मानवाधिकार जननिगरानी
समिति ने वर्ष 2021
में पुलिस यातना और हिंसा के पीड़ितो को टेस्टीमोनियल थेरेपी द्वारा मनो – सामाजिक
संबल और मेटा- लीगल इंटरवेंशन द्वारा सम्बंधित हितधारको को लिखापढ़ी करके पीड़ित को
न्याय दिलाने का प्रयास किया| इस वर्ष कोरोना महामारी के दूसरे चरण में भी
प्रशिक्षित टीम ने फ़ोन के द्वारा पीड़ितो को हर संभव मदद करने का प्रयास 24 x 7 किया|
अधिकतर पीड़ित
जिनमे हस्तक्षेप किया गया वह या तो वंचित समुदाय, गरीब, अल्पसंख्यक या जनजाति से
ताल्लुक रखते है| जिनमे ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूर, फेरीवाले, छोटे खेतिहर किसान,
दूकानदार और पत्रकार थे|
मेटा- लीगल इंटरवेंशन
इस साल में कुल
131 मामलो में सीधे हस्तक्षेप करके 422 शिकायत किया| संस्था ने दो तरह के पीड़ितो को मदद किया एक सीधे जो कार्यालय में
आते है और दूसरी तरफ अख़बार में प्रकाशित मानवाधिकार हनन के मामले| 13 मामलो में 49,15,000 रुपये का
आर्थिक मुआवजा दिलाया गया और कई दोषी पुलिस वालो के खिलाफ़ क़ानूनी कार्यवाही की
गयी|
कोविड के दौरान काफ़ी घरेलु हिंसा के मामले आये जिसमे उनका काउंसलिंग करके रानी
लक्ष्मी बाई वन स्टॉप सेंटर में पत्र लिखकर रेफेर कर दिया गया और बाकी मामलो में
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग, नई दिल्ली को की गयी|
संस्था की काउंसलर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, वीमेन सेल में हफ्ते में एक दिन अपनी
स्वैच्छिक सेवा प्रदान किया| यातना से संघर्षरत पीड़ितो को सरकारी योजना से लाभार्थी कराने के
लिए 70 मामलो में लिखापढ़ी की गयी|
टेस्टीमोनियल थेरेपी द्वारा मनो- सामाजिक संबल प्रदान करना
यातना के बाद ज्यादातर पीड़ित मुख्य धारा से कट जाते है| डर और शर्म से
वजह से वह अपने साथ हुए हिंसा
के बारे में किसी को बताता नहीं है| चुप्पी और
अकेलेपन के वजह से उनके अन्दर कई तरह के मनोवैज्ञानिक लक्षण दिखने लगते है| संस्था
यातना पीड़ित को टेस्टीमोनियल थेरेपी द्वारा संबल प्रदान करके मुख्य धारा से जोड़ने
का काम करती है| टेस्टीमोनियल थेरेपी के चारो सेशन न केवल पीड़ित को मनो- सामाजिक
संबल प्रदान करता है बल्कि उनके बयान के लिए भी तैयार करता है| इस प्रक्रिया में
पहली बार पीड़ित एडिटर बनकर ख़ुद अपनी स्व० व्यथा कथा को एडिट करता है| इस वर्ष कुल
120 पीड़ित को टेस्टीमोनियल थेरेपी द्वारा संबल प्रदान किया गया| जिसमे
80 पीड़ित उत्तर प्रदेश के और 41 पीड़ित झारखण्ड के है|
Sex |
Age group |
||||||
|
0-15 |
16-25 |
26-35 |
36-45 |
45-60 |
+60 |
Sub-totals
by sex |
Male |
0 |
12
|
11 |
19 |
09 |
00 |
51 |
Female |
0 |
13 |
08 |
27 |
12
|
10 |
70 |
Sub-totals by age |
00 |
25 |
19 |
26 |
5 |
00 |
121
|
टेस्टीमोनियल थैरपी से पीड़ित पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में हम यह
कह सकते है की इस थैरपी से पीड़ित की हीलिंग और मानसिक सुकून मिलता है| साथ ही साथ दस्तावेजीकरण भी होता है|संघर्षरत
पीड़ित के साथ जो भी शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना होता है| उसे जब हम सघनता से
सुनते है| उसके दुःख को बाटते है| तो उसका मन हल्का होता है| वह अगर चुप
हो जाता है तो हम उसकी चुप्पी का सम्मान करते है| तो उसका विश्वास हम पर होता है|उसे इस बात
का एहसास होता है कि सामने वाला व्यक्ति उसे समझ रहा है| वह अपनी सभी
बातो को बताता है| पीड़ित अपने मामले में पैरवी कर सके इसके लिए उसका बयान तैयार होता है| पीड़ित का जब
हम सम्मान करते है| तो उसके अंदर आत्म विश्वास बढ़ता है| वह अपनी पैरवी करता है|
पीडिता पर टेस्टीमोनियल थेरेपी का असर
1- पीडिता अनीता जिसकी
नाबालिग बेटी तकरीबन एक महीने से कही चली गयी| पीडिता बहुत
परेशान थी| संस्था में आयी उसकी पैरवी की गयी| जिसकी तत्पश्चात बेटी वापस आ गयी| लेकिन
स्थानीय थाने में बेटी ने अपने घर वालो के खिलाफ बयान देकर कहा की मेरी माँ बहन
मेरा उत्पीडन करती है| इस वजह से मै घर से गयी थी| बेटी ने यहा
तक कहा की मै आत्महत्या कर तुम लोगो को फसा दूंगी| अनीता की टेस्टीमनी ली गयी जब
उसे उसकी स्व व्यथा कथा देकर सम्मानित किया गया तो वह बहुत ही खुश थी| उसने कहा की
इस प्रक्रिया से उसे सुकून मिला साथ ही साथ उसकी सारी बाते एक दस्तावेज के रूप में
उसके पास है|-
2- पीडिता तारा देवी जिसकी
नाबालिग बेटी सात माह की गर्भवती थी|
उसे लगता था की समाज क्या कहेगा| स्थानीय
थाना भी उसे समाज और इज्जत का हवाला देकर उसकी सुनवाई नही कर रहा था| स्थानीय
थाना व समाज द्वारा इस तरह से बेज्जत किया जा रहा था की पीडिता को उस समय दम घुटने
जैसा महसूस होता था| पीडिता सोचने पर मजबूर हो जाती थी की इससे इतनी बेज्जती से
अच्छा मौत को गले लगा लेना ही अच्छा है| लेकिन संस्था की पैरवी और इस थैरपी से
पीडिता के अंदर जो हीन भावना थी| उसमे कमी आयी और उसका आत्मविश्वास बढ़ा|आज वही
पीडिता और परिवार साथ में बच्चे का परवरिश भी कर रहे है और साथ में अपनी क़ानूनी
लड़ाई भी लड़ रहे है| अब उन्हें न समाज की चिंता और न प्रसाशनिक अधिकारीयों की
बेज्जती का चिंता नही है| ये है हमारे टेस्टीमोनियल थेरेपी का असर|जब हम कई पीडितो
का सम्मान करते है तो लोग अपने दुःख को भूलकर दुसरे के दुःख में शामिल हो जाते है|
3- पीड़ित राधेश्याम की बेटी
विधा देवी का अपरहण किये जाने के बाद पीड़ित परिवार बिलकुल टूट सा गये थे| उसी
दौरान समाज और प्रसाशन भी बेज्जत करने में कोई कसर नही छोड़ रही थी| लेकिन पीड़ित ने
संस्था की मदद और टेस्टीमोनियल थेरेपी से बड़ा असर दिखा की उन्होंने अपने बेटी को
लगातार एक महीने बिना समाज और लोगो की बातो अनसुना करते हुए प्रसाशन के साथ खोजा
और अपनी क़ानूनी लड़ाई भी अभी तक लड़ रहे है और साथ में अपने बेटी को शिक्षा से भी
जोड़ा| और अब राधेश्याम एक अगुवा के रूप में खड़े हुए है| इस तरह के मामले उनके
संज्ञान में आता है तो कार्यालय तक लाकर न्याय दिलाने में लगातार प्रयासरत रहते है|
टेस्टीमोनियल थेरेपी का तीसरा
चरण सम्मान समारोह
यह प्रक्रिया पीडितो को पुनः मुख्यधारा
से जोड़ने के लिए किया जाता है| पीड़ित की व्यथा उनकी मर्जी के अनुसार लोक विद्यालय
या कार्यक्रम में पढ़कर सुनाया जाता है| इस प्रक्रिया में और भी यातना पीड़ित होते
है| उन सब की कहानी एक दुसरे के साथ साझा करके पीयर सपोर्ट के लिए किया जाता है| वर्ष 2021 के कार्य को देखे तो 60 सम्मान समारोह
किया गया| महिला 416,पुरुष 340 टोटल महिला पुरुष कि भागीदारी 756 हुयी|
संघर्षरत पीड़ित की कहानी
बबिता मौर्या पत्नी आभास
मौर्या जिनका 17 वर्षीय नाबालिग बेटे वैभव के साथ लगातार पांच वर्षो से पटीदार के
दिवाकर मौर्या लगातार शारीरिक शोषण कर रहा था| 28 जुलाई 2021
को जब परिजन को इस बात की जानकारी हुई तो वह डिसीजन नही ले पा रहे थे| की क्या करे| उनकी आर्थिक
स्थिति बहुत मजबूत नही थी| वह डर रहे थे की अगर शिकायत करेंगे तो लोग उनके ही बच्चे को गलत
ठहरायेंगे | विपक्षी भी उन लोगो को नुकसान पहुचा सकता है| इस सम्बन्ध
में मानवाधिकार जन निगरानी समिति द्वारा परिजन और बच्चे की काउंसलिंग की गयी|जिसके बाद
संस्था की मदद से पीड़ित की ओर से पुलिस कमिश्नर महोदय को चिट्ठी लिखकर रजिस्टर्ड
डाक से भेजा गया| उसके बाद पीड़ित को पुलिस कमिश्नर महोदय के समक्ष भेजा गया| पुलिस
कमिश्नर महोदय के संज्ञान में लेने के बाद सम्बन्धित थाने भेजा गया| जहा पीडिता
से काफी सवाल किये गये| पीड़ित लगातार फोन से संस्था के कार्यकर्ता के सम्पर्क में रही उसका
मनोबल न टूटे उसे लगातार हौसला दिया गया की वह बिना डरे अपना बयान दे|
https://www.jagran.com/uttar-pradesh/deoria-government-will-reimburse-50-thousand-to-the-victim-in-human-rights-violation-22405445.html
जिसके उपरांत स्थानीय थाने द्व्रारा गम्भीर
धाराओ में fir दर्ज कर आरोपी को हिरासत में लेकर जेल भेजा गया| पीड़ित परिजन
उसी घर में रहते थे जहा आरोपी का परिवार निवासरत था| पीड़ित परिजन
को परिवार द्वारा लगातार सुलह का दबाव बनाया जा रहा था| तथा आस पडोस
का भी कोई सहयोग नही मिल रहा था| इस सम्बन्ध में पीड़ित परिजन को साइको सोशल सपोर्ट मिल सके
टेस्टीमोनियल थैरपी द्वारा पीड़ित से बातचित कर उसकी स्वव्य्था कथा लिखकर उसे
सम्मानित किया गया|जिससे पीड़ित ने खुद में महसूस किया की इस प्रक्रिया से वह अपने बच्चे
के शोषण के खिलाफ खड़े होकर आरोपी को सजा दिलवा पाये| पीड़ित के
मामले में संस्था द्वारा NCPCR,NHRC
में लिखा पढ़ी की गयी|
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक
जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया,जिसमें
राज्य भर के कैदियों के लिए तत्काल आधार पर कोविड -19 टीकाकरण अभियान चलाने की
मांग की गई थी। याचिका एक पंजीकृत ट्रस्ट 'जन मित्र
न्यास' द्वारा दायर की गई है। इसमें दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश की कुल
72 जेलों में से करीब 63 फीसदी जेलों में फिलहाल भीड़भाड़ है, जिससे संक्रमण की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है. नतीजतन, कैदियों का तेजी से टीकाकरण सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि
उनमें से कई अस्वच्छ परिस्थितियों में रह रहे है.
रिपोर्ट : छाया कुमारी संपादन: शिरीन शबाना खान
The
project successfully provided direct support to the survivors of torture
through testimonial therapy, folk school, legal, meta- legal, medical and
follows up for getting justice and full rehabilitation with support of UN Voluntary Trust Fund for Victims of Torture (UNVFVT) and IRCT. During the second phase
of the Corona pandemic the trained team provided 24 x 7 services to provide all
possible help to the survivor through phone. Most of the survivors either
belong to marginalized communities, poor, minority or tribe. Most of them were
daily wage laborers, hawkers, small agricultural farmers, shopkeepers and
journalists.
The
project provided psycho- social support to 121 survivors using the component of
active listening and empathy. https://testimony-india.blogspot.com/2022/01/psycho-social-support-through.html.
To re- integrate back survivors in the society in this year 60 honor ceremonies
were organized, with a total participation of 756 people (Female 416 and male
340). The testimonies on the willingness of the survivors for providing peer
support. Along with the process the law and helpline number was also discussed
for creating awareness and preventing further human rights violation.
This
year 422 complaints were filed by directly intervening in a total 131
cases. The organization helped two types of victims, one directly who came
to the office and on the other hand the cases of human rights abuses published
in the newspaper. Financial compensation of INR 49,15,000 was awarded in 13
cases and legal action was taken against many guilty policemen. https://pvchr.blogspot.com/2022/01/compensation-awarded-in-year-2021.html
During
Covid, the many cases of domestic violence reported after providing counseling
and writing letters the cases were referred to Rani Laxmi Bai, One Stop Center
started by the Government to provide help to the destitute women and
girls. The psycho – social therapist as expert therapist also provided
voluntary service as counselor in women cell, working under the Senior
Superintendent of Police, Uttar Pradesh Police. 70 meta- legal
interventions with the allied system for adjoining torture survivor with
Government schemes.
Masks,
Sanitizer and soap were distributed to the survivors. Together with
the support of International Rehabilitation Council for Torture Victims (IRCT)
1600 kg of vegetable seed were distributed to 1996 families residing in block
of Harahuwa, Arajilines,Badagaon and Pindra block of Varanasi district. https://www.youtube.com/watch?v=Ua_RcpzpCDQ
The
key staffs of the organization were trained on Gender, Patriarchy, The
Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012, Trauma on
children and handling the disclosure with the children and youth in school and
well as community. The pre- assessment form was filled with 1250 children
between age group 10 = 18 Years to understand the basic understanding. The
motive behind organizing this training to Instil healthy masculinity in boys,
and healthy self-confidence in girl, teach boys and girls to treat and view
each other with respect and dignity and Reduce incidence of sexual violence in
India through a gender sensitization initiative for school children between 10
to 18 years of age.
The
Allahabad High Court issued notice on a PIL seeking Covid-19 vaccination drive
for prisoners across the State on an urgent basis. The petition has been
filed by 'Jan Mitra Nyas', a registered Trust. It claims that out of a total 72
prisons in Uttar Pradesh, nearly 63% of the prisons are currently overcrowded,
which increases the chance of infection to a great extent. As a result, rapid
vaccination of prisoners must be of utmost priority since many of them are
house in unhygienic conditions.
https://pvchr.blogspot.com/2022/01/pil-on-prisoner-right-in-covid-time.html
https://www.livelaw.in/pdf_upload/jan-mitra-nyas-anr-v-state-of-up-396013.pdf
Support of Torture prone communities in time of COVID19
second wave with support of Embassy of New Zealand:
2295 people (1925 children
between age group 6 month to 5 years, 188 pregnant 137 lactating mothers, 20
survivors in Aligarh and 25 survivors in Varanasi) to boost their immunity
to fight the deadly virus. Dry
nutritious ration with high nutritional value (semolina, groundnut, Desi ghee,
Soyabean and jaggery) was distributed to 188 pregnant and 137 lactating mother
belonging to marginalized communities especially Musahar women in four blocks
of Varanasi district and Muslim weaver community in Bazardiha of Varanasi
district. The distribution was organized from 20 June, 2021 to 30 June, 2021. Dry nutrition ration with high nutritional
value (10 kg flour, 5 kg rice, 2 kg pulse, half litre – oil and salt to each)
to 25 survivors of domestic violence, gender-based violence and rape on 26
June, 2021 on International Day in support of torture survivor. In amid
of the third wave of the COVID – 19 provided the first vitamin D 3 liquid on
the advice of the doctor to 2229 the children between age – group seven month
to 5 years old belonging to Musahar and marginalized communities.
Few
follows links on PVCHR and IRCT collaboration:
https://irct.org/uploads/media/India_PVCHR_Lenin.pdf
https://www.facebook.com/watch/?v=2306084309528214
https://www.facebook.com/irct.org/videos/978640476047137/
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