03 दिसम्बर, 2012 को मानवाधिकार जननिगरानी समिति के
सहयोग से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वाराणसी का घरेलू हिंसा मानसिक व शारीरिक यातना व
जानमाल के खतरे की शिकायत भेजी साथ ही समिति से सुरक्षित स्थान पर रहने की गुजारिश
की। शुरू में बहुत डरी थी जिसके कारण समिति ने हमारी काउंसलिंग की एवं मेरे बयान
को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पुलिस
महानिदेशक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गृह सचिव, मुख्यमंत्री को भेजा, जिस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 15 दिसम्बर, 2012 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, वाराणसी को नोटिस देकर चार हफ्ते में
जवाब देने का निर्देश दिया।
आश्चर्य की बात है कि घरेलू हिंसा
अधिनियम 2005 के तहत् तुरन्त कार्यवाही का
प्राविधान है जबकि 16 जनवरी, 2013 तक प्रशासन की तरफ से कोई भी कार्यवाही नही की गयी। यह सीधा-सीधा
घरेलू हिंसा अधिनियम का उल्लंघन और अपमान है। यही रहा तो महिलाओं के साथ हो रहे
घरेलू हिंसा और बलात्कार कैसे रोके जायेगें।
यह तब स्थिति है जब दिल्ली के सामूहिक
रेप काण्ड के बाद शासन और प्रशासन का यह महिला विरोधी रवैया है।
अभी 19 जनवरी को जब मैने अपना बयान महिला प्रकोष्ठ वाराणसी में देने गयी तो
वे लोग उल्टे ही मुझ पर दबाव बनाने लगी और मुझे अपने पति के साथ तुरन्त घर वापस
जाने को कहने लगी और मुझे अपने पति के साथ तुरन्त घर वापस जाने को कहने लगी। मैं
तो घबरा गयी कि इस बार भी वो मुझे जबरजस्ती ले जाकर मानसिक और शारिरीक रूप से
परेशान करेगा। जिस तरह इससे पहले भी जब मैं भागकर अपने माँ के घर आयी तो पुलिस ने
मेरे भाई को ही पकड़ कर लाॅकअप में बंद कर दिया और तब छोड़ा जब मैं सनील (पति) के घर
गयी।
महिला प्रकोष्ठ के कानून के अनुसार
कार्यवाही करने की जगह कहने लगी कि महिलाओं को तो पतियों की मार खाना पड़ता है। जब
मैंने कहा कि उसकी पहली पत्नी मृतिका सोनी संदिग्ध आवस्था में मर गयी, उसके पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भ्ंदहपदह
से मरना दिखाया गया, इस पर कोई कार्यवाही नही हुई तो इस पर
महिला प्रकोष्ठ के लोगों ने कहा कि चुप रहो ज्यादा मत बालों।
मैं बनारस की बेटी बनारस के लोगों से
प्रार्थना करती हूँ कि मेरी हत्या होने से मुझे बचा ले, मेरा पुनः मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न न
होने दें और मेरे बच्चें के जान माल की रक्षा की जाए।
प्रेसवार्ता में उपस्थित सावित्री बाई
फूले महिला पंचायत की संयोजिका सुश्री श्रुति नागवंशी ने बताया कि 20 दिसम्बर, 2012 को पति सुनील गुप्ता ने सुबह लगभग 08ः30
बजे पर संस्था के कार्यालय में आकर संस्था के निदेशक को इस घटना में कोई कानूनी
सहयोग न करने के लिए धमकी दिया, पुनः
16 जनवरी, 2013 को संस्था के निदेशक के मोबाईल पर धमकी देते हुए कहा कि तुम्हें
फँसा दिया जायेगा और बर्बाद कर दिया जायेगा। इस समय सपना के घर वाले भी (भाई, बहन एवं माँ) बहुत डरे हुए है।
समिति इस मामले को कानून के दायरे में
आखिरी समय तक लड़ेगी और इस मामले की शिकायत संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकार
प्रकोष्ठ में भी दायर कर दी गयी है।
(सपना चैरसिया)
C/O मानवाधिकार जननिगरानी समिति,
सा0 4/2ए, दौलतपुर, वाराणसी।
सम्पर्क सूत्र: 9935599333, 9935599330
http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20130124a_003190020&ileft=110&itop=580&zoomRatio=182&AN=20130124a_003190020vv
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पति पर लगाया उत्पीड़न का आरोप
पीड़िता ने कहा, शिकायत के बाद भी पुलिस ने नहीं की कार्रवाई
• अमर उजाला ब्यूरो
वाराणसी। लंका में रहने वाली एक महिला ने अपने पति पर मानसिक और शारीरिक यातना देने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि पति उसे न घर में रहने देता है और न ही तलाक देता है। उसने जबरन पांच साल के बेटे को अपने साथ रखा है। पुलिस में भी शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीड़िता ने अपनी दास्तान लहुराबीर स्थित एक रेस्टोरेंट में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सुनाई। महिला फिलहाल एक स्वयंसेवी संस्था के संरक्षण में रह रही है। मदद करने पर संस्था के अध्यक्ष को जान से मारने की धमकी दी जा रही है।
महिला का कहना है कि जब वह 11 साल की थी तभी उसके पिता की मौत हो गई थी। 15 साल की उम्र में उसकी शादी खोजवां निवासी युवक से जबरन करा दी गई। शादी के बाद से ही पति उसे प्रताड़ित करने लगा। एमएमएस बनाकर उसे ब्लैकमेल करता था।
एक साल पूर्व उसने एसएसपी से शिकायत की थी। कहीं सहारा न मिलने पर एक संस्था ने उसकी मदद की। संस्था ने पीड़िता का बयान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और डीजीपी को भेजा। मानवाधिकार आयोग ने एसएसपी से जवाब मांगा था। वह महिला प्रकोष्ठ में बयान देने गई तो उस पर समझौते के लिए दबाव बनाया गया। पुलिस ने उल्टे पीड़िता के भाई को लॉकअप में डाल दिया।
• मदद करने पर संस्था के अध्यक्ष को मिल रही धमकी
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