Saturday, December 12, 2020

मुझे बीस साल से फसाने की कोशिश की जा रही है|

 

महोदय,

पीड़ित रामजनम कुशवाहा पुत्र स्व० रामनारायण कुशवाहा ग्राम -तेंदुडाही, थाना व पोस्ट मांची, जिला-सोनभद्र के निवासी है| पीड़ित रामजनम मूल रूप से झारखंड के निवासी है| पीड़ित ने मेरे कार्यालय में आकर मदद की अपील की| (संलग्नक संख्या 1)

पीड़ित रामजनम ने अपने व्यथा में बताया की लगभग तीस वर्ष पहले मै अपने पिताजी के साथ इस गाव में आया| मेरे बाबा ने पहले से यहा जमीन खरीद कर रखा था| मै पिताजी के साथ मिलकर यहा खेती बारी करने लगा| धीरे- धीरे वहा के लोगो से पहचान बढ़ी मैंने देखा की यहा पर आदिवासियों की स्थिति बहुत खराब है| वह वहा के दबंगो से प्रताड़ित है| उनकी महिलाओ के साथ गलत हो रहा है उनकी जमीने छिनी जा रही है| उनका यह हाल देखकर मुझे बहुत तकलीफ होती थी| मै उनके बीच जाकर उन्हें अच्छे बुरे की पहचान कराता खुद उनके साथ जाकर उनकी मदद करता था | मुझे इससे सुकून मिलता था| मुझे इस बात की खुशी होती की मैंने उसका हक दिलाया| मै इसी सब में खुश था|

7 नवम्बर 2020 को शाम के लगभग साढ़े चार बजे अपने खेतो में काम कर रहा था| तभी मेरे दरवाजे पुलिस की जीप रुकी| मैं पुलिस की जीप देखकर आ ही रहा था| तभी पुलिस ने मेरा नाम पुकारा| मै आया तो पुलिस ने मुझे पेपर पकड़ाते हुए कहा यह नोटिस है इसे तामिल कीजिये| मैने पूछा किस बात की नोटिस पुलिस ने कहा आपका जिला बदर हो गया है| पुलिस ने कहा आप कहा जायेंगे| मैंने कहा देखते है| इस पर पुलिस ने कहा जहा आप जायेंगे| इसकी सुचना हमे दे दीजियेगा| पुलिस तो चली गयी लेकिन मेरे पीछे सवाल छोड़ गयी| मैंने किसी का क्या बिगाड़ा था| रात भर मै रोता रहा| अपने ही सवालों का जवाब मै ढूंढता रहा| मै तो चला जाऊंगा पत्नी किसके सहारे रहेगी| एक-एक कर सारी बाते दिमाग में आने लगी|

मुझे बीस साल से फसाने की कोशिश की जा रही है|

पुलिस हिरासत में तीन दिन

विदित हो कि पीड़ित ने आगे बताया कि 31 दिसम्बर 2000 की तारीख थी| मै गृहस्थी का सामान लेने खलियारी बाजार गया था| जल्दी वापस आना था इस वजह से मै घर से कुर्ता पैजामा में ही साईकिल से चला गया| मै सामान लेकर खलिहारी बाजार से वापस आ रहा था|उस वक्त शाम के पांच बज रहे थे मै खलियारी बाजार से लगभग दो किलोमीटर दूर पहाड़ी की चढ़ाई चढ़ ही रहा था| तभी पीछे से पुलिस की जीप आकर खड़ी हो गयी|यह देखकर मेरा दिल धक से हो गया| मै कुछ पूछ संकू तभी पन्नू गंज थाना के चार पुलिस वाले जो वर्दी में थे| वह लोग मुझे पकड़कर ढकेलकर गाड़ी में बैठाकर गाड़ी का पर्दा गिरा दिए| मेरा सारा सामान कपड़ा जूता खाने का सामान, साईकिल सब छीन लिए| मेरा आँख मुह कोट से ढककर मुझे गाड़ी में बिठाकर ले जाने लगे|

पुलिस मुझे क्यों ले जा रही है| उस वक्त यह बाते लगातार मेरे दिमाग में चल रही थी| मै कुछ कह संकू पुलिस ने मेरा मुँह बांध रखा था| उस वक्त मेरा दम घुट रहा था| सास लेने में परेशानी हो रही थी| थोड़ी देर बाद जीप रुकी| मैंने देखने की कोशिश की तो मांची थाने की पुलिस भी आ गयी| दोनों दरोगा आपस में बात किये| उसके बाद मुझे लेकर चल दिए| लगभग आधे घंटे के बाद गाड़ी रुकी| मुझे तेज पेशाब लगा था| मैंने कई बार कहा दरोगा जी से कहा| पेशाब बर्दाश्त नही हो रहा था| मेरा पेडू दर्द करने लगा| बहुत देर बाद दरोगा जी ने  पेशाब कराया| कुछ देर बाद पुलिस ने मुझे गाड़ी से उतारा| मेरे चेहरे से कोट हटाया गया| वह घना जंगल था| मैंने दरोगा का नेम प्लेट देखा उस पर पी०सी० पाण्डेय लिखा हुआ था| वह मुझसे रायफल और बंदूक के बारे में पूछ रहे थे | मैंने कहा मेरे पास कोई रायफल और बंदूक नही है| इस पर वह कई अंजान नाम लेकर बोले इन्हें तुम जानते हो| मैंने कहा साहब मै किसी को नही जानता| तभी उसी दौरान पुलिस के फोन की घंटी बजी| पुलिस ने फोन उठाया| बात करने के बाद पुलिस ने कहा इसके घर में कोई सुबूत नही मिल रहा है इसे गोपनीय स्थान पर ले चलो| पुलिस की यह बात सुनकर मेरी घबराहट बढ़ गयी| पुलिस मेरे घर क्यों गयी थी| घर वाले कैसे होगे| पुलिस मेरे साथ ऐसा क्यो कर रही है|

उस वक्त मुझे बहुत डर लग रहा था मन में बुरे ख्याल आ रहे थे घर वालो की फ़िक्र हो रही थी| पुलिस वहा से वापस मेरा मुँह ढककर हमे जीप में बिठाकर ले जाने लगी | कुछ देर बाद जीप रुकी जब मै उतरने लगा तो कोट उपर हो गया| मेरी निगाह पड़ी तो उस पर पन्नूगंज थाना लिखा हुआ था| वहा मुझे उतारकर  हवालात में बंद कर दिया गया| मुझे उस वक्त कुछ समझ में नही आ रहा था| पुलिस ने मुझे हिरासत में क्यों रखा है| आधा घंटा बाद मांची थाने की पुलिस आयी| मुझे हवालात से निकालकर थानेदार के कमरे में लाया गया| कमरे में दोनों थाने के दरोगा बैठे थे| बार-बार मुझसे पूछ रही थी की बंदूक कहा रखे हो|

मैंने कहा साहब मेरे पास कोई बंदूक नही है इस पर वह बोली तुम नक्सली हो बताओ नही तो हमे कबुलवाने आता है| यह कहते हुए पुलिस मेरा बाल नोचकर मेरे गा्ल पर कई झापड़ मारा मै चौंधिया गया| मै उनका हाथ पैर जोड़ता साहब मै नही जानता| इस पर पुलिस ने कहा यह ऐसे नही बतायेगा| वह लोग मुझे जमीन पर बिठा दिए| दो पुलिस मेरा दोनों पैर पकड़कर फ़ैलाते हुए पीछे की ओर ले जाने लगी| मै अपना पैर समेटने की कोशिश करता| तो दो पुलिस मेरे पैर पर चढ़कर तेज दबाते| उस वक्त लग रहा था जान निकल जाएगी| दर्द से मेरी जुबान बाहर आ रही थी| मै तडप रहा था| मै चिल्ला रहा था साहब मुझे छोड़ दीजिये मै कुछ नही जानता| पुलिस की इस बर्बरता से मै बेहोश हो गया| कुछ देर बाद मुझे होश आया| तो पुलिस ने कहा तुम्हारा बिहार का साथी अर्जुन पकड़ा गया| अभी वह तुम्हारी पहचान करेगा| तभी एक आदमी को मेरे सामने लाया गया| उसे देखते ही मै पहचान गया मैंने कहा साहब यह आपका रसोइयादार है| कल यह गाव के चौकीदार के साथ मेरे घर सब्जी खरीदने आया था|

 मैंने चौकीदार से इसके बारे में पूछा तो उसने इसके बारे में बताया| मेरी बात सुनकर पुलिस ने कहा तुम ज्यादा होशियार बनते हो| यह कहते हुए मुझे लात घुसो से बुरी तरह मारकर हवालात में बंद कर दिया| पुलिस ने एक कम्बल ओढने के लिए दिया जिसमे अजीब सी बदबू आ रही थी रात भर कड़कड़ाती ठंड में भूखा प्यासा मै दर्द से तडपता रहा| पूरी रात मै रोता रहा घर वालो की बहुत याद आ रही थी| किसी तरह रात गुजारा | सुबह हुआ मै दरवाजे के बाहर बार- बार देखता कुछ चाय पानी मिलेगा| लेकिन पूरा दिन इसी आस में मै बाहर देखता रहा| लेकिन अनाज का एक दाना नसीब नही हुआ| हवालात में भूख से पेट दर्द हो रहा था|




उसी रात एक दरोगा और पांच सिपाही मेरा मुँह ढककर जीप में बिठाकर राबर्टसगंज कोतवाली ले गये| वहा पुलिस फिर मुझसे पूछताछ करने लगी| वह बार-बार मुझसे रायफल बंदूक व नक्सलियों के बारे में कबुलवा रहे थे| मैने उससे इंकार किया तो पुलिस मार मेरा बाल नोचकर मारने लगी| मुझे बहुत दर्द हो रहा था मै चिल्ला रहा था|लेकिन उन लोगो को मुझ पर रहम नही आया|फिर से पुलिस ने मुझे जमीन पर बिठाया| मेरे दोनों पैर पीछे की ओर मोड़कर फाड़ने की कोशिश करने लगे| मेरे जांघ की नस तन जा रही थी जैसे लग रहा था मेरा पैर अलग हो जायेगा| तकलीफ इतनी थी की बर्दास्त नही हो रहा था| कुछ देर बीता करीब आठ बजे हवालात में बंद कैदी को बुलाकर मुझसे पहचनवा जा रहा था| जब वहा शिनाख्त नही हुआ| तो पुलिस मेरा मुँह बांधकर लगभग साठ किलोमीटर दूर कोन थाने ले गयी|

मै जीप में था| पन्नूगंज थाने के पी० सी० पाण्डेय जीप से उतरकर कोन थाना के आत्मा राम यादव से बात कर रहे थे| चार सिपाही मेरे साथ जीप में बैठे थे| उसी में से एक सिपाही ने कहा की तुम्हारे पैतृक गाव में तुम्हारे खिलाफ FIR नही होगा| तभी तुम्हारी जान बच पायेगी| नही तो यह लोग तुम्हारा एनकाउंटर कर देंगे| मैंने कहा मेरे खिलाफ थाने में कोई मुकदमा दर्ज नही है| सिपाही ने कहा मै जानता हूँ हम लोगो को बिहार के अधौरा बंदूक लेने के लिए भेजा गया| हमने कहा नही मिला| आप के साथ जो हो रहा है वह गलत है मुझे बहुत तकलीफ हो रही है| थोड़ी ही देर में दोनों दरोगा मेरे पास आये| आत्मा राम ने मेरा नाम पता पूछा उन्होंने पूछा खाना खाए हो| मैंने कहा नही, इस पर आत्माराम जी ने कहा इसे खाना खिलाकर यहा से ले जाइये| इस पर पाण्डेय दरोगा ने कहा खाना हम खिला देंगे| उनकी बात सुनकर मुझे बहुत तकलीफ हुई|

कई दिनों से मुझे भूखा प्यासा रखकर पुलिस मुझे तडपा रही है| जाते वक्त आत्माराम ने कहा मेरे क्षेत्र में कुछ नही होना चाहिए| मुझे वहा से वापस कोतवाली लाये|उस रात भी बिना खाना खाए पिए रात भर हवालात में रखा गया| भोर में मुझे लात घुसो से मारकर मुझे पन्नूगंज थाने लाया गया| वहा मेरा बाल नोचकर मारा गया| मुझे हिरासत में रखा गया| वहा भी मुझे खाना पानी नही दिया गया| 3 जनवरी 2001 को डेढ़ बजे पन्नू गंज थाने से मुझ पर IPC की धारा 153 A,124A में मेरा चालान कर कचहरी भेजा गया| कचहरी पहुचने में देर हो गयी| वहा से कैदी वाली गाड़ी चली गयी थी| दो सिपाही मुझे ट्रक से ले जाने के लिए रोड पर खड़े थे| मेरे पिताजी की नजर मुझ पर पढ़ गयी| मुझे देखकर वह रोते हुए मेरे पास आये बोले तू कहा चला गया था तुझे मै पागलो की तरह ढूढ रहा था| पिताजी को देखकर मै रोने लगा मैंने सारी बात बतायी| जब मै नही मिला तो पिताजी एसपी साहब के यहा प्रार्थना पत्र देने आये थे|  मैंने बच्चो और घरवाली के बारे में पूछा पिताजी ने कहा उनका रो रोकर बुरा हाल है |

जेल में यातना के दिन

पीड़ित ने आगे बताया कि दो सिपाही मुझे ट्रक से मिर्जापुर जेल ले गये| वहा मुझे सात दिन तक तन्हाई बैरक में रखा गया| उस रात मुझे जेल में खाना मिला| मै दर्द से तड़प रहा था|उस वक्त मै बहुत तकलीफ में था| शरीर में जान नही थी| भूख से मेरा पेट में दर्द हो रहा था| पुलिस ने मुझे इतनी बुरी तरह मारा की मेरा पूरा कपड़ा फट गया था| रात भर मै सो नही पाया | मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था पुलिस किस बात की दुश्मनी हमसे निकल रही है| दुसरे दिन पिताजी जेल में मेरा कपड़ा लेकर आये  मै सात दिन तक इस बैरक में रहा| मुझसे ईट तुडवाने का काम कराया जाता था| एक हफ्ते बाद मुझे चार नम्बर बैरक में रखा गया वहा सौ कैदी थे| किसी तरह शौचालय के पास जगह मिली थी| पेशाब खाना में दरवाजा नही था| बहुत बदबू आ रही थी| दिन तो बाहर में गुजर जाता था लेकिन रात गुजारना मुश्किल रहता|

उस वक्त इसी बात की तकलीफ रहती की बेवजह मुझे फसाया गया| दिन रात घर वालो की फ़िक्र लगी रहती थी| रातभर नीद नही आती थी| जेल में सब्जी के बागान में काम करता था| लेकिन दिमाग में हर वक्त यही बात घुमती है| घर में लोग कैसे होगे| बच्चियों की फ़िक्र लगी थी| घर वालो की मदद से हाईकोर्ट से बेल कराया| जिस पर मै 8 अप्रैल 2001 को मै जमानत पर रिहा हुआ| 

जेल के बाद उत्पन्न आर्थिक तंगी

मै घर आया| मेरे घर आने से सभी खुश थे| लेकिन इस घटना ने मुझे और मेरे  परिवार वालो को पूरी तरह तोड़ दिया था| मेरी पत्नी दिन रात मेरी फ़िक्र में रहती थी| उस वक्त बड़ी बेटी बारह साल की थी कक्षा पांच में पढ़ती थी| उसका स्कुल आठ किलोमीटर दूर था| मै बच्ची के साथ कोई रिस्क लेने में मजबूर हो गया था| केस मुकदमा की पैरवी करने में आर्थिक स्थिति बदतर हो गयी थी| जिस वजह से उसकी पढ़ाई छुट गयी यह मेरे लिए बहुत तकलीफ देय था| छोटी बेटी नौ साल की थी कक्षा तीन में पढती थी|उसकी पढ़ाई जारी रखने के लिए मैंने उसे अपने जानने वाले खलिहारी बाजार में रहते थे| उन्ही के यहा रखकर कुछ दिन तक पढ़ाया|

मै उस वक्त बहुत परेशान था कुछ समझ में नही आ रहा था| केस की पैरवी करता लेकिन मन में एक डर बना रहता पुलिस मुझे वापस गिरफ्तार न करे| यह डर दिन रात मुझे सताता| पत्नी का भी यही हाल था रात में उसे नीद नही आती| बहुत समझाने पर वह खाती उसे इस बात का डर था की पुलिस मुझे फिर से उठा ले न जाये| मै कही बाहर जाता तो वह मेरी राह ताकती मै उसे समझाता घबराओ नही अब ऐसा नही होगा लेकिन वह मेरी बात पर यकीन नही करती|अधिक चिंता से उसकी मानसिक हालत बिगड़ गयी| उसकी यह हालत देखकर मुझे बहुत अफ़सोस होता| मै भी अंदर से टूट चूका था लेकिन मैंने हिम्मत नही हारी थी| मै पत्नी का इलाज बी० एच० यू में कराने लगा| दिन पर दिन हालात बदतर हो जा रहे थे|

अपने केस की पैरवी मै नौ साल तक किया| उस दौरान बहुत उतार चढ़ाव आये| लेकिन मै हर उस बाधा को पारकर बाईज्जत बरी हुआ| मेरा जज्बा कम नही हुआ| मै अभी भी आदिवासियों के बीच जाकर उनकी परेशानियों के साथ खड़ा होता| यह बात कजियारी ग्राम पंचायत के प्रधान रामदहिन यादव और उस क्षेत्र के सामन्तो और दबंगो को नागवार गुजरी|

ग्राम प्रधान और क्षेत्र के सामंतो और दबंगों द्वारा महिला को हथियार बनाकर  फर्जी मामले में फ़साना

पीड़ित राम जनम ने आगे बताया कि वह आये दिन आदिवासी की जमीन पर अपनी महिलाओ के नाम से हड़पवाते और दबंगो को कब्जा दिलाते| दुसरो की जमीन पर किसी दुसरे का आवास, शौचालय सड़क बनवा देते|उनकी महिलाओ के साथ अश्लील हरकत करना तथा उनके विकास कार्य के लिए जो पैसा आया था उसका खर्च खुद करना| यह उनकी आदत बन गयी थी| इससे बस्ती के सभी लोग परेशान थे| जिसकी शिकायत आये दिन वह हमारे पास आकर करते| मै उनकी मदद के लिए उनका प्रार्थना पत्र लिख्रकर सम्बन्धित थाना और अधिकारियो के यहा उन्हें खुद जाने को कहता | जब उनकी सुनवाई नही होती| तो मै उनकी मदद के लिए जाता था| जिस पर ग्राम प्रधान के खिलाफ कार्यवाही भी हुई| लेकिन ग्राम प्रधान अपने को केस से निकालने के लिए  स्थानीय थाना और चौकी की मदद से लेकर लोगो को हिरासत में बंद कराकर उन्हें मरवाता पिटवाता व डराता धमकवाता की सुलह कर लो नही तो तुम पर कोई न कोई आरोप लगवाकर बंद करा देंगे| लोग इसी डर से उससे सुलह कर लेते थे|

 यही हथकंडा उसने कई मामले में इस्तेमाल किया| ग्राम प्रधान को मालूम था की  मै हमेशा आदिवासियों की मदद के लिए खड़ा रहता हूँ| मै उनकी मदद न कर संकू उसने मुझे टारगेट करना शुरू कर दिया| 2016 से ही आये दिन वह मुझ पर बेबुनियाद आरोप लगाने लगा| मुझे परेशान करने के लिए स्थानीय थाने में मुझ पर ग्राम प्रधान ने खुद और अपने लोगो से शिकायत कर कराकर मुझ पर तीन एन० सी० आर दर्ज किया गया| वह मुझे लगातार टारगेट करने लगा| मै जिस समुदाय के लिए काम कर रहा था| उसी समुदाय की महिला राधिका देवी पत्नी बेचू खरवार से यह शिकायत करवाया की रामजनम, साहब लाल तथा साहब लाल के ससुर व साले मिलकर मेरा अपहरण और गैंगरेप किये है| यह आरोप लगाकर पुलिस चौकी सूअरसोत में शिकायत करवाया गया | उस मामले की जाँच हुई जो जिसमे वह मामला झूठा निकला और वही वह खत्म हो गया|

उस दिन के बाद फिर शिकायत करवाया गया की रामजनम, साहबलाल और उसकी औरत मालती देवी व साले व ससुर मिलकर राधिका के घर में घुस कर मारने उसकी जमीन छोड़ने की बात कही गयी| जिस पर स्थानीय थाना में मेरे खिलाफ IPC की धारा 147,452,323,504,506 और SC/ST की धारा लगाकर मेरे खिलाफ FIR हुआ| मैंने किसी तरह माननीय हाईकोर्ट से मुकदमा को ख़ारिज करने के लिए साक्ष्य देकर गिरफ्तारी का स्थगन आदेश लिया |

 उन्होंने आगे बताया कि आये दिन इस घटना के वजह से मेरी पत्नी की मानसिक हालत फिर से बिगड़ गयी| मुझे उस वक्त बहुत तकलीफ हुई की मै जिनकी मदद कर रहा हूँ| वही मेरे जान के दुश्मन बने हुए है| मैं अपनी पत्नी के इलाज के लिए उसे बी० एच० यू लाया | उस वक्त मेरे उपर इतना मानसिक दबाव था| एक तरफ केस की पैरवी दूसरी तरफ पत्नी की यह हालत| मै इन दोनों मुश्किलों का सामना डटकर कर रहा था|  मुझे मालूम था वह लोग आदिवासियों को बहका कर यह सब करा रहे है| मेरा हौसला कम नही हुआ|

मै किसी की तकलीफ देख लेता तो उसकी मदद मै जरुर करता| उससे मुझे ख़ुशी होती| लोग मुझे इज्जत और सम्मान भी देते थे| अगस्त 2018 में राधिका देवी पत्नी बेचू खरवार से तलाब में जहर डालने व मछली को नुकसान पहुचाने के आरोप में रामजन्म, रामजग खरवार व लखन्दर प्रजापति के नाम पर 100 न० पर फोन पर शिकायत की| मौके पर पुलिस ने मौका मुआयना किया जिस पर मामला झूठा निकलने पर वही खत्म हो गया| 

  7 अगस्त 2019 को वापस मेरे जज्बे को तोड़ने के लिए आदिवासी महिला का इस्तेमाल किया गया| लगभग 25 वर्षीय महिला सुनैना पुत्री राम आशीष द्वारा मुझ पर बलात्कार का आरोप लगाया गया| घटना का समय और स्थान बताया गया था| उस वक्त वहा पर कुछ आदिवासी मछली मार रहे थे| उन्होंने प्रार्थना पत्र देकर सम्बन्धित अधिकारियो को इस सम्बन्ध में अवगत कराया| तब पुलिस वालो ने बलात्कार की जगह छेड़खानी में तब्दील करते हुए| IPC की धारा 354 और sc/st लगाया गया|

अत: महोदय आपसे निवेदन है कि उक्त मामले में अविलम्ब हस्तक्षेप करके इस मामले में उच्च स्तरीय जांच किसी स्वतंत्र संस्था द्वारा करायी जाय| जिससे मानवाधिकार कार्यकर्ता को न्याय मिल सके और उनका संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हो सके|

Thursday, December 10, 2020

‘’ माननीय प्रधानमन्त्री मोदी जी के आगमन पर स्थानीय चौकी और थाने में बेवजह मुझे चौबीस घंटे से अधिक हिरासत में रखा, जो माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का सरासर उल्लंघन’

  ‘’ माननीय प्रधानमन्त्री मोदी जी के आगमन पर स्थानीय चौकी और थाने में बेवजह मुझे चौबीस घंटे से अधिक हिरासत में रखा, जो माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का सरासर उल्लंघन’’

मेरा नाम बाबू अली साबरी उम्र-28 वर्ष है| मेरे पिता स्व० मकबूल आलम है| मै शादीशुदा हूँ| वर्तमान समय में मै महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी से L.L.B कर रहा हूँ | मै लगभग ढाई वर्षो से सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ता के रूप में भी सक्रिय होकर कार्य कर रहा हूँ| मै हमेशा से लोकतान्त्रिक तरीके से कानून की मदद करता रहा हूँ| मै ग्राम- वीरभानपुर पोस्ट-वीरभानपुर,थाना-रोहनिया, जिला- वाराणसी का मूल निवासी हूँ|




इस घटना ने मेरे यकीन को तोड़ दिया| कानून व्यवस्था के नाम पर पुलिस ने मेरे साथ जो बर्ताव किया उसे मै जीते जी नही भूल सकता| 26 नवम्बर, 2020 की शाम थी उस वक्त शाम के करीब सात बज रहे थे| मेरे फोन की घंटी बजी| मैंने फोन उठाया तो वह राजातालाब चौकी के दरोगा राम कुमार पाण्डेय जी का था| उन्होंने मुझसे कहा बाबू अपने पापा का नाम बताओ यह सुनकर मुझे अजीब लगा| मैंने कहा क्या काम है इस पर वह बोले मै ऐसे ही पूछ रहा हूँ| मैंने उन्हें अपने पिता का नाम बताकर फोन रख दिया| मैंने उसे गम्भीरता से नही लिया और अपने कामो में लग गया|

दूसरे दिन 27 नवम्बर 2020 को फिर करीब इग्यारह बजे दिन दरोगा राम कुमार पाण्डेय जी का फोन आया| फोन उठाते ही उन्होंने मुझसे बोला  ‘’कहा है आप’’ मैंने कहा घर पर बोले चौकी पर आ जाइये दो मिनट का काम है| मैने सोचा दरोगा जी ऐसे ही बुला रहे है|मै फोन रखकर चौकी पर गया| चौकी पर दरोगा राम कुमार पाण्डेय जी ने कहा चार-पांच लोगो का नाम बताइये यह सुनकर मै घबरा गया| मेरी घबराहट देखकर चौकी इंचार्ज ने कहा इनका ही नाम पता और उम्र लिखकर IPC की धारा 107,116 के तहत पाबन्द कर लो| मैंने पूछा यह क्या है साहब इस पर उन्होंने कहा ऊपर से आदेश है कि जितने सक्रिय कार्यकर्ता है| | उनके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया जाय|तुम इसमें जमानत करा लेना| चौकी इंचार्ज की बात सुनकर मै सन्न रह गया| मै वहा से चला गया| लेकिन रास्ते भर दिमाग में तरह-तरह की बाते आ रही थी| पुलिस ऐसा क्यों कर रही है| अभी यह सवाल मेरे दिमाग में चल रहा था|

प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी के वाराणसी आगमन पर व्यवधान डालने वाले है| इसलिए ऊपर से आदेश है कि आपको तीन दिन तक चौकी पर नजर बंद रखा जाये|

तभी 28 नवम्बर, 2020 को साढ़े नौ बजे मुझे राजातालाब चौकी इंचार्ज संतोष कुमार यादव जी का फोन आया| मैंने फोन उठाया तो वह बोले चौकी पर आ जाओ कुछ काम है| मैंने कहा साहब मुझे शादी में जाना है| इस पर वह बोले चौकी से होकर जाना| करीब साढ़े दस बजे वापस चौकी इंचार्ज ने फोन कर मुझसे कहा इधर से होकर जाइयेगा| पुलिस बार-बार मुझे क्यों फोन कर रही है| फिर मैने सोचा पुलिस ने मुझे नोटिस पकड़ा ही दी है| जाते वक्त देख लूँगा क्या बात है| मै करीब साढ़े इग्यारह पौने बारह के बीच में चौकी पर गया| वहा पहुंचते ही चौकी इंचार्ज मुझे कमरे के अंदर ले गये| बोले की मुझे सूचना मिली की आप 30 नवम्बर, 2020 को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी के वाराणसी आगमन पर व्यवधान डालने वाले है| इसलिए ऊपर से आदेश है कि आपको तीन दिन तक चौकी पर नजर बंद रखा जाये|

मैंने उनसे कहा साहब मै कानून का विधार्थी हूँ| मै हमेशा से पुलिस प्रशासन का मददगार रहा हूँ | मुझ पर यह आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद व गलत है | मैंने आज तक कोई ऐसा काम नही किया है और ना ही ऐसे कामो में यकीन करता हूँ| जिससे क़ानून का उल्लंघन हो| आप चाहे तो मै आपको लिखकर देने को तैयार हूँ| इस पर उन्होंने मुझसे कहा थानाध्यक्ष महोदय रोहनिया परशुराम त्रिपाठी जी का आदेश है कि आपको तीन दिन तक न छोड़ा जाये | उसके बाद मै पुलिस प्रशासन का सहयोग करते हुए उनके तीन दिन नजर बंद रहने की बात भी मान ली |

चौकी इंचार्ज ने कहा तीन दिन की बात है| आपको कोई परेशानी नही होगी| इसके बाद मै आपको रिहा कर दूंगा| पुलिस की इस बात पर यकीन कर मै चौकी पर रुक गया| रात हुई तो बरामदे में जाकर सो गया| करीब इग्यारह बजे रात पुलिस ने मुझे हिलाते हुए कहा उठो| मै नीद से जागा इतनी रात में यह लोग मेरे साथ क्या करेंगे| अंदर ही अंदर मै डर रहा था| एक इंस्पेक्टर दो सिपाही मुझे अपराधियों की तरह जीप में बैठाकर घुमाने लगे| पुलिस यह सब क्यों कर रही है यह सवाल लगातार मेरे मन में चल रहा था| उस वक्त मुझे कुछ भी समझ में नही आ रहा था|

करीब रात के लगभग 12 से 1 बजे के बीच पुलिस हमे रोहनिया थाने पर ले जाकर बंदीगृह में बंद कर दिया| उस वक्त मेरे दिमाग में यही बात आ रही थी| मैंने कौन सा गुनाह किया है जो पुलिस मेरे साथ ऐसा सलूक कर रही है| उस वक्त ठंड से मेरा बदन कांप रहा था| लाकअप में मुझे पतला सा कम्बल दिया गया| इस कडकडाती ठंड में मुझे समझ में नही आ रहा था की| इसे ओढू या इसे बिछाऊँ| मैंने सिपाही से बोला एक कम्बल माँगा| तो उसने कहा यह तुम्हारा घर नहीं है| कि तुम्हे कम्बल दिलवा दूँ| मैने जाड़े की इस ठिठुरती रात में लाकअप में बैठकर बिताया|

रात भर मै यही सोचता रहा मेरे साथ अपराधियों की तरह व्यवहार क्यों किया जा रहा है| मैंने कौन सा समाज विरोधी कार्य किया है जिससे शांति भंग हुई हो| 

29 नवम्बर 2020 की सुबह मैंने थानाध्यक्ष महोदय परशुराम त्रिपाठी जी से कहा कि सर मै निर्दोष हूँ | मुझे छोड़ दिया जाये इस पर उन्होंने मुझे गालिया देते हुए कहा कि L.I.U की रिपोर्टिंग तुम्हारे खिलाफ है| तुम निर्दोष बन रहे हो| तुम्हे 14 दिन के लिए जेल भेजूंगा| तुम्हारी सारी नेतागिरी बाहर निकल जायेगी| थानाध्यक्ष महोदय की बात सुनकर मुझे बहुत तकलीफ हुई| मैंने कोई गैर सम्वैधानिक बात या काम नही किया,| जो मुझे इस तरह की सजा मिल रही है| मेरे लाख कहने के बावजूद भी थानाध्यक्ष महोदय ने मुझे लाकअप में  बंद रखा|

मेरे घर वालो को इसकी सूचना तक नही दी गयी | मै रात में घर वापस नही गया तो घर वाले परेशान हो गये| सुबह होते ही वह मेरा पता लगाने स्थानीय चौकी आये| वहा कहा गया उन्हें थाने भेज दिया गया है| यह सुनकर वह थाने आये| मुझे इस तरह देखकर घर वाले परेशान थे| घर वालो की परेशानी देखकर मैंने उन्हें ढाढस बधाया घबराओ नही मै रिहा हो जाऊंगा| उन्होंने मुझसे पूछा तुम ने कुछ खाया या नही|

वह खाना लाने के लिए दरोगा जी से इजाजत मांगने गये तो उन्हें मना कर दिया गया| जब की उस वक्त तक पुलिस ने मुझे कुछ भी खाने पीने को नही दिया था| मै भूखा प्यासा उसी तरह लाकअप में पढ़ा था| कई बार पहरेदार से खाना मांगने पर दोपहर के लगभग ढाई बजे मुझे खाने के लिए दाल रोटिया  दी गयी| उसके बाद IPC की धारा 151,107,116 के तहत मेरा चालान कर मुझे मेडिकल कराने के लिए भेजा गया| वहा से करीब साढ़े चार बजे मुझे कचहरी मजिस्ट्रेट साहब के यहा पेशकर चांदमारी स्थित कोरेन्टाईन जेल भेज दिया गया |यह सब देखकर मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी| पुलिस शांति भंग के नाम पर मुझे प्रताड़ित क्यों कर रही है|

थोड़ी सी जगह में दुबककर किसी तरह रात बीताता| ओढने के लिए हल्का सा एक कम्बल मिला था समझ में नही आ रहा था उसे बिछाऊ या उसे ओढ़कर सोऊ

: दिनों तक मै जेल में रहा एक-एक पल बहुत ही तकलीफ देय था| मैने जेल के अंदर कई मानसिक और शारीरिक यातनाये झेली| जिस कमरे में बीस से तीस कैदी के रहने की हैसियत थी| उस कमरे में 70 से 75 कैदी थे| कोविड 19 के इस महामारी में न कोई सोशल डिस्टेंस था न ही कोई सुरक्षा| यह सब देखकर मेरा जी घबराता| अंदर एक डर सा बना रहता की कही इस महामारी की चपेट में न आ जाऊं| थोड़ी सी जगह में दुबककर किसी तरह रात बीताता| ओढने के लिए हल्का सा एक कम्बल मिला था समझ में नही आ रहा था उसे बिछाऊ या उसे ओढ़कर सोऊ| खाने के नाम पर मोटी रोटिया पानी जैसी दाल बिना तेल मसाले की सब्जी मिलती थी| खाना देखकर अंदर से मन नही करता लेकिन मजबूरी में किसी तरह उसे खाता|




जेल का अजीब माहौल था जब कोई नया कैदी आता तो सिपाही उसे आमदनी कैदी कहकर बुलाते| फिर उन कैदियों की तलाशी कर जो भी उनके पास पैसा और सामान रहता उसे सिपाही छीन लेते | सिपाही के इस बर्ताव को देखकर मुझे बहुत तकलीफ होती थी|

4 दिसम्बर, 2020 को बैरक नम्बर 1 के कैदी की कोविड रिपोर्ट पाजिटिव आयी | जिसके बाद उस कैदी को अलग कर दिया गया| लेकिन इस रिपोर्ट के बाद सारे कैदियों में घबराहट मच गयी | सभी कैदी मास्क और पर्याप्त जगह की मांग करने लगे| परन्तु कोई सुनवाई नही हुई| मै यह सब देखकर अंदर ही अंदर घुट रहा था | जेल के अंदर जो कैदी बंद है उनकी परेशानियों को देखकर मै बेचैन था|उसी दिन मै जमानत पर रिहा होकर बाहर आ गया | जेल में कैदियों के अधिकारो का हनन हो रहा है| जेल प्रशासन उनका एक भी नही सुनते वह मुकदमे में विचाराधीन है| लेकिन उनका मानव अधिकार तो है| आज भी जेल में तमाम अव्यस्थतता को देखकर मुझे बहुत तकलीफ होती है |

मै गरीब मजलूमों के हक के लिए खड़ा होता हूँ| तो पुलिस मुझ पर शांति भंग का इल्जाम लगाकर नोटिस पकड़ा देती है|इस बार माननीय प्रधानमन्त्री मोदी जी के आगमन पर स्थानीय चौकी और थाने में बेवजह मुझे चौबीस घंटे से अधिक हिरासत में रखा गया जो माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का सरासर उल्लंघन है| मुझे इस बात की बेहद तकलीफ है|

 मेरी बीबी 8 महीने की गर्भवती है| मेरी गिरफ्तारी की वजह से वह फ़िक्र में बीमार पढ़ गयी| मेरे घर वालो ने कर्ज उधार लेकर मेरी जमानत करवायी| इससे मै ही नही मेरा पूरा परिवार शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक उत्पीड़न का शिकार हुआ है|

मै चाहता हूँ की पुलिस ने बेवजह मुझे हिरासत में रखा                              है| उसकी निष्पक्ष जाँच की जाय जिससे भविष्य में दुबारा मेरे साथ इस तरह की घटना न घटित हो और कानून का राज स्थापित हो|