Wednesday, January 25, 2017

urgent petition : "Man spends 10 years in jail for his brother’s crime”

To,                                                                         25 January, 2017

The Honourable Chairperson,

National Human Rights Commission

New Delhi.

 

Respected Sir, 

I want to bring in your kind attention towards the news published in the on national news paper "Times of India" on 22 January, 2017 "Man spends 10 years in jail for his brother's crime"  (News attached).

 

 Therefore it is kind request to please take appropriate action against the perpetrator and provide facilities to the victim family and also provide compensation to the victim family and also set a high level inquiry committee for bring the fact out.

 

Thanking You,

 

Sincerely Yours,

 

 

Dr. Lenin Raghuvanshi

CEO

Peoples' Vigilance Committee on Human Rights

SA 4/2 A Daulatpur, Varanasi - 221002

Mobile No: +91-9935599333


Monday, January 23, 2017

Inetrface with Different Satkeholders on Bonded Labour



बधुवा मजदुरीका बारे सरोकारवाला निकाय बिच  साक्षात्कार कार्यक्रम
स्थान :- होटल कामेश हट बनारस
मानवअधिकार जननिगरानी समुह र जस्टिस भेन्चर ईन्टरनेशनलको संयुक्त आयोजनामा सरोकारवाला बिच बधुवा मजदुरका समस्या र चुनौति बिषयक अन्र्तक्रियात्मक कार्यक्रम होटल कामेश हट बनारसमा सम्पन्न भयो ।
कार्यक्रमका बारेमा मानवअधिकार जननिगरानी समितिका कार्यकारी निर्देशक डा लेनिन रघुबंशीले भारतमा मध्यपूर्वकालको सामन्तबादी युगदेखि मजुदरलाई बन्धक बनाई उनिहरुलाई दिईको क्रण पूर्तिका जर्बजस्ती काममा लगाईदै आएको बताउनु भयो । पहिलेको उक्त प्रथालाई अहिले पछिल्लो समय बिस्तारै बिस्तारै निजि स्वार्थका लागि मजदुरलाई बधुवा मजदुरका रुपमा दमन गर्दै आएका छन् ।
उहाँले भारतीय संबिद्यानको धारा ३७० का बारेमा यस प्रथा बारे स्पष्ट उल्लेख रहेता पनि प्रहरी प्रशासनले यस धाराको पूर्ण पालना नगरिदिदाँ आरोपितलाई सजाय दिन नसकिएको र पिडितले न्याय पाउन नसकिरहेको भन्दै बधुवा मजदुर मुक्तिका लागि अनिवार्य रुपमा उक्त धाराको अनिवार्य प्रयोग गर्नुपर्ने धारण राख्नुभयो ।

श्रम बिभागका सहायक प्रमुख प्रभाष कुमारले यसअघि पनि मानवअधिकार जननिगरानी समुह र श्रम बिभागको सहकार्यमा उत्तर प्रदेशका सबै जिल्लामा रहेका सयौं बधुवा मजदुरलाई मुक्त गराएको बताउँदै उनिहरुलाई पुर्नवासको प्रक्रियामा पुराभएको  जानकारी गराउनु भयो । श्रम बिभाग र बधुवा मजदुरका लागि काम गर्दै आएको संस्थाहरुकै सक्रियताका कारण सराय गाउलाई बधुवा मुक्त गाउँ घोषणा गरिएको छ उहाँले भन्नुभयो ।
यस्तै जस्टिस भेन्चर ईन्टरनेशनलका प्रदेश संयोजक सलिम खानले सन् २०१६ को बधुवा मजदुरका पुर्नवास योजना बारे बिस्तृत रुपमा जानकारी गराउनुभयो । उहाँले भारतिय सरकार द्धारा मजदुर पुर्नवास योजनालाई संशोधन गर्दै बधुवा मजदुरका लागि प्रदान गरिने सहायता रकम २०००० बाट बढाएर एक लाख पुर्याएको बताउनुभयो । संशोधन पश्चात तस्करी , यौन शोषणबाट मुक्त बनाईएका महिला बच्चाहरुलाई ३ लाख , महिला तथा नावालकहरुलाई २ लाख प्रदान गरिने छ ।

कार्यक्रममा बरिष्ठ अधिवक्ता तनवीर अहमहले मजदुरी उन्मुलन ऐन सन् १९७६ पारित पश्चात बधुवा मजदुर प्रथा उन्मुलनकाका लागि भुमिका खेल्दै आरोपतिहरुले सजायको भागिदार बन्दै आईरहेको र आर्थिक र शारिरिक शोषणमा रहेका बधुवा मजदुरले न्याय पाउँदै आएको बताउनुभयो ।

यस्तै मानवअधिकार जननिगरानी समितिकि म्यानेजिङ्ग श्रुति नागवंशीले स्वतन्त्रता पछि सरकारले बधुवा मजदुरी मुक्तीका लागि प्रयास गरेतापनि अझैपनि ईट्टा भट्टा , होटेल, साना कलकारखानाहरुमा बधुवा मजदुरहरु रहेको बताउनुभयो । सरकारले सन् २०१६ मे १७ मा सरकारले घोषणा गरेको बधुवा मजदुर पुर्नबास योजना २०१६ ले  बधुवा मजदुरहरुलाई लाभ मिलेको र यसले उनिहरुलाई स्वतन्त्र र सम्मानजनक रुपमा जिवन यापन गर्न का लागि सहयोग मिलेको भन्दै अझै प्रभावकारी बनाउँदै यसको अन्त्यका लागि अझै सकृय रहनु पर्ने आवश्यकता औलाउनु भयो ।
कार्यक्रमको अन्त्यमा मानवअधिकार जननिगरानी समितीकी कार्यक्रम संयोजक शीरीन शबाना खानले बधुवा मजदुरी अन्त्यका लागी यो कार्यक्रम फलदायि रहने आशा व्यक्त गर्दै सहकार्यका लागि सबैलाई एक साथ लाग्न आग्रह गर्नुभयो ।
कार्यक्रममा जनसंदेश टाईम्सका विजय बिनित , अमर उजालाका बरिष्ठ सम्पादक अजय राय सहित बिभिन्न संघ संस्थाका प्रतिनिधिहरुको सहभागिता रहेको थियो ।



यस कार्यक्रममा सहभागिताले उत्तर प्रदेश संगै बिभिन्न प्रदेशमा रहेको समाजिक कुप्रथाको रुपमा रहेको बधुवा मजदुरीको बर्तमान अबस्था , यसको अन्त्यका लागि संघ संस्थाले गरेका पहल संगै भारतिय सरकारले निर्माण गरेको नियम संगै त्यसका परिणाम हरुका बारेमा जानकारी हासिल गर्न पाए । साथै सन् २०१६ मा २९७० जना बधुवा मजदुरलाई पुर्नवास गरिएको छ ,जसका लागि करिब १५ करोड भारु खर्च भएको छ । बधुवा मजदुर अधिकांश दलित छन् र उनिहरुमा कुपोषण अत्याधिक मात्रा रहेको पाईएको छ । कुपोषण रहेका बालबालिका लाई केहि स्थानहरुमा गैर सरकारी संघ संस्थाहरुले दैनिक रुपमा पोषण युक्त खाना र दुघको व्यबस्था गरेका छन् । बिगत र बर्तमानमा धेरै परिर्बतन आएको छ । बधुवा मजदुरका लागि निरन्तर रुपमा मानवअधिकार जननिगरानी समुहले गरेका पहल निकै उदाहरणीय लाग्यो ।


Report in Nepalese by Sushan Ghimre – FK Fellow (INSEC/PVCHR) & A Pokhara Based Journalist From 5 years .

Address :- Deurali-2 Kaski ,Nepal 

Wednesday, January 11, 2017

मजदूरी मांगने पर जिन्दा जला दिया..........



He and his family are at PVCHR office.We initiated medical and psychological support with legal actions.

Tuesday, January 10, 2017

मजदूरी मांगने पर जिन्दा जला दिया..........

 
 

 


मजदूरी मांगने पर जिन्दा जला दिया..........

मेरा नाम रमेश निषाद है | मेरी उम्र 29 वर्ष है | मेरी पत्नी का नाम सीमा देवी है | मेरे चार बच्चे रौशन उम्र 11 वर्ष, गुलशन उम्र 7 वर्ष, संगम उम्र 5 वर्ष और अर्जुन उम्र 4 वर्ष है | सभी बच्ची सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाते है | मै ग्राम बैजारामपुर दवन सिंह, ब्लाक कन्जा, थाना सरायखाजे, जिला जौनपुर का रहने वाला हूँ | मै मजदूरी करके किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पालता हूँ | मै इसके पहले मुम्बई में पावरलूम चलाने का काम करता था परन्तु मंदी के कारण काम मिलना बंद हो गया जिसके बाद मै वापस अपने घर आ गया | मैंने कई वर्षो तक हैण्डपंप बोरिंग का काम किया था अतः वापस आकर मै उसी काम में लग गया | मैंने सुरेन्द्र चौहान पुत्र लालता प्रसाद चौहान ग्राम कोहड़े खरौना, थाना बक्सा, जिला जौनपुर के यहाँ हैण्ड पम्प बोरिंग का काम शुरू किया | काम के लिए रूपये 1000/- प्रति हैण्ड पम्प बोरिंग तय हुआ था | मैंने काम करना शुरू किया लेकिन काम के एवज में मालिक ने कभी भी पूरी 1000/- रुपये मजदूरी नहीं दी | कभी 200/- और कभी 400/- रुपये देते थे | मै अपना पूरा हिसाब किताब अपनी डायरी में लिखता था | इसी तरह लगभग 4-5 वर्षो तक काम चलता रहा | बीच बीच में जब मै बकाया मजदूरी की मांग करता तो वो टाल जाते और कहते कि अरे काम करते रहो मजदूरी मिल जायेगी | कभी कभी अपशब्दों का भी इस्तेमाल करते कि साले तुम्हारा पैसा हम खा थोड़े जायेंगे | जब समय आयेगा तब मिल जाएगा | इसी तरह काम चलता रहा और मै अपने बकाया पैसे मिलाने की आस में काम करता रहा |

      लेकिन उनके जुल्म की इन्तेहा तो तब हो गयी जब 5 मई, 2016 को मेरे पुत्र की तबियत बहुत ख़राब थी उसे निमोनिया हो गया था और मेरे पास उसका इलाज कराने के पैसे नहीं थे | मै बहुत परेशान था कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करू किससे मदद मांगू | तभी लगभग 3 बजे दोपहर में मेरे मालिक सुरेन्द्र चौहान का फोन मेरे पास आया कि बरसठी में एक बोरिंग का काम है उसे करना है पर मैंने अपने बेटे के तबियत ख़राब होने का हवाला देते हुए काम पर जाने में असमर्थता जताई और साथ ही मालिक से अपने बकाया पैसे मांगे लगा ताकि मै अपने बच्चे का इलाज करा सकू जिसके बाद बोले कि आओ आज मै तुम्हारा पूरा हिसाब कर देता हूँ | यह सुनकर मै बहुत खुश हुआ और मैंने सोचा कि चलो मालिक पैसे दे देंगे तो मेरे बच्चे का इलाज हो जाएगा | मैंने यह बात अपनी पत्नी को बताई और बोला कि मै मालिक के यहाँ से पैसे लेकर आता हूँ उसके बाद बच्चे का इलाज करवाने चलेंगे और मै घर से निकल गया | मै अपने मालिक सुरेन्द्र चौहान के घर लगभग 5-6 बजे पहुचा | लेकिन वहां पहुचते ही मेरी खुशी गायब हो गयी जब मैंने देखा कि मेरे मालिक सुरेन्द्र चौहान और उनका भाई पप्पू चौहान काफी गुस्से में खड़े थे और मुझे देखते ही गाली देने लगे कि तेरी इतनी हिम्मत कि तू मुझे मना कर रहा है चल वरसेठी में बोरिंग का काम है उसे जा कर पूरा कर | मैंने फिर अपनी असहमति जताई और अपने बीमार बच्चे का हवाला दिया और अपने बकाये पैसे की मांग की जिसे सुनते ही सुरेन्द्र और पप्पू आग बबूला हो गए और मुझे लात घूसों से बेतहाशा मारना शुरू कर दिया मैंने ऐसी किसी भी घटना का विचार नहीं किया था इस अप्रत्याशित पिटाई से मै बहुत डर गया और उन लोगो ने मुझे तब तक पीटा जब तक कि मै बेहोश नहीं हो गया | मुझे होश तब आया जब मुझे जलन महसूस होने लगी मैंने देखा कि मेरे शरीर में आग लगी थी | मै चीखने लगा अपने आप को बचाने के लिए इधर उधर भागने लगा जिससे घबराकर सुरेन्द्र और पप्पू वहां से भाग गए और आस पास के लोगो की मदद से मेरी आग बुझी मुझे बहुत पीड़ा हो रही थी मेरे बाए तरफ की पीठ, हाथ, कान और चेहरा बुरी तरह से झुलस गया था मेरे कपडे भी पूरी तरह से जल चुके थे जिसमे मैंने हिसाब वाली डायरी राखी थी वो भी जल चुकी थी | मेरी ससुराल भी उसी गाँव में ही है जिससे लोगो ने मेरे साले को सुचना दी जिसके बाद मेरा साला आया और अन्य गाँव वालो की मदद से मुझे जिला अस्पताल जौनपुर में भर्ती करवाया | जहाँ मेरा इलाज 31 मई, 2016 तक चला |

      इसी दौरान सुरेन्द्र और पप्पू ने मेरी पत्नी को धमकी दी कि यदि इसकी शिकायत कही की या पुलिस को सुचना दी तो अभी तो तुम्हारा पगति जिन्दा है लेकिन शिकायत करने के बाद जिन्दा नहीं रहेगा और तुम्हारे बच्चे भी नहीं जिन्दा रहेंगे | जिससे मेरी पत्नी और मै बुरी तरह डर गए और जान की सलामती के कारण कही भी शिकायत नहीं किये |

      इस घटना के बाद मै कोइ काम करने लायक नहीं रहा | मेरी पिछले 4-5 वर्षो में लगभग रुपये 47000/- की मजदूरी हुई थी जिसमे से उन्होंने मुझे लगभग रुपये 7000/- दिया था और मुझे एक पुरानी मोटरसाईकिल दिया जिसकी कीमत उन्होंने रुपये 10000/- बताई | इसके हिसाब से उन्होंने मुझे कुल रुपये 17000/- दिए और अभी भी मेरी मजदूरी के रुपये 30000/- बकाया है |

      इस घटना के कारण मेरे बाएं तरफ की पीठ, हाथ, कान व चेहरा बुरी तरह से झुलस गए जिसके कारण हमेशा चमड़ी में खिचाव रहता है और अब मै कोइ काम करने में सक्षम नहीं हूँ | जिस कारण मेरे इलाज और मेरे परिवार के भरण पोषण हेतु मेरे ऊपर लगभग रुपये 150000/- कर्जा हो गया और मुझे अपनी मोटरसाईकिल भी गिरवी रखनी पडी है | मैंने ये कर्जा ब्याज पर लिया है जिससे यह रकम और बढ़ती जा रही है |

      मैंने इसके बाद भी मेरी पत्नी ने कई बार मेरी बकाया मजदूरी माँगने की कोशिश की तो सुरेन्द्र ने कहा कि भूल जाओ और अभी तो कुछ नहीं हुआ है अगर दुबारा पैसा मांगा या कही शिकायत की तो तुम्हारा पति और बच्चे जिन्दा नहीं बचेगें |

मुझे किसी ने बताया श्रम विभाग में सरकारी मदद मिल सकती है जिससे मै अपनी पत्नी व बच्चो के साथ श्रम विभाग के कार्यालय गया था जहाँ मुझे मानवाधिकार जननिगरानी समिति के लोग मिले और मुझसे पूरी घटना विस्तार से पूछे और पैरवी करने की बात पूछे | जिसके बाद मुझे और मेरी पत्नी को बहुत हिम्मत मिला है और अब मै सुरेन्द्र और पप्पू के खिलाफ केस लड़ने को तैयार हूँ | मुझे यह सब बताकर बहुत हल्का महसूस हो रहा है अब मुझे डर नहीं लग रहा है |            

     

 

Sunday, January 08, 2017

Citation: Rev. Dr. M.A. Thomas National Human Rights Award-2016 awarded to Mr. Lenin Raghuvanshi

https://www.saddahaq.com/rev-dr-ma-thomas-national-human-rights-award2016-awarded-to-mr-lenin-raghuvanshi

Vigil India Movement
61, Charles Campbell Road, Cox Town, Bangalore, India

Rev. Dr. M.A. Thomas National Human Rights Award-2016 awarded to Mr. Lenin Raghuvanshi
All humans are born having dignity and are equal in dignity. Human dignity is inviolable and must be respected and protected in every context. The dignity of the human person is not only a fundamental right in itself, but it is the sum and substance of any right to be protected and respected at all times. The Universal Declaration of Human Rights enshrined this principle in its preamble: ‘recognition of the inherent dignity and of the equal and inalienable rights of all members of the human family is foundation of freedom, justice and peace in world’. The ancient sages of India, when they proclaimed the ideal of Vasudhaiva Kudumbakam – the world as One family, envisioned the worth and value of every human being. However, the shadow of caste discrimination and its stigma follows an individual from birth till death, destroys the dignity and inalienable rights of millions of people in India. Caste discrimination, which results from the hierarchical division of a society placing inherent privileges and restrictions by birth, run contrary to the belief that “all human beings are free and equal in dignity and rights”. Mr. Lenin Raghuvanshi, an Ayurvedic Physician by profession, has dedicated his work over the years for protecting the rights and dignity of thousands of people who are discriminated in the name of caste system. 
Through his dedicated work of the rights and dignity of people suffering especially in his area i.e. child labour and bonded labour in Varanasi in Uttar Pradesh and in many parts of northern India, Lenin Raghuvanshi has been able to initiate a culture of changing the discourse on caste politics and bringing into focus an innovative “people- centric” approach to reclaim human dignity    of the deprived sections of a caste –ridden society. Lenin Raghuvanshi’s vision on caste, conflict and social change took a concrete shape while working with bonded labourers in Uttar Pradesh. Through his deep involvement at grassroots level, he realised that instead of tampering with the symptoms, the insensitive caste system needed to be addressed, for which Lenin Raghuvanshi initiated a folk school which not only  enabled empowerment of the oppressed, but also endowed them with the ability to have access to justice through legal and constitutional mechanisms of the state. As he has been leading the struggle for the dignity and rights of the vulnerable people and communities, he became a symbol of resistance against mindless caste domination and a crusader protecting the rights and dignity of the marginalised and oppressed in Varanasi.

Lenin Raghuvanshi has also initiated a novel strategic approach in human rights education through Jan Mitra Gaon – People – Friendly Villages aimed at creating local institutions that work to promote basic human rights. He adopted three villages and one slum in Varanasi as pilot projects, which includes reactivating defunct primary schools, eradicating bonded labour system, ensuring girl child education and promoting non – formal education.

Human rights campaigns call for strong conviction, extreme devotion and a deep sense of commitment not only against injustice, but also societal inertia. Lenin Raghuvanshi has displayed all these qualities in abundant measure in successive campaigns launched, advocated and promotes. In recognition of his sterling contribution to the cause of protection and promotion of human rights, the Board of Trustees of Vigil India Movement is pleased to present the M.A THOMAS NATIONAL HUAMN RIGHTS AWARD- 2016 to Mr. Lenin Raghuvanshi and to wish him for the success in his noble endeavours.

Justice P.P Bopanna                        
Managing Trustee 
                               
Advocate K.Pratap Reddy
President