Sunday, August 10, 2014

बनारस घोषणा

उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर स्थित बनारस को विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक होने का गौरव प्राप्त है | दुनिया के प्राचीनतम शहरों में एक बनारस / वाराणसी / काशी  विभिन्न विचार धाराओंधर्मों के साथ दुनिया भर में आकषर्ण का प्रतीक रहा  है जहां यह हिन्दूओं का पवित्र शहर है वहीं महात्मा बुद्ध के प्रथम उपदेश  ( धर्म चक्र प्रवर्तन ) के लिए बौद्ध धर्मावलम्बियों का प्रमुख केन्द्र भी  है जैन धर्म के तीन तीर्थंकर यहीं पर पैदा हुए साम्प्रदायिकता जातिवाद  के खिलाफ संत कबीरसंत रैदास सेन नाई की जन्मस्थली तथा कर्मस्थली यही  रही है वही दूसरी तरफ बनारस की बनारसी रेशमी साड़ी को मौलाना अल्वी साहब  ले आये सन 1507 ई० में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी काशी आये और काशी से बहुत प्रभावित हुए | समन्वयवाद के तुलसीदासहिन्दी उर्दू के महान कथाकार मुंशी  प्रेमचन्दमहान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्रजयशंकर प्रसादडाश्याम सुन्दरदास एवं आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और बनारस घराने के प्रसिद्ध  संगीतकारों की जन्मभूमि कर्मभूमि यही रही है  वाराणसी से चार भारत रत्न महान शहनाई वादक उस्ताद  बिस्मिल्लाह खाँदेश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जीमहान  सितार वादक पं० रविशंकर और स्वतंत्रता संग्राम एवं ऐनी बेसेन्ट हिन्दुस्तानीकल्चरल सोसाइटी से जुड़े तथा महात्मा गांधी के साथ काशी विधापीठ की  स्थापना करने वाले  डाभगवान दास  का जुड़ाव यहीं से रहा है
            16 वीं  सदी मेंमुग़ल बादशाह अकबर जब इस शहर बनारस में आया तो वह इस शहर के सांस्कृतिक विरासत एवं गौरवशाली इतिहास को देखकर काफ़ी अभिभूत हुआ और इस शहर के सांस्कृतिक महत्ता को देखते हुए , उसने इस शहर के पुनरुत्थान  का अनुभव किया  |  मुग़ल बादशाह अकबर ने इस शहर में शिव  और  विष्णु को समर्पित  दो  बड़े मंदिरों  का निर्माण कराया | पूना के राजा के नेतृत्त्व में यहाँ अन्नपूर्णा मन्दिर और 200 मीटर (660 फीट ) की अकबरी ब्रिज का निर्माण भी बादशाह अकबर द्वारा इसी दौरान करवाया गया | जिससे की दूर - दराज़ के श्रद्धालु , पर्यटक  16 वीं सदीके दौरान  बनारस शहर में जल्द से जल्द  पहुंचने लगे | इसी तरह 1665 ई० में  फ्रांसीसी  यात्री  जीन  बैप्टिस्ट टवेरनियर  नेगंगा  के किनारे पर  निर्मित  ' विष्णु  माधव  मंदिर '  की  वास्तुकला के सौंदर्य  की भूरी - भूरी प्रशंसा किया है तथा उसने अपने यात्रा वृतांत  में इसका बहुत बढ़िया वर्णन किया | सड़क , यात्रियों के ठहरने , पीने योग्य पानी के लिए कुओं का निर्माण एवं लगभग इसी शासनकाल के आस - पास सम्राट शेरशाह सूरी द्वारा कलकत्ता से पेशावर  तक मज़बूत सड़क का निर्माण कराया गया था | जो बाद में ब्रिटिश राज के दौरान प्रसिद्ध  ग्रैंड ट्रंक  रोड  के रूप  में जाना जाने लगा पं० मदन मोहन मालवीय जी द्वारा स्थापित बनारस हिन्दू विश्वविधालय सहित पाँच उच्चस्तरीय शिक्षा केन्द्र बनारस में है , वही भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक चक्र सारनाथ , वाराणसी के संग्रहालय में है
·        बनारस घराना के  संगीतज्ञ जहाँ एक तरफ हिन्दू देवी - देवताओं की स्तुति गायन के साथ अपना शास्त्रीय  संगीत का शुभारम्भ करते हैं वही अफगानिस्तान से आये सरोदईरान से आये शहनाई  सितार का गौरव के साथ उपयोग करते है शास्त्रीय संगीत की इस संयुक्त परम्परा को बनारस में जीवित रखने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास किया जाए | बनारस में शास्त्रीय संगीत को जीवंत बनाये रखने के लिए एक बड़ा  हिन्दुस्तानी संगीत संस्थान बनाया जाना चाहिये | जहाँ पर देश - विदेश के छात्र आकर संगीत शिक्षा प्राप्त कर सकें और पर्यटन को भी बढ़ावा मिले |
               
·        भारतीय धर्म एवं दर्शन - हिन्दूबौद्ध ,    इस्लाम ,   ईसाई ,   यहूदी ,   बहाई ,   जैनसिखसंत परम्परा , सूफी पंथ सभी काबनारस से जुड़ाव रहा है इस साझा संस्कृति परम्परा को बचाए रखते हुए संयुक्त रूप से सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ़ लोगों को जागरूक किया जाये | ताकि बनारस की गंगा - जमुनी तहज़ीब को बरक़रार रखा जा सके |

·        बनारस बहुलतावाद समावेशवाद का एक बहुत बड़ा केन्द्र   है और यह केन्द्र  ' गंगा तटीय सभ्यता का हेरिटेज '  है जिससे भारत ही  नहींपूरी दुनिया के लोग सामाजिक सौहार्द , सामंजस्य भाईचारे की भावना सीख सकते है , कि अपने अन्तर्विरोधों के साथ  भी सहिष्णुता से कैसे रहा जा सकता है इसलिए  आस्थाविश्वास तर्क के शहर बनारस के इतिहास , प्रमुख स्थलों बनारस शहर की साझा संस्कृति को  “ हेरिटेज घोषित किया  जाए

·        गंगा जी उसकी 1500 सहायक नदियों की अविरलता को बनाये रखते हुए निर्मलता के साथ बिना अवरोध बहने दिया जाए | ताकि नदी तटीय सभ्यता को बचाया जा सके | बनारस को  ' गन्दा जल नहींगंगा जल '  मुहैया कराया जाए |

·        नदियाँ हमारे संस्कृति सभ्यता का केन्द्र हैं | लोगों की आजीविका , धार्मिक आस्था , आध्यात्मिकता , गरिमा , जीवन सभ्यता इसी से जुड़ा है | इसलिए भारत सरकार को नदियों को संस्कृति विभाग के अधीन किया जाए |

·        भगवान शिव  के प्रिय साड़  नंदी को बनारस शहर में पीने का पानी और पशुचिकित्सक भी मुहैया  कराया जाए

·        सिंगापुर की तर्ज पर पुराने बनारस शहर को हेरिटेज के तौर पर संजोया  जाए और नये शहर को आधुनिक दुनिया की तरह पुराने शहर से अलग दूसरी जगह बसाया जाए

·        बनारस शहर के शिल्प कला के बिनकारी ( बनारसी साडी उधोग )लकड़ी के  खिलौने के कामजरदोजी , देवी - देवताओं के मुकुट की कला सनत को प्रोत्साहित संरक्षित किया जाय  इन उद्योगों को बचाने के लिए बजट में अधिक आवंटन किया जाये और इन उद्योगों से जुड़े लोगों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाये |

·        दुनिया के विभिन्न सेनाओं पुलिस के बैज  भी बनारस में बनते है श्री कृष्ण का तांबे का झूला बनारस में बनाया जाता है | हिन्दू देवी - देवताओं के वस्त्र , मुकुट , माला बनारस के मुस्लिम  दस्तकार बुनकर बनाते हैं ऐसे सभी शिल्प कला सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने के लिए सरकार प्रभावी योजना बनाकर ऐसे कारीगरों तबकों को पुनर्जीवित संरक्षित करे |

·        बनारस के बहुलतावाद और समावेशी इतिहास को बनारस  के स्कूलों , मदरसों अन्य शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाया जाय जिससे अगली पीढ़ी बनारस के धरोहर को आदर और सम्मान से संभाल सके |

·        बनारस के सभी पर्यटन स्थल , सांस्कृतिक केन्द्र को भी पर्यटन की सूची में शामिल करते हुए विकसित किया जाए और इन महत्वपूर्ण केन्द्रों को भी पर्यटन संस्कृति विभाग से जोड़ा जाए | ताकि अधिक से अधिक पर्यटकों को बनारस की प्राचीन गौरवशाली परम्परा इतिहास से जोड़ा जा सके | जैसे :  मार्कंडेय महादेव , बाबा विश्वनाथ मन्दिर , मृत्युन्जय महादेव , रामेश्वर , बाबा कालभैरव , संकट मोचन मन्दिर , मूलगादी कबीर मठ कबीर जन्म स्थलीय , ढाई कंगूरा की मस्जिद , मानसिंह का वेधशाला , कारमाईकल लाइब्रेरी , मौलाना अल्वी की मज़ार , नागरीय प्रचारणी सभा , मुंशी प्रेमचन्द्र का घर , धरहरा की मस्जिद , जैन तीर्थंकर स्थल , चौहट्टा लाल खां का मकबरा , अनेक कुण्ड तालाब इत्यादि |

·        बनारस उसके प्राचीन गौरवशाली इतिहास को संजोते हुए उनके सभी महत्वपूर्ण एतेहासिक तथ्यों , पुस्तकों , दस्तावेज़ों , वस्तुओं को संस्कृति विभाग के अधीन संग्रहालय ( Museum) बनाकर संरक्षित और पुनर्जीवित किया जाये |

·        बनारस शहर में रहने वाले बेघर ग़रीब नागरिकों , वृद्धों , महिलाओं के लिए सरकारी स्तर पर आश्रय स्थल रहने के लिए मकान , स्थान की व्यवस्था किया जाये |

·        बनारस में गंगा किनारे रहने वाले आर्थिक रूप से कमज़ोर नाविक समाज उनके बच्चों , बुनकरों उनके बच्चों एवं अति वंचित मुसहरों अन्य समुदायों को स्वास्थ्य , सुरक्षा , शिक्षा तथा सस्ते ऋण जैसे महत्वपूर्ण मूलभूत कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाए और पुनर्वासित किया जाए | ताकि समाज का वह तबका भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ सके |

·        बनारस के गौरवशाली इतिहास के साक्षी रहे वे संस्थान पुस्तकालय , कुण्ड , तालाब जो दबंगों पूंजीपतियों के अवैध कब्ज़े में हैं , उन्हें मुक्त कराते हुए सरकार द्वारा अपने संरक्षण में लेकर सरकारी देख - रेख में संरक्षित और पुनर्जीवित किया जाए |

09 Aug 2014
Mulgadi Kbirchaura Math , Varanasi.

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