http://www.youtube.com/watch?v=1nfKpiGwRVo
Monday, January 30, 2012
Gandhi ji and my grand father
http://www.youtube.com/watch?v=1nfKpiGwRVo
Sunday, January 29, 2012
East UP tribals still bear the burden of poverty
उत्तरप्रदेश: चुनाव के बहाने कुछ खरी-खरी
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बीच अब जबकि भ्रष्टाचार भी कोई मुद्दा नहीं रह गया है एक मानवाधिकार संगठन ने सभी राजनीतिक दलों को चिट्ठी लिखकर अपील की है कि सभी राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार को भी अपना मुद्दा बनाये. उत्तर प्रदेश की जानी मानी मानवाधिकार संस्था पीवीसीएचआर ने सभी राजनीतिक दलों को लिखी चिट्ठी में लिखा है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का खात्मा, कानून के राज की स्थापना और मानवाधिकार की रक्षा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.
पीवीसीएचआर के कार्यकारी निदेशक लेनिन रघुवंशी ने सभी राजनीतिक दलों को जो चिट्ठी लिखी है उसमें लिखा है कि "मुद्दों को उठाने में कई पार्टिया एवं संगठन भ्रष्टाचार दिखा रही हैं। मानवाधिकार, कानून का राज व लोकतंत्र तब तक नही बचाया जा सकता है या फिर भ्रष्टाचार खत्म नही किया जा सकता है, जब तक वंचित तबके, अल्पसंख्यक व हाँसिये पर रह रहे लोगों का अधिकार न बचाया जाय और उसके लिए कानून व लागू करने वाला सक्रिय संस्थाओं को स्थापित न किया जाय।"
पत्र में वे आगे लिखते हैं " कानून के राज की स्थिति इतनी खराब है कि पुलिस की जगह लोग असलहे खरीद रहे है या माफियाओं को 'राबिनहुड'की तरह से गले लगा रहे है। 2009 के बाद 9 हजार से करीब 15 हजार असलहों का लाइसेंस हो गया बनारस में। गाँधी व महात्मा बुद्ध एवं डा0 अम्बेडकर के अहिंसा की दुहाई देकर दुनिया में नेतृत्व करने की इच्छा रखने वाले भारत को मानवाधिकार लागू करने एवं पुलिस यातना के खिलाफ कानून बनाने में डर लगता है।"
लेनिन लिखते हैं कि "बनारस के बुनकरों को छः हजार करोड़ का पैकेज मिला और आधा पैसा कापरेटिव के लिए हैं। कापरेटिव कितना ईमानदार है ? पैसा किनकी जेब में जायेगा, ये तो बुनकर तय करे ? किन्तु हैण्डलूम (हथकरघा) बुनकरों के बिजली बिल कब माफ होगी। बुनकरों के नाम पर गद्दीदारों को ही कब तक फायदा पहुचाया जायेगा ? सीधे बाजार से जोड़ने की योजना क्यो नही चली"
"मुरादाबाद, बरेली व मेरठ में मुसलमानों पर सीधे हमले हुए किन्तु राजनैतिक पार्टियाँ चुप है, क्यों ? मेरठ में ईनाम की बेटी आधी जल गयी, सहसपुर में एक बच्चा करा एवं वाराणसी के बजरडीहा में दो मुसलमान बच्चों को पुलिस ने गोली मार दी। गोरखपुर के इलाके में हिन्दूवाद के नाम पर एक फासीवादी व्यक्ति की गुण्डागर्दी चल रही हैं। किन्तु सभी चुप है और मुसलमानों के बीच की साम्प्रदायिक ताकते ''मुसलमानों का सवाल मुसलमान उठायेगा" (ऐसा बुनकरों की बैठक में मेरे साथ भी हुआ) कहकर असली लड़ाई को भटकाकर साम्प्रदायिक फासीवाद (हिन्दू फासीवाद) को मजबूत कर रहा है। मुसलमानों को रंगनाथ मिश्रा कमेटी की सिफारिश के आधार पर शासन एवं सच्चर कमेटी की सिफारिश के आधार पर न्याय दिया जाय!"
लेनिन लिखते हैं "जब हमारा विचार ही भ्रष्ट (साम्प्रदायिकता, साम्प्रदायिक फासीवाद, जातिवाद, पितृ सत्तात्मक) है तो हम विचार से पैदा होने वाले आचार (भ्रष्टाचार) को कैसे रोक सकते है ? इसलिए जनता व राजनैतिक दल मजबूत भारत के लिए अल्पसंख्यको, वंचितों व हाशियें पर खड़े लोगों के लिए खड़ा हो। औरतों व अल्पसंख्यकों को आरक्षण देकर सभी की भागीदारी सुनिश्चित करे, कानून के राज के लिए पुलिस यातना विरोधी कानून लागू किया जाय, फर्जी पुलिस मुठभेड़ रोकी जाय। तभी हम कानून का राज व लोकतंत्र स्थापित कर सकते हैं। साथ ही उ0प्र0 की जनता से अपील है कि वे भारत के अन्य क्षेत्र के मुद्दों पर भी राजनैतिक दलों से सवाल उठाये। जिससे एक नये राष्ट्र-राज्य (नेशन-स्टेट) का निर्माण किया जा सके, जो धर्म निरपेक्षता, समता, बंधुत्व, अहिंसा पर आधारित हो।"
Tuesday, January 24, 2012
Attacks on Human Rights defender
Monday, January 23, 2012
चुनाव के बहाने राजनैतिक दलों व जनता से कुछ खरी-खरी
--
Saturday, January 21, 2012
आदिवासी विद्यालय के विधार्थी से मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री द्दारा जुते का फिता बधवाने के सम्बन्ध मे।
From: PVCHR MINORITY <minority.pvchr@gmail.com>
Date: 2012/1/21
Subject: आदिवासी विद्यालय के विधार्थी से मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री द्दारा जुते का फिता बधवाने के सम्बन्ध मे।
To: jrlawnhrc@hub.nic.in
Cc: akpnhrc@yahoo.com
सेवा मे, दिनांक – 21 जनवरी 2012
अध्यक्ष,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
नई दिल्ली
विषय:- आदिवासी विद्यालय के विधार्थी से मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री द्दारा जुते का फिता बधवाने के सम्बन्ध मे।
अभिनन्दन !!!
महोदय,
मै, आपका ध्यान 21 जनवरी 2012 के NDTV की खबर "Child made to tie minister's shoelaces at a function in Madhya Pradesh " पर आकृष्ट करना चाहता हुँ । [i] http://www.ndtv.com/article/india/child-made-to-tie-minister-s-shoelaces-at-a-function-in-madhya-pradesh-169092
लेख है कि , मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर विसेन ने शुक्रवार को चिन्दवाडा जिले के एक सार्वजनिक कार्यक्रम मे आदिवासी बिद्द्यालय के एक विधार्थी से अपने जुते का फिता बधवाया। सहकारिता मंत्री सडक परिवहन के उदघाटन कार्यक्रम मे शिरकत कर रहे थे ।
महोदय, इस सम्बंध में निवेदन है कि मंत्री गौरी शंकर बिसेन के इस कृत्य से विधार्थी के गरिमा को ठेस पहुची है जो कि उसके मौलिक अधिकारो तथा बाल अधिकारो का हनन है। साथ ही जनप्रतिनिधि की गरिमा व दायित्व के भी खिलाफ है । अनुरोध है मामले की स्वतंत्र जांच की जाय तथा उक्त विधार्थी को मुआवजा दिया तथा दोषीयो पर बालाधिकार हनन एवम गरिमा को ठेस पहुचाने के लिये कानुनी प्रावधानो के अंतर्गत कानुनी कार्यवाही किया जाय । कृपया, अतिशीध्र आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करे ।
डा लेनिन
(महा सचिव)
मानवाधिकार जन निगरानि समिति
एस.ए. 4 /2 ए,दौलतपुर,वाराणसी
मोबा.न0:+91-9935599333
Friday, January 20, 2012
Compensation to victims
Case Details of File Number: 1558/12/2/2011 | |
Diary Number | 25126 |
Name of the Complainant | DR. LENIN, GENERAL SECRETARY |
Address | PEOPLE'S VIGILANCE COMMITTEE ON HUMAN RIGHTS, (PVCHR) SA 4/2A, DAULATPUR, |
VARANASI , UTTAR PRADESH | |
Name of the Victim | BABU RAM, SUMAN, MANISHA, SHAKSHI & OTHERS |
Address | NOT AVAILABLE, |
DHAR , MADHYA PRADESH | |
Place of Incident | BADWANI |
BADWANI , MADHYA PRADESH | |
Date of Incident | 8/21/2011 |
Direction issued by the Commission | The complainant has brought to the notice of the Commission a newspaper report published in the 22.08.2011 edition of 'Punjab Kesari'. It is reported that ten persons were burnt alive in a passenger bus at Badwani, Madhya Pradesh. The petitioner has sought intervention of the Commission in the matter. Pursuant to the directions of the Commission a report dated 26.11.2011 has been received from IG Police(Complaints), Police HQRs, Bhopal. It is reported that because of a dispute between the bus drivers and the conductors, the bus was set on fire. 14 people died and 13 were injured. Case Crime No.186/11 was registered in the matter and the Charge Sheet has been filed. Payment of Rupees two lakhs each to the NOK of the deceased, Rupees twenty five thousand each to the seriously injured and Rupees five thousand each to those who suffered minor injuries, has been paid through cheque. The Commission has considered the report. The matter is under consideration before the Court. Adequate compensation has also been paid to the NOK of the deceased and to those who suffered injuries. No further action is required to be taken. The report is taken on record. The case is closed. |
Action Taken | Concluded and No Further Action Required (Dated 12/8/2011 ) |
Status on 1/20/2012 | The Case is Closed. |
Thursday, January 19, 2012
Appeal of Shruti to Political parties
Monday, January 16, 2012
Open letter to all Poltical parties
Friday, January 13, 2012
भूख और कुपोषण की काली हांडी
भूख और कुपोषण पर केन्द्रित हंगामा रिपोर्ट जारी करते हुए हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस बात पर शर्मिंदगी जाहिर की है कि देश के 42 प्रतिशत बच्चे आज भी भुखमरी के शिकार हैं। प्रधानमंत्री की निश्चित रूप से न सिर्फ उनकी बल्कि समूचे व्यवस्था और समाज की शर्मिंदगी भी है कि हम दुनिया के हर तीसरे भूखे बच्चे के अभिभावक हैं. लेकिन क्या प्रधानमंत्री के इतना कह देने भर से परिस्थितियों में बदलाव आ जाएगा? बच्चों के बीच काम करनेवाली मानवाधिकारवादी कार्यकर्ता श्रुति नागवंशी मानती हैं कि नवउदारवादी नीतियां न सिर्फ बच्चों के मुंह से निवाला छीन रहा है बल्कि देश में एक वंचित वर्ग भी पैदा कर रहा है जो भारत को भूख और कुपोषण की ऐसी काली हांडी के रूप में बदलता जा रहा है जिसपर एक देश या समाज के रूप में हम कभी गर्व नहीं कर सकेंगे।
सांझा संस्कृति के लिए प्रसिद्ध बिनकारी 1990 के दशक के बाद नवउदारवादी नीतियो की शिकार हो गयी ! बनारस, टाण्डा-अम्बेडकर नगर, मऊ, मुबारकपुर– आज़मगढ, पिलखुआ- गाजियाबाद, सरघना-मेरठ के बिनकारी का धन्धा बन्द होना शुरू हुआ, जिससे लाखो की संख्या मे (वाराणसी मे तकरीबन एक लाख) बुनकरो ने सूरत और बंगलुरू की तरफ पलायन कर दिया। बिनकारी छोड़कर रिक्शा चलाना, गारा-मिट्टी का काम (मकान बनाने) आदि शुरू किया, वही शहरो से अपनी मंहगी जमीन बेचकर सस्त दाम वाली जमीन या किराये के मकान में शहर से बाहर की ओर बसना शुरू कर दिया। टाण्डा में दलित बुनकर के बच्चे प्रीतम की मौत हो या बनारस मे विशम्भर के बच्चों की मौत, यह तो जारी ही था, परंतु सबसे अधिक हालत खराब मुस्लिम बुनकरो की हुई। शहर से बाहर प्रवास कर गये मुस्लिम बुनकरो की नयी बस्ती, टोले धन्नीपुर गांव मे कुपोषण से होने वाली मौतों ने इस बात को पुख्ता कर दिया है कि भूख और कुपोषण से होनेवाली इन मौतों के मूल में नवउदारवादी आर्थिक नीतियां ही हैं।
आंगनवाडी एवम सार्वजनिक वितरण प्रणाली से दूर मुस्लिम बुनकरो के इन टोले मे खाद्य असुरक्षा शुरू हुई, जिसमे 14 बच्चे तीसरे और चौथे श्रेणी में कुपोषण के शिकार थे। अति कुपोषित शाहबुद्दीन को अस्पताल मे भर्ती कराया गया। यह मामला मानवाधिकार जननिगरानी समिति ने शासन – प्रशासन, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवम मीडिया के संज्ञान मे लाया, वही दूसरी तरफ संगठन के साथियों ने शाहबुद्दीन को उसके खून की कमी को पूरा करने के लिए अपना खून दिया, किन्तु इसके बाद भी उसकी शहादत हो गयी। संगठन ने पुन: शासन - प्रशासन पर दबाब बनाने के लिए मीडिया मे घटना को प्रकाशित कराते हुए पूरी दुनिया मे हंगर एलर्ट जारी किया। इस हस्तक्षेप के बाद कमिश्नर, जिलाधिकारी सहित विभिन्न अधिकारियो ने उस इलाके का दौरा किया और अति कुपोषित बच्चो को जिला अस्पताल मे भर्ती कराया, जहां डाक्टरो ने कहा – "बच्चों को चिकित्सा नही, पोषक खाद्य की जरूरत है।" पोषक भोजन नही मिलने पर इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ मिलकर भोजन के लिए जिला अस्पताल के सामने भीख मांगना शुरू कर दिया। इस अभियान से मीडिया मे बहस शुरू हुई, जिसके कारण धन्नीपुर में कई आंगनवाडी खुले। सभी गरीब मुस्लिम बुनकरो को लाभ और साथ ही राशन के लिए सफेद कार्ड मिला, एएनएम ने बस्ती मे आना शुरू किया। परिणामत: इस इलाके मे भूख और कुपोषण से होने वाली मौते बन्द हुई। आज केन्द्र सरकार ने छह हजार करोड़ का पैकेज बुनकरों के लिए दिया है जिसका फायदा निश्चित रूप से बुनकरों को मिलना चाहिए।
इसी तरह पूर्वी उत्तर प्रदेश (पूर्वांचल) में 5 लाख आबादी वाले मुसहरों के पास न तो खेती योग्य ज़मीन है और न आजीविका के आय का साधन, मुसहर न ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़े होते है और न इनके इलाके मे बच्चों के लिए आगंनवाडी केन्द्र होते है। जिस कारण बहुत से मुसहर परिवार पंजाब की ओर पलायन कर रहे है और अधिकांशत को ईट-भट्टों मे बन्धुआ मज़दूर बनना पडता है। एक दिलचस्प तथ्य मुसहरों के बारे में यह है की काफी संख्या में मुसहर धान एवम गेहूँ कटाई के समय पंजाब चले जाते है। कुछ कटाई मे लगे रहते है, सड़क किनारे किसी बाज़ार के करीब रहने लगते है और कटाई के बाद कई किलोमीटर जाकर खेतो मे यहां वहां बिखरा (दरारों मे फंसा) अनाज बटोरकर उस अनाज को बाज़ार मे बेचते है। बेचने के बाद सबसे पहले खाने का सामन खरीदते है। आस-पास गुरूद्वारा मिल गया तो वही खाना खा लेते है। जाहिर है वहां उनके बच्चो के लिए शिक्षा, दोपहर भोजन योजना (एम. डी. एम.), आंगनवाडी कार्यक्रम (आईसीडीएस) की कोई व्यवस्था नही होती है।
जब वहां जाने वाले मुसहरो से पूछा गया– " आप अपने घर से इतनी दूर क्यो जाते है," उन्होने बताया– "यदि खेतों में अनाज नही मिला तो गुरूद्वारा तो है, इन गुरूद्वारा में न तो छूआछूत है न ही पूर्वी उत्तर प्रदेश की तरह जाति के नाम उंची जातियो का अत्याचार, न ही पुलिसिया उत्पीडन !" उनका कहना है कि मनरेगा में न तो समय से काम मिलता है, न ही काम करने के बाद पूरी मज़दूरी, यदि काम मिल गया तो मज़दूरी के लिए रोजगार सेवक, ग्राम प्रधान, बैंको का चक्कर लगाना पडता है। इस बीच तो हमारे बच्चे भूखे मर जायेंगे, इससे तो अच्छा है की खेतो मे बिखरा अनाज बटोरकर दिन भर मे एक समय भोजन तो मिल ही जाता है !"
मुसहरों के बच्चे भुखमरी और कुपोषण से सबसे अधिक बरसात में अकाल मृत्यु के शिकार होते है, क्योंकि उस समय न तो ईट - भट्टो पर बन्धुआगिरी से आधा पेट ही सही खाने का भोजन होता है, न मनरेगा का काम। मुसहरों की स्थिति व संघर्षो के बाद बेलवा, सकरा, आयर, अनेई जैसे गांवो मे आंगनवाडी खुली, ज़मीने मिली, छूआछूत-जातपात कम हुआ, मुसहरो की आवाज़ सुनी जाने लगी, उनके बच्चे स्कूलों से जुड़े, वहा एमडीएम मिला, एएनएम बस्तियों मे आने लगी। तो एक चमत्कार हुआ, बच्चो का कुपोषण और भुखमरी से मरना बन्द हुआ। बच्चे तीसरे, चौथे कुपोषण की श्रेणी मे नही है, उनकी आंखो मे आज भी हाड्तोड मेहनत और जिन्दगी जीने की लालसा है। सेना के ब्लैक कैट कमाण्डो को आधे पेट भोजन के बाद हाड़तोड़ मेहनत के साथ आशा भरी जिन्दगी जीने वाले मुसहरों से जीवन जीने की कला सीखनी चाहिए। जहां जहां सरकारी स्तर पर प्रभावी कार्यक्रम चले हैं और स्थानीय रोजगार की संभावनाएं पैदा हुई हैं वहां भूख और कुपोषण का प्रभाव कम हुआ है। यदि खाद्य सुरक्षाए बाल एवम महिला कल्याण की सभी योजनाए ईमानदारी से लागू हो, तब कुपोषण पर "हंगामा रिपोर्ट" के हंगामा पर रोक लगाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के चुनाव मे देखना है की जाति और धर्म पर राजनीति करने वाले और राष्ट्रवाद के नारे लगाने वाले कब बच्चों के कुपोषण और भुखमरी को अपना चुनावी मुद्दा बनाते हैं।
(श्रुति नागवंशी मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं.)
Thursday, January 12, 2012
महाराष्ट्रा के ऎ.टी.एस. द्दारा बम विस्फोटो के सन्दिग्ध के रूप मे मुस्लिम युवको की गिरफ्तारी मे लगातार की जा रही सम्वैधानिक कानुनो की अवहेलना के सम्बन्ध में
From: PVCHR MINORITY <minority.pvchr@gmail.com>
Date: 2012/1/7
Subject: महाराष्ट्रा के ऎ.टी.एस. द्दारा बम विस्फोटो के सन्दिग्ध के रूप मे मुस्लिम युवको की गिरफ्तारी मे लगातार की जा रही सम्वैधानिक कानुनो की अवहेलना के सम्बन्ध में
To: jrlawnhrc@hub.nic.in
Cc: akpnhrc@yahoo.com
सेवा मे, 7 जनवरी 2012
अध्यक्ष,
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
नई दिल्ली
विषय:- महाराष्ट्रा के ऎ.टी.एस. द्दारा बम विस्फोटो के सन्दिग्ध के रूप मे मुस्लिम युवको की गिरफ्तारी मे लगातार की जा रही सम्वैधानिक कानुनो की अवहेलना के सम्बन्ध में।
अभिनन्दन !!!
महोदय,
मै, आपका ध्यान 4 जनवरी 2012 के टूसर्किल.काम की खबर " Mumbai ATS picks up four Muslim youths " पर आकृष्ट करना चाहता हुँ। [i]
लेख है कि, महाराष्ट्रा ए.टी.एस द्दारा बम बिस्फोट की घटनाओ मे लगातार मुस्लिम युवको को सन्दिग्ध अपराधीयो के रूप मे उठाया जा रहा है। पुलिस द्दारा युवको को गिरफ्तार (उठाते ) भारतीय सम्विधान एवम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के हिरासत,पुछताछ एवम गिरफ्तारी के लिये दिये/जारी किये गये निर्देशो की अवहेलना की जा रही है । इसी क्रम मे मुम्बई एवम दिल्ली पुलिस द्दारा इस तरह की गैर कानुनी गतिविधिया अधिक की जा रही है। मुम्बई ए.टी.एस. इंसपेक्टर केदार पवार ने कमर आलम शेख, अब्दुल वहाब,तनवीर आलम तथा मो0 असरफ (सभी स्वामी परमानन्द इंजीयरिंग कालेज-मोहाली के बिधार्थी ) को 1 जनवरी 2012 को गिरफ्तार किया परंतु उनके परिवारवालो को सुचना नही दी । उन्होने दो दिन बाद 3 जनवरी 2012 को तनवीर आलम और मो0 असरफ को छोड दिया,परंतु अब्दुल वहाब एवम कमर आलम शेख के घर वालो को सुचना नही दी।
पुलिस द्दारा उपरोक्त युवको को 24 घंटे के बाद भी मजिस्ट्रेट के समक्ष भी प्रस्तुत नही किया गया । कानुनी तौर पर भी पुलिस पुछताछ के लिये रिमांड पर न्यायालय की अनुमति पर ले सकती है । परंतु पुलिस द्दारा इस तरह की गैर कानुनी गतिविधिया करने से उसकी निश्पक्षता पर सवाल खडा होता है । पुलिस की इस कार्यवाही से रिहा हुए युवको का भविष्य अन्धकारमय हो गया तथा उनके कालेज व समाज मे भी उनके सम्मान को ठेस पहुचा है । पुलिस की इन गतिविधियो से मुस्लिम समुदाय के उक्त युवको एवम उनके परिवार वालो मे एक डर भी पैदा हो गया है ।
महोदय, इस सम्बंध में निवेदन/मांग है कि पुलिस द्दारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के डी.के.बसु गाईड लाईन का गिरफ्तारी , हिरासत एवम पुछताछ मे पालन नही करने एवम मजिस्ट्रेट के समक्ष 24 घंटे मे नही प्रस्तुत करने पर , सम्बन्धित पुलिस कर्मियो पर अपहरण का मुकद्दमा दर्ज हो तथा निर्दोष युवको को मुआवजा तथा समाज उनके सम्मान की स्थापना से सम्बन्धित कार्यवाही की जाय । कृपया, अतिशीध्र आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करे सके ।
डा लेनिन
(महा सचिव)
मानवाधिकार जन निगरानि समिति
एस.ए. 4 /2 ए,दौलतपुर,वाराणसी
मोबा.न0:+91-9935599333
-
https://www.scribd.com/document/733437019/PVCHR-works-in-IRCT-annual-report PVCHR works in IRCT annual report by pvchr.india9214 on S...
-
In the annals of cultural confluence and societal upliftment, the third convention of the Sahastrabuddhe (Chitpawan Brahmin) Kool Sammelan, ...
-
In a small courtroom in Varanasi, the heavy air was filled with anticipation. Paru Sonar, a name once synonymous with despair, was now on ...