Wednesday, September 05, 2012

मानव अधिकार शिक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत विद्यालय के बच्चों एवं शिक्षकों में हुए सकारात्मक एवं गुणात्मक परिवर्तन का एक संक्षिप्त परिचय-


मानव अधिकार शिक्षा को विद्यालय में बाल भागीदारी एवं मैत्रिपूर्ण सामुहिक चर्चा परिचर्चा शिक्षा पद्वति के माध्यम से विद्यालय  एवं मदरसे के छात्र-छात्राओं के बीच विगत एक वर्ष से एक विषय के रूप में संचालित किये जाने के फलस्वरूप छात्र-छात्राओं में निम्नलिखित गुणात्मक परिवर्तन देखने को मिला। ये परिवर्तन छात्र मुल्यांकन प्रश्नावली एवं विद्यालय निरीक्षण के दौरान मानव अधिकार शिक्षा के कक्षा में मौखिक साक्षात्कार एवं विभिन्न पाठों पर परिचर्चा, संवाद, सामुहिक वार्तालाप के दौरान छात्रों ने अपने विचार के माध्यम से व्यक्त किये। जो अग्रलिखित है।

1. एक विषय के रूप में मानव अधिकार शिक्षा पढ़ने में छात्रों द्वारा विशेष रूचि प्रकट की गई।

2. मानव अधिकार शिक्षा को पढ़ने के बाद सभी विद्यालय के बच्चों में सामान्य मानव अधिकार विषय, मूल्य विचार एवं मानवीय व्यवहार का गुण देखने को मिला।

3. मानव अधिकार शिक्षा अध्ययन के पश्चात छात्रों में विभिन्न सामाजिक, राजनैतिक विषयों, समस्याओं, स्थितियों की बेहतर जानकारी एवं समझ विकसित हुई।

4. मानव अधिकार शिक्षा पढ़ने के बाद बच्चों में मानवीय मूल्य, गरिमा, सभी के साथ सम्मान का व्यवहार, बराबरी का अवसर, न्याय-बन्धुत्व, राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना का भी विकास हुआ।

5. बच्चों में शिक्षकों एवं अपनो से बड़ों का सम्मान, आदर्शवादिता एव ंसच बोलने का गुण देखने को मिला।

6. किसी समस्या पर तार्किक ढंग से सोचने एवं समझने का गुण एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अपनी बात को रखने का गुण विकसित हुआ।

7. मानव अधिकार शिक्षा पाठ्य पुस्तक में वर्णित विभिन्न अध्यायों एवं पाठों पर कक्षा में सामुहिक चर्चा, वाद-संवाद एवं विचार विमर्श के माध्यम से विभिन्न विषयों पर गहन समझ हुई।

8. मानव अधिकार शिक्षा को पढ़ने के बाद छात्रों में लैंगिक स्तर पर लड़के लड़कियों में भेद-भाव जैसी भावना समाप्त हुई। एक दूसरे से सहयोगात्मक एवं मित्रवत व्यवहार विकसित हुआ।

9. मानव अधिकार शिक्षा के अन्तर्गत संचालित विभिन्न शैक्षिक एवं गैर शैक्षिक गतिविधियों में छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया एवं भागीदारी की।

10. विद्यालय स्तर पर बच्चों ने स्वयं पहल करते हुए दहेज, बाल विवाह एवं भ्रूण हत्या विषय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस एवं बाल अधिकार दिवस को अपने विद्यालय में आयोजित किया।

11. अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस एवं बाल अधिकार दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित लेख एवं चित्रकारी प्रतियोगिता में लगभग विभिन्न विद्यालय के 500 बच्चों ने भाग लिया।

12. मानव अधिकार शिक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत चयनित अतिवंचित, दलित एवं अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र के विद्यालयों एवं मदरसों के बच्चों ने विभिन्न समस्याओं, विषयों एवं मुद्दों पर निःसंकोच होकर अपने विचार को साझा किया।

13. विभिन्न विद्यालय के मानव अधिकार शिक्षकों ने अपने क्षेत्र की क्षेत्रिय एवं  किसी समस्या से पीडि़त महिला एवं पुरूष की व्यक्तिगत समस्याओं को भी सुलझाने के लिए एक मानव अधिकार कार्यकर्ता के रूप में  भूमिका निभाई।

14. मानव अधिकार विषय के अलावा शिक्षकों में अन्य सामाजिक,  राजनैतिक मुद्दों पर जागरूकता आई एवं उन्होंने अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

15. मानव अधिकार शिक्षा को बच्चों के बीच संचालित करने के दौरान शिक्षकों में भी अपने संवैधानिक अधिकारों एवं कानूनी विषय की बेहतर जानकारी एवं उन्हें व्यवहार में उतारने का ज्ञान प्राप्त हुआ।

16. शिक्षकों द्वारा मानव अधिकार शिक्षा को कक्षा में बच्चों को पढ़ाने के दौरान पाठ्य पुस्तक में लिखित अधिकांश प्रश्नों का सही एवं स्पष्ट उत्तर दिया गया।

17. मानव अधिकार शिक्षा के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं में नेतृत्व करने की क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता एवं अपने बातों को स्पष्ट ढंग से रखने का गुण भी विकसित हुआ।

18. विभिन्न सामुदायिक एवं क्षेत्रिय समस्याओं पर मानव अधिकार हनन के मुद्दे पर कई विद्यालय के बच्चों एवं शिक्षकों ने पहल करते हुए अपने अधिकार की लड़ाई लड़ी एवं विजयी हुए।

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