Thursday, February 03, 2011

पुलिसिया यातना की शिकार की ख़ुदबयानी

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पुलिसिया यातना की शिकार की ख़ुदबयानी
समय Feb 02, 2011 | 5 टिप्पणियाँ

लेनिन रघुवंशी

मेरा नाम रीना (बदला हुआ नाम), पत्नी श्री विनोद कुमार गुप्ता, मकान नं0-137, मोहल्ला-सिपाह, थाना-कोतवाली, जौनपुर की निवासनी हूँ। मेरे पति ड्राइवरी का काम करते हैं। 24 जनवरी की सुबह लगभग 4.30 से 5.00 बजे पुलिस आयी और मेरे पति विनोद को ले गयी। उस वक्त मेरा बेटा मेरी गोद में था। इस तरह अचानक बिना किसी वजह से मेरे पति को पुलिस द्वारा ले जाने के कारण मुझे लगने लगा था कि हमारे परिवार के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट चुका है। मैं इतनी घबरा गई थी कि मुझे इस मुसीबत से निकलने का कोई रास्ता नही सूझ रहा था। पहले मुझे लगा कि पुलिस मामूली पूछ-ताछ करके छोड़ देगी। लेकिन पति के वापस न आने के बाद मेरी और मेरी अम्मा (सास) की हालत ख़राब हो गयी। मेरी अम्मा तो बार-बार बेहोश हो जा रही थी। दोपहर में आस-पड़ोस के लोग इकठ्ठा हुए और सांत्वना दी और कहा कि इतना सीधा लड़का कहा फँस गया। मोहल्ले वालों की सलाह पर मैं और मेरी अम्मा मेरे पति के सेठ जी के घर भी मिलने के लिए गये, ताकि किसी तरह मेरे पति पुलिस हिरासत से छूट जायें। लेकिन इस मामले में उन्होंने किसी तरह की मदद करने से इंकार कर दिया।
12 फरवरी, 2010 की रात 10 बजे सेठ SOG को लेकर हमारे घर पर आये और घर में रखे तीन मोबाइल फोनों को अपने कब्जे में ले लिया। पुलिस ने हमारे कमरे के पूरे समान की तलाशी ली। मैने एक पर्स में पायल और लगभग 3000 – 4000 रुपये बचाकर रखे थे। उनके जाने के बाद सुबह मैनें पर्स देखा तो पर्स में सिर्फ पायल ही मिली, जबकि सारे पैसे ग़ायब थे।

10 मिनट बाद वो दोबारा आये। उस वक़्त मैं घर पर अकेली थी। मेरी अम्मा और देवर, बड़े पापा (मेरे ससुर के भाई) को बुलाने गये थे। मुझे यह बताने में बेहद शर्म महसूस हो रही है कि घर में मुझे अकेला देखकर एक पुलिस वाला मेरे साथ बदतमीजी करने लगा और मुझे गन्दी-गन्दी गालियां देने लगा। उस वक़्त वो पुलिस वाला शराब के नशे में धुत्त था, उसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी।

पुलिसिया मार के डर से मेरे पति ने घर में एक अमरूद के पेड़ के नीचे रिवाल्वर छुपाये होने की बात कबूल की। पुलिस ने मेरे पति को लेकर रिवाल्वर खोजने के लिए खुदाई शुरू की। उसी बीच फिर वहीं खड़े एक पुलिस वाले ने मेरे पास आकर फिर से बदतमीजी की और मेरी अम्मा से बार-बार कहने लगा कि तुम्हे टॉयलेट जाना है तो जाओ। वह लगातार मेरी सास को अपशब्द बोले जा रहा था। उसने मुझे जूते की नोंक से मारा भी। मुझे गाली देते हुए उसने कहा कि ‘‘तुम्हे यही मिला था शादी करने के लिए’’ और मेरी अम्मा से पूछा कि कहां से लायी है इसे। सरायमीर का नाम सुनते कि उसने मेरी इज्जत को तार-तार करते हुए कहा कि इसके ऊपर न जाने कितने मुसलमान चढ़े होंगे।

जनता की सुरक्षा के लिए काम करने वाली पुलिस के बुरे व्यवहार की हद तो तब हो गई जब उन लोगों ने मेरी अम्मा को भी अपमानित करना शुरू कर दिया। वो मेरी अम्मा को कह रहे थे कि ‘इतना बदमाश लड़का पैदा करने के लिए तु तो चार-पाँच लोगो के पास तो गयी होगी। उन्होंने मुझे यह भी कहा कि तुम्हारे गुप्तांग में इतनी जो़र से मारेंगे कि तुम्हारी बच्चेदानी बाहर आ जायेगी। इतना कहते हुए उन लोगो ने मेरी साड़ी खींचने की कोशिश की। प्रतिरोध करने पर उन लोगों ने हमारी अम्मा को फिर से जूते की नोंक से मारा और धमकी दी कि तुम्हारे खानदान में किसी को नही छोड़ूंगा। सबको बेइज्जत करूँगा।

उन्होंने मेरे पति के सामने कहा कि तुम्हारी बीवी को यहीं तुम्हारे सामने सुलाकर शारीरिक सम्बन्ध बनायेंगे। उस समय मुझे लगा कि अपनी इज्जत बचाने के लिए हम कहां भागें, कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। इस बात को याद करके अभी भी डर लगता है और खुद को शर्म महसूस होती हैं। उन लोगों ने मेरे पति को कमरे में ले जाकर बहुत मारा। वो लोग मेरे पति को इतनी बुरी तरह पीट रहे थे कि मार की आवाज बाहर तक आ रही थी। वो लोग मेरी अम्मा और देवर को ले जा रहे थे, उन्होंने मुझे भी चलने को कह, लेकिन मैनें कहा कि मेरा बच्चा सो रहा है तो उन लोगो ने मुझे छोड़ दिया।

मेरा एक बच्चा तीन साल का है और दूसरा अभी गर्भ में है। अभी यही चिन्ता रहती है गुजारा कैसे होगा, 18 फरवरी को पुलिस ने मेरे पति को छोड़ दिया। हम लोगों को यही डर है कि कहीं सेठ फिर से पुलिस के साथ हमारे घर न आ जाये और हमें दोबारा इस तरह से गाली-गलौज और मार न सहनी पड़े। चिंता की वजह से आजकल खाने पीने का बिल्कुल मन नही करता है। अभी घर में कोई काम काम करने वाला नही है। इस घटना के बाद देवर और ससुर का काम भी छूट गया है।

डर के कारण मेरे परिवार के सभी सदस्य एक ही जगह सोते हैं। मेरे पति इतने डरे हुए हैं कि टॉयलेट भी अकेले नहीं जाते हैं। मेरे पति और अम्मा को रात में नींद नहीं आती है, और अगर आती भी है तो डर के मारे वो नींद में ही चिल्लाने लगते हैं। पुलिस मेरे पति को लेकर मेरे बहन के घर आजमगढ़ गयी और मेरे पति से बोला कि तुम भागो, तुम्हारा इनकाउन्टर कर देंगे।

पुलिस इनको लेकर मेरे मामा, भाभी और सभी रिश्‍तेदारों के यहां गयी और उन्हें धमकाया भी। इतने अत्याचार और शोषण को सहन करने के बाद हमें न्याय का इंतज़ार है और वापस हम लोग खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर सकें।

रेणू और शबाना से बातचीत पर आधारित

डॉ0 लेनिन रघुवंशी 'मानवाधिकार जन निगरानी समिति' के महासचिव हैं और वंचितों के अधिकारों पर इनके कामों के लिये इन्‍हें 'वाइमर ह्युमन राइट्स अवॉर्ड', जर्मनी एवं 'ग्वांजू ह्युमन राइट्स अवॉर्ड', दक्षिण कोरिया से नवाज़ा गया है. लेनिन सरोकार के लिए मानवाधिकार रिपोर्टिंग करेंगे, ऐसा उन्‍होंने वायदा किया है. उनसे pvchr.india@gmail.com पर संपर्क साधा जा सकता है. Tags: police attrocity, uttar pradesh

" पुलिसिया यातना की शिकार की ख़ुदबयानी " को 5 प्रतिक्रियाएँ
shabnam khan says:
02/02/2011 at 3:18 pm
यह पढने के बाद क्या कहू कुछ समझ नहीं पा रहीं हूँ…लेकिन यह सच है कि पुलिस के बेहद दबंगई रवैये के कारण गरीब लोगों को अधिक अत्याचार सहने पड़ते है…उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं होता…इसका समाधान क्या हो ये तो सब जानते हैं लेकिन कैसे हो यह समझ नहीं आता…
बेहद शर्मनाक…

Ravindra says:
02/02/2011 at 4:08 pm
Yeh kis tarah ke desh me rah rahe hain hum log???

Irshad Ahmed says:
02/02/2011 at 5:59 pm
It is very seamful incident in the worlds largest democratic country.This incident show injustice & najis attitude in INdia.

अमृत पाल सिंह says:
02/02/2011 at 9:05 pm
पुलिसिया रवैया बेहद शर्मनाक है। उम्मीद है कि सरोकार के माध्यम से यह मामला कई लोगों तक पहुचेंगा और इस मामले में पीडितों को उचित न्याय मिल पायेगा, ताकि पुलिसिया दबंगई के कारण भारत में गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को परेशानियां ना सहनी पडें….

khadija siddiqui says:
02/02/2011 at 11:11 pm
is lekh ko padkar mujhe aisa bilkul bhi nahi laga ki hum kis desh me rah rahe hain ya hamare ki kya stithi ho gayi hai jaisa ki aur logon ne kaha.mera manna hai ki hamare desh ki aisi stithi to shuru se hi hai.azadi se pahle bhi gharibon aur mazloomon ke sath zulm o zyadti had se zyada hoti thi aur azadi ke bad bhi unke sath kuch nahi badla hai,hindustan me azadi to sirf un logon ko mili hai jo sarkar se jud gaye phir chahe wo rajniti ho ya naukri.sarkari nakri har kisi ke hisse me nehi aa sakti aur neta har koi nahi ban sakta.phir teesre tabqe ke wo log hain jo in donon ke talwe chatte hain aur is bahane un logon ka bhi bhala ho jata hai balki curruption me wo ek ahm bhumika ada karte hain.sarkari naokron me rahi baat police ki,kahne me to wp janta ki naukar hai lekin hamesha malik hone ka rale ada kiya aur malik bhi aisa jo sirf atyachar karna janti hai,be-izzat karna janta hai aur marna janti hai.shuru se hi dekha jaye to police ko kabhi janta ke humdadrd ke roop me nahi dekha gaya,hamesha wo netaon ki hathon ki kathputli bani rahi.agar wo apna farz nibhana janti to na kabhi koi bombay hota na godhra hota aur aisi hi aur bhi tamam cheezen,mai kis kis ka nam lu.aur jo apna farz nibhate hain to shayad wo karkare ki tarah se apwaad hain.mujhe sharm aati hai desh ki police waywastha par

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