Sunday, July 31, 2011
A potential Human right defenders’ strategy to implement a regional Human rights mechanism in South Asia
Saturday, July 30, 2011
A voice of voiceless
‘ रक्षक बने भक्षक - पुलिस हिरासत मे मौत’
58 वर्षीय अब्दुल अजीज पुत्र नासिर अली, निवासी-किशोरी भवन, अनुप शहर रोड़, थाना-सिविल लाइन अलीगढ, 'अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय' के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी थे।
अब्दुल अजीज किशोरी भवन (शिव मंदिर धर्मशाला ट्रस्ट की सम्पत्ति) में किरायेदार के रुप में अपने परिवार के साथ रहते थे। शिव मंदिर के वर्तमान ट्रस्टी श्री समर्थ मित्तल एवं भूमाफिया राशिद 'किशोरी भवन' किरायेदारों से जबरदस्ती खाली कराना चाहते थे। अब्दुल अजीज एवं अन्य किरायेदारों ने इस सम्बन्ध में मिल रही धमकी एवं प्रताड़ना की लिखित सूचना मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश) एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अलीगढ़ को 26 मार्च 2011 को दे दी थी।
समर्थ मित्तल एवं राशिद पुलिस के सहयोग से 'किशोरी भवन' को खाली कराकर वहाँ फ्लैट बनाना चाहते थे। किरायेदारों पर मकान खाली करने का दबाव बनाने के लिए सिविल लाइन थाना, अलीगढ़ में अब्दुल अजीज पर भूमाफिया राशिद द्वारा मारपीट का फर्जी मुकदमा किया गया। पुलिस फर्जी मुकदमों में किशोरी भवन के किरायेदारों को परेशान कर रही थी।
राशिद हसन द्वारा कराये गये अब्दुल अजीज पर मुकदमे के सम्बन्ध में सिविल लाइन थाना, के एस.आई. जलील अहमद एवं एस.एस.आई. ए. के त्यागी द्वारा समर्थ मित्तल एवं राशिद हसन के इशारे पर 8/5/2011 को रात्रि 10:30 के आस पास अब्दुल अजीज को उनके घर से जबरदस्ती मारपीट कर थाने ले जाया गया। घटना के समय राशिद हसन और समर्थ मित्तल के भी कुछ लोग भी वहाँ उपस्थित थे। पुलिस अब्दुल अजीज को सिविल लाइन थाने पर ले गयी, लगभग एक घण्टे के बाद अब्दुल अजीज के परिवार के लोग थाना पहुँचे तो थाना में सूचना दी गयी कि अब्दुल अजीज को पुलिस मेडि़कल कालेज में उपचार के लिए ले गयी है। मेडि़कल कालेज, (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) में अब्दुल अजीज के परिवार वालों को पहुँचने पर अब्दुल अजीज के मृत्यु की सूचना मिली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अब्दुल अजीज की मृत्यु का समय 8 मई 2011, रात्रि 11:30 लगभग बताया गया है। मृत्यु का कारण गला दबाना एवं दम घुटना बताया गया है। गिरफ्तारी के एक घण्टे के अन्दर ही पीडि़त की मृत्यु से पुलिस की प्रताडना की बर्बरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
अब्दुल अजीज के पुत्र जमशेद के सूचना पर सिविल लाइन थाने में 9 मई 2011 को प्रातः 1:30 बजे नामजद एफ.आई.आर. दर्ज किया गया। एफ.आई.आर. में उपनिरिक्षक जलील अहमद, वरिष्ट उपनिरिक्षक ए. के त्यागी, राशिद पुत्र नववी, रामकुमार, शोवरन सिंह, जाहिद, समर्थ मित्तल एवं अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ के खिलाफ कराया गया है। आरोपियों पर आई.पी.सी. की धारा 302, 452, 323, 506, 120 बी अन्तर्गत आरोप तय किये गये।उत
घटना से सम्बन्धित तथ्यों का मूल्यांकन 'मानवाधिकार जननिगरानी समिति' के सदस्य रागिव अली एवं अलीगढ़ जिला समन्वयक नसीम द्वारा किया गया। तथ्यों के मूल्यांकन के बाद पी.वी.सी.एच.आर. के वाराणसी कार्यालय से 'राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग-नई दिल्ली एवं डी.जी.पी. उत्तर प्रदेश पुलिस को 12 मई 2011 को सायं 7:00 बजे 'हिरासत में हुई मौत' के सम्बन्ध में फैक्स द्वारा पत्र भेजा गया। 12 मई 2011 को रात्रि 10:48 पर पी.वी.सी.एच.आर. द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष 'बजाहत हबिबुल्लाह को हिरासत' में हुई मौत से सम्बन्धित पत्र ईमेल के माध्यम से भेजा गया। 13 मई 2011 को 'राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग-नई दिल्ली, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग-नई दिल्ली एवं डी.जी.पी. उत्तर प्रदेश को रजिस्ट्रर्ड डाक द्वारा सूचना दी गयी।
16 मई 2011 को वेब मीडि़या ने पी.वी.सी.एच.आर. की सूचना की आम आदमी तक पहुँचाया।[i] http://twocircles.net/2011may16/custodial_death_amu_employee_magisterial_probe_demanded.html 17 मई 2011 को घटना का पूर्ण विवरण पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ पुनः माननीय मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट, मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद हाई कोर्ट एवं प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश शासन को भेजा गया। पत्र के माध्यम से घटना की मजिस्ट्रेट जाँच एवं मृतक अब्दुल अजीज के परिवार को सी.आर.पी.सी. के सेक्शन 176(1)। के अन्तर्गत रुपया पाँच लाख की क्षतिपूर्ति देने की माँग की गयी।16 मई 2011 3:54 पी.एम. पर यु.पी.पी.सी.सी. ने पी.वी.सी.एच.आर. के पत्र को कार्यवाही के लिये डी.आई.जी.पुलिस शिकायत प्रकोष्ट को भेजा।[ii] 17 मई 2011 को पी.वी.सी.एच.आर. द्वारा '12 मई 2011' को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भेजे गये पत्र का जबाव आया। जिसमें अध्यक्ष अल्पसंख्यक आयोग ने मामले को संज्ञान में लेने की सूचना दी।[iii]
डी.आई.जी.पुलिस कमप्लैन सेल ने मामले को संज्ञान मे लेकर 24 मई 2011 को 10:48 ए.एम. पर एस.एस.पी- अलीगढ़,सर्विलेंस सेल पुलिस- अलीगढ़, आदि को 7 दिन के भीतर जांच कर की गयी कार्यवाही की रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय भेजने का निर्देश दिया[iv]
मामले की जांच अलीगढ के पुलिस अधीक्षक (नगर) के द्दारा की जा रही है। पुलिस अधीक्षक, श्री सुनिल कुमार सिंह के द्दारा इस सम्बन्ध मे पी.वी.सी.एच.आर को शिकायत मे उल्लेख तथ्यो के साथ, पुलिस अधीक्षक के कार्यालय मे अभिकथन दर्ज कराने हेतु 18 जुन 2011 को पत्र के माध्यम से सुचित किया गया।[v] [vi]18 जुन 2011 को पुलिस अधीक्षक (नगर) द्दारा पत्र के माध्यम से मांगे तथ्यो को भेजा गया।डा0 लेनिन द्दारा अपने अभिकथन अंकित कराने हेतु प्रतिनिधि के रुप मे रागिब अली (सदस्य-गवर्निग बाडी,पी.वी.सी.एच.आर) एवम मुखातिब अली को अधिकृत किया गया।इसकी सुचना पुलिस अधीक्षक,अलीगढ (नगर),रागिब अली एवम मुखातिब अली को 18 जुन 2011 को भेज दी गयी।
21 जुन 2011 को मानवाधिकार जननिगरानी समिति के गवर्निग बोर्ड के सदस्य रागिव अली ने मुखातिब अली के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय मे अभिकथन दर्ज कराने के लिये मुलाकात की जिसमे 23 जुन 2011 की तारीख तय की गयी।23 जुन 2011 को रागिव अली तथा मुखातिब अली ने अपना अभिकथन पुलिस अधीक्षक कार्यालय मे पुलिस अधीक्षक के सामने दर्ज कराया।शिकायत पत्र मे भेजे गये सभी तथ्यो को प्रस्तुत किया गया जिससे पुलिस अधीक्षक ने अपनी सहमति जतायी तथा सभी आरोपियो पर शीघ्र कार्यवाही का आश्वासन दिया । 26 जुन 2011 को लखनउ मे आयोजित कंवेंशन मे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अनिल कुमार पराशर, ज्वाइंट रजिस्ट्रार व. फोकल प्लाइंट ह्युमन राइटस् डिफेंडर को मृतक के पुत्र जमशेद ने अपनी शिकायत कही एवम सम्बन्धित दस्तावेज दिये । 28 जुन 2011 को पुलिस शिकायत प्रकोष्ठ से मामले को अलीगढ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियो के यहा जांच हेतु भेजा गया [vii] 2 जुलाई 2011 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र बीर सिंह द्वारा 13 मई 2011 को डी.जी.पी शिकायत प्रकोष्ट को भेजे गये पत्र के सन्दर्भ मे पुलिस द्वारा की जा रही कार्यवाही की सुचना दी गयी। [viii]
Letter to Chaiperson of NHRC for establishment of South Asian Human Rights mechanism
Success of PVCHR intervention for Mushar Ghetto in Jaunpur
http://www.pvchr.net/2011/05/from-eye-of-mrken-opprann.html
PVCHR intevention and success in Sakara village of jaunpur
We fought against bonded labour problem in this village.
http://www.nl-aid.org/domain/human-rights/india-eyewash-tactics-of-administration-in-matter-of-bonded-labour-in-jaunpur-district-of-uttar-pradesh/
NHRC issued notice to DM of Jaunpur in Bonded Labour
डायन प्रथा :- अन्धविश्वास के नाम पर चार की बलि - झारखण्ड
From: Detention Watch <pvchr.adv@gmail.com>
Date: 2011/7/29
Subject: डायन प्रथा :- अन्धविश्वास के नाम पर चार की बलि - झारखण्ड
To: Anil Kumar Parashar <jrlawnhrc@hub.nic.in>, akpnhrc@yahoo.com
मोबा.न0:+91-9935599333
Wednesday, July 27, 2011
Regional Human Rights Mechanism in SAARC: Possibilities and Challenges
This was a historical convention which resulted in creation of the "South Asian People's declaration"[x], which we aim to submit to the SAARC (South Asian Association for Regional Cooperation) Summit involving Heads of States of the seven South Asian countries that make up the SAARC, being held in February, 2005.Ongoing process of Peoples' SAARC make available a platform for peoples' struggle for SAARC human rights mechanism.
अब सीबीसीआइडी करेगी जांच!
पिछले साल 15 अगस्त को लहना गांव में वीओपी के नेता हरीलाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इससे आक्रोशित लोगों ने वर्ग विशेष के कई लोगों के घर आग के हवाले कर दिया। मामले में दर्जनों लोगों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कराए गए। पुलिस ने बाद में वीओपी नेता परवेज रिजवी के विरुद्ध दूसरा मुकदमा भी दर्ज कराया और मामले में आरोप पत्र दाखिल किया। मदुरय के हेनती तेपंग नेशनल कोआर्डिनेटर और बनारस के डा. लेनिन ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की। आयोग ने डिप्टी एसपी वीडी सचिन के नेतृत्व में एसएचओ भाग सिंह, राजेश कुमार को भेजा। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि जब प्राथमिकी दर्ज की गई थी तो दूसरी प्राथमिकी संदेहास्पद है। इसके पीछे जांचकर्ताओं का कहना है कि हरीलाल मनरेगा को लेकर हक की लड़ाई लड़ रहा था। अगर प्रशासन ने ध्यान दिया होता तो ऐसी घटना न होती। रिपोर्ट के मुताबिक तत्कालीन थानाध्यक्ष दिनेश पांडेय ने जांच कर्ताओं के सामने माना है कि परवेज रिजवी ने उत्तेजित भीड़ को शांत करने की कोशिश की लेकिन भीड़ ने उनकी बात नहीं मानी। परवेज ने अपने मोबाइल के काल डिटेल को देते हुए बताया है कि एसओ ने उनके फोन पर काल कर बुलाया था। रिपोर्ट के पैरा 8-3 में कहा है कि प्रशासन ने घटना के समय वीडीओ सीडी बनवाई थी। जांच के समय कुछ फोटोग्राफ दिए गए जो शक पैदा करता है। टीम की रिपोर्ट मानवाधिकार के जस्टिस पीके शर्मा को मिली तो उन्होंने मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक को दो महीने के अंदर सीबीसीआइडी जांच के लिए पत्र लिखा है।
-
https://www.scribd.com/document/733437019/PVCHR-works-in-IRCT-annual-report PVCHR works in IRCT annual report by pvchr.india9214 on S...
-
In the annals of cultural confluence and societal upliftment, the third convention of the Sahastrabuddhe (Chitpawan Brahmin) Kool Sammelan, ...
-
In a small courtroom in Varanasi, the heavy air was filled with anticipation. Paru Sonar, a name once synonymous with despair, was now on ...