‘’थानाध्यक्ष धर्मेन्द्र दुबे जी पर कोई असर नही पड़ रहा था, की किसी के घर का चिराग बुझ गया पुलिस प्रशासन विद्यालय वालो को संरक्षण देकर उनका बचाव कर रही है ’’
मेरा नाम मानदार गौतम है|मेरी उम्र 42 वर्ष है| मेरे पिता स्व० भुईधार है| मुझे तीन बेटी और एक बेटा था|बेटा सबसे बड़ा था| लेकिन अब बेटा इस
दुनिया में नही है|मैने हाईस्कुल तक की शिक्षा ली है| मै ऑटो चलाने का काम करता
हूँ|मै ग्राम-भरतीपुर,थाना-रामपुर,जिला-जौनपुर का मूल निवासी हूँ |
मुझे नही मालूम था कि आज मेरे बेटे का
आखिरी दिन है| मेरा 16 वर्षीय बेटा स्व० अनुराग परमालपुर स्थित श्री कांती जनता
विद्यालय में दसवी में पढ़ रहा था| मैंने उसके लिए कितने सपने सजाये थे|एक दिन वह
मेरा सहारा बनेगा|लेकिन स्कुल के प्रबन्धक पूर्व ब्लाक प्रमुख विपिन सिंह पुत्र
राधे सिंह तथा प्रिंसिपल अनिल सिंह जी की वजह से आज मेरा बेटा हमारे बीच में नही
है|
17 दिसम्बर
2022 की तारीख थी| विद्यालय के बच्चो को घुमाने के लिए प्रयागराज ले जा रहे थे |
सभी पचहत्तर बच्चो से पांच-पांच सौ रुपए लिए गये थे|मेरे घर से अनुराग और मेरी
छोटी बेटी अन्नू जा रही थी| तय तारीख को तकरीबन सात बजे बच्चे विद्यालय पहुचे |
उसकी
हालत देखकर मै वहा की चौकी पर बोला साहब मेरे बेटे को दे दीजिये| वहा पंचनामा हुआ|
लेकिन पुलिस प्रशासन ने कहा पोस्टमार्टम के बाद ही आपका बेटा आपको मिलेगा| उस वक्त
बहुत तकलीफ हो रही थी| आज स्कुल वालो की वजह से मेरा बेटा हमेशा के लिए हमसे दूर
हो गया है|
छ:
साढ़े छ: बजे तक बैठा था शव मिला मै घर आया | चारो तरफ से चित्कारने की आवाज आ रही
थी| पत्नी बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नही कर पा रही थी| उसकी हालत बिगड़ने गयी| आनन फानन में बनारस लाकर उसका अंतिम
संस्कार किया | मै इतना बदनसीब बाप हूँ की मैंने अपने बेटे को कंधा दिया| दुसरे
दिन उसका क्रिया कर्म करके 19 दिसम्बर 2022 को हंडिया कोतवाली गया| साहब स्कुल
वालो की गलती से इतना बड़ा हादसा हुआ है| उन लोग 40-45 सीट वाली बस पर बेंच और
कुर्सी रखकर 83 लोगो का बिठाया था|
आप
उनके खिलाफ FIR करे | प्रबन्धक और प्रिंसिपल ने अपने बच्चो को चार पहिया वाहन में बिठाया था |
लेकिन मेरी बात को थानाध्यक्ष धर्मेन्द्र दुबे जी पर कोई असर नही पड़ रहा था | की
किसी के घर का चिराग बुझ गया है| उनके इस व्यवहार को देखकर मैंने कहा साहब
आप का बच्चा होता तो आप क्या करते | उसके बावजूद 4 बजे शाम तक मै हंडिया थाने पर
बैठा रहा|उसके बाद उन्होंने कहा उरहा निवासी स्व० अंकित के पिता रामजतन यादव को
लेकर आइये तब हम कार्यवाही करेंगे| मै वापस घर चला आया|
21
दिसम्बर 2022 को जब हम दोनों लोग हंडिया कोतवाली जाकर तहरीर दिये | तो थानाध्यक्ष
साहब ने बोला जाओ चार्जशीट में लगा देंगे | यह कहकर बिना FIR किये वापस कर दिया | काम
करके बच्चो का पेट भरू या रोज-रोज हंडिया थाने जाऊ| इतना दूर है पूरा दिन खत्म हो
जाता है| एक दिन तो इस कडकडाती ठंडी में रात हंडिया में गुजारा| लेकिन इसके बाद भी
कोई सुनवाई नही हुई| इस सम्बन्ध में स्थानीय थाने गया| तो बोला जाता है जहा घटना
हुई है वहा FIR कराओ|
प्रयागराज एसएसपी साहब के यहा आवेदन दिया| तब
जाकर सैदाबाद चौकी से पोस्टमार्टम की कापी मिली| वह भी फेककर बिना मुहर लगाये|हम
बोले साहब हम बिना मुहर लगवाए नही लेंगे| 18 दिन बाद बहुत मिन्नत के बाद बेटे का
रिपोर्ट मिला| स्कुल वाले दबंग और पैसे वाले है उन लोगो ने अपने प्रभाव और पैसे से
कार्यवाही को प्रभावित किया है |जिस वजह से बेटे को न्याय दिलाने के लिए मै दर-बदर
की ठोकर खा रहा हूँ| स्कुल वालो ने टूर के नाम पर बच्चो से मोटी कमाई करके महज
15000/-में बस कर हमारे बच्चो की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ किया है| अब पुलिस
प्रशासन उन्हें संरक्षण देकर उनका बचाव कर रही है| उन्हें इस बात का एहसास कहा की मेरा
बेटा ही मेरी जिन्दगी का सहारा था | वह सहारा भी स्कुल वालो ने छीन लिया | जब से
बेटा गया है डर से बेटी भी स्कुल नही जा रही है |पत्नी भी बीमार रहने लगी है| मेरा
भी मन नही लगता बेटे की एक-एक बात याद आती है| यह कहते हुए वह रोने लगा| मै भी
अंदर से टूट गया हूँ| बहुत अकेलापन महसूस होता है| रात को नीद नही आती है| काम पर
जाता हूँ लेकिन मन नही लगता है|स्कुल वाले लोगो से कह रहे है की चाहे जितना दौड़े
उनका कुछ भी नही बिगड़ेगा|
मै चाहता हूँ कि स्कुल वालो के खिलाफ कार्यवाही हो
जिससे मेरे मृतक बेटे को न्याय और मुआवजा मिल सके | भविष्य में और किसी बेबस
माँ-बाप के बच्चे के साथ यह घटना न घटे |