Friday, February 11, 2022

दरोगा साहब मेरे मुँह पर लात चलाते हुए बोले तुझे प्यास लगी है:अरबिंद कुमार

 

 ‘’दरोगा साहब बोले की तुमको मार कर यही फेक देंगे कोई देखने वाला यहा नही आयेगा, तुम्हारे बूढ़े माँ-बाप भी तुम्हे ढूढ़ते ढूढ़ते मर जायेंगे’’

मेरा नाम अरबिंद कुमार उर्फ़ छोटू उम्र-30 वर्ष है| मेरे पिता का नाम बिरजू प्रसाद है| मै जाति का चमार हूँ| मै ग्राम-सोनखे दसिनीपुर, हरिजन बस्ती, पोस्ट- लमही, थाना-चोलापुर, तहसील-पिंडरा, जिला-वाराणसी का मूल निवासी हूँ|

मै अपने घर में अपने माँ बाप के साथ अकेले रहता हूँ| मेरे पिता रिक्शा चलाते थे| जिससे घर का खर्च चलता | लेकिन जब से पिता पर उन लोगो ने तेजाब ऊपर डाल दिए है| तब से उनकी तबियत ठीक नही रहती है| मै ही अपने माँ-बाप का सहारा था| लालपुर में रिक्शा चलाकर कर मै अपने घर का खर्च चला रहा था|

 13 जनवरी,2022 की तारीख थी| मै सुबह काम पर जाने के लिए अपने बड़े भाई से बोला भईया मुझे साईकिल दे दीजिये शाम को काम से आकर दे देंगे| मै साईकिल जैसे ही पकड़ कर काम पर जाने लगा| तभी मेरी भाभी निशा देवी आकर मेरे हाँथ से साईकिल छीन ली| साईकिल को लेकर कहा सुनी हो गया| मै साईकिल भाई को वापस देकर पैदल काम पर चला गया| भाभी का व्यवहार देखकर मन को बहुत तकलीफ हुई| मै दिन भर काम कर रहा था और मन ही मन सोच रहा था| जब शाम को घर आया तो अपने माँ से सारी बात बतायी| तो माँ बोली जाने दो छोडो चलो खाना खाकर सो जाओ| मै माँ की बात मानकर जाकर सो गया|

 14 जनवरी,2022 को सुबह मै घर के सामने पोखरा पर बैठा हुआ था  तभी देखे की भैया और भाभी स्कुल की तरफ जा रहे थे| मेरी नजर भाई और भाभी के तरफ पड़ी तो भाभी हमें मुक्का दिखाते हुए जा रही थी| उस समय मै कुछ समझ नही पाया| कुछ ही देर बाद तकरीबन दस बजे पुलिस पोखरा पर आयी मै कुछ समझ पाता तभी पुलिस मेरे पास आकर बोली की चलो साहब चौकी पर बुला रहे है| मै घबरा गया,आखिर मैने ऐसा किया क्या है| जो मुझे पुलिस चौकी पर बुलाया गया|मैंने डर से पुलिस वालो से कुछ नही पूछा और उनके साथ चौकी पर जाने लगा|

 पुलिस मुझे मुर्दहां चौकी पर ले जाकर बरामदे में बैठा दिया| उस वक्त मन में बहुत सवाल आ रहे थे| तभी थोड़ी देर में साहब मेरे सामने आये|मै हाँथ जोडकर खड़ा हो गया| साहब बिना कुछ पूछे डंडा उठाकर माँ बहन की भद्दी-भद्दी गाली देने लगे| मैंने डरते हुए कहा साहब मेरी गलती क्या है| लेकिन साहब ने मेरी एक नही सुनी लगातार लाठी से मेरे हाँथ पैर पर मारते रहे| मै चिल्लाता रहा साहब मुझे मत मारो| तभी वह मुझे जमीन पर गिराकर अपने बूटो से मेरे पैर पर कई बूट मारे |

मै दर्द से चिल्लाकर रोने लगा साहब मुझे छोड़ दीजिये| बहुत तकलीफ  हो रही है| उस वक्त मेरी आँख से नीला पीला दिखने लगा| मै तेज-तेज चिल्ला रहा था| लेकिन दरोगा साहब को मेरे ऊपर जरा भी रहम नही आया| ऊपर से जूता पहने ही मेरे सीने पर चढ़ गये|उस वक्त लगा मेरी जान निकल जायेगी| मै दरोगा साहब से गिडगिडाता रहा साहब मुझे छोड़ दीजिये| मेरे माता –पिता को कोई खिलाने वाला नही है| इतना सुनते ही| दरोगा जी की बात सुनकर बहुत दुःख हुआ| मैने रोते हुए पूछा साहब मेरा कसूर क्या है| तब दरोगा जी ने कहा तू हिरोईन पीता है|मुझे यह खबर मिली है| मै बोला साहब मेरे पास इतनी कमाई नही है की मै हिरोईन पियूँगा| लेकिन दरोगा साहब हिरोईन बाज बोलकर और तेज –तेज मारने लगे|

उस वक्त चिल्लाते-चिल्लाते मेरा गला सुख रहा था| मै साहब से पानी मागने लगा| तो दरोगा साहब मेरे मुँह पर लात चलाते हुए बोले तुझे प्यास लगी है| अभी तुमको पेट भर पानी पिलाऊँगा| अब तू जेल जाकर पानी पियेगा  आधा घंटा लगातार मारने के बाद दो सिपाही मुझे बाईक पर बैठाकर चोलापुर थाने ले आये | उस वक्त मै चल नही पा रहा था| उन लोगो ने मुझे बाइक से उतारा उस वक्त मै एकदम बदहवास था| शरीर में जान नही था| पुलिस हमे वही पर जमीन पर लिटा दी|

 वहा से मुझे सरकारी हॉस्पिटल ले जाया गया|हास्पिटल मे डाक्टर ने मेरा हालत देखकर पुलिस को मारने का अधिकार नही है| तुम्हे इतनी बुरी तरह  क्यों मारा डाक्टर की बात सुनकर मै रोने लगा| उस वक्त मै बेबस होकर उनकी बात सुन रहा था| वहा मुझे सुई दवा दिया गया| वापस पुलिस हमे थाने लेकर आयी|तकरीबन 2 बजे हमें भोजूबीर तहसील लेकर आये| तहसील में एक साहब बैठे थे| वहा पर लोगों ने कागज बनाया| मेरी माँ को किसी तरह सुचना मिली तो माँ तहसील आयी| मेरी हालत देखकर घबरा गयी| पुलिस वालो ने हम लोगो से एक हजार रुपया लेकर पेपर बनवाया|उसके बाद तहसील से मुझे छोड़ा गया | मुझे उस समय चलने तक की ताकत नहीं थी| मेरी माँ किसी तरह ऑटो रिजर्व कर मुझे घर ले आयी| गाँव के लोग हमें सहारा देकर बिस्तर पर ले गये| मै दर्द से कराह रहा था, मेरा दर्द कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था| पुरी हड्डी में दर्द हो रहा था|रात भर मै दर्द से सो नही पाया|

उस दिन दिन भर बिना खाये पिये मै पुलिस की मार खाता रहा| जब से पुलिस ने हमें मारा है रात की नींद गायब हो गयी है| काम धाम सब बंद हो गया है मेरी बूढी माँ किसी तरह हमें खाना देती है| यह सब देखकर बहुत अफ़सोस होता है|अभी हर वक्त यह डर बना है की पुलिस कही मुझे दुबारा न ले जाये|इसी भय से कही आता जाता नही हूँ| हम गरीब है| हम नही चाहते की यह घटना दुबारा किसी के साथ हो|

 मै चाहता हूँ कि थानेदार पर कार्यवाही हो ताकि वह किसी गरीब के साथ दुबारा ऐसा सलूक नहीं करे और हमें इन्साफ मिले|            

 

                                                       

 

No comments:

Featured Post

Tireless Service to Humanity

Dear Mr. Lenin Raghuvanshi, Congratulations, you have been featured on Deed Indeed's social platform. ...