इन्साफ जनता की रोटी है
जिस तरह रोटी की जरूरत रोज़ होती है
इन्साफ की जरूरत भी रोज़ है
बल्कि दिन मैं कई कई बार भी उसकी जरूरत है |
इन्साफ की रोटी जब इतनी महत्त्वपूर्ण है
तब दोस्तों कौन उसे पकायेगा ?
दूसरी रोटी की तरह
इन्साफ की रोटी भी
जनता के हाथों पकनी चाहिए
भरपेट, पौष्टिक, रोज़ ब रोज़ ||
ब्रेख्त
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