Wednesday, May 26, 2021
इम्युनिटी मजबूत करने को संचालित नवदलित मोबाईल किचन (स्वर्गीय शिव प्रताप चौबे की याद में)
लाकडाउन की घोषणा के बाद से ही मुसहर परिवारों के बीच जनमित्र न्यास/मानवाधिकार जननिगरानी समिति, पारुल शर्मा एवं 200 स्वीडिश डोनर्स के प्रयासों से “ नवदलित मोबाईल किचन ” का संचालन किया जा रहा है | इस मोबाईल किचन से प्रतिदिन संजोई, परमंदापुर और आयर ग्राम के 240 मुसहर परिवारों के लगभग 950 यानि घर के सभी सदस्यों बच्चे, बूढ़े, महिलाओं पुरुषों को दूध, अंडा, ब्रेड, गुड़ और खिचड़ी उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे पोषक तत्वों से भरपूर आहार से उनमें इम्युनिटी/ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो और कोविड19 जैसी महामारी से बचाव हो सके |
संजोई ग्राम की पांच वर्षीया अंतिमा और ढाई वर्षीया शीतल को मोबाईल किचन से सुबह – सुबह गर्म दूध, उबला अंडा और दोपहर में पौष्टिक सब्जियों और दालों के साथ पकाया गया खिचड़ी भरपेट खाने को मिलता है, इन बहनों का दो महीने का छोटा भाई रुद्रा जो माँ नीलम की दूध पर आश्रित है | पिता दीपक मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करतें हैं, लाकडाउन से उन्हें कोई को काम नही मिल रहा है | सात दिनों की मजदूरी पिछले काम से बाकि है, जिसे मांगने तीन दिनों से नियोक्ता के पास जाते हैं लेकिन रोज कल पर टालकर वापस भेज दिया जाता है | खाली हाथ घर वापसी दीपक को बहुत खल रहा है, दीपक के पास कोई जमा पूंजी तो है नही सो घर में चूल्हा कैसे जले, कमाया हुआ पैसा जब नही मिल पा रहा है | ऐसे में नीलम को मोबाईल किचन से पुरे परिवार का खाना मिलना बहुत बड़ा सहारा लग रहा है |
संजोई के ही शीला और बिजली का हाल इससे कुछ अलग नही है, पांच वर्षीय राकेश, चार वर्षीया प्रियंका और सात माह का रमेश तीन छोटे – छोटे बच्चे हैं | बिजली बिनकारी के काम के साथ ही टैक्टर पर मिट्टी लादने, लकड़ी काटने जैसा जो भी काम मिलता है वह करके परिवार का भरण पोषण करतें हैं | मजदूरी का पारिश्रमिक बाकि है जिसे नियोक्ता से मांगने के लिए पांच – छ: बार गया तब जाकर दो दिन की मजदूरी मिला | बिजली कहतें हैं कि, खाने और खिलाने का मन तो बहुत करता है मगर इस समय कमाई का जरिया नही है | ऐसे में इस टाइम पर अंडा दूध हमें हमारे बच्चों को मिल रहा है भरपेट खिचड़ी खाने को मिल रहा है यह बहुत बड़ा सहारा है | इसके लिए हम इस सबकी व्यवस्था करने वाले संस्था और लोगों को बहुत धन्यवाद देते हैं |
मोबाईल किचन का व्यवस्था एवं संचालन जनमित्र न्यास/मानवाधिकार जननिगरानी समिति एवं भारतीय मूल की स्वीडन निवासी सुश्री पारुल शर्मा और 200 स्वीडिश डोनर्स के संयुक्त प्रयासों से हो रहा है, जंहा छोटे बच्चों, गर्भवती-धात्री महिलाओं किशोर-किशोरियों, वृद्ध महिला पुरुष एवं एकल महिलाओं को विशेष रूप से वरीयता पर भोजन व् नाश्ता उपलब्ध कराया जा रहा है | आर्थिक रूप से कमजोर मुसहर समुदाय के बीच पास भूख मिटाने के लिए कोटे की दुकान से उपलब्ध चावल और गेंहू जो महीने के 15 दिनों तक ही चल पाता है | रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए जरूरी अन्य पोषक तत्वों आयरन, प्रोटीन और कैल्शियम पोषण युक्त भोजन कैसे उपलब्ध होगा | इन परिवारों के पास आड़े वक्त के लिए ना ही कोई जमा पूंजी होता है ना ही लगातार आमदनी जैसे कोई स्रोत जिससे बुनियादी जरुरतों को वे खरीद सकें | कोविड19 संक्रमण के अधिक संचार के कारण कामकाज ठप होने से ऐसे परिवार जो रोज कुआं खोदने और रोज पानी भरने का काम करके परिवार का भरण पोषण करते हैं |
आज जबकि कोविड19 के दूसरी लहर में ग्राम में संक्रमण और मृत्यु की घटनाएं सामने आ रही हैं, कहा जा रहा है कि परिवार के कुछ सदस्य संक्रमण से जरुर बचे हैं लेकिन कोई ऐसा घर नही हैं जंहा संक्रमण का प्रभाव नही है | काफी परिवारों में घर के एक से अधिक सदस्यों की मृत्यु की घटनाएं भी घटी हैं | मोबाईल किचन का प्रभार देख रही श्रुति नागवंशी का कहना है कि, इम्युनिटी पावर/ रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से बीमारी का खतरा अधिक होता है, कोविड से बचाव हेतु डाक्टरों और वैज्ञानिकों द्वारा बार-बार सुझाव दिया जा रहा है कि, शरीर के इम्युनिटी पावर को मजबूत बनाकर रखा जाए वंही दूसरी तरफ आर्थिक क्षमता कमजोर होने से ऐसे परिवार आसानी से बीमारी का शिकार हो सकते हैं | आज जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण का प्रभाव कंही अधिक हो गया है लेकिन अज्ञानता, भ्रम, डर, दहशत और परीक्षण साधनों के अभाव में लोग बाग कोविड टेस्ट नही करा रहें हैं और बीमारी की पहचान और ईलाज में देरी के कारण बुरे घटनाएं सामने आ रही हैं
आयर के शोभनाथ, प्रशांत कुमार बादल, शशिकांत, सागर, आदर्श, अखिलेश, अंकित, अनिल, गोपालराव, मीना देवी, परमंदापुर के सोमारू पटेल, रामकेवल, नन्दिनी, रानी और संजोई के मन्नी मौर्या, मुन्ना, आशा जैसे कर्मठ वालेंटियर लाभार्थियों को कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में समय से नाश्ता और खाना उपलब्ध करने में अपना योगदान दे रहे हैं
राजदुलारी फाउंडेशन, चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY), यूनाइटेडनेशन वेल्टरी फंड फॉर टॉर्चर विक्टिम्स (UNVFVT), इंटरनेशनल रिहैबिलिटेशन काउंसिल फॉर टॉर्चर विक्टिम, (IRCT), परमार्थ समाजसेवी संस्थान, कॉमनमैन ट्रस्ट एवं अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा सभी संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार संचालित हैं |
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