Monday, August 22, 2011

लोकतंत्र और संविधान की रक्षा कीजिए, क्योंकि दांव पर देश है!

प्रिय महोदय/महोदया,

अण्णा हजारे को आगे करके चलाए जा रहे हिंदू-सवर्ण-शहरी-इलीट के आंदोलन की वजह से देश के सामने एक विकट स्थिति पैदा हो गई है। सिविल सोसायटी के इलीट, कानून बनाने के काम को अपने हाथ में लेना चाहते हैं। इसके लिए वे सांसदों के घरों को घेर रहे हैं। यह संविधान विरोधी कार्य है। आंदोलन का यह स्वरूप देश के बहुजन यानी 90% दलितो, आदिवासियों, पिछड़ी-पसमांदा जातियों के खिलाफ हैं। भारतीय संविधान के तहत कानून बनाने का अधिकार हमने आपको सौंपा है और उम्मीद है कि इसकी आप रक्षा करेंगे।

ये थोड़े से लोग हैं। अण्णा के आंदोलन में कुल जितने लोग शामिल हैं, वह संख्या एक विधानसभा (MLA) चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या से भी कम है। जबकि देश में सात हजार से ज्यादा MLA हैं। सवर्ण कॉरपोरेट मीडिया इस आंदोलन को बढ़ा चढ़ा कर दिखा रहा है। इस संदर्भ में हम आपको ध्यान विश्व इतिहास की एक घटना की ओर दिलाना चाहते हैं।

22-29 अक्टूबर, 1922। इटली की सिविल सोसायटी के लगभग 30,000 लोगों ने रोम की सड़कों और संसद को घेर लिया। इन्हें इटली के उद्योगपतियों का समर्थन था। इसके बाद वहां के राजा ने चुनी हुई सरकार की जगह सत्ता मुसोलिनी को सौंप दी। यह यूरोप में अधिनायकतंत्र के विस्तार की दिशा में निर्णायक कदम था। इसकी परिणति दूसरे विश्वयुद्ध में हुई, जिसमें 6 करो़ड़ लोग मारे गए।

भारत में भी इसी इतिहास को दोहराने की कोशिश हो रही है। हम आपसे निवेदन करते हैं कि सामाजिक न्याय के एजेंडे को फिर से खड़ा करें। यही इनकी काट है। यही मौका है जब निजी क्षेत्र में आरक्षण का बिल पारित कराया जा सकता है। ऐसा होते ही सिविल सोसायटी का असली चेहरा खुल कर सामने आ जाएगा। आपकी समर्थक लाखों जनता, जो इस समय खामोश है वह खुलकर आपके समर्थन में आ जाएगी। प्राइवेट शिक्षा संस्थानों में एससी-एसटी-ओबीसी आरक्षण का संविधान संशोधन 2006 में संसद पास कर चुकी है और 93वां संविधान संशोधन अब संविधान का हिस्सा है।- Amendment of article 15.-In article 15 of the Constitution, after clause (4), the following clause shall be inserted, namely:- "(5) Nothing in this article or in sub-clause (g) of clause (1) of article 19 shall prevent the State from making any special provision, by law, for the advancement of any socially and educationally backward classes of citizens or for the Scheduled Castes or the Scheduled Tribes in so far as such special provisions relate to their admission to educational institutions including private educational institutions, whether aided or unaided by the State, other than the minority educational institutions referred to in clause (1) of article 30."

निजी शिक्षा संस्थानों में आरक्षण लागू कराएं। अण्णा को आगे करके संविधान , लोकतंत्र और राजनीतिक प्रक्रिया को ध्वस्त करने की कोशिशों का विरोध करें।


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Dr. Lenin
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