Friday, June 01, 2018

हिंसा की लपटों मे कई दिनों तक झुलसते रहे कासगंज


राज्य सरकार तथा पुलिस प्रशासन द्वारा गरीब अल्पसंख्यक व गरीब हिन्दुओ के जाति के ऊपर उठी हिंसा की लपटों मे कई दिनों तक झुलसते रहे कासगंज |
प्रिय साथियों, 
18 मार्च,2018 को मानवाधिकार जननिगरानी समिति (#PVCHR) व संग्राम समिति, झारखण्ड  व जीवन ज्योति समिति, अम्बेडकरनगर के सयुंक्त तत्वाधान मे एक कमेटी कासगंज दंगा पीडितो को मनो सामाजिक संबल प्रदान करने पहुची| बात -चीत में स्थानीय लोगो से पता चला कि घटना के बाद कुछ परिवार डर वश दुसरे स्थान पर पलायन कर चुके है कुछ लोग बिना कुछ लिये ही अपनी जान बचाकर भाग गये है लेकिन सबसे ज्यादा दुःख इस बात का है की अनेको महिलाओं डर वश दूसरी जगह गुजर बसर कर रही है| ज्यादा की संख्या मे लोग अपनी जान की परवाह किये बिना ही न्याय के लिये संघर्ष कर रहे है |
घटना के कई दिन बाद भी दंगाई दुकान जताले रहे और मानवाधिकार कार्यकर्ता राहुल और उनके भाई निशांत अपनी गली में दंगइयो को दुकान में आग लगाने से रोक रहे थे| उसी रात पुलिस में राहुल यादव, उसके भाई अतुल यादव, निशांत यादव और पिता राजू यादव को उठा ले गयी| इस मामले में मानवाधिकार जन निगरानी समिति में माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, मानवाधिकार आयोग और पुलिस महानिदेशक सहित सम्बंधित अधिकारी को शिकायत की| http://pvchr.blogspot.com/2018/01/urgent-intervention-against-communal.html

घटना विवरण:
गणतंत्र दिवस यानी जिस दिन दंगा भड़का, उससे कथित रूप से पांच दिन पहले जो पहला ट्वीट किया गया उसमें @myogiadityanath और @Uppolice को टैग करते हुए लिखा गया, ”कृपया इस मामले को देखें। यह मामला हिंदु-मुस्लिम की भीषण शक्‍ल ले सकता है।दूसरा ट्वीट उसने फेसबुक कमेंटों के लिंक डालते हुए @Uppolice और @uppol को किया, ”कृपया सारे कमेंट देख जाएं।तीसरा ट्वीट @rajnathsingh और @Uppolice को टैग है जो कहता है, ”सर, कृपया इस मामले को देखें। यहां भारी हिंदू-मुस्लिम मामला बन सकता है।
जब 26 जनवरी को दंगा शुरू हुआ, उसके कुछ घंटे बाद दोपहर 2.22 पर उक्‍त युवक ने अपने फेसबुक पेज पर एक लंबी पोस्‍ट लिखी थी। इस फेसबुक पेज पर इसके विवरण में पॉलिटिशियनयानी नेता लिखा हुआ है और इसके 8000 से ज्‍यादा फॉलोवर हैं। पोस्‍ट कहती है:
कासगंज मे हुये हिन्दू मुसलमान दंगे की आशंका मैने पहले ही जतायी थी, मेने tweet करके माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय ग्रहमंत्री जी, यू पी पुलिस और नगर के IPS अधिकारी जी से मामले को देखने को कहा था| मेरी बात को गंभीरता से किसी ने नहीं लिया| ये दंगा सिर्फ और सिर्फ प्रशासन की लापरवाही से हुआ है|” (मीडिया विजिल के खबर के अनुसार http://www.mediavigil.com/investigation/kasganj-whistleblower-alerted-the-government-five-days-before-riots/)
दंगे ने निगल लिया मेरे लाल को: 44 वर्ष वर्षीया संगीता गुप्ता (शहीद चन्दन गुप्ता) की माँ ने बताया कि मेरा छोटा सा परिवार इतना खुशहाल रहता था कि हम लोगों को कभी भी अपनी आर्थिक स्थिति का एहसास ही नहीं होता था हम लोग किस स्थिति में जीते हैं मुझे क्या पता मेरी ही आंखों के सामने से मेरा बेटा मुझसे छीन लिया जाएगा मैंने कभी सपनों में भी नहीं सोची थी, मुझे क्या पता था कि ताकि मेरा परिवार को किसी की नजर लग जाएगी घटना दिनांक 26 जनवरी 2018 को मेरा बेटा हंसते मुस्कुराते हुए बोला कि मां आज खीर बनाकर रखना जब मैं आऊंगा तिरंगा फहराकर तब खीर खाऊंगा, और मेरा बेटा बोला पिल्ला को भी दूध दे देना,इतना कहकर मेरा बेटा सुबह 7:00 बजे बजे निकल गया, मैं उस दिन घर में पूजा पाठ मैं व्यस्त थी समय का पता ही नहीं चला, करीब 10:30 बजे के करीब कुछ मोहल्ले के लोग से खबर सुनाई दिया कि तिरंगा फहराने में हिंदू मुस्लिम दंगा हो गया है तब भी मैंने इन सब बातों पर ध्यान नहीं दिया और मैंने तुरंत अपने बेटे चंदन को फोन लगाया और बोला बेटा कहां हो घर आ जाओ तब मेरा बेटा बोला ठीक है |
     माँ तुम टेंशन मत लो मैं अभी आता हूं इतना  कह कर मेरा बेटा फोन काट दिया लेकिन मुझे अंदर ही अंदर घबराहट होने लगी थी लेकिन मैं पूजा-पाठ में व्यस्त थी कि करीब 1:00 बजे मुझे खबर आया कि आपका बेटा को गोली लग गई है और देहांत हो गया है इतना सुनते ही मैं अपने आप को रोक नहीं पाई उस समय मेरे कलेजे पर पहाड़ टूट चुका था मेरा पूरा परिवार तड़प-तड़प कर रोने चिल्लाने लगा उस समय कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं की मेरा बेटा वापस मिल जाए मैं जोर-जोर से रोने लगी और कहने लगी मेरा कन्हैया मेरा कन्हैया चिल्लाती रही लेकिन कोई मेरे लाल को लाकर नहीं दिया लोग मुझे झूठी दिलासा दे रहे थे कौन मेरे कन्हैया को लाकर दे सकता है मैं आप लोगों के आगे हाथ जोड़कर विनती कर रही हूं कि मेरे बेटे को मुझे लौटा दो कहां गया मेरा चंदन कौन ले गया कौन मेरे बेटे का दुश्मन था |                                                             
     मैंने  किसी का क्या बिगाड़ा था क्यों लोग मेरा आंचल सुना कर दिये| कैसे मेरे बेटे को मुझसे छीन लिया गया मैं अपने लल्ला से बोलती थी कि बेटा नौकरी करना तब मै अपना इलाज कराऊंगी, मेरा लल्ला बोलता था कि मां तू चिंता मत कर मैं खुद इलाज कराऊंगा, यह सब मै कैसे भूल जाऊंगी दुनिया भूल जायेगी | लेकिन मैं अपने लल्ला को नहीं भूल सकती लोग सिर्फ मुझे झूठी दिलासा दे रहे हैं लेकिन मेरे कन्हैया को लाकर क्यों नहीं दे रहे हैं अगर मुझे पता होता कि मेरे कन्हैया को लोग गोली मार देंगे तो मैं अपने कन्हैया को तिरंगा में जाने ही नहीं देती अपने कलेजे से लगा कर रखती मेरा चंदन मेरे  आंचल से छूटकरचला गया, मैं कैसे बयां करूं अपने दिल की बात आप लोगों से मेरा चंदन कल सपने में आकर मुझसे बोला मां मैं आऊंगा मैं सपने में भी अपने कन्हैया को नहीं भूल पा रही हूं लोग क्यों मुझसे झूठी सांत्वना दे रहे हैं जहां मेरा लाल गया है न तो किसी से बात करने मे बस मुझे चारो तरफ अँधेरा ही अँधेरा दिखाई दे रहा है मैंने अपने जीवन मे भी कभी नही सोचा था की मेरे परिवार मे अँधेरा हमेशा के लिये छा जायेगा आप से मेरी एक विनती है की आप मेरे लल्ला से जरुर मिलवा दीजियेगा मेरे लल्ला को लेकर जरुर आईयेगा |

जब से चन्दन की मौत हुई है सौरभ का कोई पता नहीं: 48 वर्षीया सुधा पाल  बताती है, दिनांक 29 जनवरी 2018 कि उस दिन हमारे घर के दरवाजे पर पुलिस आई और मेरे बेटे सौरभ को खोज रही थी वह बस यही पूछ रहे थे तुम्हारा बेटा सौरभ कहां है मैंने उनसे बोला कि मेरा बेटा 27 को ही अपने ताई के घर शादी का कार्ड देने गया है लेकिन वह मेरी बात पर विश्वास नहीं कर रहे थे और मेरे घर में घुसकर सारा सामान तोड़फोड़ इधर-उधर कर रहे थे, और मेरा बक्सा भी तोड़ दिये इतनी गंदी गंदी गाली दे रहे थे बोले की अपनी बेटा को बुलाओ वरना तुम्हारे पति को पकड़ कर के जेल में बंद कर देंगे हम बहुत डर गये थे की आखिर मेरे सौरभ ने ऐसा क्या कर दिया जो उसे पकड़ने के लिये पुलिस घर तक आ गयी क्योकि हमारे परिवार में कोई कभी जेल नही गया था  मैउन पुलिस वालों के सामने बहुत रोई गिड़गिड़ाए साहब मेरे बेटे ने क्या किया है यह तो बता दीजिए लेकिन वह हमें बहुत परेशान कर रहे थे मेरे बेटे सौरभ को खोजने के लिए वह बाथरुम में चले गए उस समय मेरी देवरानी की बेटी बाथरूम में थी वह डर के वजह से वहां से निकल कर भाग आई और वह जबरदस्ती बाथरूम का दरवाजा खोलने का प्रयास कर रहे थे !
वह हर जगह बस सौरभ को ढूंढ रहे थे जब  मेरा बेटा नहीं मिला तो वह यह  धमकी दे रहे थे की अपने बेटे सौरभ को को बुलाओ वरना तुम्हारे पति को उठाकर ले जाऊंगा और जब मेरा बेटा नहीं मिला तो वह मेरे पति और देवर व देवरानी के पुत्र को पकड़ के ले गये  उस समय दोपहर के  3:00 बज रहा था जब हम अपने पति और पुत्र के जमानत करवाने गये तो वह मेरे देवरानी के बेटे और जेठानी के पुत्र को शाम तक छोड़ दिया मेरे पति को 5 दिन तक जेल मे रखें  लेकिन मेरे पति को नहीं छोड़ा और वह बोल रहे थे कि पहले अपने बेटे सौरभ को बुलाओ तब मैं तुम्हारे पति को जेल से बाहर निकाल लूंगा मैंने उनके सामने बहुत रोई गिड़गिड़ाए साहब मेरे बेटे के बारे में मुझे कुछ नही  पता है लेकिन वह बस यही बोल रहे थे  कि तुम्हारे बेटे ने चंदन गुप्ता की हत्या के केस का जो लिस्ट है उसमे उसका भी नाम है मैंने उनसे बोला मेरा बेटा तो शादी का कार्ड देने गया है और वह अभी तक घर नहीं आया और उसका मोबाइल भी बंद है मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर मेरा बेटा कहां मैं खुद दिन रात उसके चिंता में बीमार रहती हूं और उसके आने की राह देख रही हूं आप मेरे पति को छोड़ दीजिए हम बहुत परेशान हैं मेरा बेटा कहां है यह तो हमें खुद भी  नहीं जानते !
इन सब बातों को सुनकर वह मेरे पति को 5 दिन बाद जेल से छोड़ दिए और तब से लगातार हमारे घर पुलिस आती और मेरे बेटे के बारे में पूछताछ करती रही है लेकिन ना जाने अभी तक मेरा बेटा कहां है मेरा बेटा तो समाज सेवा के लिए संकल्प फाउंडेशन के नाम से गरीबों लोगो के लिये  रक्तदान करने के लिये एक दुकान खोला था वह दो साल हो गये उसे यह काम करते हुये , भगवान ना जाने क्यों अच्छा काम करने वाले लोगों के साथ ही  ऐसा करते हैं मैं रात-दिन उसके इंतजार में रहती हूं मेरे घर के छोटे बच्चे भी पूछते हैं कि सौरभ चाचा कब आएंगे उनकी आवाज सुन कर मेरा कलेजा फट जाता है कि आखिर मैं उनको क्या जवाब दूं मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है कि मेरे बेटे को न जाने किसकी नजर लग गई है कि वह कहां गुमशुदा हो गया है मैं रात में जब सोने जाती हूं तो मुझे नींद भी नहीं आती है और ना मुझे भूख लगती है न प्यास बस मुझे अपने बेटे का चेहरा सामने दिखाई देता है कि अब मैं अपने बेटे को कभी देख सकूंगी या नहीं आखिर वह कब आएगा मैं उसके आने की राह देख रही हूं मैं भगवान से यही दुआ करती हूं कि हे भगवान मेरा बेटा जहां भी हो अच्छा हो और वह जितना जल्दी हो अपने घर और अपने मां के पास आ जाए मुझे अपने बेटे का सहारा मिल जाये ऐसा किसी भी दुश्मन के साथ भी कभी जिंदगी में ना हो जो कि मेरे साथ आज हो रहा है
अब्बा को पुलिस ले गई जेल, खौफ खाई अम्मा की होई गई इन्तेकाल: राहत हुसैन उम्र 27 वर्ष पिता मोहम्मद नसीरुद्दीन हुशेन है मोहल्ला बड्डू नगर गली नंबर 3 क़स्बा कासगंज राज्य उत्तर प्रदेश हा मूल निवासी हु|
मेरे परिवार में मेरे अब्बा अम्मा के साथ चार भाई और तीन बहो का भरा पूरा परिवार था अब्बा चावल की दूकान में चावल बेच कर घर का खर्च चलाते थे इस तरह मेरा परिवार पूरा खुशहाल था|  
मेरी घटना यह है मेरे अब्बा दूकान में थे उन्हें दुनिया दारी से कोई मतलब नहीं था बस एक काम नमाज अदा करने मस्जिद जाया करते थे और अपना घर गृहस्ती सम्हलते थे 26 जनवरी का दिन था उस दिन कासगंज में लडको के दो गुट में झगडा हुआ और धीरे धीरे हिन्दू मुस्लमान के झगडे में बदल गया परन्तु सच्चाई तो यह था की कास गंज के इतिहास में आज तक कभी हिन्दू मुस्लमान में कोई झगडे नहीं हुए है! उस दिन मेरी दूकान बंद रही और दुसरे दिन मेरे अब्बा रोज की तरह दूकान खोले और अपना काम कर के घर आये हमलोगों को इस घटना से कोई मतलब नहीं था पर अचानक 31 जनवरी की रात भरी संख्या में पुलिस हमारे घर आई मनो हम कोई बड़ा गुंडा रहे हो और दरवाजे पीटने लगी पुलिस के दरवाजे पीटने से मेरी अम्मी बहुत दर गई वह इतना दर गई की उसके मुह से आवाज नहीं निकलने लगा किसी तरह हमलोगों ने उन्हें चुप कराया और चुप रहने की बात कही उस रात पुलिस ने मेरे अब्बा और मेरे भाई को पुलिस यह कह कर ले गई की पुछ ताछ कर के छोड़ देंगे! उस दिनन से मेरे घर में सभी लोगो के चैन सुकून सब छीन गए थे हम भी पागल हो गए थे किसको चुप कराये और किसको हिम्मत दे समझ में नहीं आ रहा था सब मरीज हो गए थे और और कोई समझाने वाला नहीं था! अम्मा की हालत दिनों दिन खराब होते जा रहा था और वह मनहूस दिन भी आ गया जब 8 फरवरी की रात के 8 बज रहे थे अम्मा की तबियत बहुत ही गंभीर थी बस कुछ ही पाल में अम्मा इंतकाल कर गई! बा तो मानो मेरा पूरा घर बर्बाद हो गया था अब कुछ भी नहीं बचा था मेरेदिमाग में इतना गुस्सा आ रहा था उन लोगो पर जिसने दो आदमी के आपसी झगडे ने पुरे कासगंज के इतने बुरे दिन ला दिए थे हर लोग रो रहे थे हिन्दू भी और मुसलमान भी हम क्या करे हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था की हम क्या करे मोहल्ला की लोगो ने और सब ने मिल कर अम्मा को दफ़न किया पर अब इससे भी ज्यादा बड़ी पहाड़ टूटने वाली थी जब यह बात मेरे अब्बा को पता चलती और मेरे अब्बा को भी पता चल गया उनक तो पहले ही हालत ख़राब था और जब उन्होंने यह सुना तो सन्न रह गए क्या कर सकते थे आखरी सहारा तो अल्लाह ही था जो हमारी सुनता! किस पुलिस को बताते की हमारी अम्मा कैसे इन्तेकाल कर गई! इस झगडे ने तो हमें अनाथ बना कर रख दिया हम किसे क्या कहे समझ नहीं आता! जब से अब्बा जेल गए है चावल का दूकान तब से बंद पड़ा है हिम्मत ही नहीं काम करता की जा कर दूकान खोले अब जब महल्ले में घूमते है तो सब बुरे नजर से देखता है और कहता है देखो इसके अब्बा और भाई जील गए है जील जाना भी अब गुनाह हो गया है मेरे अब्बा ने क्या गुनाह किया था की उन्हें जेल भेज दिया गया! मेरे इस सवाल का जबाब अब तक किसी ने हमें नहीं दिया है हम कहते है किसी तरह मेरे अब्बा अब जेल से छुट जाए और घर के हालत को सम्हले ताकि पूरा घर पटरी पर आ सके जब से यह घटना हुई हमलोग बस जिन्दा रहने के लिए खा रहे है अब तक खाना नहीं खाया है मेरे घर में किसी ने! मनो रोजे आ गए है हमारे
आप सब आये है और हमारी बात सुन रहे है तो हमें लग रहा है की कोई हमें मदद करने के लिए आया है कुछ हिम्मत मिला है हमें पर किसी तरह छुट जाए

जेल भेजने के धमकियों से आवाज उठाने वाले लोगो को दबाने का प्रयास -प्रशासन और सरकार के इशारे पर सरकार ने अपनी हदे पार कर दी कितने बेगुनाहों को फर्जी जेल मे फसाया गया फर्जी धारा लगाकर उनको जेल के सलाखों के पीछे छोड़ दिया गया इसी क्रम मे -घटना 29 जनवरी का माहौल तिरंगा को लेकर चल रहा था पीडिता शबनम के पति मौहसीन मलिक महल्ला नवाब गली बगिया सत्तार नमाज पढने के लिये गये हुये थे की पुलिस वाले बड़ी होशियारी दिखाते हुये पीड़ित से आधार कार्ड मगवा कर 312,बोर की बंदूक व 8 कारतूस की बरामदगी दिखाकर जेल के सलाखों के पीछे छोड़ दिया गया इसी क्रम मे कई पीडितो को फर्जी मुकदमे मे पुलिस वाले फसाकर जेल मे भेज दिये है |
आजीविका के साधन ने लोगो की कमर तोड़ दी  गोलीकांड से प्रभावित लोगो का सरकार और प्रशासन लोगो को भुखमरी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया लोग भुखे मरने लगे बच्चे भुख से तडपते रहते है लोग कई दिनों का बासी खाना तक नही छोड़े सच ही कहाँ गया है भुखा पेट क्या नही करता लोगो के पास इतना पैसा नही है कि अपने बच्चे का पेट पाल सकेजो लोग घायल हुए है वो अपना इलाज तक नही करा पा रहे है बच्चे भी शिक्षा से वंचित हो रहे है |जिसके घर के पीड़ित जेल गये है पैसे के कारण पैरवी करने मे असमर्थ है| पीडितो का मानवाधिकार जन निगरानी समिति (PVCHR) ने दिल्ली में लोक विद्यालय आयोजित किया गया|
रपट:

कृपया निम्नवत पते पर निम्नवत माँगो पर पत्र प्रेषित करे 
1-    कासगंज में सांप्रदायिक दंगों और हत्या पर न्यायिक व निष्पक्ष जाँच करने का आदेश किया जाय|
2-    चन्दन गुप्ता के परिवार को सरकारी नौकरी और मुआवजा दिया जाय|
3. दंगा पीडितो के पुनर्वासन के लिए मुआवजा दिया|

4-    दोषी पुलिस के खिलाफ कार्यवाही की जाय
5. लोगो पर लगे फर्जी मुक़दमे हटाया जाय|
पता:
श्रीमान् अध्यक्ष
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग,
मानव अधिकार भवन,
ब्लाक-सी.जी.पी.ओ. काम्पलेक्स, आई.एन.ए.
नई दिल्ली -110023

मुख्यमंत्री
उत्तरप्रदेश सरकार
लाल बहादुर शास्त्री भवन
लखनऊ -226001

पुलिस महानिदेशक
1 – बी० एन० लाहिरी मार्ग, तिलक मार्ग
लखनऊ -226001

PVCHR urgent appeal desk (pvchr.india@gmail.com)

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