सेवामें,
माननीयमुख्यमंत्री महोदय,
उत्तरप्रदेश शासन,
लखनऊ।
विषय: डेढ़ वर्षीय चंद्रशेखर, वजन 5किलो 600 ग्राम अति गम्भीर कुपोषण ग्रस्त एवं सातवर्षीय मंदोदरी हिमोग्लोबिन 3.6 (भाई-बहन) सहितरौंप ग्राम, जिला सोनभद्र निवासी बच्चों के कुपोषण केसंदर्भ में।
महोदय,
डेढ़ वर्षीयचंद्रशेखर का वजन सिर्फ पांच किलो छः सौ ग्राम अति गम्भीर कुपोषण का शिकार है।चन्द्रशेखर का शरीर केवल हड्डियों का ढांचा है, हड्डियोंऔर चमड़ी के बीच मांस पूरी तरह गल चुका है, चमड़ीसूखी, चक्तेदार होकर झूल गयी है, एक आंख में सफेदझिल्ली पड़ गयी है। चन्द्रशेखर की सात वर्षीय बड़ी बहन मंदोदरी भी गम्भीर कुपोषणकी शिकार है। खून की जाँच में उनका हिमोग्लोबिन 3.6 है।
चन्द्रशेखर औरमंदोदरी की माँ बितनी उम्र लगभग 35 वर्ष रौंप ग्राम राबर्ट्सगंज जिलासोनभद्र उत्तर प्रदेश की रहने वाली है। बितनी अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए काममिलने पर मजदूरी करती है, जब काम नही मिलता तब राबर्ट्सगंज बाजारके कालोनी में भीख मांगकर बच्चों का पेट भरती है। बितनी के पति शिवकुमार जबचन्द्रशेखर गर्भ में था तभी उसे छोड़कर गाँव की ही दूसरी लड़की के घर में उसके साथरहने लगा है और बितनी से झगड़ाकर अपनी झोपड़ी (घर) भी शिवकुमार ने गिरा दिया।जिसके बाद बितनी मजबूर होकर अपने वृद्ध पिता के साथ उनकी झोपड़ी में रह रही है।अंत्योदय राशन कार्ड जो शिवकुमार के नाम पर है उसे भी शिवकुमार ने सात हजार रुपयेपर गिरवी रख दिया है। बितनी को शिवकुमार से आठ (6 लड़केएवं 2 लड़कियाँ) बच्चों का जन्म हुआ, लेकिनगरीबी और पोषण के अभाव में 4 बच्चों (3 लड़केएवं 1 लड़की) की मृत्यु हो गयी। बितनी बहुत गरीबी और बेबसी में अपनेबच्चों को पूरा पोषण नही दे पाती, जिससे वे गम्भीर कुपोषण ग्रस्त हो गयेहै। बितनी तो उनके बचने की उम्मीद भी छोड़ चुकी थी।
सबसे छोटा बेटाचन्द्रशेखर भी मौत के मुँह पर खड़ा था ऐसे में मानवाधिकार जननिगरानी समिति केद्वारा इन दोनों बच्चों का 28 अगस्त, 2012 कोचिकित्सीय जाँच और इलाज वाराणसी के पाण्डेयपुर स्थित बाल रोग चिकित्सालय जैन हास्पिटलमें कराया गया। डाक्टर की सलाह पर मंदोदरी को 1 यूनिटखून भी चढ़ाया गया। जिसे समिति के डा0 राजीव सिंह ने दिया। चन्द्रशेखर भीचिकित्सकीय निगरानी में अस्पताल में भर्ती है।
विदित हो किरौंप ग्राम के घसिया आदिवासी कर्मा नृत्य के कलाकार परिवारों में पहले भी गम्भीरकुपोषण के कारण 18 बच्चों की मृत्यु हो गयी थी जिसके बाद यहाँबच्चों की देखभाल के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हुई लेकिन आंगनबाड़ीकार्यकर्ती भी बच्चों की जरूरत के अनुसार पोषण नही दे पाती। कुछ परिवारों के पासअन्त्योदय और बी0पी0एल0राशन कार्ड है लेकिन उन पर उपलब्ध राशन महीने भर पेट भरने के लिए पर्याप्त नही है।
आजिविका के लिएनियमित संसाधन नही होने के कारण आय का जरिया भी नियमित नही है। जिससे इन परिवारोंको बिमारी में इलाज के लिए, झोपड़ी चूने पर उसकी मरम्मत के लिए,लड़की की शादी आदि के लिए कर्ज लेकर खर्च संभालने को मजबूर हैं। रौंपग्राम के 90 घसिया परिवारों में 78परिवारों ने किसी न किसी बुनियादी जरूरत के लिए कर्ज लिया है। इसमें से आधे सेअधिक 45 परिवारों ने बिमारी में इलाज के लिए कर्ज लिया है। इन 45परिवारों में से 6 परिवार राशन कार्ड गिरवी रखकर अपना या अपनेपरिवार के सदस्यों का इलाज करा रहे है। इलाज के लिए ली गयी न्यूनतम रकम एक हजार सेलगभग पच्चीस हजार रुपये तक है। किन्तु कर्ज भी साहूकार या अन्य किसी से तभी मिलताहै जब कर्ज या सूद चुकाने की क्षमता हो या कर्ज के बदले कोई मूल्यवान वस्तु गिरवीरखी जाय।
पोषण के अभाव मेंपरिवार अधिक बीमार पड़ते है और बिमारी से निपटने के लिए झोलाछाप डाक्टरों या फिरझाड़-फूंक पर निर्भर हैं। टी0वी0, मलेरिया,टाइफाइड, सर्दी जुकाम, एनिमिया,डायरिया आदि जैसी बिमारी एवं प्रसव जिनका देखभाल एवं इलाज सरकारीअस्पतालों में निःशुल्क है। स्वास्थ्य कर्मीयों की उदासीनता और लापरवाही के कारणइन बिमारियों के इलाज के लिए वे दस प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेते है। जबकि रौंपग्राम से जिला संयुक्त चिकित्सालय केवल 1 किमी0की दूरी पर है और जिला मुख्यालय सिर्फ 2 किमी0पर स्थित है।
रौंप ग्राम मेंचन्द्रशेखर और मंदोदरी जैसे और कई बच्चें हैं, जिन्हेंसमय रहते पोषण और स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं नही मिली तो वे भी अति गम्भीर कुपोषणग्रस्त होकर मृत्यु का शिकार हो सकते हैं। अतः निम्न उपाय अविलम्ब किये जानेचाहिये:-
1. अतिगम्भीरअवस्था में कुपोषण ग्रस्त चन्द्रशेखर एवं मंदोदरी की माँ बितनी पत्नी शिवकुमार कोअविलम्ब भूख और कुपोषण से बचाव के लिए आकस्मिक पारिवारिक सहायता एक हजार रुपये (22दिसम्बर, 2004 मुख्य सचिव के निर्देशानुसार) दिया जाए।
2. सर्वोच्चन्यायालय के मु0सं0 196 PUCL बनामभारत सरकार के आदेशानुसार एकल महिला/परिव्यक्ता महिला को अविलम्ब अंत्योदय राशनकार्ड दिया जाए, जिससे उसका खाद्य संकट से बचाव हो सके।
3. बितनीका आजिविका के लिए जाॅब कार्ड बनाकर उसकी योग्यता क्षमता अनुसार काम दिया जाए।(ध्यान रहे कि बितनी का सबसे छोटा बच्चा चन्द्रशेखर डेढ़ वर्ष का ही है उसे माँ कीदेखभाल कि अधिक आवश्यकता है।)
4. बितनीके पति शिवकुमार पर घरेलू महिला हिंसा कानून 2005 केअनुसार कानूनी कार्यवाही की जाए।
5. चन्द्रशेखरएवं मंदोदरी दोनो बच्चों का भोजन अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए माँ बितनी कोप्रशासन द्वारा अविलम्ब खाद्यान उपलब्ध कराया जाए।
6. रौंपग्राम के घसिया नई बस्ती में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र एवं इस बस्ती के लिएनियुक्त ए0एन0एम0 के कार्यो कामूल्यांकन किया जाए।
7. स्वास्थ्यविभाग द्वारा स्वास्थ्य कैम्प लगाकर सभी बच्चों, किशोरियोंएवं 18 से 45 वर्ष की सभी महिलाओं का विशेषज्ञ डाक्टरोंद्वारा स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए।
8. रौंपग्राम में नई बस्ती टोले के घसिया आदिवासी सभी परिवारों को राशन कार्ड एवं आवासयोजना से संतृप्त किया जाए।
9. आजिविकाके संकट से बचाव के लिए मनरेगा में परिवारों को काम मुहैया कराया जाए।
संलग्नक :-
1. चन्द्रशेखर और मंदोदरी का फोटो।
भवदीया
(श्रुति)
मैनेजिंगट्रस्टी
माननीयमुख्यमंत्री महोदय,
उत्तरप्रदेश शासन,
लखनऊ।
विषय: डेढ़ वर्षीय चंद्रशेखर, वजन 5किलो 600 ग्राम अति गम्भीर कुपोषण ग्रस्त एवं सातवर्षीय मंदोदरी हिमोग्लोबिन 3.6 (भाई-बहन) सहितरौंप ग्राम, जिला सोनभद्र निवासी बच्चों के कुपोषण केसंदर्भ में।
महोदय,
डेढ़ वर्षीयचंद्रशेखर का वजन सिर्फ पांच किलो छः सौ ग्राम अति गम्भीर कुपोषण का शिकार है।चन्द्रशेखर का शरीर केवल हड्डियों का ढांचा है, हड्डियोंऔर चमड़ी के बीच मांस पूरी तरह गल चुका है, चमड़ीसूखी, चक्तेदार होकर झूल गयी है, एक आंख में सफेदझिल्ली पड़ गयी है। चन्द्रशेखर की सात वर्षीय बड़ी बहन मंदोदरी भी गम्भीर कुपोषणकी शिकार है। खून की जाँच में उनका हिमोग्लोबिन 3.6 है।
चन्द्रशेखर औरमंदोदरी की माँ बितनी उम्र लगभग 35 वर्ष रौंप ग्राम राबर्ट्सगंज जिलासोनभद्र उत्तर प्रदेश की रहने वाली है। बितनी अपने बच्चों के पालन पोषण के लिए काममिलने पर मजदूरी करती है, जब काम नही मिलता तब राबर्ट्सगंज बाजारके कालोनी में भीख मांगकर बच्चों का पेट भरती है। बितनी के पति शिवकुमार जबचन्द्रशेखर गर्भ में था तभी उसे छोड़कर गाँव की ही दूसरी लड़की के घर में उसके साथरहने लगा है और बितनी से झगड़ाकर अपनी झोपड़ी (घर) भी शिवकुमार ने गिरा दिया।जिसके बाद बितनी मजबूर होकर अपने वृद्ध पिता के साथ उनकी झोपड़ी में रह रही है।अंत्योदय राशन कार्ड जो शिवकुमार के नाम पर है उसे भी शिवकुमार ने सात हजार रुपयेपर गिरवी रख दिया है। बितनी को शिवकुमार से आठ (6 लड़केएवं 2 लड़कियाँ) बच्चों का जन्म हुआ, लेकिनगरीबी और पोषण के अभाव में 4 बच्चों (3 लड़केएवं 1 लड़की) की मृत्यु हो गयी। बितनी बहुत गरीबी और बेबसी में अपनेबच्चों को पूरा पोषण नही दे पाती, जिससे वे गम्भीर कुपोषण ग्रस्त हो गयेहै। बितनी तो उनके बचने की उम्मीद भी छोड़ चुकी थी।
सबसे छोटा बेटाचन्द्रशेखर भी मौत के मुँह पर खड़ा था ऐसे में मानवाधिकार जननिगरानी समिति केद्वारा इन दोनों बच्चों का 28 अगस्त, 2012 कोचिकित्सीय जाँच और इलाज वाराणसी के पाण्डेयपुर स्थित बाल रोग चिकित्सालय जैन हास्पिटलमें कराया गया। डाक्टर की सलाह पर मंदोदरी को 1 यूनिटखून भी चढ़ाया गया। जिसे समिति के डा0 राजीव सिंह ने दिया। चन्द्रशेखर भीचिकित्सकीय निगरानी में अस्पताल में भर्ती है।
विदित हो किरौंप ग्राम के घसिया आदिवासी कर्मा नृत्य के कलाकार परिवारों में पहले भी गम्भीरकुपोषण के कारण 18 बच्चों की मृत्यु हो गयी थी जिसके बाद यहाँबच्चों की देखभाल के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हुई लेकिन आंगनबाड़ीकार्यकर्ती भी बच्चों की जरूरत के अनुसार पोषण नही दे पाती। कुछ परिवारों के पासअन्त्योदय और बी0पी0एल0राशन कार्ड है लेकिन उन पर उपलब्ध राशन महीने भर पेट भरने के लिए पर्याप्त नही है।
आजिविका के लिएनियमित संसाधन नही होने के कारण आय का जरिया भी नियमित नही है। जिससे इन परिवारोंको बिमारी में इलाज के लिए, झोपड़ी चूने पर उसकी मरम्मत के लिए,लड़की की शादी आदि के लिए कर्ज लेकर खर्च संभालने को मजबूर हैं। रौंपग्राम के 90 घसिया परिवारों में 78परिवारों ने किसी न किसी बुनियादी जरूरत के लिए कर्ज लिया है। इसमें से आधे सेअधिक 45 परिवारों ने बिमारी में इलाज के लिए कर्ज लिया है। इन 45परिवारों में से 6 परिवार राशन कार्ड गिरवी रखकर अपना या अपनेपरिवार के सदस्यों का इलाज करा रहे है। इलाज के लिए ली गयी न्यूनतम रकम एक हजार सेलगभग पच्चीस हजार रुपये तक है। किन्तु कर्ज भी साहूकार या अन्य किसी से तभी मिलताहै जब कर्ज या सूद चुकाने की क्षमता हो या कर्ज के बदले कोई मूल्यवान वस्तु गिरवीरखी जाय।
पोषण के अभाव मेंपरिवार अधिक बीमार पड़ते है और बिमारी से निपटने के लिए झोलाछाप डाक्टरों या फिरझाड़-फूंक पर निर्भर हैं। टी0वी0, मलेरिया,टाइफाइड, सर्दी जुकाम, एनिमिया,डायरिया आदि जैसी बिमारी एवं प्रसव जिनका देखभाल एवं इलाज सरकारीअस्पतालों में निःशुल्क है। स्वास्थ्य कर्मीयों की उदासीनता और लापरवाही के कारणइन बिमारियों के इलाज के लिए वे दस प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लेते है। जबकि रौंपग्राम से जिला संयुक्त चिकित्सालय केवल 1 किमी0की दूरी पर है और जिला मुख्यालय सिर्फ 2 किमी0पर स्थित है।
रौंप ग्राम मेंचन्द्रशेखर और मंदोदरी जैसे और कई बच्चें हैं, जिन्हेंसमय रहते पोषण और स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं नही मिली तो वे भी अति गम्भीर कुपोषणग्रस्त होकर मृत्यु का शिकार हो सकते हैं। अतः निम्न उपाय अविलम्ब किये जानेचाहिये:-
1. अतिगम्भीरअवस्था में कुपोषण ग्रस्त चन्द्रशेखर एवं मंदोदरी की माँ बितनी पत्नी शिवकुमार कोअविलम्ब भूख और कुपोषण से बचाव के लिए आकस्मिक पारिवारिक सहायता एक हजार रुपये (22दिसम्बर, 2004 मुख्य सचिव के निर्देशानुसार) दिया जाए।
2. सर्वोच्चन्यायालय के मु0सं0 196 PUCL बनामभारत सरकार के आदेशानुसार एकल महिला/परिव्यक्ता महिला को अविलम्ब अंत्योदय राशनकार्ड दिया जाए, जिससे उसका खाद्य संकट से बचाव हो सके।
3. बितनीका आजिविका के लिए जाॅब कार्ड बनाकर उसकी योग्यता क्षमता अनुसार काम दिया जाए।(ध्यान रहे कि बितनी का सबसे छोटा बच्चा चन्द्रशेखर डेढ़ वर्ष का ही है उसे माँ कीदेखभाल कि अधिक आवश्यकता है।)
4. बितनीके पति शिवकुमार पर घरेलू महिला हिंसा कानून 2005 केअनुसार कानूनी कार्यवाही की जाए।
5. चन्द्रशेखरएवं मंदोदरी दोनो बच्चों का भोजन अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए माँ बितनी कोप्रशासन द्वारा अविलम्ब खाद्यान उपलब्ध कराया जाए।
6. रौंपग्राम के घसिया नई बस्ती में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र एवं इस बस्ती के लिएनियुक्त ए0एन0एम0 के कार्यो कामूल्यांकन किया जाए।
7. स्वास्थ्यविभाग द्वारा स्वास्थ्य कैम्प लगाकर सभी बच्चों, किशोरियोंएवं 18 से 45 वर्ष की सभी महिलाओं का विशेषज्ञ डाक्टरोंद्वारा स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए।
8. रौंपग्राम में नई बस्ती टोले के घसिया आदिवासी सभी परिवारों को राशन कार्ड एवं आवासयोजना से संतृप्त किया जाए।
9. आजिविकाके संकट से बचाव के लिए मनरेगा में परिवारों को काम मुहैया कराया जाए।
संलग्नक :-
1. चन्द्रशेखर और मंदोदरी का फोटो।
भवदीया
(श्रुति)
मैनेजिंगट्रस्टी
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