From: PVCHR MINORITY <minority.pvchr@gmail.com>
Date: 2012/4/15
Subject: नाबालिक लड़की के साथ जबरदस्ती यौन उत्पीडन और केस को दबाने में प्रसाशन का आरोपी का साथ देने के सम्बन्ध में
To: jrlawnhrc@hub.nic.in, akpnhrc@yahoo.com
सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
नई दिल्ली'
पीडिता का नाम - सुरु पुत्री सलूका, निवासिनी ग्राम - गुलकेडा गुड़ा साईं, पोस्ट - चिडूवेडा, थाना - चक्रधरपुर, जिला - पश्चिम सिंह भूम, राज्य- झारखण्ड.
संभावित आरोपी का नाम -
बैजू यादव भत्ता मालिक, निवासी ग्राम - पचवर (रेलवे लाइन के किनारे) थाना - केराकत, जौनपुर
महोदय,
विदित हो की उपरोक्त पीडिता को जनवरी २०१२ से उपरोक्त आरोपित दबंग भत्ता मालिक द्वारा अपने यहाँ जबरिया मजदूरी कराया जा रहा था. उक्त भत्ता मालिक काफी मनबढ़ व क्षेत्र में काफी प्रभाववाला व दबंग व्यक्ति है. जहाँ पीडिता का उक्त आरोपित द्वारा जबरिया यौन शोषण किया जा रहा था तथा पीडिता को उक्त आरोपित लगातार गर्भ धारण न करने वाली गर्भ निरोधक दवाये जबरिया खिला रहा था. इस पीडिता को बाल कल्याण समिति, वाराणसी के आदेशानुसार मुख्य चिकित्साधिकारी को मेडिकल जाँच करने हेतु भेजा गया था. परन्तु पीडिता के मेडिकल रिपोर्ट में हाईजीन रिपोर्ट पाजिटिव दर्शायी गयी है और सेक्सुअल सम्बन्ध की बात भी पुरे मेडिकल रिपोर्ट में कही भी नहीं दर्शायी गयी है. जिससे पीडिता के मेडिकल रिपोर्ट पर संदेह उत्तपन होता है की पीडिता का मेडिकल रिपोर्ट वास्तविकता से परे बनाई गयी है. इसके साथ ही जब पीडिता को मानवाधिकार कार्यकर्ती छाया कुमारी उक्त पीडिता का मेडिकल कराने ले गयी थी तो डॉ अनुपमा जिन्होंने मेडिकल जांच रिपोर्ट बनाई है. उनकी अभी नयी नियुक्ति हुयी है और बात चित के दौरान डाक्टर ने बताया की बलात्कार के १०-१५ दिन के बाद रिपोर्ट में कुछ भी नहीं आता है. इस मामले में यह कहना है की मेडिकल रिपोर्ट में शारीरिक सम्बन्ध की बाते स्पष्ट हो ही जाती है यदि किसी महिला के साथ लगातार दो-तीन महीने से यौनिक क्रिया हो रही हो तो हाईजीन रिपोर्ट पाजिटिव कैसे आ सकती है? उक्त तथ्यों को देखते हुए यह अनुरोध है की इस मामले में मेडिकल बोर्ड का गठन कर पीडिता का पुनः मेडिकल कराया जाय और यदि पीडिता की मेडिकल रिपोर्ट सही नहीं है तो सम्बंधित डाक्टर द्वारा अनुसूचित जाति की महिला के साथ भेद भाव पूर्ण व्यव्हार करने वाले डाक्टर के विरुद्ध एस सी/एस टी एक्ट के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया जाय. पीडिता इस वक्त अपने पिता की सुपुर्दगी में अपने स्थायी निवास राज्य- झारखण्ड में है.
· चूँकि पीडिता की उम्र १६ वर्ष है इसलिए आरोपित के विरुद्ध ३७६ IPC व SC/ST एक्ट के तहत मुक़दमा पंजीकृत किया जाय
· पीडिता को जबरदस्ती भट्टे पर मजदूरी कराने वाले आरोपित भत्ता मालिक के विर्य्द्ध बंधुआ मजदूरी मुक्ति अधिनियम १९७६ के अंतर्गत भी मुक़दमा पंजीकृत किया जाय व मुक्ति प्रमाण पत्र प्रदान कर पुनर्वास किया जाय.
· पीडिता को सक/सत अधिनियम के तहत मुआवजा भी दिलाया जाय.
· पीडिता के बाल कल्याण समिति वाराणसी के समक्ष दिए गए बयां को साक्ष्य मानते हुए उपरोक्त आरोपित के ऊपर अविलम्ब कार्यवाही की जाय.
· पीडिता का स्थानीय न्यायलय के सक्षम प्राधिकारी के समक्ष १६४ Crpc के तहत कलमबद्ध बयां दर्ज कराया जाय
भवदीय
डॉ लेनिन
(महासचिव)
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