Saturday, February 16, 2013

साझा-संस्कृति की विरासत को पुनर्स्थापित किया जाय:डा0 लेनिन


मानवाधिकार जननिगरानी समिति पिछले 20 वर्षो से पिछड़े, वंचित, महिलाओं, बच्चो और मुस्लिम अल्पसंख्यको के मानवाधिकार को स्थापित करने की लड़ाई लड़ रही है | साथ ही पिछड़े, वंचित, महिलाओं, बच्चो और मुस्लिम अल्पसंख्यको को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करके क़ानून का राज स्थापित करने हेतु प्रयासरत है | जिसका प्रभाव पिछले 20 वर्षो में वहां देखने को मिला है जिन समुदायों ने प्रश्न करना शुरू किया है वहां स्थितियाँ बदली हैं|
समिति ने प्रयास और तथ्य परक पैरवी करते हुए कई पीडितो को न्याय से जोड़ते हुए समाज की मुख्यधारा से जोड़ा है | वाराणसी में लगातार प्रयास और पैरवी से आज पिछले 3 वर्षो से कोइ भे फर्जी ईन्काउन्टर नहीं हुआ है | समिति मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग, बाल संरक्षण आयोग और अन्य मानवाधिकार संस्थानों के साथ मिलकर लगातार उत्पीडन के केसों को इन आयोगों और स्थानीय प्रशासन के सामने लाती रही है | साथ ही तथ्य परक पैरवी से प्रशासन को भी न्याय दिलाने के लिए बाध्य करती है | क्योकि समिति का मानना है कि इस देश में क़ानून का राज स्थापित हो और क़ानून से बड़ा कोइ भी व्यक्तित्व न हो |
समिति ने चंदौली, मलोखर, फारबिसगंज, सहसपुर, मुरादाबाद, मेरठ और अलीगढ में हुए दंगो की तथ्य परक जांच करते हुए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए सौहार्द्य कायम करने का काम किया है और साथ ही पैरवी की जिसके बाद लगभग सभी जगहों पर मुआवजा मिला और प्रशासन ने निर्दोष लोगो पर से केस हटाया है|
आम तौर पर देखा जाता है कि जो भी इस तरह के साम्प्रदायिक घटना होती है उसमे कुछ कट्टर पंथी लोग ही शामिल होते है | धर्म के नाम पर कुछ अफवाह फैलाकर पूर्वनियोजित तरीके से पूरी घटना को अंजाम दिया जाता है | साथ ही यह भी बहुत चौकाने वाली बात है की जो भीड़ उपद्रव करती है वो स्थानीय बहुत कम होती है बाहरी ज्यादा होती है |
समिति ने जब फैजाबाद में हुए इस अमानवीय घटना की खबर सुनी तो समिति ने इस घटना की बारीकी से तथ्य खोजते हुए पैरवी की | इस तरह की हर घटना में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुलती है | लेकिन जिनका संसार लुटता है वो पूरी जिन्दगी पुनर्वास नहीं कर पाते है | फैजाबाद में हुए फसाद से जुड़े कुछ सवाल ये कोई नई बात नहीं कि यूपी पुलिस व प्रशासन अपने ही खुफिया तंत्र की रिपोर्ट को गंभीरता से न लें। इनकी इसी हरकत का नतीजा आज सबके सामने है। वह फैजाबाद, जहां के लोग बाबरी मस्‍जिद विध्‍वंस के वक्‍त खामोश थे, पुलिस व प्रशासनिक की लापरवाही से भड़क उठे । ये हैं वो पांच सवाल जो अगर गंभीरता से लिए जाते तो शहर में शांति कायम रह सकती थी... 
पहला सवाल- यूपी पुलिस की अपनी खुफि‍या एजेंसी और इंटेलिजेंस ब्‍यूरो की रिपोर्ट में फैजाबाद में दुर्गा पूजा, मूर्ति विसर्जन के दौरान बवाल होने की आंशका जताई गई थी तो इस पर कोई ठोस कार्रवाई क्‍यों नहीं की गई?
दूसरा सवाल- पिछले 10 दिनों से धारा 144 लागू थी तो विसर्जन के दौरान छेड़खानी और पत्‍थरबाजी की घटना कैसे हो गई ? बवाल भड़कने के दौरान मौके पर पुलिस क्‍या कर रही थी ?
तीसरा सवाल- रकाबगंज में हुए बवाल के पीछे एक सभासद और एक ब्‍यूटी पार्लर के मालिक का हाथ होना सामने आया है, पुलिस ने अब तक उनकी गिरफ्तारी क्‍यों नहीं की। लोगों का आरोप है कि इस पूरी घटना के पीछे इन्‍हीं के गुर्गों का हाथ है।
चौथा सवाल- लोगों का आरोप है कि घटना के दौरान चौकी प्रभारी ने बेवजह गोलियां चलाईं, जबकि एक इंस्‍पेक्‍टर ने अपनी बयानबाजी से धार्मिक भावनाएं भड़काने का काम किया। इन दोनों के खिलाफ क्‍या कार्रवाइ की जा रही है।
पांचवा सवाल- रात भर पूरा शहर जलता रहा, कई जगह उपद्रव हुए। रोडवेज  बसों, दमकल गाड़ियों और दर्जनों दुकानों में आगजनी हुई, पथराव हुए। और करीब 12 घंटे बाद फैजाबाद में कर्फ्यू लगाया गया।
       यह वह सवाल है जो इस मार्मिक घटना के बाद प्रशासन पर उठ रहे है | साथ ही प्रशासन की संवेदना को दर्शाते है |
       इस घटना की पैरवी संस्था ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली, माननीय प्रधानमंत्री नई दिल्ली, राष्ट्रीय अल्पसंखक आयोग नई दिल्ली, गृह मंत्रालय भारत सरकार  नई दिल्ली, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और पुलिस महानिदेशक लखनऊ को पत्र भेजा जिसमे तथ्य को दर्शाते हुए यह मांग की गयी की इस साम्प्रदायिक एवं निंदनीय अमानवीय घटना की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाय और दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की जाय | मृतकों के परिवार और घायलों को जल्द से जल्द मुआवजा दिलाया जाय | साथ ही दीपावली व मुहर्रम के त्यौहार को ध्यान में रखते हुए कड़ी सुरक्षा प्रदान की जाय |
       जिसके बाद इस पर आयोग ने प्रदेश सरकार को नोटिस देते हुए घटना की रिपोर्ट माँगी है | इसके बाद समिति को यह जानकारी हुयी कि 68 लोग ऐसे थे जिनकी आगजनी व लूटपाट में पांच लाख तक की क्षति हुयी, 20 लोग ऐसे थे जिनकी आगजनी व लूटपाट में पांच लाख से बीस लाख तक की क्षति हुयी और 11 लोग ऐसे थे जिनकी आगजनी व लूटपाट में बीस लाख से ज्यादा की क्षति हुयी | इसमें दोनों सम्प्रदाय के लोगो की क्षति हुयी | जिसे देखते हुए समिति ने पुनः माननीय प्रधानमंत्री मांग की कि प्रधानमंत्री द्वारा 15 सूत्रीय कार्यक्रम अल्पसंख्यको के कल्याण के लिए चलाई जा रही उसका हवाला देते हुए अल्पसंख्यको को मुआवजा और पूर्ण पुनर्वासन की मांग की गयी है | साथ ही प्रधामंत्री आपातकालीन राहत कोष से बहुसंख्यक समुदाय को भी उचित मुआवजा व सम्पूर्ण पुनर्वासन की मांग की गयी है |
       इसके अलावा प्रदेश स्तर पर मुख्यमंत्री से भी मुख्यमंत्री आपात राहत कोष से अल्पसंख्यको और बहुसंख्यको को निष्पक्ष जांच कराते हुए पूर्ण मुआवजा व पुनर्वासन के व्यवस्था तुरन्त कराई जाय |
       इसके साथ ही हमारी पाँच मांगे है जिसके पूरा होने से बहुत संभावना है कि साम्प्रदायिक हिंसा होने से रोकी जा सकती है, मांग निम्नवत है :-   
1)     हमारे स्लेबस में इतिहास की पुनः समीक्षा करके नई किताब लाई जाय | खासकर मध्यकालीन इतिहास और आधुनिक इतिहास क्योकि इतिहास में जिस तरह साम्प्रदायिक हिन्दू मुस्लिम के विषय में पढ़ाया जा रहा है वह गलत है, जो भी इतिहास में युद्ध हुए है वो किसी धर्म को लेकर नहीं बल्कि सल्तनत व राज्य को लेकर हुए है |
2)     हमें शिक्षा के मूल्य पर केन्द्रित शिक्षा देने की जरूरत है | आज शिक्षा का मूल उद्देश्य पूरी तरह से व्यवसाय आधारित है मूल्य आधारित नहीं |
3)     तीसरा महत्वपूर्ण बिन्दु पुलिस की कार्य प्रणाली में बदलाव की जरूरत है | हमारी पुलिस भी उसी शिक्षा प्रदाली की पैदाईस है और अल्पसंख्यको और समाज के अन्य कमजोर वर्ग के प्रति उनका नजरिया भी साम्प्रदायिक ही है |
4)     सांप्रदायिक हिंसा लक्षित विधेयक अधिनियमन बनाना | अगर यह क़ानून बन जाता है तो सम्बंधित अधिकारियों की जिम्मेदारिया निर्धारित की जा सकती है | यह विधेयक जिम्मेदार धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ताओं द्वारा बहुत सावधानी से तैयार किया जाय |
5)     विभिन्न धर्मो व जातियों के लोग एक साथ रहे, उनमे मेल मिलाप हो और साझा-संस्कृति की विरासत को पुनर्स्थापित किया जाय |      

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