Sunday, February 26, 2023

भविष्य में और किसी बेबस माँ-बाप के बच्चे के साथ यह घटना न घटे :मानदार गौतम

 ‘’थानाध्यक्ष धर्मेन्द्र दुबे जी पर कोई असर नही पड़ रहा था, की किसी के घर का चिराग बुझ गया पुलिस प्रशासन विद्यालय वालो को संरक्षण देकर उनका बचाव कर रही है ’’

मेरा नाम मानदार गौतम है|मेरी उम्र 42 वर्ष है| मेरे पिता  स्व० भुईधार है| मुझे तीन बेटी और एक बेटा था|बेटा सबसे बड़ा था| लेकिन अब बेटा इस दुनिया में नही है|मैने हाईस्कुल तक की शिक्षा ली है| मै ऑटो चलाने का काम करता हूँ|मै ग्राम-भरतीपुर,थाना-रामपुर,जिला-जौनपुर का मूल निवासी हूँ |

मुझे नही मालूम था कि आज मेरे बेटे का आखिरी दिन है| मेरा 16 वर्षीय बेटा स्व० अनुराग परमालपुर स्थित श्री कांती जनता विद्यालय में दसवी में पढ़ रहा था| मैंने उसके लिए कितने सपने सजाये थे|एक दिन वह मेरा सहारा बनेगा|लेकिन स्कुल के प्रबन्धक पूर्व ब्लाक प्रमुख विपिन सिंह पुत्र राधे सिंह तथा प्रिंसिपल अनिल सिंह जी की वजह से आज मेरा बेटा हमारे बीच में नही है|

 17 दिसम्बर 2022 की तारीख थी| विद्यालय के बच्चो को घुमाने के लिए प्रयागराज ले जा रहे थे | सभी पचहत्तर बच्चो से पांच-पांच सौ रुपए लिए गये थे|मेरे घर से अनुराग और मेरी छोटी बेटी अन्नू जा रही थी| तय तारीख को तकरीबन सात बजे बच्चे विद्यालय पहुचे |

उन लोगो के जाने के बाद तकरीबन नौ बजे मैं रामपुर ऑटो लेकर आया|  अभी ऑटो खड़ा किया था | तभी मेरे फोन की घंटी बजी| फोन घर से था उसे उठाया तो उधर से आवाज आई की बच्चे जिस बस से जा रहे थे | वह हंडिया के करीब भेस्की गाव के पास पलट गयी है | अनुराग को अधिक चोट आया है | आप घर आइये | यह सुनकर मेरा जी घबराने लगा| मै घर न जाकर तुरंत ऑटो से भेस्की गाव की ओर निकल गया | मै जब वहा पहुचा तो और बच्चो को वही पर स्कुल में रखा गया था| मेरा बेटा वहा नही था मेरे बेटे को गहरी चोट लगने के वजह से स्वरूपरानी अस्पताल भेज दिया गया था |

मै वहा से स्वरूपरानी अस्पताल के लिए निकला| उस वक्त कुछ अच्छा नही लग रहा था| भगवान से यही मना रहा था की मेरा बेटा ठीक हो| यही सोचते-सोचते अस्पताल पहुच गया|मै बेटे को देखना चाह रहा था| लेकिन वह लोग मेरे बच्चे को दिखा नही रहे थे | उस वक्त मेरे बेटे की मौत हो चुकी थी | मै रो-रोकर पुलिस से गिडगिडाने लगा साहब बेटे को दिखा दीजिये| उस वक्त वहा मिडिया भी मौजूद थी| मुझे चीरघर ले जाया गया| मेरा बेटा उसी तरह जमीन पर फेका हुआ था |

उसकी हालत देखकर मै वहा की चौकी पर बोला साहब मेरे बेटे को दे दीजिये| वहा पंचनामा हुआ| लेकिन पुलिस प्रशासन ने कहा पोस्टमार्टम के बाद ही आपका बेटा आपको मिलेगा| उस वक्त बहुत तकलीफ हो रही थी| आज स्कुल वालो की वजह से मेरा बेटा हमेशा के लिए हमसे दूर हो गया है|

छ: साढ़े छ: बजे तक बैठा था शव मिला मै घर आया | चारो तरफ से चित्कारने की आवाज आ रही थी| पत्नी बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नही कर पा रही थी| उसकी हालत बिगड़ने  गयी| आनन फानन में बनारस लाकर उसका अंतिम संस्कार किया | मै इतना बदनसीब बाप हूँ की मैंने अपने बेटे को कंधा दिया| दुसरे दिन उसका क्रिया कर्म करके 19 दिसम्बर 2022 को हंडिया कोतवाली गया| साहब स्कुल वालो की गलती से इतना बड़ा हादसा हुआ है| उन लोग 40-45 सीट वाली बस पर बेंच और कुर्सी रखकर 83 लोगो का बिठाया था|

आप उनके खिलाफ FIR करे | प्रबन्धक और प्रिंसिपल ने  अपने बच्चो को चार पहिया वाहन में बिठाया था | लेकिन मेरी बात को थानाध्यक्ष धर्मेन्द्र दुबे जी पर कोई असर नही पड़ रहा था | की किसी के घर का चिराग बुझ गया है| उनके इस व्यवहार को देखकर मैंने कहा साहब आप का बच्चा होता तो आप क्या करते | उसके बावजूद 4 बजे शाम तक मै हंडिया थाने पर बैठा रहा|उसके बाद उन्होंने कहा उरहा निवासी स्व० अंकित के पिता रामजतन यादव को लेकर आइये तब हम कार्यवाही करेंगे| मै वापस घर चला आया|

21 दिसम्बर 2022 को जब हम दोनों लोग हंडिया कोतवाली जाकर तहरीर दिये | तो थानाध्यक्ष साहब ने बोला जाओ चार्जशीट में लगा देंगे | यह कहकर बिना FIR किये वापस कर दिया | काम करके बच्चो का पेट भरू या रोज-रोज हंडिया थाने जाऊ| इतना दूर है पूरा दिन खत्म हो जाता है| एक दिन तो इस कडकडाती ठंडी में रात हंडिया में गुजारा| लेकिन इसके बाद भी कोई सुनवाई नही हुई| इस सम्बन्ध में स्थानीय थाने गया| तो बोला जाता है जहा घटना हुई है वहा FIR कराओ|

 प्रयागराज एसएसपी साहब के यहा आवेदन दिया| तब जाकर सैदाबाद चौकी से पोस्टमार्टम की कापी मिली| वह भी फेककर बिना मुहर लगाये|हम बोले साहब हम बिना मुहर लगवाए नही लेंगे| 18 दिन बाद बहुत मिन्नत के बाद बेटे का रिपोर्ट मिला| स्कुल वाले दबंग और पैसे वाले है उन लोगो ने अपने प्रभाव और पैसे से कार्यवाही को प्रभावित किया है |जिस वजह से बेटे को न्याय दिलाने के लिए मै दर-बदर की ठोकर खा रहा हूँ| स्कुल वालो ने टूर के नाम पर बच्चो से मोटी कमाई करके महज 15000/-में बस कर हमारे बच्चो की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ किया है| अब पुलिस प्रशासन उन्हें संरक्षण देकर उनका बचाव कर रही है| उन्हें इस बात का एहसास कहा की मेरा बेटा ही मेरी जिन्दगी का सहारा था | वह सहारा भी स्कुल वालो ने छीन लिया | जब से बेटा गया है डर से बेटी भी स्कुल नही जा रही है |पत्नी भी बीमार रहने लगी है| मेरा भी मन नही लगता बेटे की एक-एक बात याद आती है| यह कहते हुए वह रोने लगा| मै भी अंदर से टूट गया हूँ| बहुत अकेलापन महसूस होता है| रात को नीद नही आती है| काम पर जाता हूँ लेकिन मन नही लगता है|स्कुल वाले लोगो से कह रहे है की चाहे जितना दौड़े उनका कुछ भी नही बिगड़ेगा|  

मै  चाहता हूँ कि स्कुल वालो के खिलाफ कार्यवाही हो जिससे मेरे मृतक बेटे को न्याय और मुआवजा मिल सके | भविष्य में और किसी बेबस माँ-बाप के बच्चे के साथ यह घटना न घटे |

Saturday, February 25, 2023

Newsletter of PVCHR Aligarh Division





 

New Ambassadors of PVCHR and JanMitra Nyas



 

VENKATESH RAGHAVENDRA

https://aif.org/people/venkatesh-raghavendra/

Venkatesh “Venky” Raghavendra is a social entrepreneur with nearly three decades of philanthropy and development experience. He has successfully built global partnerships and mobilized significant resources for a number of international and national organizations. Venky serves as Ambassador and Thought Leader At Large for the American India Foundation, advising the organization on strategic growth and mobilizing communities of support across the US.

Venky currently serves as the Vice President, Advancement for the Safe Water Network and was formerly the Chief Philanthropy Officer at the New York-based American India Foundation. He has been an advisor and consultant in the areas of philanthropy, fundraising, and social entrepreneurship, and has worked with organizations like the Open Society Foundations, New York, UK-based Common Purpose, and Washington, DC-based Ashoka: Innovators for the Public. Prior to joining the American India Foundation, Venky was Managing Director of Global Partnerships at Ashoka and promoted social entrepreneurship around the world by collaborating with business entrepreneurs and foundations.

Venky is an Advisor to the Government of India’s National Skill Development Corporation, under the Ministry of Skill Development. He is a trustee of Ashoka India, sits on the board of several not-for-profits, and is an advisor to several others. He writes frequently on social issues for a variety of media, and currently teaches social entrepreneurship to graduate-level students in the United States and in India.

Venky has a Masters in Social Justice from the School for International Training, Vermont and an International DBA from ISEG’s Lisbon School of Economics & Management in Portugal.

SVP@safewaternet, ExAdvisor@NSDCINDIA Govt of India, Ambassador@AIFoundation, Contributing Editor @ambazaarmag ; Community-Builder; US-India Corridor Engagement;

https://twitter.com/venky04?ref_src=twsrc%5Egoogle%7Ctwcamp%5Eserp%7Ctwgr%5Eauthor

Dr. Deepak Shishoo 

https://www.linkedin.com/in/deepak-shishoo-1846b118/?originalSubdomain=in


Legal action, rescue and rehabilitation of bonded labour Suresh Musahar and his son

 Victim

Victim NameSURESH MUSAHAR S/O CHANDRAMA MUSAHAR AND SUNIL S/O SURESH MUSAHARGenderMale
ReligionHinduCastScheduled Caste
AddressVILLAGE. MADNI, MAHASIPUR, PS. CHAUBEYPUR,
DistrictVARANASIStateUTTAR PRADESH

Details at National Human Rights Commission (NHRC)
Diary No24903/CR/2018SectionM-4
LanguageHINDIModeE-MAIL
Received Date09/02/2018Complaint Date05/02/2018

Last order by NHRC
This is a complaint received from Social & Human Right Activist in which it is reported that the victim and his minor son belonging to SC community were forced to work at the brick-kiln and abused / beaten when he failed to attend duty on account of ill-health. The victim reported to have sustained fracture on his hand but the police failed to take action. Taking cognizance, notice was issued to the concerned authorities. As per the report dated 31-08-2018 received from Senior Superintendent of Police, FIR No.315/18 was registered under section 452, 325, 504, 506 read with SC/ST (POA) Act and Bonded Labour (Prohibition) Act. After completion of the investigation, chargesheet was filed in the court of law. The District Magistrate also filed his report dated 27-06-2018 reporting that prima facie case of violation of Bounded Labour (Prohibition) Act was made out against the owner of the brick-kiln and the requisite release certificate was issued. It is also reported that the office of the Labour Commissioner has been directed to initiate action on account of violation of Labour Laws and Child Labour (Prohibition and Regulation), Act. The commission vide proceeding dated 09-01-2019 directed the District Magistrate to award the minimum relief of Rs.20,000/- to the victim along with release certificate. The Senior Superintendent of Police, District Varanasi was also directed to enquire delay in registration of FIR and submit action taken report. In pursuance thereto, the Senior Superintendent of Police submitted additional report dated 28-12-2019 clarifying that the victim did not report at the police station the incident of beating and instead approached straight away the Human Right Activist. Hence, no dereliction of duty on the part of police official was found. No compliance report as regard award of compensation of Rs.20,000/- is received from the office of the District Magistrate, Varanasi in as much as in his report dated 30-09-2020, he merely forwarded the police enquiry report dated 28-12-2019. The District Magistrate, Varanasi is directed to award a compensation of Rs.20,000/- as per the previous direction of the commission and submit proof of payment within 4 weeks. Subject to submission of proof of payment of compensation, the enquiry stands closed. In the event the compensation amount is not received by the victim, he shall be at liberty to approach the commission afresh.

He received twenty thousands under Bonded Labour Act and sixty Thousand under SC/ST Act. He and his son also received free treatment by district administration.  He received more than two hundred thousand Indian Rupees(two lakhs). Case in pending in Court.

Medicolegal report


Please read details:

Testimony in Hindi

‘’तुम्हारी इतनी औकात नही है की तुम मुझसे लड़ सको’’

 मेरा नाम सुरेश मुसहर है मेरी उम्र लगभग 40 वर्ष है| मेरे पिता चन्द्रमा मुसहर है| मै ग्राम-मढ़नी महासिपूर, थाना- चौबेपुर, जिला- वाराणसी का मूल निवासी हूँ| मै अशिक्षित हूँ| मै ईट भट्टो पर मजदूरी करता हूँ|

आज भी मालिक मुन्ना सिंह हमसे सुलह करने के लिए लगातार हम पर दबाव बना रहे है|वह मेरे भाई राजेन्द्र के मोबाईल पर बार-बार फोन कर मुझे बुला रहे है| मुझे इस बात का डर है कि वह मुझसे सुलह करने के लिए मेरे साथ कुछ भी कर सकते है| घटना के कुछ दिन बाद 11 फरवरी 2018 को मै जब अपने गाव राशन लेने गया था तो रस्ते में मुन्ना सिंह मिले मुझसे कहा घबराओ मत अभी तुम्हे और बुरी तरह मारेंगे| उनकी यह बात सुनकर उस दिन के बाद से मेरी हिम्मत नही हुई कि मै गाव जाऊं| मैने हिम्मत कर उनके खिलाफ सभी सम्बन्धित अधिकारियो को चिट्ठी दी जहाँ से मुझे मदद भी मिली|

`    अभी कुछ दिन पहले मुन्ना सिंह मुझे फिर बाजार में मिल गये और मुझे धमकी दी कि ‘’तुम्हारी इतनी औकात नही है की तुम मुझसे लड़ सको’’ उनकी इस बात को सुनकर मुझे बहुत तकलीफ हुई| आज उन्ही के वजह से मै दो साल से अपने परिवार के साथ दर बदर ईट भट्टो पर जीवन गुजार रहा हूँ|

मै उस दिन को जीते जी नही भूल सकता 20 जनवरी 2018 की सुबह के आठ बज रहे थे मेरे बेटे सुनील को तेज बुखार था वह मढ़ई में सो रहा था| मै रोटी बनाकर सब्जी छौक रहा था तभी मेरी मढ़ई के बाहर ईट भट्टा मालिक सुरेन्द्र सिंह के साले मालिक मुन्ना सिंह दो पहिया गाड़ी से आकर मेरे बेटे को तेज आवाज में बुलाने लगे| मै उनकी आवाज सुनकर बाहर आया तो वह बोले सुनील कहा है मैंने कहा मालिक उसे तेज बुखार है |इस पर वह मेरे मढ़ई में घुसकर मेरे बेटे का हाथ तेजी से खीचकर बाहर ले आये, मैंने कहा मालिक उसकी तबियत ठीक नही है वह आज नही कल जायेगा| यह सुनते ही वह बोले यह अब तुम्हारा लड़का नही है मैंने कहा मालिक यह मेरा लड़का नही, तो किसका यह सुनते ही वह बोले तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुम मुझसे जबान चला रहे हो यह कहते हुए मुन्ना सिंह मुझे माँ-बहन की गंदी-गंदी गालिया देते हुए मुझे लात घुसो और घर के बाहर पड़ी लकड़ी और चइले से मुझे बुरी तरह मारने लगे| उनकी मार से मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा था मै उनसे रोने गिडगिडाने लगा मालिक मुझे मत मारो लेकिन वह तब तक मारते रहे जब तक मै गिर नही गया| उनके मारने से मेरे दाहिने हाथ से खून निकलने लगा|

मेरी हालत देखकर मेरे दोनों भाई राजेन्द्र और सचेन्द्र दौड़कर आये और मुझे उठाकर थाने ले गये| थाने में मैंने दीवान जी से सारी बात बतायी दीवान जी बोले तुम झूठ बोल रहे हो जाओ पहले इलाज कराओ| उनकी यह बात सुनकर मुझे बहुत तकलीफ हुई| मै उस समय दर्द से कराह रहा था| मेरा दर्द देखकर मेरे घर वालो ने बनारस की संस्था मानवाधिकार जन निगरानी समिति, दौलतपुर, पांडेयपुर में फोन कर मदद मांगी| वही की मदद से मेरा इलाज दिनदयाल अस्पताल में कराया गया| जहा पता चला की मुन्ना सिंह की मार से मेरे दाहिने हाथ की कलाई फ्रैक्चर हो गयी है |

मै दो सीजन से बभनपुरा के श्री महेंद्र सिंह मेसर्स एन०एस०मार्का के ईट भट्टे पर ईट पथाई का काम करता था| उन्ही के भट्टे पर उनके साले मुन्ना सिंह का दो ट्रैक्टर चलता था| मुन्ना सिंह पिछले कुछ महीनों से मेरे बेटे को जबरदस्ती ले जाकर ट्रैक्टर पर माल लोडिंग करवाते थे| वह मेरे बेटे को भोर सुबह 4 बजे से देर रात तक काम करवाते| मै जब भी कहता साहब बच्चा है इससे काम मत करवाइए इस पर वह मुझे गंदी-गंदी गालिया देते हुए कहते जब यहा रहना है तो बच्चे और बड़े सभी काम करेंगे| जो भी ईट की निकासी होती थी वह मुन्ना सिंह के ट्रैक्टर पर मेरा बेटा लादता और ले जाकर जगह-जगह उतारता था| हम गरीब मजदूर लोग है,हम चाह कर भी अपनी जिन्दगी अपने हिसाब से नही जी सकते| मै कई बार मालिक से हिम्मत कर अपने बेटे से दिन रात मजदूरी का विरोध करता, मालिक हमे मार की धमकी देकर चुप करवा देता|बच्चो के दो जून की रोटी के लिए मै चुपचाप सब कुछ देखता रहा हम अशिक्षित है हमे ईट पाथने और बनी मजदूरी के अलावा कुछ नही आता है| इसी का फायदा उठाकर मालिक हमें जानवरों की तरह दिन रात खटाता है|

आज लगभग दो साल से ज्यादा वक्त गुजर गया है|मै मालिक के डर से छिपकर अपने केस की पैरवी कर रहा हूँ मुझे डर है कि वह बढ़े लोग है वह अपने स्वार्थ के लिए कभी भी हमे नुकसान पहुचा सकते है| जब भी मै बाहर निकलता हूँ,पैरवी में जाता हूँ तो हमेशा मन में एक दहशत और डर बना रहता है| आज भी रात को जब मै सोता हूँ तो वही सब बाते मेरे आँखों के सामने नजर आती है| मन में एक डर सा समाया हुआ है लेकिन मै कभी भी सुलह नही करूंगा अभी तक मालिक के खिलाफ जो भी कार्यवाही हुई है उससे मै खुश हूँ| इससे मुझे और हिम्मत भी मिली है| संस्था की लिखा पढ़ी से श्रम विभाग से मेरे पुनर्वासन के लिए कुछ आर्थिक सहायता मिली है|

मै कभी भी सुलह नही करूंगा मुझे इस बात का अफ़सोस है कि मालिक ने मेरे बीमार बच्चे से मजदूरी के विरोध पर मुझे जानवरों की तरह मारा पिटा|  

मै चाहता हूँ कि मालिक के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाय जिससे भविष्य में वह किसी गरीब मजदूर के साथ कोई अत्याचार नही करे| संस्था की लिखा पढ़ी से श्रम विभाग से मेरे पुनर्वासन के लिए कुछ आर्थिक सहायता मिली है| 


Find few link on bonded labour and our work:

#Slavery #BondedLabour #PVCHR #NHRC #Varanasi 

Freedom from Labour Bondage—A Case of Dalit Empowerment from Varanasi, Uttar Pradesh, India written by Prof. Archana Kaushik

Labour bondage is a specific form of forced labour that is derived from debt. This human slavery is still prevalent in many parts of India despite being legally abolished. This paper delineates a case study of Belwa village of Varanasi, Uttar Pradesh, where several Dalit families, mainly Musahars, were caught into the shackles of labour bondage while working in the brick kilns of the upper-caste headman. It highlights the factors contributing to multilayered vulnerabilities and pathetic conditions of bonded labourers. It presents the process of rescue, release and rehabilitation of bonded labourers of the village through the interventions of a civil society organization—PVCHR. The case study provides relevance for praxis and theorization of Dalit empowerment.

Legal action, rescue and rehabilitation of bonded labour Suresh Musahar and his son by pvchr.india9214 on Scribd

Thursday, February 23, 2023

Shruti Nagvanshi :Empowering the Marginalized

Passion Vista and its partners profiled our Founder and Managing Trustee Shruti Nagvanshi  as  Women leaders look up to in 2023

https://www.passionvista.com/shruti-nagvanshi/

https://www.counterview.in/2023/03/varanasi-social-worker-who-has-devoted.html/

 https://www.scribd.com/document/627459888/Shruti-Nagvanshi-Empowering-the-Marginalized

https://www.linkedin.com/posts/pvchr_business-awards-honors-activity-7032431914829365248-RS9O?utm_source=share&utm_medium=member_desktop

Lenin Raghuvanshi profiled as  Most Admired Global Indians 2022  by Passion Vista https://pvchr.blogspot.com/2022/09/lenin-raghuvanshi-vocal-proponent-and.html 






Shruti Nagvanshi :Empowering the Marginalized

Shruti Nagvanshi, a social worker and human rights activist based in Varanasi, Uttar Pradesh, has devoted her life to reaching out to the ultra-poor and marginalized communities in India. Born in Dashashwmedh, Varanasi on 2 January 1974, she married Dr Lenin Raghuvanshi on 22 February 1992 and has a son, Kabeer Karunik, a Business management Graduate who is also a national level snooker player. 

Shruti Nagvanshi has been actively working in the field of human rights and social justice for over two decades. She is a strong advocate for the rights of Dalit and Adivasi communities and has been involved in several campaigns and movements aimed at fighting discrimination and injustice. Her work has not only helped in the upliftment of marginalized communities but also helped in creating awareness about the issues faced by these communities. 

Shruti's passion for social work began in her early years, when she was part of several local programs aimed at empowering and uplifting underprivileged communities. She later became involved in the Uttar Pradesh chapter of the United Nations Youth Organization, which further solidified her commitment to making a difference in the lives of those in need. 

She has faced many challenges in her career, including lack of support and understanding from society. "Perpetuity of patriarchy and mind of hegemonic masculinity are the biggest challenges for participation and development of leadership of a woman," says Shruti. However, her mother's encouragement towards education helped her overcome obstacles and complete her studies. It was during her college years that she realized the lack of opportunities available to marginalized communities, and it was this realization that gave her the courage to participate in social work and learn more about the world around her. 

Shruti is the founder of the Savitri Bai Phule Mahila Panchayat, a women's forum that works towards empowering religious minorities in the framework of the rule of law. She is also a co-founder of the Jan Mitra Nyas and People's Vigilance Committee on Human Rights (JMN/PVCHR), an organization that works towards creating a world with dignity for all by breaking the culture of silence and impunity of marginalized communities through active listening, empathy, and changing knowledge, attitude and practices (KAP). 

One of the biggest challenges that Shruti has faced in start of her career is the lack of support and understanding from her family and friends. "Marrying into an orthodox hierarchy-conforming family had its own challenges but in course of time helped me understand the nature and consequences of the mind of caste on others from a close proximity," she says. Despite initial hesitation from her parents-in-law, who were not comfortable with the fact that she and her husband worked for the "untouchables," they eventually became her strongest supporters. 

When asked about balancing her personal and professional life, Shruti says, "Passion and commitment are ways to overcome short-term obstacles and long-term challenges in life. False implications, intimidation, and corrupt bureaucracy became part of life which demanded courage, patience, and continuous non-violence resistance."

 When it comes to the current organizational culture for working women, Shruti believes that there is a shift happening in the business world towards a more democratic and inclusive approach. "There is a saying, 'Democracy prefers market but market does not prefer democracy'. However, the 'Gharana' culture of business is giving way to a more business ecology with value innovation. Democratization of business and wealth distribution at the grassroots level is the need of the hour," she says.

Shruti Nagvanshi has received several awards for her work in social justice and human rights. She has been recognized for her contributions to uplifting marginalized communities and her tireless efforts to create a more inclusive and just society. Some of the notable awards she has received include the warded the Top 100 Women Achievers of India in 2016 by the Union Ministry of Women and Child Development (MWCD) and Facebook jointly in the category of ‘Access to Justice Protecting Women and their rights' and Public Peace prize from Canada. Her work has been acknowledged by film actor Amir Khan and she has been invited to participate in Satymev Jayate, a TV show hosted by Aamir Khan that discussed issue of rape that went on air in 2014. Her latest book with academic Dr. Archana Kaushik is Margins to Centre Stage: Empowering Dalits in India described work of JMN  in 50 villages and some slums in the most marginalised communities in four blocks of the Varanasi district to work on the issue of children’s health with the support of Child Rights and You (CRY). Maternalneonatal, and malnourished death declined in these communities. 

Despite the challenges she has faced in her career, Shruti remains committed to her work and continues to inspire others to make a difference in the world. Through her tireless efforts, she has shown that with passion, commitment, and a willingness to learn and adapt, it is possible to make a real impact in the lives of marginalized communities.

Full magazine :https://www.scribd.com/document/633121453/Shruti-Nagvanshi-Empowering-the-Marginalized

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