Saturday, March 10, 2012

जातिवाद, साम्प्रदायिक फासीवाद एवं नवउदारवाद के खिलाफ ‘उत्पीडि़तों की एकता-नवदलित आन्दोलन’


जातिवाद, साम्प्रदायिक फासीवाद एवं नवउदारवाद के खिलाफ 'उत्पीडि़तों की एकता-नवदलित आन्दोलन' में शामिल हों।

भारतीय सामन्ती समाज जातिवादी व पितृ सत्ता पर खड़ा रहा और आज भी उसके अवशेष 'न्याय में देरी या फिर अन्याय'पर खड़ा है। गाँवों में अभी भी अनेको लोग हैं, जो 'चुप्पी की संस्कृति के शिकार हैं। इसी अपपरम्परा को नवउदारवादी ताकतें आगे बढ़ाकर लोगों का श्रम, संस्कृति, कला व प्राकृतिक संस्थानों पर बेशर्मी से कब्जा कर रही हैं। लूटने वाली ताकते हमेशा लोगों को आपस में धर्म व जाति में बांटकर व लड़ाकर 'विभाजन'के आधार पर अपनी सत्ता को बनाते हैं और कायम रखते हैं। विभाजन की राजनीति के खिलाफ एक ही विकल्प है-एकता!!
लुटेरों की एकता के खिलाफ हमारी एकता क्या होगी? पहली एकता जातिवाद के खिलाफ। जातिवाद से ऐतिहासिक रूप से सताये गये जातियों की एकता एवं उनकी ऊँची जाति के प्रगतिशील लोग, जो जातिवाद के खिलाफ हैं, उनके साथ एकता। यह पहली तरह की एकता, जो न तो किसी ऊँची जाति में पैदा व्यक्ति के खिलाफ है और न ही किसी धर्म के खिलाफ।
साम्प्रदायिक फासीवाद एवं दंगे फसाद से टूटे हुए धार्मिक लोगों की एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव व धर्मनिरपेक्षता पर विश्वास करने वाले सभी धर्मो की एकता-साम्प्रदायिक फासीवाद के खिलाफ, यह दूसरी तरह की एकता है।
नवउदारवादी नीतियों के कारण गरीबी से टूट रहे गरीबों की एकता-तीसरे तरह की एकता है। नवउदारवादी नीतियों के विरोध का अर्थ 'लोकतांत्रिक पूँजीवाद' का विरोध नहीं है।
टूटे हुए लोग का अर्थ दलित होता है इस तरह तीन तरह के लोगों की एकता 'नवदलित आन्दोलन' है।
राजनैतिक पार्टी के स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर 'नवदलित आन्दोलन'को खड़ा करके राजनैतिक दलों को जनता के पक्ष में मजबूर करना होगा।
आज महिलायें लोगों से अपील करती हैं कि जातिवाद के खिलाफ प्रगतिशील लोगों की एकता, साम्प्रदायिक फासीवाद के खिलाफ धर्म निरपेक्ष लोगों की एकता व नवउदारवादी नीति के खिलाफ गरीबों की एकता की महाएकता-नवदलित आन्दोलन में शामिल होकर उसे न्याय, बन्धुत्व व अहिंसा के रास्ते से जनान्दोलन में तब्दील करें तभी समाज व खासकर महिलायें हिंसा, यातना व अत्याचार से मुक्त हो सकेंगी।

भवदीया
बिन्दू सिंह (उपाध्यक्ष), श्रुति नागवंशी (संस्थापिका/मैनेजिंग ट्रस्टी),
शिरिन शबाना खान (सीनियर मैनेजर), कात्यायनी (मैनेजर), आशा पटेल एवं नीलम कन्नौजिया (गवर्निंग बोर्ड मेम्बर)
मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR) व सावित्री बाई फुले महिला पंचायत
सा0 4/2, दौलतपुर, वाराणसी-221002

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