‘’ माननीय प्रधानमन्त्री मोदी जी के आगमन पर स्थानीय चौकी और थाने में बेवजह मुझे चौबीस घंटे से अधिक हिरासत में रखा, जो माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का सरासर उल्लंघन’’
मेरा नाम बाबू अली साबरी उम्र-28 वर्ष
है| मेरे पिता स्व० मकबूल आलम है| मै शादीशुदा हूँ| वर्तमान समय में मै महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ
यूनिवर्सिटी से L.L.B कर रहा हूँ | मै लगभग ढाई वर्षो से सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ता के रूप में भी सक्रिय होकर कार्य कर
रहा हूँ| मै हमेशा से लोकतान्त्रिक तरीके से
कानून की मदद करता रहा हूँ| मै ग्राम- वीरभानपुर पोस्ट-वीरभानपुर,थाना-रोहनिया, जिला- वाराणसी का मूल निवासी हूँ|
इस
घटना ने मेरे यकीन को तोड़ दिया| कानून व्यवस्था के नाम पर पुलिस ने मेरे साथ जो
बर्ताव किया उसे मै जीते जी नही भूल सकता| 26 नवम्बर, 2020 की शाम थी उस वक्त शाम के करीब सात बज रहे थे| मेरे
फोन की घंटी बजी| मैंने फोन उठाया तो वह राजातालाब चौकी के दरोगा राम कुमार पाण्डेय
जी का था| उन्होंने मुझसे कहा बाबू अपने पापा का नाम बताओ यह सुनकर मुझे अजीब लगा|
मैंने कहा क्या काम है इस पर वह बोले मै ऐसे ही पूछ रहा हूँ| मैंने उन्हें अपने पिता
का नाम बताकर फोन रख दिया| मैंने उसे गम्भीरता से नही लिया और अपने कामो में लग
गया|
दूसरे
दिन 27 नवम्बर 2020 को फिर करीब इग्यारह बजे दिन दरोगा राम कुमार पाण्डेय जी का
फोन आया| फोन उठाते ही उन्होंने मुझसे बोला ‘’कहा है आप’’ मैंने कहा घर पर बोले चौकी पर आ
जाइये दो मिनट का काम है| मैने सोचा दरोगा जी ऐसे ही बुला रहे है|मै फोन रखकर चौकी
पर गया| चौकी पर दरोगा राम कुमार पाण्डेय जी ने कहा चार-पांच लोगो का नाम बताइये
यह सुनकर मै घबरा गया| मेरी घबराहट देखकर चौकी इंचार्ज ने कहा इनका ही नाम पता और
उम्र लिखकर IPC की धारा 107,116 के तहत पाबन्द कर लो| मैंने पूछा यह
क्या है साहब इस पर उन्होंने कहा ऊपर से आदेश है कि जितने सक्रिय कार्यकर्ता है| | उनके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया जाय|तुम इसमें जमानत करा लेना| चौकी इंचार्ज की बात सुनकर मै सन्न रह गया| मै वहा से चला गया| लेकिन रास्ते भर दिमाग में
तरह-तरह की बाते आ रही थी| पुलिस ऐसा क्यों कर रही है| अभी यह सवाल मेरे दिमाग में
चल रहा था|
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी के
वाराणसी आगमन पर व्यवधान डालने वाले है| इसलिए ऊपर से आदेश है कि आपको तीन दिन
तक चौकी पर नजर बंद रखा जाये|
तभी 28 नवम्बर, 2020 को साढ़े
नौ बजे मुझे राजातालाब चौकी इंचार्ज संतोष कुमार यादव जी का फोन आया| मैंने फोन
उठाया तो वह बोले चौकी पर आ जाओ कुछ काम है| मैंने कहा साहब मुझे शादी में जाना
है| इस पर वह बोले चौकी से होकर जाना| करीब साढ़े दस बजे वापस चौकी इंचार्ज ने फोन
कर मुझसे कहा इधर से होकर जाइयेगा| पुलिस बार-बार मुझे क्यों फोन कर रही है| फिर मैने
सोचा पुलिस ने मुझे नोटिस पकड़ा ही दी है| जाते वक्त देख लूँगा क्या बात है| मै
करीब साढ़े इग्यारह पौने बारह के बीच में चौकी पर गया| वहा पहुंचते ही चौकी इंचार्ज
मुझे कमरे के अंदर ले गये| बोले की मुझे सूचना मिली की आप 30 नवम्बर, 2020 को प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी के
वाराणसी आगमन पर व्यवधान डालने वाले है| इसलिए
ऊपर से आदेश है कि आपको तीन दिन तक चौकी पर नजर बंद रखा जाये|
मैंने उनसे कहा साहब मै कानून का विधार्थी हूँ| मै हमेशा से पुलिस प्रशासन का मददगार रहा हूँ | मुझ पर यह आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद व गलत है | मैंने आज तक कोई ऐसा काम नही किया है और ना ही ऐसे कामो में यकीन
करता हूँ| जिससे क़ानून का उल्लंघन हो| आप चाहे तो मै आपको लिखकर देने को
तैयार हूँ| इस पर उन्होंने
मुझसे कहा थानाध्यक्ष
महोदय रोहनिया परशुराम त्रिपाठी जी का आदेश है कि आपको तीन दिन तक न छोड़ा जाये | उसके बाद मै पुलिस प्रशासन का सहयोग करते हुए उनके तीन दिन नजर बंद
रहने की बात भी मान ली |
चौकी इंचार्ज ने कहा तीन दिन की बात है| आपको कोई
परेशानी नही होगी| इसके बाद मै आपको रिहा कर दूंगा| पुलिस की इस बात पर यकीन कर मै
चौकी पर रुक गया| रात हुई तो बरामदे में जाकर सो गया| करीब इग्यारह बजे रात पुलिस ने
मुझे हिलाते हुए कहा उठो| मै नीद से जागा इतनी रात में यह लोग मेरे साथ क्या
करेंगे| अंदर ही अंदर मै डर रहा था| एक इंस्पेक्टर दो सिपाही मुझे अपराधियों की
तरह जीप में बैठाकर घुमाने लगे| पुलिस यह सब क्यों कर रही है यह सवाल लगातार मेरे
मन में चल रहा था| उस वक्त मुझे कुछ भी समझ में नही आ रहा था|
करीब रात के लगभग 12 से 1 बजे के बीच पुलिस हमे रोहनिया थाने पर ले जाकर बंदीगृह में बंद कर
दिया| उस वक्त मेरे दिमाग में यही बात आ रही
थी| मैंने कौन सा गुनाह किया है जो पुलिस मेरे साथ ऐसा सलूक कर रही है| उस वक्त
ठंड से मेरा बदन कांप रहा था| लाकअप में मुझे पतला सा कम्बल दिया गया| इस
कडकडाती ठंड में मुझे समझ में नही आ रहा था की| इसे ओढू या इसे बिछाऊँ| मैंने सिपाही से बोला एक कम्बल माँगा|
तो उसने कहा यह तुम्हारा घर नहीं है| कि तुम्हे कम्बल दिलवा दूँ| मैने जाड़े की इस ठिठुरती रात में लाकअप
में बैठकर बिताया|
रात भर मै यही सोचता रहा मेरे साथ
अपराधियों की तरह व्यवहार क्यों किया जा रहा है| मैंने कौन सा समाज विरोधी कार्य
किया है जिससे शांति भंग हुई हो|
29 नवम्बर 2020 की सुबह मैंने थानाध्यक्ष
महोदय परशुराम त्रिपाठी जी से कहा कि सर मै निर्दोष हूँ | मुझे छोड़ दिया जाये इस पर उन्होंने मुझे गालिया देते हुए कहा कि L.I.U की रिपोर्टिंग तुम्हारे खिलाफ है| तुम निर्दोष
बन रहे हो| तुम्हे 14 दिन के लिए जेल भेजूंगा| तुम्हारी सारी नेतागिरी बाहर निकल
जायेगी| थानाध्यक्ष महोदय की बात सुनकर मुझे
बहुत तकलीफ हुई|
मैंने कोई गैर सम्वैधानिक बात या काम नही किया,| जो मुझे इस तरह की सजा मिल रही है| मेरे लाख कहने के बावजूद भी थानाध्यक्ष
महोदय ने मुझे लाकअप में बंद रखा|
मेरे घर वालो को इसकी सूचना तक नही दी गयी | मै रात में घर वापस नही गया तो घर वाले परेशान हो
गये| सुबह होते ही वह मेरा पता लगाने स्थानीय चौकी आये| वहा कहा गया उन्हें थाने
भेज दिया गया है| यह सुनकर वह थाने आये| मुझे इस तरह देखकर घर वाले परेशान थे| घर
वालो की परेशानी देखकर मैंने उन्हें ढाढस बधाया घबराओ नही मै रिहा हो जाऊंगा|
उन्होंने मुझसे पूछा तुम ने कुछ खाया या नही|
वह खाना लाने के लिए दरोगा जी से इजाजत
मांगने गये तो उन्हें मना कर दिया गया| जब की उस वक्त तक पुलिस ने मुझे कुछ भी
खाने पीने को नही दिया था| मै भूखा प्यासा उसी तरह लाकअप में पढ़ा था| कई बार
पहरेदार से खाना मांगने पर दोपहर के लगभग ढाई बजे मुझे खाने के
लिए दाल रोटिया दी गयी| उसके
बाद IPC की धारा 151,107,116 के तहत मेरा चालान कर मुझे मेडिकल
कराने के लिए भेजा गया| वहा से करीब साढ़े
चार बजे मुझे कचहरी मजिस्ट्रेट साहब के यहा पेशकर चांदमारी स्थित कोरेन्टाईन जेल भेज दिया
गया |यह सब देखकर मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी|
पुलिस शांति भंग के नाम पर मुझे प्रताड़ित क्यों कर रही है|
थोड़ी सी जगह में दुबककर किसी तरह रात
बीताता| ओढने के लिए हल्का सा एक कम्बल मिला था समझ में नही आ रहा था उसे बिछाऊ या
उसे ओढ़कर सोऊ
छ: दिनों तक मै जेल में रहा एक-एक पल बहुत ही तकलीफ देय था| मैने जेल के
अंदर कई मानसिक और शारीरिक यातनाये झेली| जिस कमरे में बीस से तीस कैदी के रहने की हैसियत थी| उस
कमरे में 70 से 75 कैदी थे| कोविड 19 के इस महामारी में न कोई सोशल डिस्टेंस था न ही
कोई सुरक्षा| यह सब देखकर मेरा जी घबराता| अंदर एक डर सा बना रहता की कही इस
महामारी की चपेट में न आ जाऊं| थोड़ी सी जगह में दुबककर किसी तरह रात बीताता| ओढने
के लिए हल्का सा एक कम्बल मिला था समझ में नही आ रहा था उसे बिछाऊ या उसे ओढ़कर
सोऊ| खाने के नाम पर मोटी रोटिया पानी जैसी दाल बिना
तेल मसाले की सब्जी मिलती थी| खाना देखकर अंदर से मन नही करता लेकिन मजबूरी में
किसी तरह उसे खाता|
जेल का अजीब माहौल था जब कोई नया कैदी
आता तो सिपाही उसे आमदनी कैदी कहकर बुलाते| फिर उन कैदियों की तलाशी कर जो भी उनके
पास पैसा और सामान रहता उसे सिपाही छीन लेते | सिपाही के इस बर्ताव को देखकर मुझे बहुत तकलीफ होती थी|
4 दिसम्बर, 2020 को बैरक नम्बर 1 के कैदी की कोविड रिपोर्ट पाजिटिव आयी | जिसके बाद उस कैदी को अलग कर दिया गया| लेकिन इस रिपोर्ट के बाद सारे कैदियों में घबराहट मच गयी | सभी कैदी मास्क और पर्याप्त जगह की मांग करने लगे| परन्तु कोई सुनवाई
नही हुई| मै यह सब देखकर अंदर ही अंदर घुट रहा
था | जेल के अंदर जो कैदी बंद है उनकी परेशानियों
को देखकर मै बेचैन था|उसी दिन मै जमानत पर रिहा होकर बाहर आ गया | जेल में कैदियों के अधिकारो का हनन हो रहा है| जेल प्रशासन उनका एक
भी नही सुनते वह मुकदमे में विचाराधीन है| लेकिन उनका मानव अधिकार तो है| आज भी जेल में तमाम अव्यस्थतता को देखकर मुझे बहुत
तकलीफ होती है |
मै
गरीब मजलूमों के हक के लिए खड़ा होता हूँ| तो पुलिस मुझ पर शांति भंग का इल्जाम
लगाकर नोटिस पकड़ा देती है|इस बार माननीय प्रधानमन्त्री मोदी जी के आगमन पर स्थानीय
चौकी और थाने में बेवजह मुझे चौबीस घंटे से अधिक हिरासत में रखा गया जो माननीय
उच्चतम न्यायालय के आदेश का सरासर उल्लंघन है| मुझे इस बात की बेहद तकलीफ है|
मेरी बीबी 8 महीने की गर्भवती है| मेरी गिरफ्तारी की वजह से वह फ़िक्र में बीमार
पढ़ गयी| मेरे घर वालो ने कर्ज उधार लेकर मेरी जमानत करवायी| इससे मै ही नही मेरा
पूरा परिवार शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक उत्पीड़न का शिकार हुआ है|
मै चाहता
हूँ की पुलिस ने बेवजह मुझे हिरासत में रखा है| उसकी निष्पक्ष जाँच की जाय जिससे भविष्य में
दुबारा मेरे साथ इस तरह की घटना न घटित हो और कानून का राज स्थापित हो|
No comments:
Post a Comment