To,
D.I.G./S.S.P., Varanasi.
The complaint Dr. Lenin, Executive Director/Secretary General -PVCHR/JMN, Mobile:+91-9935599333, E-Mail ID:- pvchr.india@gmail.com is being forwarded for enquiry and necessary action. If there is no legal hassle regarding this matter then kindly send brief reply to the complainant under intimation to this HQ regarding action taken with in 07 days.
Addl.S.P. (P/G),
D.G.P. Hqrs, U.P.
Lucknow.
----- Original Message -----
From: UP Police Computer Cetre Lucknow <uppcc-up@nic.in>
Date: Monday, April 25, 2011 10:24 am
Subject: Fwd: Petition:सामूहिक बलात्कार दीवानजी के लिए प्रेम प्रपंच
To: DIG Police ComplaintCell Lucknow <digcomplaint-up@nic.in>
Cc: PVCHR ED <pvchr.india@gmail.com>
> Sir> The complaint of Smt Prema Devi is being forwarded to your kind attention and response.> UPPCC
>
> ----- Original Message -----
> From: PVCHR ED <pvchr.india@gmail.com>
> Date: Monday, April 25, 2011 10:24 am
> Subject: Petition:सामूहिक बलात्कार दीवानजी के लिए प्रेम प्रपंच
> To: uppcc@up.nic.in
> Cc: NHRC <director-nhrc@nic.in>
>
>> मैं प्रेमा देवी, पत्नी-लालमणि भारद्वाज, ग्राम-असवारी, पोस्ट-कुआर बाजार, ब्लॉक-बड़ागाँव, थाना-फूलपुर, तहसील-पिण्डरा, जिला-वाराणसी (उ0प्र0) की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र-55 वर्ष है। हमारे दो लड़की और एक लड़का है। पति मुम्बई में काम करते हैं। बेटा भी उन्हीं के साथ काम करता है। मैं अपने दोनों लड़कियों के साथ अपने घर पर रहती हूँ. बड़ी लड़की संजू 25 साल की है. उसकी शादी हो चुकी है, आती-जाती रहती है. छोटी नीलम 16 साल की है और शाहजहाँ गर्ल्स इण्टर कालेज कुआर में कक्षा दसवीं में पढ़ती थी। गाँव में लड़के-लड़कियों के ग़लत सम्बन्धों के बारे में सुन कर नीलम का विवाह मैं जल्दी करना चाहती थी।
> 16 सितम्बर, 2010 को नीलम की शादी के लिए रिश्ता वाले आए. हमारी लड़की नीलम उन्हें पसन्द आ गयी। उन्होंने हमारी लड़की को पाँच सौ एक रुपये तथा साथ में मिठाईयाँ भी दिये। इसके बाद शाम लगभग चार बजे तक वापस अपने घर चले गये।
> उसी दिन शाम के लगभग सात बजे हमारी बेटी नीलम शौच के लिए पड़ोस की एक लड़की के साथ जाने लगी। तब मैंने नीलम से कहा कि लौटते वक़्त रोड की दुकान से एक माचिस लेते आना और जल्दी आना। पर घंटा बीत जाने पर भी नीलम नहीं आयी। मैं चिंतित हो रही थी। अपनी बड़ी संजू से मैंने कहा कि देखो अभी तक नीलम नही आयी। संजू ने कहा कि हो सकता है कि वो अपनी सहेली के घर चली गयी होगी। कुछ समय और बीत गया। इस बार मैंने संजू से कुछ नहीं कहा क्योंकि उसके पेट में 5 माह का गर्भ था। मैं स्वंय नीलम को खोजने रोड की तरफ़ निकल पड़ी। वहाँ न मिलने पर मैं उसकी सहेली के घर गयी। वहाँ भी नीलम नहीं मिली। मेरी चिन्ता बढने लगी। तब तक पता चला कि नीलम को मोटर साईकिल पर सवार दो लोगों ने दबोचकर जबरदस्ती मुँह दबाकर उठा ले गये। यह सुनते ही सड़क के बीचोंबीच मैं गश के कारण गिर पड़ी। मेरा माथा फट गया। तब तक चार पाँच लोग आ गये। फिर मैं एकाएक उठी, सबके पैर पकड़ने लगी कि जरा देखें कि मेरी बेटी को कौन उठाकर ले गया, किधर उठा कर ले गया। उस समय सावन-भादो का घनघोर अंधेरा था।
> मैं पगली की तरह सड़क पर इधर-उधर दौड़-दौड़ कर नीलम को खोजने लगी। लेकिन हमारी बेटी का पता नही चला। मैं भागकर अपने घर आयी। आस-पड़ोस के ताना-मेहना के डर से रो भी नहीं पा रही थी। अपने घर में ही सर पटक-पटक कर भगवान का पूजा करने लगी। कुछ-कुछ देर में घर से बाहर, अगल-ब़गल, इधर-उधर घूम-घूम कर ढूंढती रही कि कहीं हमारी बेटी नीलम मिल जाये। जब कहीं नही मिली तब हमें लगा कि हमारा हार्ट अटैक हो जायेगा।
> घर में कोई आदमी नहीं था नीलम को कहीं ढूँढे या पता करे। मैं अपने कलेजे पर पत्थर रख कर घर में बैठ गयी। आँख से आँसू तो गिर रहे थे मगर मुँह से आवाज़ नही़ आ रही थी। जब-जब कुत्ता भौंकता या खड़खड़ाहट की आवाज़ आती थी तो मैं अपना जंगला खोल लेती थी, बाहर निकल कर ढूंढने लगती थी।
> घनघोर अंधेरी रात में कुछ भी दिखाई नहीं देता था। फिर जंगला उसी प्रकार खोल कर बैठी रहती थी। दर्द से मेरा सिर फटा जा रहा था। उस समय तक हमारे सिर से खून टपकता रहा था। बैठे-बैठे भोर के लगभग तीन बज गये। तभी ज़ोर से मेरा जंगला खड़खड़ाया और धड़ाम से गिरा। मैं दौड़कर बाहर निकली। जमीन पर टटोलने लगी। हमारे हाथों से एक शरीर टकरायी, वह नीलम थी। मैं अपने हाथों से उसके बदन व कपड़ो को टटोलने लगी। हमें लगा कि कोई उसे चाकू मारकर फेंक दिया। उसके दोनों हाथों को पकड़कर जमीन से घसीटते हुए घर के अन्दर ले गयी। उसका सिर हिला-डुला कर देखने लगी। नीलम एक दम बेहोशी की हालत में पानी में लथपथ थी। संजू और मैंने उसके कपड़े बदले। फिर रजाई और कम्बल से उसे पूरी तरह ढक दिया। कुछ देर बाद नीलम ने कराहना शुरू कर दिया। हमलोगों ने उससे पूछा कि तुम्हारे साथ क्या हुआ, बताओ। डरो मत, जो हुआ साफ-साफ बताओ।
> मगर नीलम कुछ नहीं बोली। फिर भी मैं लगातार प्रयास करती रही कि नीलम कुछ बोले कि कौन-कौन उठाकर ले गये थे, कहाँ ले गये थे। मगर भय से वो कुछ नहीं बोली। इसके बाद अहिरानी गाँव के सुरेश से मंगला जी को सुबह अपने घर बुलवायी। उनके आने पर नीलम से हम लोगों ने घुमा फिरा कर कुछ सवाल पूछे। तब नीलम ने बताया कि छोटेलाल पटेल और एक अन्य आदमी मुझे जबरदस्ती उठाकर ले गये और हमारा रेप किया। किसी तरह से मैं अपना जान बचा कर वहाँ से भागी। और फिर उसकी आँखों से झर-झर आंसू बहने लगे। हम सब भी रोने लगे।
> इसके बाद मैं और मेरी बेटी नीलम थाना-फूलपुर में एफ0आई0आर0 कराने गयी। थाना-फूलपुर में मुंशी (दीवान) हमें समझाने लगा कि एफ0आई0आर0 मत कराओ नहीं तो इसका विवाह-शादी कहाँ होगा और इससे कौन शादी करेगा। तब तक दूसरा मुंशी (दीवान) कहने लगा, 'यह अपनी मर्जी से भाग गयी थी। इसका रेप नहीं हुआ है। यह प्रेम-प्रपंच का मामला है। देख नहीं रहे हो, कैसा कपड़ा पहनी है। काहे अपने माँ-बाप को परेशान करती हो। बता दो कि तुमसे गलती हो गयी है, तुम अपनी मर्जी से गयी थी।' उसकी बातों को सुनकर हमारी बेटी फिर रोने लगी। तब दूसरे दीवान ने कहा, 'देखो कैसे नखड़ा कर रही है।' इसके बाद थाने के एस0आई0 आये और कठिराँव चौकी के अंतर्गत असवारी गाँव में जाने के लिए चौकी इंचार्ज बाल गोविन्द मिश्र को उन्होंने वायरलेस से सूचना दी।
> चौकी इंचार्ज असवारी गाँव गये। छानबीन की और बताया किया कि लड़की के साथ रेप नहीं हुआ है, इसके साथ छेड़छाड़ हुआ है। तब छेड़छाड़ का मुकदमा पंजीकृत कराये और उसक मेडिकल बनाने हेतु पी0एच0सी0 पिण्डरा होमगार्ड के साथ भेज दिये। वहाँ महिला डॉ. न होने के कारण मेडिकल नहीं हो सका। फिर जिला चिकित्सालय में मेडिकल हुआ। इसके बाद मैं नीलम के साथ वापस गाँव गयी। गाँव का कोई भी व्यक्ति मिलता था तब उससे पूरी तरह नज़र नहीं मिला पाती थी।
> अब भी कैप्शन ज़रूरी है? स्रोत: predslavice.cz
> पड़ोस के लोग नीलम को ताना मारने लगे। हमारी बेटी नीलम हमसे आकर सारी बातें बताती है। लेकिन छोटेलाल पटेल की गिरफ्तारी का भय सबको बनने लगा है। नीलम के साथ जहाँ रेप हुआ, उधर मेरा खेत पड़ता है। जब-जब अपने खेत की तरफ़ जाती हूँ, हमें अपनी बेटी की दर्दनाक बातें सोच कर सब कुछ याद आ जाता है। उस समय हमें कुछ भी दिखाई नहीं देता है और चक्कर आने लगता है। अपनी पीड़ा बता कर मेरी आँखो से आँसू गिरने लगते हैं। पर आपसे अपनी तकलीफ बांटकर कुछ हल्का महसूस कर रही हूं। बस यही सोचती रहती हूँ कि हमारे साथ जो घिनौना और अमानवीय कृत्य हुआ है, उसकी भरपायी कैसे हो पायेगी? कैसे न्याय मिल पाएगा मेरी बेटी को अब कैसे सब कुछ सामान्य हो जाएगा? हालांकि मैंने न्याय की उम्मीद छोड़ी नहीं है।
>>>
>
> --> Dr. Lenin
> Executive Director/Secretary General -PVCHR/JMN
> Mobile:+91-9935599333>> Hatred does not cease by hatred, but only by love; this is the eternal rule.> --The Buddha>> "We are what we think. With our thoughts we make our world." - Buddha>>> This message contains information which may be confidential and privileged. Unless you are the addressee or authorised to receive for the addressee, you may not use, copy or disclose to anyone the message or any information contained in the message. If you have received the message in error, please advise the sender by reply e-mail to pvchr.india@gmail.com and delete the message. Thank you.>
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Executive Director/Secretary General -PVCHR/JMN
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