Tuesday, January 10, 2017

मजदूरी मांगने पर जिन्दा जला दिया..........

 
 

 


मजदूरी मांगने पर जिन्दा जला दिया..........

मेरा नाम रमेश निषाद है | मेरी उम्र 29 वर्ष है | मेरी पत्नी का नाम सीमा देवी है | मेरे चार बच्चे रौशन उम्र 11 वर्ष, गुलशन उम्र 7 वर्ष, संगम उम्र 5 वर्ष और अर्जुन उम्र 4 वर्ष है | सभी बच्ची सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाते है | मै ग्राम बैजारामपुर दवन सिंह, ब्लाक कन्जा, थाना सरायखाजे, जिला जौनपुर का रहने वाला हूँ | मै मजदूरी करके किसी तरह अपना और अपने परिवार का पेट पालता हूँ | मै इसके पहले मुम्बई में पावरलूम चलाने का काम करता था परन्तु मंदी के कारण काम मिलना बंद हो गया जिसके बाद मै वापस अपने घर आ गया | मैंने कई वर्षो तक हैण्डपंप बोरिंग का काम किया था अतः वापस आकर मै उसी काम में लग गया | मैंने सुरेन्द्र चौहान पुत्र लालता प्रसाद चौहान ग्राम कोहड़े खरौना, थाना बक्सा, जिला जौनपुर के यहाँ हैण्ड पम्प बोरिंग का काम शुरू किया | काम के लिए रूपये 1000/- प्रति हैण्ड पम्प बोरिंग तय हुआ था | मैंने काम करना शुरू किया लेकिन काम के एवज में मालिक ने कभी भी पूरी 1000/- रुपये मजदूरी नहीं दी | कभी 200/- और कभी 400/- रुपये देते थे | मै अपना पूरा हिसाब किताब अपनी डायरी में लिखता था | इसी तरह लगभग 4-5 वर्षो तक काम चलता रहा | बीच बीच में जब मै बकाया मजदूरी की मांग करता तो वो टाल जाते और कहते कि अरे काम करते रहो मजदूरी मिल जायेगी | कभी कभी अपशब्दों का भी इस्तेमाल करते कि साले तुम्हारा पैसा हम खा थोड़े जायेंगे | जब समय आयेगा तब मिल जाएगा | इसी तरह काम चलता रहा और मै अपने बकाया पैसे मिलाने की आस में काम करता रहा |

      लेकिन उनके जुल्म की इन्तेहा तो तब हो गयी जब 5 मई, 2016 को मेरे पुत्र की तबियत बहुत ख़राब थी उसे निमोनिया हो गया था और मेरे पास उसका इलाज कराने के पैसे नहीं थे | मै बहुत परेशान था कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करू किससे मदद मांगू | तभी लगभग 3 बजे दोपहर में मेरे मालिक सुरेन्द्र चौहान का फोन मेरे पास आया कि बरसठी में एक बोरिंग का काम है उसे करना है पर मैंने अपने बेटे के तबियत ख़राब होने का हवाला देते हुए काम पर जाने में असमर्थता जताई और साथ ही मालिक से अपने बकाया पैसे मांगे लगा ताकि मै अपने बच्चे का इलाज करा सकू जिसके बाद बोले कि आओ आज मै तुम्हारा पूरा हिसाब कर देता हूँ | यह सुनकर मै बहुत खुश हुआ और मैंने सोचा कि चलो मालिक पैसे दे देंगे तो मेरे बच्चे का इलाज हो जाएगा | मैंने यह बात अपनी पत्नी को बताई और बोला कि मै मालिक के यहाँ से पैसे लेकर आता हूँ उसके बाद बच्चे का इलाज करवाने चलेंगे और मै घर से निकल गया | मै अपने मालिक सुरेन्द्र चौहान के घर लगभग 5-6 बजे पहुचा | लेकिन वहां पहुचते ही मेरी खुशी गायब हो गयी जब मैंने देखा कि मेरे मालिक सुरेन्द्र चौहान और उनका भाई पप्पू चौहान काफी गुस्से में खड़े थे और मुझे देखते ही गाली देने लगे कि तेरी इतनी हिम्मत कि तू मुझे मना कर रहा है चल वरसेठी में बोरिंग का काम है उसे जा कर पूरा कर | मैंने फिर अपनी असहमति जताई और अपने बीमार बच्चे का हवाला दिया और अपने बकाये पैसे की मांग की जिसे सुनते ही सुरेन्द्र और पप्पू आग बबूला हो गए और मुझे लात घूसों से बेतहाशा मारना शुरू कर दिया मैंने ऐसी किसी भी घटना का विचार नहीं किया था इस अप्रत्याशित पिटाई से मै बहुत डर गया और उन लोगो ने मुझे तब तक पीटा जब तक कि मै बेहोश नहीं हो गया | मुझे होश तब आया जब मुझे जलन महसूस होने लगी मैंने देखा कि मेरे शरीर में आग लगी थी | मै चीखने लगा अपने आप को बचाने के लिए इधर उधर भागने लगा जिससे घबराकर सुरेन्द्र और पप्पू वहां से भाग गए और आस पास के लोगो की मदद से मेरी आग बुझी मुझे बहुत पीड़ा हो रही थी मेरे बाए तरफ की पीठ, हाथ, कान और चेहरा बुरी तरह से झुलस गया था मेरे कपडे भी पूरी तरह से जल चुके थे जिसमे मैंने हिसाब वाली डायरी राखी थी वो भी जल चुकी थी | मेरी ससुराल भी उसी गाँव में ही है जिससे लोगो ने मेरे साले को सुचना दी जिसके बाद मेरा साला आया और अन्य गाँव वालो की मदद से मुझे जिला अस्पताल जौनपुर में भर्ती करवाया | जहाँ मेरा इलाज 31 मई, 2016 तक चला |

      इसी दौरान सुरेन्द्र और पप्पू ने मेरी पत्नी को धमकी दी कि यदि इसकी शिकायत कही की या पुलिस को सुचना दी तो अभी तो तुम्हारा पगति जिन्दा है लेकिन शिकायत करने के बाद जिन्दा नहीं रहेगा और तुम्हारे बच्चे भी नहीं जिन्दा रहेंगे | जिससे मेरी पत्नी और मै बुरी तरह डर गए और जान की सलामती के कारण कही भी शिकायत नहीं किये |

      इस घटना के बाद मै कोइ काम करने लायक नहीं रहा | मेरी पिछले 4-5 वर्षो में लगभग रुपये 47000/- की मजदूरी हुई थी जिसमे से उन्होंने मुझे लगभग रुपये 7000/- दिया था और मुझे एक पुरानी मोटरसाईकिल दिया जिसकी कीमत उन्होंने रुपये 10000/- बताई | इसके हिसाब से उन्होंने मुझे कुल रुपये 17000/- दिए और अभी भी मेरी मजदूरी के रुपये 30000/- बकाया है |

      इस घटना के कारण मेरे बाएं तरफ की पीठ, हाथ, कान व चेहरा बुरी तरह से झुलस गए जिसके कारण हमेशा चमड़ी में खिचाव रहता है और अब मै कोइ काम करने में सक्षम नहीं हूँ | जिस कारण मेरे इलाज और मेरे परिवार के भरण पोषण हेतु मेरे ऊपर लगभग रुपये 150000/- कर्जा हो गया और मुझे अपनी मोटरसाईकिल भी गिरवी रखनी पडी है | मैंने ये कर्जा ब्याज पर लिया है जिससे यह रकम और बढ़ती जा रही है |

      मैंने इसके बाद भी मेरी पत्नी ने कई बार मेरी बकाया मजदूरी माँगने की कोशिश की तो सुरेन्द्र ने कहा कि भूल जाओ और अभी तो कुछ नहीं हुआ है अगर दुबारा पैसा मांगा या कही शिकायत की तो तुम्हारा पति और बच्चे जिन्दा नहीं बचेगें |

मुझे किसी ने बताया श्रम विभाग में सरकारी मदद मिल सकती है जिससे मै अपनी पत्नी व बच्चो के साथ श्रम विभाग के कार्यालय गया था जहाँ मुझे मानवाधिकार जननिगरानी समिति के लोग मिले और मुझसे पूरी घटना विस्तार से पूछे और पैरवी करने की बात पूछे | जिसके बाद मुझे और मेरी पत्नी को बहुत हिम्मत मिला है और अब मै सुरेन्द्र और पप्पू के खिलाफ केस लड़ने को तैयार हूँ | मुझे यह सब बताकर बहुत हल्का महसूस हो रहा है अब मुझे डर नहीं लग रहा है |            

     

 

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