Wednesday, July 27, 2011

अब सीबीसीआइडी करेगी जांच!

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_8069876.html

कौशाम्बी : बहुचर्चित लहना कांड मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जांच सीबीसीआइडी से कराने के लिए कहा है। आयोग ने मुख्य अभियुक्त बताए जा रहे परवेज के मामले में भी संदेह जताया है।
पिछले साल 15 अगस्त को लहना गांव में वीओपी के नेता हरीलाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इससे आक्रोशित लोगों ने वर्ग विशेष के कई लोगों के घर आग के हवाले कर दिया। मामले में दर्जनों लोगों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कराए गए। पुलिस ने बाद में वीओपी नेता परवेज रिजवी के विरुद्ध दूसरा मुकदमा भी दर्ज कराया और मामले में आरोप पत्र दाखिल किया। मदुरय के हेनती तेपंग नेशनल कोआर्डिनेटर और बनारस के डा. लेनिन ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की। आयोग ने डिप्टी एसपी वीडी सचिन के नेतृत्व में एसएचओ भाग सिंह, राजेश कुमार को भेजा। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि जब प्राथमिकी दर्ज की गई थी तो दूसरी प्राथमिकी संदेहास्पद है। इसके पीछे जांचकर्ताओं का कहना है कि हरीलाल मनरेगा को लेकर हक की लड़ाई लड़ रहा था। अगर प्रशासन ने ध्यान दिया होता तो ऐसी घटना न होती। रिपोर्ट के मुताबिक तत्कालीन थानाध्यक्ष दिनेश पांडेय ने जांच कर्ताओं के सामने माना है कि परवेज रिजवी ने उत्तेजित भीड़ को शांत करने की कोशिश की लेकिन भीड़ ने उनकी बात नहीं मानी। परवेज ने अपने मोबाइल के काल डिटेल को देते हुए बताया है कि एसओ ने उनके फोन पर काल कर बुलाया था। रिपोर्ट के पैरा 8-3 में कहा है कि प्रशासन ने घटना के समय वीडीओ सीडी बनवाई थी। जांच के समय कुछ फोटोग्राफ दिए गए जो शक पैदा करता है। टीम की रिपोर्ट मानवाधिकार के जस्टिस पीके शर्मा को मिली तो उन्होंने मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक को दो महीने के अंदर सीबीसीआइडी जांच के लिए पत्र लिखा है।

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