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ईद के दिन यातना मुक्त समाज बनाने का लिया संकल्प, चार पीड़ितों को किया गया सम्मानित
वाराणसी। अंतर्राष्ट्रीय यातना विरोधी दिवस के अवसर पर सोमवार (26 जून) को यातना पीड़ितों के संघर्ष के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन मानवाधिकार जननिगरानी समिति, जनमित्र न्यास, यूनाइटेड नेशन्स वालयेंटरी फंड फार विक्टिमस आफ टार्चर, संग्राम-झारखण्ड और जीवन ज्योति सेवा संस्थान अम्बेडकरनगर के संयुक्त तत्वाधान में हुआ। इसमें पुलिस यातना के पीड़ितों ने अपनी व्यथा रखी। इस दौरान उनके संघर्षों की हौसला अफजाई के लिए पुलिस यातना से पीड़ित अम्बेडकरनगर, अलीगढ़ और झारखण्ड के बड़कागांव के चार पीड़ितों को भी सम्मानित किया गया। इसमें मुख्य रूप से अलीगढ़ के श्यामू सिंह के केस को भी रखा गया। इस मामले में पुलिस ने कस्टडी में यातना देकर श्यामू सिंह को मार दिया था। उसके भाई रामू ने इस केस में लगातार संस्था के साथ मिलकर पैरवी की और न्यायालय सहित मानवाधिकार आयोग में भी जीत हासिल की। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुआवजे के रूप में एक लाख रुपये देने की घोषणा भी की है। रामू के इस हौसले को सलाम करते हुए उन्हें जनमित्र सम्मान से भी नवाजा गया। साथ ही मुआवजे की राशि पांच लाख रुपये करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सामूहिक हस्ताक्षरयुक्त पत्र भी भेजा। इस दौरान मानवाधिकार जननिगरानी समिति के महासचिव डा. लेनिन रघुवंशी ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया।
पीएम को भेजा मांगपत्र
इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी कन्वेंशन के अनुमोदन के मद्देनजर राज्यसभा में लंबित यातना विरोधी विधेयक-2010 को अविलम्ब पारित कराने के लिए हस्ताक्षर युक्त मांगपत्र प्रधानमंत्री को भेजा गया। इसके साथ ही पटना के मनेर में एकतरफा प्रेम में एक मासूम नाबालिग पर एक लड़के एसिड फेंक दिया। इससे वो बुरी तरह झुलस गई और बाद में उसकी मौत हो गई। उसे दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस कार्यक्रम में ईद के मौके पर सभी ने सेवइयां खा कर एक-दूसरे को बधाई दी और साथ ही यह संकल्प लिया कि अपने आसपास होने वाले किसी भी तरह की यातना का पुरजोर विरोध किया जाएगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक किया जाएगा।
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