Sunday, September 29, 2013

महिलाओं पर जुल्म की इंतहा, दिल झकझोर देने वाली कहानी, तस्वीरों की जुबानी

http://www.bhaskar.com/article/UP-VAR-five-terrible-atrocity-story-4386403-PHO.html
वाराणसी. डायन एक ऐसा शब्द जो किसी भी महिला के लिए अभिशाप से कम नहीं है। आधुनिकता की चादर ओढ़े हम कितनी भी तरक्की कर ले, लेकिन समाज में आज भी महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं।
 
पूर्वांचल के अति पिछड़े जिले सोनभद्र में आज भी कई महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं। इस गांव में उनको डायन की संज्ञा देकर किसी की जुबान काट ली गई तो किसी का मुहं काला कर पूरा गांव घुमाया गया। 
 
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरों के मुताबिक 2008 में अलग-अलग जगहों पर करीब 800 महिलाओं को डायन बताकर उनपर जुल्म ढाया गया। ऐसी ही पांच महिलाओं की कहानी हम बता रहे हैं, जिन्हें डायन बताकर समाज और ग्रामीणों ने जुल्म की इंतेहा कर दी। 



जागेसरी- हैवानों ने इनकी जुबान काटकर इन्हें बेजुबान बना दिया... 
 
जागेसरी देवी अब बोल नहीं सकती, क्योंकि जालिमों ने उन्हें डायन की संज्ञा देकर 2011 में पूरी पंचायत के सामने उनकी जुबान काट दी। उनकी मदद करने वाली संस्था मानवाधिकार जन निगरानी समिति की संयोजिका श्रुति रघुवंशी ने बताया कि हम लोगों को जब पता चला तो हमारी टीम करहिया गांव पहुंची। उनके पति रमाशंकर ने बताया कि आठ बीघे जमीन के विवाद को लेकर रिश्तेदारों ने पत्नी को डायन बताकर जुबान काटवा दी। चचेरी बहन और बहनोई सहदेव के पांच बच्चे थे। बीमारी के कारण तीन बच्चों की मौत हो गई। सहदेव ने मेरी पत्नी को कुलटा और डायन बताकर पूरी पंचायत बुला ली। भरी पंचायत में ओझा के सामने जीभ को ब्लेड से काट दिया। श्रुति ने बताया कि यह गांव इतना पिछड़ा है कि लोग पुलिस के पास भी नहीं जाते। फ़िलहाल पंचायत के दबाव और सहदेव के आतंक को अगूंठा दिखाते हुए जागेसरी आज भी उसी जमीन पर खेती कर रही है। 


मन्नी- डायन बताकर लोगों ने मुहं पर कालिख पोती... 
 
मन्नी सारनाथ के पास छोटे से गांव में रहती हैं। उन्होंने बताया कि 30 सितंबर 2012 को गांव के कई लोग रास्ते में मुझपर डायन चुड़ैल का आरोप लगाते हुए टूट पड़े। मैं कुछ समझ पाती, तब तक कई लोग मुझे पीटने लगे, एक ने मुंह पर कालिख भी पोत दी। मुझे डायन बताकर बहुत पिटा गया। दूसरे दिन थाने पहुंची, कुछ पुलिस वालो ने पूछताछ की और मामला रफा दफा हो गया। श्रुति ने बताया गांव के दबंगों की नजर हमेशा गरीबों की जमीन पर रहती हैं। मन्नी भी उसी का शिकार हुई हैं। फ़िलहाल इसकी पूरी रिपोर्ट महिला आयोग को भेजी गई है। उन्होंने बताया कि केस स्टडी में यही पाया गया कि दबंग पड़ोसी थे, जिन्होंने इलाके में दबदबा कायम करने और भ्रांति फैलाने के लिए मन्नी देवी को समाज के सामने डायन बताया। छोटे-छोटे विवाद को लेकर पड़ोसी अक्सर मन्नी पर डायन बताकर टूट पड़ते थे। संस्था की टीम ने गांव में जाकर लोगों को समझाया कि डायन जैसी कोई चीज नहीं हैं

Sunday, September 22, 2013

Saturday, September 21, 2013

State of impunity: nexus of corrupt officials and anti-women suspect criminal in India

State of impunity: nexus of corrupt officials and anti-women suspect criminal in India

Hindu fascists and communal forces from other religions of Intelligence agencies, police, media, society and other civil society organizations in India want to destroy PVCHR and finish me & my family. Continuously they are trying to break me psychological and attacked few times physical. But I am remembering quote of Mahatama Gandhi, “You can chain me, you can torture me, you can even destroy this body, but you will never imprison my mind.”

Friday, September 20, 2013

Satyagraha for rule of law for women and Human Rights defender

Thursday, September 19, 2013

विधान सभा पर जमा हुए हज़ारों सत्याग्रही

पुलिस की इसी दमनात्मक कार्यवाही को रोकने के लिए और कानून का राज स्थापित करने के लिए मानवधिकार जननिगरानी समिति ने आजादी के दिन 15 अगस्त, 2013 को शाम 6रू00 बजे से शुरू “सत्याग्रह” को पूरे प्रदेश में अनवरत जारी रखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय व पुलिस महानिदेशक महोदय को इन सभी मांगो के समर्थन में आमजनों के हस्ताक्षरयुक्त 15 फीट के फ्लैक्स को भेजा गया है ।
इस सत्याग्रह में लोगो द्वारा तकरीबन कुल 60 मांगो को उत्तर प्रदेश के वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र, जौनपुर, अम्बेडकरनगर, अलीगढ़, मुरादाबाद, मेरठ, आदि कई जिलो में लोग अनवरत यह सत्याग्रह जारी रखे हुए है और अपने समर्थन के लिए हस्ताक्षरयुक्त मांग पत्र मुख्यमंत्री महोदय को भेजा गया है । उत्तर प्रदेश के 22 जिलो में लोग 2 घंटे रोज सत्याग्रह पर बैठे ।
यह सत्याग्रह का प्रथम चरण है यदि इसके बाद भी न्याय न मिला और कानून का राज स्थापित नहीं हुआ तो इसके बाद सत्याग्रह के अगले चरण में पूरे प्रदेश के गाँव गाँव में लोक वि।ालय चालाया जाएगा जिसमे से निकली आमजन की समस्याओं को माननीय मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजा जाएगा । जिसमे साईकिल यात्रा, पैदल यात्रा जैसे मानवाधिकार जन अभियान किये जायेंगे जिसमे प्रदेश के अन्य संगठनो को जोड़ा जाएगा ।

Wednesday, September 18, 2013

कानून का राज और मानवाधिकारों को स्थापित करने लिए “सत्याग्रह” अभियान के तहत हजारो सत्याग्रहियों का विधान सभा पर सत्याग्रह

आज गाँधी जी व बाबा साहब डा० अम्बेडकर जी हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका दिया हुआ क्रमशः सत्याग्रह मंत्र व सामाजिक न्याय आज भी कमजोर व बेबस लोगो की ताकत है। स्वतंत्र भारत में भी अपनी मांगो को पूरा करने के लिए जनता सत्याग्रह करती चली आ रही है । भारत के इतिहास में गाँधी जी व बाबा साहब अम्बेडकर जी ही एकमात्र ऐसे नेता रहे, जो देश के अंतिम आदमी तक पहुँचे । आज हिन्दुओ के नेता अलग है मुस्लिमो के नेता अलग है, अगडी जाति के नेता अलग है तो पिछड़ी जाती के नेता अलग है । अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के नेता अलग है । लेकिन गाँधी जी व बाबा साहब अम्बेडकर हिन्दू, मुस्लिम, अगडी, पिछड़ी, अनुसूचित जाति, वंचित, महिलाओं सभी के नेता रहे है । उन्ही के बताये रास्ते पर मानवाधिकार जननिगरानी समिति ने चलते हुए आज सभी वंचितों, महिलाओं, ऊची जातियों में पैदा हुए प्रगतिशील लोगो की एकता को मजबूत करने के लिए “नव दलित आन्दोलन” के माध्यम से कानून का राज स्थापित करने के लिए “सत्याग्रह” चला रहा है ।


यदि भारत में पुलिस उत्पीडन के इतिहास को देखे तो 1857 के विद्रोह को दमनकारी तरीके से कुचलने व रोकने के लिए 1861 में पुलिस मैनुअल एक्ट बनाया गया और अंग्रेजी थानों का निर्माण किया गया। आज आजादी के इतने वर्षो के बाद भी भारतीय संविधान व भारतीय कानून में भी 1861 के पुलिस मैनुअल एक्ट में आज तक कोइ भी संसोधन नहीं किया गया, जिसका परिणाम यह है कि आज भी भारतीय पुलिस ब्रिटिश हुक्मरानों के पदचिन्हों पर चल रही है और शासन, ताकतवर लोगो, माफियाओ के इशारे पर किसी भी प्रकार के लोकतांत्रिक आवाज को कुचल दिया जाता है । 

इसका ज्वलंत उदाहरण वाराणसी के मानवाधिकार कार्यकर्ता डा0 लेनिन रघुवंशी और श्रुति नागवंशी के ऊपर 19 जून, 2013 को वाराणसी के भेलूपुर थाना की पुलिस द्वारा लगाये गए फर्जी केस मुकदमा अपराध संख्या 199ध्13 का है । एक घरेलु महिला हिंसा के केस में पीडिता के मदद करने के परिणामस्वरूप पीडिता के माफिया व दबंग पति और पुलिस की मिली भगत से मुख्य चिकित्साधिकारी को प्रेषित पत्र को संज्ञान में लेकर पुलिस ने इन दोनों मानवधिकार कार्यकर्ताओं पर दहेज उत्पीडन का केस दर्ज कर दिया जो कि बहुत हास्यास्पद है, क्योकि पीडिता से कोई भी रिश्ते का सम्बन्ध इन दोनों का नहीं है । इसके अलावा यह माननीय हाई कोर्ट इलाहाबाद के उस आदेश का उल्लघन भी है जिसमे माननीय हाई कोर्ट ने पेटीशन संख्या 8753ध्2013 में पीडिता के पक्ष दिनाक 18 मार्च, 2013 को फैसला दिया था । 

इसके अलावा जब 25 अप्रैल, 2013 को डा0 लेनिन के घर पर उनके ऊपर गोली चलाकर जानलेवा हमला किया गया तब भी पुलिस ने उदासीनता दिखाते हुए पहले तो थ्प्त् दर्ज नहीं किया । उच्च अधिकारियो के दबाव के बाद वाराणसी के कैंट थाने में थ्प्त् मुकदमा संख्या 359ध्13 दर्ज हुई लेकिन 90 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस द्वारा न तो कोइ जांच की गयी और न ही चार्जशीट दाखिल की गयी । इस सिलसिले में 18 जून, 2013 में पत्र लिखकर तथ्य दिया कि सुनील गुप्ता ने अपना सम्बन्ध माफियाओं से बताया है । जिसके टेप की सी0 डी0 पुलिस अधिकारियों को दी गयी है । पुलिस अधिकारियों को यह को सी0 डी0 में कुछ सुनाई नहीं देता है । अपनी जाँच रपट में वे सी0 डी0 का जिक्र करना भूल जाते है । किन्तु ल्वनजनइम पर सुनील गुप्ता की आवाज सभी को सुनाई देती है और लोग इससे चिंतित है । विदित हो कि भारत सरकार का गृह मंत्रालय भी इस मामले को लेकर संजीदा है ।     
इसी प्रकार मई, 2013 में उसी पीडिता के दबंग व माफिया पति द्वारा श्रुति नागवंशी के सोसल साईट फेसबुक से फोटो चुराकर अपने फेसबुक पर लगाकर अश्लील टिप्पणी की गयी जिसके खिलाफ भी वाराणसी के कैंट थाने में आईटी एक्ट के तहत मुकदमा संख्या 418ध्13 पंजीकृत किया गया जिसमे भी पुलिस द्वारा आज तक न तो की कार्यवाही की गयी और न ही चार्जशीट ही लगाया गया । 26 जून, 2013 को माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जी समिति के 8 सदस्य वाले प्रतिनिधि मण्डल से अपने आवास पर मुलाकात की, मुलाकात में पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश भी उपस्थित थे । वहाँ डा0 लेनिन व श्रुती नागवंशी पर फर्जी मुकदमे के साथ अनेक केस दिए गए । सभी मामलो पर कार्यवाही हुयी किन्तु उपरोक्त मामले को वाराणसी पुलिस ने दबा लिया । 

समिति द्वारा 03 दिसम्बर, 2012 से घरेलू हिंसा की शिकार पीडिता जो अपने पति सुनील गुप्ता द्वारा दिए जा रहे मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से बुरी तरह त्रस्त है और इस संदर्भ में पुलिस प्रशासन से कानूनी मदद की गुहार भी लगाई लेकिन उसे कोई सहायता नही मिली। पीडिता द्वारा समिति से मदद मांगने के बाद समिति द्वारा पीडिता के कानूनी अधिकारों और यातना से बचाव व जान संरक्षण की पैरवी की गयी। इस पूरे प्रकरण में पुलिस प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की भी कानूनी कार्यवाही या मदद दिए जाने में हमेशा हीलाहवाली की गयी। वही दुसरी तरफ पीडिता की मदद नही करने के लिए समिति के महासचिव डा0 लेनिन को सफेदपोशों द्वारा कई बार धमकी मिली जिसकी शिकायत डा0 25 जनवरी, 2013 को जिला प्रशासन, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को पत्र लिखकर की गई। साथ ही दुनिया भर में ई-मेल द्वारा अर्जेंट अपील कर सहयोग की उपेक्षा की गयी। इस पत्र में सफेदपोशों द्वारा जान से मार देने की धमकी एवं फर्जी मुकदमें में फंसाने की आशंका व्यक्त की गयी थी। जिस पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा केस संख्याः 4419ध्24ध्72ध्2013 दर्ज कर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, वाराणसी को नोटिस जारी किया गया। इस सिलसिले में आयोग वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री पुपुल दत्त प्रसाद आई0पी0एस0 ने 21 फरवरी व 3 जून 2013 तक सभी आरापों की जांचकर अपनी रिपोर्ट भेजे। 

साथ ही कहा गया कि यदि ऐसा नही होता है, तो मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993य (च्भ्त्। 1993) की धारा 13 के तहत कार्यवाही की जायेगी। आयोग की उपरोक्त नोटिस से बौखलाकर 28 मई 2013 को मुख्य चिकित्साधिकारी वाराणसी को सम्बोधित सुनील गुप्ता के शिकायती पत्र पर भेलूपुर थाना में उल्टे पीडि़ता की मदद करने वालों पर (डा0 लेनिन एवं श्रुति) 19 जून को मु0 संख्या 199ध्13 आई0पी0सी0 की धारा 342ए 384ए 498 के अधीन मुकदमा दर्ज कर दिया गया। विदित हो कि गृह मंत्रालय भारत सरकार के मानवाधिकार विभाग के अनुसचिव श्री0 नलिनी रंजन सिंह ने आयोग के रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर पीडिता सपना चैरसिया के घरेलू हिंसा के केस में वास्तविक तथ्यपरक रिपोर्ट मांगी। (पत्र संख्या 15011ध्26ध्2013-एच0आर0 प्प्) 4 सितम्बर, 2013 को समिति का प्रतिनिधि मण्डल आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री के0जी0 बालाकृष्णन से मिला। 

26 जून, 2013 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के आवास पर माननीय अखिलेश यादव जी एवं पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश से समिति के आठ सदस्यों के प्रतिनिधि मण्डल ने मिलकर उत्तर प्रदेश में पुलिसिया यातना, वंचितों पर फर्जी मुकदमें, दंगों में पुलिस द्वारा एक तरफा कार्यवाही की शिकायतों सहित भेलूपुर थाना द्वारा किये गये इस फर्जी मुकदमें एवं पीडिता की मदद वाराणसी पुलिस द्वारा नही किये जाने की भी शिकायत की । जिसके बाद इस मामले को छोड़कर अन्य मामलों में उच्चस्तरीय न्यायोचित कार्यवाही हुई कुछ मामलों में कार्यवाही चल रही है किन्तु वाराणसी पुलिस इस मामले में मौन है। 

आश्चर्य तथ्य है की जिन आरोपों में भेलूपुर थाना में 19 जून को (डा0 लेनिन एवं श्रुति पर) मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्ही आरापों में पीडिता के पति सुनील गुप्ता द्वारा उच्च न्यायालय हेवियस कारपस (रिट पेटीशन संख्या 8753ध्2013) किया गया जिस पर 18 मार्च 2013 को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सुनील गुप्ता की अपील को खारिज करते हुए (महिला मानवाधिकारों और कानूनों के अधीन) पीडिता के पक्ष में उसकी स्वतंत्रता का आदेश दे दिया गया। माननीय उच्च न्यायालय के इस आदेश की प्रति एवं पति के उत्पीड़न से बचाव व संरक्षण के लिए प्रार्थना पत्र पीडिता द्वारा स्वंय भेलूपुर थानाध्यक्ष महोदय को पंजीकृत डाक द्वारा भेजा गया। किन्तु भेलूपुर थाना में माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना करते हुए उल्टे पीडिता के पैरोकारों पर ही दहेज प्रताड़ना की धारा में मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया। जिसके बाद मानवाधिकार जननिगरानी समिति की 12 सदस्यीय टीम 6 जुलाई, 2013 को जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और पुलिस महानिरीक्षक से मिलाकर उन्हें ज्ञापन दिया और सभी ने इस मामले पर जांच का आदेश सी0ओ0 स्तर के अधिकारियों को दिया लेकिन आज तक न तो कोई जांच हुई और न ही कोई कार्यवाही ही हुई। 

इतना ही नही पुलिस एवं साम्प्रदायिक ताकतों का गठजोड़ इतना गहरा है की 25 जनवरी, 2013 को सफेदपोशो के द्वारा दी गयी धमकी की शिकायत पर कोई कार्यवाही नही हुई परिणाम स्वरूप कानूनी विरोधी ताकतों को मनोबल बढ़ता गया और 24 अप्रैल, 2013 को डा0 लेनिन के घर के बाहर उनके ऊपर जानलेवा हमला हुआ, जिस पर वाराणसी के कैंट थाना में मुकदमा दर्ज कराया गया। (मु0 संख्या 359ध्13)
सुनील गुप्ता द्वारा श्रुति नागवंशी के फेसबुक से फोटो लेकर निहायत ही आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए न सिर्फ अपने फेसबुक पर पोस्ट किया गया बल्कि दुसरो के फेसबुक पर भी इस आपत्तिजनक टिप्पणी को शेयर कर महिला के सम्मान और गरिमा से छेड़छाड़ किया। इस गम्भीर प्रकार के साइबर क्राइम की घटना में वाराणसी के कैंट थाना में मुकदमा दर्ज कराया गया। (मु0 संख्या 414ध्13) वही सपना चैरसिया द्वारा दायर मुकदमा (मु0 संख्या 4ध्13) में महिला थाना भी लीपापोती कर सुनील गुप्ता पर लगाये गये गम्भीर धाराओं को विवेचना में हटा दिया गया । सुनील गुप्ता द्वारा गैंगवार की धमकी की सी0डी0 के साथ शिकायत पर आई0जी0 पुलिस द्वारा जांच का आदेश दिया गया। जिस पर सी0ओ0 कैंट ने जांच की किन्तु अपने जांच रिपोर्ट में निष्कर्ष में सी0डी0 का जिक्र भी नही किया। (संख्या सी0ओ0 कैंट-सीएसटीध्आर.टी.जेड-173ध्2013)

यही दमनात्मक कार्यवाही आज पुरे देश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओ के साथ किया जा रहा है । जो भी मानवाधिकार कार्यकर्ता चुप्पी की संस्कृति को तोड़कर लोकतंत्र व कानून के राज को लागू करने के लिए काम कर रहा है उसे स्थानीय स्तर से लेकर केंद्र स्तर तक सामंतवादी विचारधारा की ताकते उन्हें रोकने के लिए पुलिस की मदद से उनके अस्तित्व को मिटाने की कोशिश कर रही है । जिसमे इरोम शर्मिला, विनायक सेन, शैला मशूद, संजय सिंह, परवेज आलम जैसे कितने मानवाधिकार कार्यकर्ता या तो मार दिए गए है या उनके ऊपर फर्जी मुकद्दमा लगाकर उन्हें झूठे केस में फसाया गया है । 

पुलिस की इसी दमनात्मक कार्यवाही को रोकने के लिए और कानून का राज स्थापित करने के लिए मानवधिकार जननिगरानी समिति ने आजादी के दिन 15 अगस्त, 2013 को शाम 6रू00 बजे से शुरू “सत्याग्रह” को पूरे प्रदेश में अनवरत जारी रखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय व पुलिस महानिदेशक महोदय को इन सभी मांगो के समर्थन में आमजनों के हस्ताक्षरयुक्त 15 फीट के फ्लैक्स को भेजा गया है । 
इस सत्याग्रह में लोगो द्वारा तकरीबन कुल 60 मांगो को उत्तर प्रदेश के वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र, जौनपुर, अम्बेडकरनगर, अलीगढ़, मुरादाबाद, मेरठ, आदि कई जिलो में लोग अनवरत यह सत्याग्रह जारी रखे हुए है और अपने समर्थन के लिए हस्ताक्षरयुक्त मांग पत्र मुख्यमंत्री महोदय को भेजा गया है । उत्तर प्रदेश के 22 जिलो में लोग 2 घंटे रोज सत्याग्रह पर बैठे । 

यह सत्याग्रह का प्रथम चरण है यदि इसके बाद भी न्याय न मिला और कानून का राज स्थापित नहीं हुआ तो इसके बाद सत्याग्रह के अगले चरण में पूरे प्रदेश के गाँव गाँव में लोक वि।ालय चालाया जाएगा जिसमे से निकली आमजन की समस्याओं को माननीय मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजा जाएगा । जिसमे साईकिल यात्रा, पैदल यात्रा जैसे मानवाधिकार जन अभियान किये जायेंगे जिसमे प्रदेश के अन्य संगठनो को जोड़ा जाएगा ।

अगले 1 वर्ष के लिए सत्याग्रह पर वेबसाईट बनाया जाएगा जहाँ सभी समस्याओं को हिंदी और अंग्रेजी में डाला जाएगा जिससे कि 2014 के लोक सभा चुनाव में एजेण्डा तय किया जा सके । 
इस सत्याग्रह का समर्थन नेपाल की संस्था इन्सेक, सुप्रसिद्ध पत्रकार पलास विश्वास, सुप्रसिद्ध समाजसेवी राम पुनियानी जी, पूर्व आई0 पी0 एस0 श्री ज्योति स्वरुप पाण्डेय, थाईलैंड में कार्यरत मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय गाथिया, ह्यूमन राईट लॉ नेटवर्क, उ0 प्र0ए बैंगलौर की संस्था सिक्रम और कैरिटास इन्डिया ने भी किया है । इसके साथ ही साथ देश व विदेश में कई जगहों पर लोगो ने मोमबत्ती जलाकर इस सत्याग्रह का समर्थन किया । जिसमे जर्मनी के रेम्साइड की दलित टीम इण्डो-जर्मन सोसायटी भी मोमबत्ती जलाकर इस सत्याग्रह के समर्थन में शामिल रही । 

आज इस सत्याग्रह में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलो से लगभग 2000 दलित, पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंखयक लोग आये है ।

Sunday, September 15, 2013

Human Rights street movement at Vidhan sabha of Lucknow

Join and raise your voice in the Satyagrah (http://en.wikipedia.org/wiki/Satyagraha) against drug Mafia, Sex mafia, police atrocity and apathy of cases against Human Rights defenders in various part of Uttar Pradesh. This satyagrah started on 15th August, 2013 and continues for four days in front of street of PVCHR office and on 19th August, 2013 at District Head Quarter, Varanasi. 
 •23rd August, 2013 Baghwanala, Hukulganj, Varanasi • 24th August, 2013 Robertsganj, Sonbhadra • 25th August, 2013 Nehru Yuwa Kendra, Harhuwa • 26th August, 2013 Parmandapur Arajiline, Varanasi • 27th August, 2013 Saraimohana, Chairaigaon, Varanas • 28th August, 2013 Badagaon, Varanasi • 29th August, 2013 Pindra, Varanasi • 30th August, 2013 Rampur, Jaunpur • 31st August, 2013 Bazardiha • 1st September, 2013 Aligarh • 2nd September, 2013 Moradabad • 3rd September, 2013 Meerut • 18th September, 2013 culmination of Satyagrah in Lucknow at Vidhan Sabha Bhawan 

If you want to support and unable to attend please light a candle in your area, office and home for rule of law in India and protection of Human Rights defenders and write letter to Government of UP (cmup@nic.in) for rule of law in India and protection of Human Rights defenders. 
 With regards,
Lenin Raghuvanshi
Secretary General
+91-9935599333

Thursday, September 12, 2013

I am a Dreamer





Lucknow chalo


Please participate on 18 September 2013 at Vidhan sabha, Lucknow 


Monday, September 09, 2013

कानून का राज और मानवाधिकारों के लिए ‘‘सत्याग्रह‘‘ में शामिल हों।

कानून का राज और मानवाधिकारों के लिए ‘‘सत्याग्रह‘‘ में शामिल हों।
18 सितम्बर, 2013 बुधवार प्रातः 10 बज
विधानसभा भवनलखनऊ चलो।

आज गाँधी जी व बाबा साहब डाअम्बेडकर जी हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका दिया हुआ क्रमशः सत्याग्रह मंत्र व सामाजिक न्याय आज भी कमजोर व बेबस लोगो की ताकत है। स्वतंत्र भारत में भी अपनी मांगो को पूरा करने के लिए जनता सत्याग्रह करती चली आ रही है। भारत के इतिहास में गाँधी जी व बाबा साहब अम्बेडकर जी ही एकमात्र ऐसे नेता रहेजो देश के अंतिम आदमी तक पहुँचे। आज हिन्दुओ के नेता अलग है मुस्लिमो के नेता अलग हैअगडी जाति के नेता अलग है तो पिछड़ी जाती के नेता अलग है। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के नेता अलग है। लेकिन गाँधी जी व बाबा साहब अम्बेडकर हिन्दूमुस्लिमअगडीपिछड़ीअनुसूचित जातिवंचितमहिलाओं सभी के नेता रहे है। उन्ही के बताये रास्ते पर मानवाधिकार जननिगरानी समिति ने चलते हुए आज सभी वंचितोंमहिलाओं,ऊची जातियों में पैदा हुए प्रगतिशील लोगो की एकता को मजबूत करने के लिए नव दलित आन्दोलन” के माध्यम से कानून का राज स्थापित करने के लिए ‘‘सत्याग्रह’’ चला रहा है। 

हम लोगों का मानना है कि मानवाधिकार व कानून के राज को लागू करने की सबसे बड़ी एजेंसी पुलिस है। इसीलिए आई०पी०सी० की 330-331 के तहत पुलिस यातना/उत्पीडन का निषेध है। वही यदि पुलिस सी०आर०पी०सी० की धारा161 के तहत अपराध स्वीकृत कराती हैतो साक्ष्य अधिनियम की धारा 26 के तहत न्यायालय में साक्ष्य नहीं हैयदि वह मजिस्ट्रेट के सामने नहीं दिए गए है। फिर सवाल उठता है कि पुलिस उत्पीडन/यातना का सहारा क्यों लेती है ?

यदि भारत में पुलिस उत्पीडन के इतिहास को देखे तो 1857 के विद्रोह को दमनकारी तरीके से कुचलने व रोकने के लिए 1861 में पुलिस मैनुअल एक्ट बनाया गया और अंग्रेजी थानों का निर्माण किया गया। आज आजादी के इतने वर्षो के बाद भी भारतीय संविधान व भारतीय कानून में भी 1861 के पुलिस मैनुअल एक्ट में आज तक कोइ भी संसोधन नहीं किया गयाजिसका परिणाम यह है कि आज भी भारतीय पुलिस ब्रिटिश हुक्मरानों के पदचिन्हों पर चल रही है और शासनताकतवर लोगोमाफियाओ के इशारे पर किसी भी प्रकार के लोकतांत्रिक आवाज को कुचल दिया जाता है।

इसका ज्वलंत उदाहरण वाराणसी के मानवाधिकार कार्यकर्ता डालेनिन रघुवंशी और श्रुति नागवंशी (http://shrutinagvanshi.com/)के ऊपर 19 जून, 2013 को पुलिस द्वारा लगाये गए फर्जी केस मुकदमा अपराध संख्या 199/13 का है। एक घरेलु महिला हिंसा के केस में पीडिता के मदद करने के परिणामस्वरूप पीडिता के माफिया व दबंग पति और पुलिस की मिली भगत से मुख्य चिकित्साधिकारी को प्रेषित पत्र को संज्ञान में लेकर पुलिस ने इन दोनों मानवधिकार कार्यकर्ताओं पर घरेलू उत्पीडन का केस दर्ज कर दिया जो कि बहुत हास्यास्पद हैक्योकि पीडिता से कोई भी रिश्ते का सम्बन्ध इन दोनों का नहीं है। इसके अलावा यह माननीय हाई कोर्ट इलाहाबाद के उस आदेश का उल्लघन भी है जिसमे माननीय हाई कोर्ट ने पेटीशन संख्या 8753/2013 में पीडिता के पक्ष दिनाक 18 मार्च, 2013 को फैसला दिया था। 
इसके अलावा जब 25 अप्रैल, 2013 को डालेनिन(https://en.wikipedia.org/wiki/Lenin_Raghuvanshi) के घर पर उनके ऊपर गोली चलाकर जानलेवा हमला किया गया तब भी पुलिस ने उदासीनता दिखाते हुए पहले तो FIR दर्ज नहीं किया। उच्च अधिकारियो के दबाव के बाद थ्प्त् मुकदमा संख्या 359/13 दर्ज हुई लेकिन 90 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस द्वारा न तो कोइ जांच की गयी और न ही चार्जशीट दाखिल की गयी। इस सिलसिले में 18 जून, 2013 में पत्र लिखकर तथ्य दिया कि सुनील गुप्ता ने अपना सम्बन्ध माफियाओं से बताया है। जिसके टेप की सी0डीपुलिस अधिकारियों को दी गयी है। पुलिस अधिकारियों को यह सी0डीमें कुछ सुनायी नही देता है। अपनी जाँच रपट में वे सी0डीका जिक्र करना भूल जाते है। किन्तु you tube पर सुनिल गुप्ता की आवाज सभी का सुनायी देती है और लोग इससे चिन्तित है। विदित है कि भारत सरकार का गृह मंत्रालय भी इस मामले को लेकर संजीदा हैं।

इसी प्रकार मई, 2013 में उसी पीडिता के दबंग व माफिया पति द्वारा श्रुति नागवंशी के सोसल साईट फेसबुक से फोटो चुराकर अपने फेसबुक पर लगाकर अश्लील टिप्पणी की गयी जिसके खिलाफ भी थाने में आईटी एक्ट के तहत मुकदमा संख्या 418/13 पंजीकृत किया गया जिसमे भी पुलिस द्वारा आज तक न तो की कार्यवाही की गयी और न ही चार्जशीट ही लगाया गया। 26 जून, 2013 को माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव नं समिति के सदस्य वाले प्रतिनिधि मण्डल से अपने आवास पर मुलाकात कीमुलाकात में पुलिस महानिदेशक उपस्थित थे। वहाँ डा लेनिन व श्रुति नागवंशी पर फर्जी मुकदमें के साथ अनेक केस दिये गये। सभी मामलों पर कार्यवाही हुयी किन्तु उपरोक्त मामले को वाराणसी पुलिस ने दबा लिया। क्यो यही है सत्याग्रह की शुरूआत 

यही दमनात्मक कार्यवाही आज पुरे देश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओ के साथ किया जा रहा है। जो भी मानवाधिकार कार्यकर्ता चुप्पी की संस्कृति को तोड़कर लोकतंत्र व कानून के राज को लागू करने के लिए काम कर रहा है उसे स्थानीय स्तर से लेकर केंद्र स्तर तक सामंतवादी विचारधारा की ताकते उन्हें रोकने के लिए पुलिस की मदद से उनके अस्तित्व को मिटाने की कोशिश कर रही है। जिसमे इरोम शर्मिलाविनायक सेनशैला मशूदसंजय सिंहपरवेज आलम जैसे कितने मानवाधिकार कार्यकर्ता या तो मार दिए गए है या उनके ऊपर फर्जी मुकद्दमा लगाकर उन्हें झूठे केस में फसाया गया है।

पुलिस की इसी दमनात्मक कार्यवाही को रोकने के लिए और कानून का राज स्थापित करने के लिए मानवधिकार जननिगरानी समिति ने आजादी के दिन 15 अगस्त, 2013 को शाम 0600 बजे से शुरू ‘‘सत्याग्रह’’ को पूरे प्रदेश में अनवरत जारी रखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय व पुलिस महानिदेशक महोदय को इन सभी मांगो के समर्थन में आमजनों के हस्ताक्षरयुक्त 15 फीट के फ्लैक्स को भेजा गया है।

इस सत्याग्रह में लोगो द्वारा उपरोक्त मांगो के लिए उत्तर प्रदेश के वाराणसीमिर्जापुरसोनभद्रजौनपुर,अम्बेडकरनगरअलीगढ़मुरादाबादमेरठआदि कई जिलो में लोग अनवरत यह सत्याग्रह जारी रखे हुए है और अपने समर्थन के लिए हस्ताक्षरयुक्त मांग पत्र मुख्यमंत्री महोदय को भेज रहे है।

संविधान के अनुच्छेद 21 गरिमापूर्ण सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है। आइए हम सब मिलकर कानून का राज व मानवाधिकार को लागू करने के लिए एक ऐसे समाज की स्थापना करे जहाँ कानून का राज लागू करने की प्रतिबद्धता हो।

इसी कड़ी में 18 सितम्बर, 2013 को विधान सभा भवन के सामने मुख्यमंत्री महोदय से मिलकर ज्ञापन देने के आप सभी से अपील है कि भारी संख्या में आप सुबह 1000 बजे विधान सभा भवन के सामने पहुंचे।

1.    महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जाँच में लीपा.पोती क्यों ?

2.    
हाईकोट के आदेश (पेटीशन संख्या 8753/2013) का वाराणसी पुलिस द्वारा अवमानना क्यों ?
3.    
माननीय मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी कार्यवाही क्यों नहीं ?
4.    
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमें क्यों ?
5.    
यातना पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCAT) का अनुमोदन किया जाए।
6.    
यातना और संगठित हिंसा के शिकार पीडि़तों की पुनर्वासन नीति बनायी जाए।
7.    
संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCAT) के मद्देनजर यातना पर घरेलू कानून अविलम्ब बनाया जाए।
8.    
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का ‘‘ह्यूमन राइट्स डिफेन्डर डेस्क‘‘ को मजबूत व प्रभावशाली बनाया जाए। 
9.    गाँव व कस्बों की जन मांगों को तुरन्त पूरा किया जाए।

Saturday, September 07, 2013

State of impunity: nexus of corrupt officials and anti-women suspect criminal in India

Urgent action: need your solidarity
   
Dear friends,
We started urgent appeal with recent follows statement of Lenin Raghuvanshi and Shruti Nagvanshi:
Hindu fascists and communal forces from other religions of Intelligence agencies, police, media, society and other civil society organizations in India want to destroy PVCHR and finish me & my family. Continuously they are trying to break me psychological and attacked few times physical. But I am remembering quote of Mahatama Gandhi, "You can chain me, you can torture me, you can even destroy this body, but you will never imprison my mind.”

Written reply by Lenin Raghuvanshi based on the facts and evidences on the report submitted by the Varanasi Police to the NHRC (ST/ G-NHRC-13/2013/418): http://www.pvchr.net/2013/09/face-of-human-rights-initiative-in-india_6.html

  • Mr. Sunil Gupta had a love marriage with his first wife Ms. Soni Gupta in 1995 and approximately after 7 years of the marriage his wife died due to hanging, which also means she was either killed or she herself committed suicide? The tragic death amply proves that Mr. Sunil Gupta has a bias attitude towards women which led to the untimely death of Ms. Soni Gupta. Ms. Sapna Chaurasia has testified, “His previous wife in all probability was forced to take such an extreme step of ending her life just because she could not bear such cruel and inhuman treatment meted out to her. After the incident Sunil Gupta had a compromise deal with the Soni’s family. In the absence of any legal action, Sunil Gupta got a moral boost for his actions”. It is a well known fact that Sunil Gupta has made clouts in the Bhelupur police station, Varanasi in India and using that power for illegal purposes which constitute a serious threat for the “Rule of Law”.  A false case with Crime number 199 under section 13, 342, 384, 498 was filed by Sunil Gupta in Bhelupur police station against me and my wife Shruti on 19 June , 2013 which is a clear example pointing to that. Surprisingly, Sunil Gupta filed the same complaint with the office of IG police, Varanasi zone on 21 January, 2013 and the matter was investigated by the Circle Officer, Cantonment area. Sunil Gupta has referred this also in his statement. In his final investigation report (No: CO Cant – CST/RGZ-09-2013) submitted by Mr. Rakesh Kumar Singh, Circle Officer on 20 February, 2013, the allegations leveled by Mr. Sunil Gupta were proved false and baseless. On the basis of same allegations Mr. Sunil Gupta filed a habeas corpus writ petition (No: 8753/2013) in the honorable High Court on which Sapna and her brother Shyam made their statements before the court. Honorable High Court while dismissing the writ petition passed the following order:


“Sunil Kumar Gupta, the husband of the corpus has appeared before this Court along with a five years child who is admittedly born out of this wedlock. The question of his custody may arise but for that purpose, corpus may apply before the proper forum in a separate suit if she is so advised. The petition stands disposed of, accordingly. Corpus is set at liberty she may go anywhere as per her wish and desire. Her husband, Sunil Kumar Gupta, is restrained from making any kind of interference in the peaceful life and liberty of the corpus.
With the aforesaid observations, this petition stands disposed of.”

After the court judgment Sapna sent registered letters to DGP, SSP, SHO- Cant, SHO-Women’s Police Station and SHO-Bhelupur Police Station on 25 March 2013.  It is quite astonishing to know that Sunil Kumar Gupta has filed a case in the High Court on behalf of his wife in which he has made District Magistrate, SSP and the UP government via Home Secretary along with me as a party in the case. I was served a notice in the case. It is quite obvious that District Administration and Varanasi Police must also have been served notices for the same. But on 18 March, 2013 but no one was present in the court on behalf of District Administration and Varanasi Police. Varanasi district police also sent a report to the National Human Rights Commission on 10 April, 2013. But the above mentioned facts and the details of the Honorable High Court’s judgment were not taken into consideration as evidences. While Sunil Gupta clearly mentioned about it in his statement to Varanasi police. It proves that Varanasi police is giving additional protection to Sunil Gupta. On 3 December, 2013 Sapna Chaurasia sent a registered complaint letter to the Senior Superintendent of Police and I also sent complaint letters to Senior Superintendent of Police and the National Human Rights Commission on 5 December, 2013. After the notice of Honorable Human Rights Commission and reminder from the Home Ministry, Varanasi Police filed a case with No: 4/13 under Sections 328, 511, 498 A, 323 and 504 of the Indian Penal Code. At the same time before 10 April crucial sections namely; 328, 511of the IPC were removed from the case list. While under the other sections the case was referred to the mediation center in Varanasi by the government order in which 11 April, 2013 was mentioned as the date for mediation. A day before this, on 10 April, 2013 report was also sent to the honorable Human Rights Commission. This action also makes it clear that Sunil Gupta was being protected by the Varanasi police. At the first stance the FIR was filed after three months and within less than one month of time two crucial sections were removed from the charges and the whole matter was made out to be a case for mediation. An FIR on the same charges was filed in Bhelupur police station against those who were pleading the case on which police investigation had already been completed and the honorable High Court had passed its judgment. Therefore an FIR under section 166 A of IPC should be registered against the police officials of Varanasi police responsible for this act. In this connection on 20 June 2013, I have sent my statement before my death through a registered letter as well as through E Mail to DGP-UP, Chief Minister of Uttar Pradesh and Chairperson, National Human Rights Commission in which I have clearly mentioned that Varanasi SP (City), corrupt officials of Cant police station, corrupt non government organizations along with anti women elements could conspire to eliminate me physically. On 24 January, 2013 I also issued an urgent appeal to conduct a high level enquiry by CBI or CB-CID and sent my petition to various police officials and the National Human Rights Commission. I made accusations for an imminent threat on my life and security along with attempts to implicate me in fabricated legal cases but no action was taken on my complaint. On 19 June 2013 on the basis of a letter written to Chief Medical Officer by Sunil Gupta, a case was filed against me and my wife Shruti. On 23 June 2013 I informed the DGP- UP, Chief Minister of Uttar Pradesh and Chairperson, National Human Rights Commission about death threats and attempts to falsely implicate me through a registered letter and E Mail. Meanwhile on 26 June 2013 I held a meeting with the honorable Chief Minister of Uttar Pradesh at his residence and DGP- UP with a representative committee having 8 members and I gave an application for investigation and action on this incident along with several other issues. On the same evening I got a phone call threatening to implicate me in a rape case and I informed about it through social networking site Face Book.  I sent my complaint regarding calls threatening to implicate me in false cases and my murder, through registered letter to various officials of the honorable National Human Rights Commission. http://www.pvchr.net/2013/01/india-threats-to-human-rights-defenders.html
But no action was taken and after that on 24 April 2013 I was attacked with weapons with a clear intention to kill. A case was registered with case no: 359/13 under sections 307, 452, 341, 323 on 25 April, 2013. Even after the registration of the case no investigating officer came to investigate even once. After that Sunil Gupta and his gang started attacking my wife with slanderous remarks by creating an account in Face book. They also made objectionable and unethical remarks on my cousin sister’s marriage terming as a high profile NGO party by using photographs from my wife’s face book account for which Shruti filed a case with Crime no: 418/13 in Cant police station under sections 66 G, 66 GH and 67 B of the IT Act.  On that complaint investigating officer visited us only once. On 13 May, 2013 I wrote a letter to the Senior Superintendent of Police, Varanasi informing about it. On 18 June, 2013 I wrote a complaint to the IG, Varanasi Zone informing him that Sunil Gupta has threatened the relatives of Sapna to make a compromise otherwise she would have to face consequences. While talking about the gang war he claims to be a member and close confident of Munna Bajrangi gang https://en.wikipedia.org/wiki/Munna_Bajrangi.
http://www.youtube.com/watch?v=yxiQqVQHWP0 The conversation had been recorded and produced before the police official. The matter is being investigated by the Circle Officer, Cant Police Station, Varanasi. My statement has also been recorded and further action is awaited in the matter (CST/RTZ 997-13, June 23, 2013, Senior Superintendent of Police). On the complaint of Shruti, the District Probation Officer has already sent a letter to the Senior Superintendent of Police to take action on the matter (Letter No: 2572-73/ Dist/ Pro/ Office/ SSP/Complaint/2012-13).Once again by disregarding the order of Honorable High Court Sunil Gupta gave a complaint to District Collector, Varanasi and asked District Probation Officer to start investigation against me once again  (Letter No: 778-9/Dist/Pro/Off/Complaint/Investigation/2013-14/ Dated 17, June 2013).  Before all this I and Sapna had already submitted our prayer to take action against Sunil Gupta under section 182 of IPC. It is to be noted that Sunil Gupta can harass me and my organization with the connivance of corrupt police, corrupt lawyers, corrupt media and corrupt officials, so one can only imagine the fate and condition of Sapna and her family. One day Sunil Gupta forcibly abducted Sapana’s younger sister Soni and she could be freed only after her brother Shyam interfered in the matter. In its investigation report on 10 February, 2013, Bhelupur Police station, Varanasi wrote to the Senior Superintendent of Police, Varanasi that when the missing girl was found, Lenin Raghuvanshi neither informed the police nor he informed the higher officials whereas on 3 December, 2012 Sapna immediately sent a registered letter to the Senior Superintendent of Police, Varanasi informing about it. The same complaint was sent to the honorable National Human Rights Commission on which the commission sent a notice to the Senior Superintendent of Police, Varanasi on 15 December, 2012. Before 10 February, 2013 the committee has written letters to many higher officials. But contrary to expectations, the Bhelupur police station acting like a court and without recording my and Sapna’s statements decides on its own which clearly indicates the influence Sunil Gupta has on the officials of Bhelupur police station.

·       On 24 January, 2013 it has been demanded in written from National Human Rights Commission that an enquiry from the CB-CID should be set up in this case. In this case I was physically attacked in attempts to save the life of the victim. I had to approach the High Court in a false case. False case was filed against me and Shruti. I was defamed in the social networking site. It all happened because I am a human rights worker. I filed a complaint in the National Human Rights Commission but the ‘Human Rights Defender Desk’ at the commission did not take appropriate and legal steps.  
·       Sapna revealed in her testimony, “I was kidnapped approximately after 4 days and after completing marriage formalities they took me to home. My mother was alone at home; she could not do anything because she was frightened by his power”.  Sapna also told that they forced her to sign on a paper and this happened in a hotel. She said “I know one can get notary papers signed forcibly at home”. The matter should be investigated whether notary register carry the signatures of Soni Gupta and Sapna or not?
·       The other fact is that in 2012 the age of Sapna was 23 years and during 2005-6 her age must have been 15 to 16 years. At that time, this marriage is clearly a case of child marriage which is illegal under Indian law. But Varanasi police continues to hide this fact. Whereas this is a case of forced marriage which was agreed upon due to pressure and fear? Sunil Gupta’s influence within the police administration can be found in his statement where he says he get the call details of his wife. SP (city) police office does not even care to know the matter that how he manages to get the call details. It should be mentioned that Sapna has been nominated in the category of crusaders of women’s rights in the Hindustan Times and her name was also published in the daily. Sapna was also honored with a certificate presented to her by Member of Parliament, Mrs.Dimple Yadav and the famous film actress Shabana Azami . Therefore, action should be taken against the police officials under section 166A of IPC.
·       In the evidence scrutiny no: 3 police has told that the evidence given by Sunil Gupta shows that Sapna’s medical treatment with drugs started in 2010 while their marriage took place in 2005. So clearly in the span of 5 years she was tortured and also forcibly given alcohol and administered injections. When Sapna’s condition deteriorated, she was taken to a doctor. The doctors diagnosed her with “Adjustment disorder”“An Adjustment disorder occurs when an individual is unable to adjustment to or cope with a particular stressor, Like a major life event,”.It has been stated further, “Unlike major depression however the disorders is caused by an outside stressor & generally resolve once the individual is able to adopt to situation”. The police should have managed to detect the “Adjustment disorder”. It also means that Sunil Gupta worked as an Outside Stressor, tortured her, gave her drugs and injections and oppressed her. When she became too sick then took her for treatment.  It is also a fact that false case against me and Shruti was filed based on the letter addressed to the Chief Medical Officer. This also reveals an open nexus between the doctors, Sunil Gupta and the police. Therefore it is prayed that action should be taken against anti women gang under the law along with an enquiry by the Independent agency.

·       Sunil Gupta has accused that Sapna ran away taking jewellery and cash with her in November 2012. Then in July 2012 why did he make a claim for Vidavidai (ceremony performed when wife goes to her parental home) in the family court. Sunil Gupta is a cunning and anti women person.

·       On 20 December, 2012 Sunil Gupta came to my residence and threatened me. I have already sent a registered complaint letter to various higher authorities. Again on 16 February 2013, I got a threatening call on my mobile which I already reported to the Senior Superintendent of Police, Varanasi through a registered letter. Meanwhile, Sunil Gupta sent a letter to the IG on 21 January 2013. Before this Sunil Gupta did not provide any information of the previous incidents to any police authority. This fact has neither been registered by investigating officers nor been included in the evaluation of police report. It clearly shows that a corrupt section of police department, corrupt gang of lawyers and some anti social elements have joined together in their efforts and facilitated to send this letter to the IG police. There was an enquiry on this matter and Circle Officer Cant police station submitted his report. But on my complaints filed on 20 December, 2012 and 16 January, 2013, even my statement has not been recorded so far. This also proves a close nexus of local police with Sunil Gupta. Even on the complaint letter written to the honorable National Human Rights Commission related to threats given to me, no action has been taken so far.  
·       Sunil Gupta came to Cheers Bar along with my school mate Pawan Singh. This incident took place on 2 January 2013 and it has been mentioned in the report of Circle Officer Cant. After 18 days on 21 January, 2013 this incident was reported by Sunil Gupta. Neither the Honorable High Court nor the Varanasi police took note of this delay in filing the complaint. In this case, rule of law has been flouted by the power of money and corruption. Police has investigated and falsely claimed that I called up Sunil Gupta through my mobile. Police is shielding the accused in the matter.
·       Woman Protector Ahilya Bai has accepted carrying out search operation. Ahilya Bai searched Sapna at the behest of Sunil Gupta and then put pressure on her. The objective of Women Support Cell is to help women. In this case, laws under the Domestic Violence Act 2005 have been completely violated. Ahilya Bai also pressurized me and even humiliated me during the recording of my statement. I have sent a registered written complaint to the Senior Superintendent of Police, Varanasi on 19 January, 2013.

Conclusion:
·       By terming the mental and physical exploitation of Sapna Chaurasia as controversial and a case of personal disagreements in its investigation report, the Varanasi police are trying to hush up the matter. A corrupt section of the police is opposed to any move to defend human rights issues. After the initiative of National Human Rights Commission on a complaint filed on 5 December, 2012, a case was filed against Sunil Gupta (case no: 04/2013 under section 328/511/498A/323/504/506 of IPC) on 13 March, 2013 but two crucial sections namely 328/511 were removed from this case by the Varanasi police. The fact is that this marriage took place in 2005 but Sapna was taken to a psychiatrist for treatment in 2010. The psychiatrist diagnosed Sapna suffering from Adjustment disorder which is caused by the Stressor. In this case Sunil Gupta is the prime cause for such stress. Unfortunately the police removed both the crucial sections from the case which help in this kind of offences.

·       This police report was sent on 10 April, 2013 but it does not mention the order passed by the honourable High Court. In this order the honourable High Court dismissed the charge sheet sent to the IG police, Varanasi on 21 January, 2013 and declared Sapna to live her life independently and ordered Sunil Gupta not to interrupt in her peaceful live. The police report does not even refer the report given by Circle Officer, Cant police station. In the report Sunil Gupta was never asked the question that why the complaint of the incident happened on 2 January, 2013 was not filed before 21 January, 2013? I filed a registered complaint regarding the threats I received on 16 January, 2013 but no action was taken on my complaint. Even no one recorded my statement. I sent letters to honorable National Human Rights Commission on 20 December, 2012, 16 January, 2013 and also on 25 January, 2013. But the Commission did not take any step to for the security of human rights worker as a result I had to approach the High Court. On 19 June, 2013, a crime no: 193/13 under sections 342, 384, 498 of IPC was filed against me and Shruti in Bhelupur police station. I had a lethal attack on me and Shruti’s dignity was hurt by a sustained campaign in the social networking site, Face Book. The progress details of the investigation on this registered case no: 359/13 and 418/13 are not being shared with the complainant. On 19 June, 2013 I was again threatened, I lodged a complaint but nothing happened. As a result of this torture and constant pressure Sapna’s mother expired on 28 March, 2013. It is quite evident that the approach of Varanasi police has been anti-women and its actions are directed towards torturing and destroying the lives of human rights workers.
·       We want that NHRC should summon me, Shruti, Police Officials and Sunil Gupta before a full-bench of commission and start proceedings. The Commission should strengthen its Human Rights Defender Desk. Investigations should be carried out after filing the First Information Report on the threats received on 20 December, 2012 and 16 January, 2013 and compensation should be given to the mentally tortured victim,; Sapna and other human rights workers. The whole case should be handed over to Central Bureau of Investigation (CBI) for freed and fair investigation and action should be taken against the police officials responsible for injustice under section 166A of Indian Penal Code.

Discriminatory attitudes and lack of sensitization to the dynamics of crimes involving sexual or domestic violence leave victims without critical police aid or redress to which they are entitled. The police attitude that domestic violence is primarily of a private nature is the most unfortunate trivialization of a grave social evil, that too, when the police are empowered to arrest the perpetrator without any warrant.

The Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005, was enacted to augment womens immediate protection from violence through emergency relief, including access to temporary protection order and domestic violence shelters.

In reality, the situation, however, depicts a complete reversal. The lawyers and activists say that due to poor implementation of the law, women facing imminent and life threatening violence remains hostage to police attitude. This attitude of the police perhaps stems from its traditional legacy of „rule of lords, the same as its colonial masters. This is the common bond between the police and the feudal lords in India, which do not believe in the concept of welfare state.

We launched the Satyagrah (http://en.wikipedia.org/wiki/Satyagraha) against drug Mafia, Sex mafia, police atrocity and apathy of cases against Human Rights defenders in various part of Uttar Pradesh. This satyagrah started on 15th August, 2013 and continues for four days in front of street of PVCHR office and on 19th August, 2013 at District Head Quarter, Varanasi.

• 23rd August, 2013 Baghwanala, Hukulganj, Varanasi
• 24th August, 2013 Robertsganj, Sonbhadra
• 25th August, 2013 Nehru Yuwa Kendra, Harhuwa
• 26th August, 2013 Parmandapur Arajiline, Varanasi
• 27th August, 2013 Saraimohana, Chairaigaon, Varanas
• 28th August, 2013 Badagaon, Varanasi
• 29th August, 2013 Pindra, Varanasi
• 30th August, 2013 Rampur, Jaunpur
• 31st August, 2013 Bazardiha
• 1st September, 2013 Aligarh
• 2nd September, 2013 Moradabad
• 3rd September, 2013 Meerut
• 18th September, 2013 culmination of Satyagrah in Lucknow at Vidhan Sabha Bhawan

If you want to support and unable to attend please light a candle in your area, office and home for rule of law in India and protection of Human Rights defenders and write letter to Government of UP (cmup@nic.in) for rule of law in India and protection of Human Rights defenders.


PLEASE SEND YOUR LETTERS TO:

1.     Chief Secretary
Government of Uttar Pradesh
Shri Lal Bhadur Shastri Bhavan
Lucknow 226001, Uttar Pradesh
INDIA
Fax: +91 52 2223 9283
Email: csup@up.nic.in

2.     Director General of Police
1-Tilak Marg, Lucknow
Uttar Pradesh
INDIA
Fax: + 91 522 220 6120 / 220 6174
E-mail: police@up.nic.in

3.     Chief Minister
Government of Uttar Pradesh
Chief Minister's Secretariat
Lucknow, Uttar Pradesh
INDIA
Fax: + 91 52 2223 0002 / 2223 9234
E-mail: csup@up.nic.in

4.     Inspector General of Police
Varanasi Zone
Varanasi, Uttar Pradesh
INDIA
Email: igzonevns@up.nic.in

5.     Senior Superintendent of Police
Varanasi, SSP Office
Kachahari, Varanasi, Uttar Pradesh
INDIA
Email: sspvns@up.nic.in

6.     Mrs Margaret Sekaggya
Special Representative of the Secretary General for human rights defenders Att: Ben Majekodunmi
Room 1-040
C/o OHCHR-UNOG, 1211 Geneva 10,
SWITZERLAND
Tel: + 41 22 917 93 88
Fax: + 41 22 917 9006
E-mail: urgent-action@ohchr.org

7.     Chairperson
National Human Rights Commission
Manav Adhikar Bhawan, Block-'C', GPO Complex, INA, New Delhi – 110023
Fax No. +91-11-23384863
E-Mail: covdnhrc@nic.in, ionhrc@nic.in, jrlawnhrc@hub.nic.in, chairnhrc@nic.in

8. Hon'ble President,
President of India,
Rashtrapati Bhawan,
New Delhi – 110001,
India.

9.  The Registrar,
Supreme court of India,
Tilak marg, New Delhi – 110001 – India.
Tel - +91-1123388922 – 24, 23388942 – 44,
Fax no. - +91-1123381508, 23381584,23384336 / 23384533 / 23384447.
Email – supremecourt@nic.in

10. The prime minister,
Prime minister of India,
South block, Raisina hill,
New Delhi – 110011, India.
Tel - +91-1123012312,
Fax - +91-1123019545 / 23016857.
Email: pmosb@pmo.nic.in

11. Hon'ble Chief justice,
High court, Uttar Pradesh,
1, Lal Bahadur Shastri marg, Allahabad,
Uttar Pradesh – India.

12. District Magistrate
Varanasi
Uttar Pradesh
INDIA
Fax: +91 54 2234 8313
E-mail: dmvsn@satyam.net.in

13. Special Rapporteur on Violence Against Women
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