श्रीवास्तव, डॉ0 राजीव सिंह, छाया कुमारी, इरशाद अहमद भी उपस्थित रहे |
भवदीया
श्रुति नागवंशी
मैनेजिंग ट्रष्टी
मानवाधिकार जननिगरानी समिति
संयोजिका सावित्रीबाई फुले महिला पंचायत एवं वायस ऑफ़ पीपुल (VOP)
मो0 नम्बर- 9935599330/1
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