सुनील
गुप्ता खुद माननीय उच्च न्यायालय में मुकदमा दाखिल किया कि मैने उसकी पत्नी
को गैरकानूनी रुप से जबरदस्ती रखा हूँ। और पांच लाख रुपये मांग रहा हूँ।
(संलग्नक संख्या-7) इस पर 18 मार्च 2013 को माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष
मैं प्रस्तुत हुआ। सपना से उसके भाई श्याम भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत
हुए। जिसपर माननीय उच्च न्यायालय ने फैसले में कहा। (संलग्नक संख्या-8)
“The Petition Stands disposed of, accordingly. Corpus is set at liberty
she way go anywhere as per her wish & desire. Her husband Sunil
Kumar Gupta is restrained from making any kind of interference in the
peaceful life and liberty of the Corpus.”
सबसे बड़ी बात माननीय
उच्च न्यायालय के इस फैसले को छिपाते हुए वही आरोप पुनः विभिन्न अधिकारियों
एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (केस संख्या 21574/24/75/2013) को जाॅच के
द्वारा सरकारी समय में सरकारी संसाधनों का दुरूपयोग कर रहा है। जो Cr.Pc की
धारा 182 के तहत अपराधिक कृत्य है।
विदित है कि 2 दिसम्बर 2013
को सपना अपने भाई श्याम व वकील के साथ समिति के कार्यालय मदद से आयी थी।
उसी दिन सपना ने विभिन्न अधिकारियों से पंजीकृत पत्र से प्रार्थना पत्र
दिया। (संलग्नक संख्या-9) और फिर 5 दिसम्बर 2012 को समिति ने राष्ट्रीय
मानवाधिकार आयोग (केस 42218/24/72/2013/ UC) व पुलिस अधिकारियों को
प्रार्थनापत्र भेजा था। (संलग्नक संख्या-10) 20 दिसम्बर 2012 को बरवाद करने
की धमकी सुनील ने दी, जिसपर प्रार्थना पत्र दिया। (संलग्नक संख्या-11)
पुनः 16 जनवरी 2013 को मो0नं0 +91 9452302585 से मेरे मोबाइल +91
9935599333 पर धमकी फोन आया, जिसपर पुनः मैने प्रार्थनापत्र दिया। (संलग्नक
संख्या-12) मेरे पर 24 अपै्रल 2013 को हमला हुआ जिसपर उच्च पुलिस
अधिकारियों के निर्देश पर 25 अपै्रल 2013 को दर्ज हुआ। (संलग्नक संख्या-13)
13 मई 2013 को इस सिलसिले में मैने SSP वाराणसी को पत्र भेजा है। (संलग्नक
संख्या-14)
कृपया न्यायोचित कार्यवाही करने की कृपा करें, जिससे आगे कोई अनहोनी सुनील कुमार गुप्ता न कर दें।
No comments:
Post a Comment