Monday, August 24, 2020

कोविड19 महामारी के लाकडाउन के दौरान हैण्डवाशिंग

 

#कोविड19 महामारी के #लाकडाउन के दौरान #हैण्डवाशिंग

कोविड19 महामारी के दौरान हुए लाकडाउन में जब जनमित्र न्यास कार्यकर्ता महामारी अधिनियम के बाध्यता के कारण अपने कार्यक्षेत्र में नही जा पा रहे थे तब मोबाईल के माध्यम से ही हाथों की सफाई के लिए बार-बार सुझाव दे रहे थे | साबुन के अभाव होने की स्थिति में समुदाय को कपड़े घोने के डिटर्जेंट/वाशिंग पाउडर का घोल बनाकर उसी से हाथों की सफाई का सुझाव दिया गया, संस्था द्वारा 7 ग्रामों एवं एक स्लम में 2000 साबुन का वितरण करवाया गया | किशोरियों को व्यक्तिगत स्वच्छता एवं अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने के लिए बार-बार प्रेरित किया गया | 300 सेनेट्री पैड का वितरण किया गया साथ ही शासन द्वारा निःशुल्क सेनेट्री पैड वितरण किए जाने की पैरवी किया गया |

संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY)के साथ सुरक्षित मातृत्व नवजात शिशु-बाल स्वास्थ्य एवं पोषण के मुद्दे पर काम करते हुए यह अनुभव हुआ कि, बुनियादी संसाधनो से विहीन परिवार जो जीवन जीने की तमाम चुनौतियों को झेलते हुए अपना जीवन जीने को बाध्य हैं उनमें वैज्ञानिक और व्यवहारिक जानकारियों की कमी बहुत अधिक है | बच्चों के साथ स्वच्छता के मुद्दे पर चर्चा के दौरान हमें पता चला था कि, काफी बच्चे शौच के बाद भी साबुन के प्रयोग के साथ हाथ नही धुलते हैं, ऐसा देखा गया कि, माताएं भी शिशुओं एवं अस्वच्छ चीजों शिशु मल, जानवर के मल अन्य गंदी  विषाक्त वस्तुओं की साफ-सफाई के बाद साबुन से हाथ नही धुलती हैं | हमारे लिए यह चौंका देने वाला बात था, जिस पर विश्वास करना कठिन था क्योंकि हाथों की सफाई के प्रति इतनी लापरवाही की उम्मीद नही किया जा सकता था | उस समय भी उनके पास साबुन की उपलब्धता नही थी या यों कहें सफाई के लिए साबुन की खरीदारी उनकी प्राथमिकता में नही था |

 

2019 पोषण मेला में आयोजित हाथ धुलने की प्रक्रिया का चित्र

जनमित्र न्यास WASH के मुद्दे पर पिछले 2 वर्षो से समुदाय उनमें विशेषकर महिलाएं, किशोरियों एवं बच्चों के बीच गतिविधियाँ संचालित कर रहा है जिसके अंतर्गत “किशोरी पोषण एवं स्वास्थ्य मेला” एवं “पोषण स्वास्थ्य मेला” आयोजित किए गए हर बार WHO के गाइडलाईन अनुसार 7 स्टेप को साबुन और पानी के साथ हाथ की धुलाई विधि को सिखाया गया है | इस प्रक्रिया में छोटे बच्चों, महिलाओं एवं किशोरियों को करके सिखाने के लिए JMN कार्यकर्ताओ के साथ ही ANM बहनजी, RBSK टीम के डाक्टरों आंगनबाड़ी कार्यकर्तीयों को सहभागी बनाया गया था | सभी के द्वारा समय- समय पर हाथ धोने की स्वच्छकर विधि को समुदाय के विभिन्न गतिविधियों में करके दिखाते हुए उन्हें भी खुद करके दिखाने के लिए प्रोत्साहित किया गया था, इन आयोजनों में सभी ने हाथ धोने के तरीके को सिखा हमने महसूस किया कि वे इससे पहले हाथों के सफाई के प्रति संवेदित नही थे |

लाकडाउन के दौरान जब टीम समुदाय के बीच पहुंच नही पा रही थी तब पुर्व में हाथ धोने की विधि अनुसार हाथ धुलने के लिए बार-बार प्रोत्साहित किया जाता रहा | समुदाय के व्यवहार में यह धीरे- धीरे बदलाव आने लगा था कि वे खाना बनाने से पहले, खाना खाने से पहले हाथों को पानी से धोना और शौच के बाद, किसी भी गंदगी को साफ करने के बाद हाथों को साबुन के प्रयोग के साथ साफ करने लगे थे |

इन गतिविधियों के कारण ही लाकडाउन के समय उनका हाथ धुलने की प्रक्रिया को टीम द्वारा समझाना या समझना बहुत ही सहज और सरल था | जब टीम को 23 मार्च को समुदाय के मोबाईल नम्बरोंपर सम्पर्क करने का निर्देश दिया गया तब कॉल करते ही समुदाय का हाल समाचार लेकर उनको हौसला देने साथ बार-बार परिवार के सभी लोगों विशेषकर बच्चों का हाथ खुद से अपनी निगरानी में धुलवाने का आग्रह किया जाता रहा और बताया गया कि मात्र 3 उपाय -- साबुन से हाथ धुलाई, मुंह को पकड़े से ढककर रखना, भीड़ नही लगाना आपस में भी दुरी बनाकर रखना आपको संक्रमण से बचाएंगे कोई कोरोना बीमारी का कोई दवा ईलाज है ही नही सो बचाव करें घर पर रहें आदि जो भी शासन एवं WHO निर्देश आते उसी को स्थानीय भाषा बोली में सरल शब्दों में बताया जाता रहा |26 मार्च से टीम राशन वितरण के सन्दर्भ में सूचना देने के लिए कॉल किया तब बार-बारकॉल के शुरूआत और बातचीत के अंत में समय यही पुनरावृत्ति करती रही साथ यह सुझाव भी दिया जाता रहा कि, आप स्वयं ऐसा करने के साथ दूसरों को भी ऐसा करने को कहें अन्यथा यह बीमारी किसी को भी हुआ तो दूसरों को भी बहुत तेजी से लग जाएगा |

PDS दुकानों पर हाथ धुलाई -----

ग्रामीण क्षेत्रों में 26 मार्च 2020 को PDS दुकानों से राशन वितरण के दुकानों पर कोटेदारों से मोबाईल द्वारा चर्चा करके साबुन पानी की व्यवस्था कराया गया था, सभी बीमारी के संक्रमण को लेकर खुद के लिए अत्यधिक चिंतित रहे विशेषकर शिक्षित एवं सेवा प्रदाता वर्ग अत: दिए गए सुझावों पर अमल भी कर रहे थे | जबकि आयुक्त खाद्य एवं रसद विभाग ऊ० प्र० का आदेश इस सन्दर्भ में 30 मार्च 2020 को आया 

निर्देशानुसार टीम पहले लाकडाउन यानि 23 मार्च से 14 अप्रैल के बीच/ 23 दिनों तक प्रति दिन अपने लक्षित क्षेत्र में समुदाय, महिलाओं, पुरुषों, किशोरियों, सेवा प्रदाताओं यथा – कोटेदार, आशा, ग्राम प्रधान, नागर समाज आदि सभी को शामिल करते हुए 10 कॉल किया जिनके स्क्रीनशॉट वाट्सएप ग्रुप में शेयर किया गया जिससे किए गए कार्यो की मानिटरिंग किया जा सके |

चुनौतियां --- बार-बार साबुन से हाथ धुलने की बात सुनकर लक्षित समुदाय के कई लोगों ने आर्थिक तंगी के कारण साबुन खरीदने में असमर्थता जताया जिस पर उन्हें कपड़े धोने के वाशिंग पाउडर का धोल प्लास्टिक की बोतलों में एक बार बनाकर रखने का सुझाव दिया गया |

किन्तु टीम द्वारा इस चुनौती को साझा किए जाने पर संस्था द्वारा जिन ग्रामों में मांग किया गया यथा – ब्लाक बडागांव में अनेई, हमीरापुर, बरहीकला, लखापुर, ब्लाक हरहुआ में आयर, ब्लाक पिंडरा में रायतारा, रमईपुर कुल 7 ग्रामों एवं बघवानाला स्लम में 2000 साबुन का वितरण शारीरिक दुरी बनाते हुए किया गया | वितरण के दौरान भी समुदाय को 7 स्टेप को अपने मन में 1 से 20 तक की गिनती करते हुए पानी एवं साबुन के प्रयोग से हाथ को साफ रखने के लिए पुन: बताया गया | लक्षित आबादी के बीच खुले स्थान चारपाई पर साबुन रख दिया गया जिनकी सूची कुछ दुरी पर बैठकर दर्ज किया गया समुदाय को कहा गया कि, हर परिवारों से एक व्यक्ति आकर प्रति परिवार 2 - 2 पीस साबुन उठा लेवें, अधिकांश परिवारों से महिलाएं एवं किशोरियां आकर साबुन लिया |

 

जून महीने से अनलाक होने टीम द्वारा समुदाय के बीच जाकर इस सन्दर्भ में बराबर चर्चा किया जा रहा है | बार-बार हाथ सहित अपने घर व घर के आसपास, कपड़ों, बच्चों, पाले गए जानवरों सभी की साफ-सफाई को जरूरी बताते हुए व्यवहार में लाने को प्रोत्साहित किया जा रहा है |

किशोरी स्वास्थ्य पोषण एवं व्यक्तिगत स्वच्छता

किशोरियों की व्यक्तिगत स्वच्छता ---लाकडाउन के समय प्रतिनिधि किशोरियों से मोबाईल से सम्पर्क करके हाथ धुलने व्यक्तिगत स्वच्छता रखने सम्बंधी सुझाव दिया जा रहा था उसी चर्चा में उनके द्वारा आर्थिक तंगी के कारण सेनेट्री पैड नही खरीद पाने की समस्या को साझा किया गया | JMN और राज्य स्तरीय नेटवर्क वायस ऑफ़ पीपुल (VOP) द्वारा इस सन्दर्भ में अप्रैल माह में परिवार स्वास्थ्य कल्याण विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग को ईमेल लिखकर वर्तमान परिस्थितियों से अवगत कराते हुए सभी किशोरियों को सेनेट्री पैड सरकार द्वारा निःशुल्क दिए जाने की मांग किया गया | जनमित्र न्यास द्वारा 1 जुलाई 2020 को Director Plan & Budget UP, Director General Medical & Health UP, Secretary (Health & Family) New Delhi, को ईमेल के माध्यम से निःशुल्क सेनेट्री पैड दिए जाने की पैरवी किया गया

पत्र का लिंक

https://drive.google.com/drive/folders/1Bz_UMxU_tNWf-V3qKGoSeb6su3h952dd?usp=sharing

 

जनमित्र न्यास द्वारा तात्कालिक सहायता के नजरिए से परमंदापुर, गोसाईपुर मोहांव, पुआरीखुर्द, अनेई, बरहीकला, दल्लीपुर, मारूडीह, रमईपट्टी और बजरडीहा में मुर्गिया टोला किशोरीयों को “जनाब हरिहर एसोसिएट” (JHA) के सहयोग से 300 सेनेट्री पैड उपलब्ध कराया गया जिसे टीम ने शारीरिक दुरी बनाते हुए वितरण किया | जिन किशोरियों ने व्यक्तिगत स्वच्छता को समझते हुए सेनेट्री पैड का प्रयोग करना शुरू कर दिया था वे आज आर्थिक तंगी के कारण सेनेट्री पैड नही खरीद नही पा रहीं हैं |

 

 

 किशोरी  स्वास्थ्य – PDS दुकानों से मिलने वाले 1 kg चना को भिंगोकर कर किशोरियों को खाने का सुझाव दिया गया था, लेकिन व्यवहारिक रूप से यह सम्भव नही था, की इस चने का उपयोग सिर्फ किशोरियां कर पाएं | चने का उपयोग परिवार के सभी लोग करते हैं सब्जियों में चना मिलाकर



पकाया जाता रहा है जिससे किशोरियों को कम ही मिल पाता है | लाकडाउन में समुदाय का आजीविका सम्बंधी कामकाज बंद होने से परिवार का आय का स्रोत प्रभावित हुआ है जिसका सीधा प्रभाव परिवार के खानपान उनमें भी महिलाओं एवं किशोरियों पर पड़ता नजर आ रहा है |

 

उपरोक्त कार्य और रिपोर्ट श्रुति नागवंशी की टीम ने किया है.

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